Sri Ganga (108) Ashtottara Shatanamavali – श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामावली

Ganga Maa

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Sri Ganga Ashtottara Shatanamavali – श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामावली

  1. ऊँ गंगा नम:।
  2. ऊँ त्रिपथगा देवी नम:।
  3. ऊँ शंभु मौलिविहारिणी नम:।
  4. ऊँ जाह्नवी नम:।
  5. ऊँ पापहन्त्री नम:।
  6. ऊँ महापातकनाशिनी नम:।
  7. ऊँ पतितोद्धारिणि नम:।
  8. ऊँ स्त्रोतस्वती नम:।
  9. ऊँ परमवेगिनी नम:।
  10. ऊँ विष्णुपादाब्जसम्भूता नम:।
  11. ऊँ विष्णुदेहकृतालया नम:।
  12. ऊँ स्वर्गाब्धिनिलया नम:।
  13. ऊँ साध्वी नम:।
  14. ऊँ स्वर्णदी नम:।
  15. ऊँ सुरनिम्नगा नम:।
  16. ऊँ मन्दाकिनी नम:।
  17. ऊँ महावेगा नम:।
  18. ऊँ स्वर्णश्रृंगप्रभेदिनी नम:।
  19. ऊँ देवपूज्यतमा नम:।
  20. ऊँ दिव्या नम:।
  21. ऊँ दिव्यस्थाननिवासिनी नम:।
  22. ऊँ सुचारूनीररूचिरा नम:।
  23. ऊँ महापर्वतभेदिनी नम:।
  24. ऊँ भागीरथी नम:।
  25. ऊँ भगवती नम:।
  26. ऊँ महामोक्षप्रदायिनी नम:।
  27. ऊँ सिंधुसंगगता नम:।
  28. ऊँ शुद्धा नम:।
  29. ऊँ रसातलनिवासिनी नम:।
  30. ऊँ महाभोगा नम:।
  31. ऊँ भोगवती नम:।
  32. ऊँ सुभगानन्ददायिनी नम:।
  33. ऊँ महापापहरा नम:।
  34. ऊँ पुण्या नम:।
  35. ऊँ परमाह्लाददायिनी नम:।
  36. ऊँ पार्वती नम:।
  37. ऊँ शिवपत्नी नम:।
  38. ऊँ शिवशीर्षगतालया नम:।
  39. ऊँ शम्भोर्जटामध्यगता नम:।
  40. ऊँ निर्मला नम:।
  41. ऊँ निर्मलानना नम:।
  42. ऊँ महाकलुषहन्त्री नम:।
  43. ऊँ जह्नपुत्री नम:।
  44. ऊँ जगत्प्रिया नम:।
  45. ऊँ त्रैलोक्यपावनी नम:।
  46. ऊँ पूर्णा नम:।
  47. ऊँ पूर्णब्रह्मस्वरूपिणी नम:।
  48. ऊँ जगत्पूज्यतमा नम:।
  49. ऊँ चारू-रूपिणी नम:।
  50. ऊँ जगदम्बिका नम:।
  51. ऊँ लोकानुग्रहकत्रीं नम:।
  52. ऊँ सर्वलोकदयापरा नम:।
  53. ऊँ याम्यभीतिहरा नम:।
  54. ऊँ तारा नम:।
  55. ऊँ पारा नम:।
  56. ऊँ संसारतारिणी नम:।
  57. ऊँ ब्रह्माण्डभेदिनी नम:।
  58. ऊँ ब्रह्मकमण्डलुकृतालया नम:।
  59. ऊँ सौभाग्यदायिनी नम:।
  60. ऊँ पुंसां निर्वाणपददायिनी नम:।
  61. ऊँ अचिन्त्यचरिता नम:।
  62. ऊँ चारूरूचिरातिमनोहरा नम:।
  63. ऊँ मर्त्यस्था नम:।
  64. ऊँ मृत्युभयहा नम:।
  65. ऊँ स्वर्गमोक्षप्रदायिनी नम:।
  66. ऊँ पापापहारिणी नम:।
  67. ऊँ दूरचारिणी नम:।
  68. ऊँ वीचिधारिणी नम:।
  69. ऊँ कारूण्यपूर्णा नम:।
  70. ऊँ करूणामयी नम:।
  71. ऊँ दुरितनाशिनी नम:।
  72. ऊँ गिरिराजसुता नम:।
  73. ऊँ गौरीभगिनी नम:।
  74. ऊँ गिरिशप्रिया नम:।
  75. ऊँ मेनकागर्भसम्भूता नम:।
  76. ऊँ मैनाकभगिनीप्रिया नम:।
  77. ऊँ आद्या नम:।
  78. ऊँ त्रिलोकजननी नम:।
  79. ऊँ त्रैलोक्यपरिपालिनी नम:।
  80. ऊँ तीर्थश्रेष्ठतमा नम:।
  81. ऊँ श्रेष्ठा नम:।
  82. ऊँ सर्वतीर्थमयी नम:।
  83. ऊँ शुभा नम:।
  84. ऊँ चतुर्वेदमयी नम:।
  85. ऊँ सर्वा नम:।
  86. ऊँ पितृसंतृप्तिदायिनी नम:।
  87. ऊँ शिवदा नम:।
  88. ऊँ शिवसायुज्यदायिनी नम:।
  89. ऊँ शिववल्लभा नम:।
  90. ऊँ तेजस्विनी नम:।
  91. ऊँ त्रिनयना नम:।
  92. ऊँ त्रिलोचनमनोरमा नम:।
  93. ऊँ सप्तधारा नम:।
  94. ऊँ शतमुखी नम:।
  95. ऊँ सगरान्वयतारिणी नम:।
  96. ऊँ मुनिसेव्या नम:।
  97. ऊँ मुनिसुता नम:।
  98. ऊँ जह्नुजानुप्रभेदिनी नम:।
  99. ऊँ मकरस्था नम:।
  100. ऊँ सर्वगता नम:।
  101. ऊँ सर्वाशुभनिवारिणी नम:।
  102. ऊँ सुदृश्या नम:।
  103. ऊँ चाक्षुषीतृप्तिदायिनी नम:।
  104. ऊँ मकरालया नम:।
  105. ऊँ सदानन्दमयी नम:।
  106. ऊँ नित्यानन्ददा नम:।
  107. ऊँ नगपूजिता नम:।
  108. ऊँ सर्वदेवाधिदेवै नम:।

॥ इति श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामावली ॥

Sri Ganga (108) Ashtottara Shatanam Stotram- श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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Sri Ganga (108) Ashtottara Shatanam Stotram- श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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Sri Ganga Ashtottara Shatanama Stotram-श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

॥ ध्यान ॥

सितमकरनिषण्णां शुभ्रवर्णां त्रिनेत्रां करधृतकलशोद्यत्सोत्पलामत्यभीष्टाम्।
विधिहरिहररूपां सेन्दुकोटीरचूडां कलितसितदुकूलां जाह्नवीं तां नमामि॥

॥ स्तोत्र ॥

॥ श्री नारद उवाच ॥

गङ्गा नाम परं पुण्यं कथितं परमेश्वर।
नामानि कति शस्तानि गङ्गायाः प्रणिशंस मे॥१॥

॥ श्री महादेव उवाच ॥

नाम्नां सहस्त्रमध्ये तु नामाष्टशतमुत्तमम्।
जाह्नव्या मुनिशार्दूल तानि मे शृणु तत्त्वतः॥२॥

ॐ गङ्गा त्रिपथगा देवी शम्भुमौलिविहारिणी।
जाह्नवी पापहन्त्री च महापातकनाशिनी॥३॥

पतितोद्धारिणी स्त्रोतस्वती परमवेगिनी।
विष्णुपादाब्जसम्भूता विष्णुदेहकृतालया॥४॥

स्वर्गाब्धिनिलया साध्वी स्वर्णदी सुरनिम्नगा।
मन्दाकिनी महावेगा स्वर्णशृङ्गप्रभेदिनी॥५॥

देवपूज्यतमा दिव्या दिव्यस्थाननिवासिनी।
सुचारुनीररुचिरा महापर्वतभेदिनी॥६॥

भागीरथी भगवती महामोक्षप्रदायिनी।
सिन्धुसङ्गगता शुद्धा रसातलनिवासिनी॥७॥

महाभोगा भोगवती सुभगानन्ददायिनी।
महापापहरा पुण्या परमाह्लाददायिनी॥८॥

पार्वती शिवपत्नी च शिवशीर्षगतालया।
शम्भोर्जटामध्यगता निर्मला निर्मलानना॥९॥

महाकलुषहन्त्री च जह्नुपुत्री जगत्प्रिया।
त्रेलोक्यपावनी पूर्णा पूर्णब्रह्मस्वरूपिणी॥१०॥

जगत्पूज्यतमा चारुरूपिणी जगदम्बिका।
लोकानुग्रहकर्त्री च सर्वलोकदयापरा॥११॥

याम्यभीतिहरा तारा पारा संसारतारिणी।
ब्रह्माण्डभेदिनी ब्रह्मकमण्डलुकृतालया॥१२॥

सौभाग्यदायिनी पुंसां निर्वाणपददायिनी।
अचिन्त्यचरिता चारुरुचिरातिमनोहरा॥१३॥

मर्त्यस्था मृत्युभयहा स्वर्गमोक्षप्रदायिनी।
पापापहारिणी दूरचारिणी वीचिधारिणी॥१४॥

कारुण्यपूर्णा करुणामयी दुरितनाशिनी।
गिरिराजसुता गौरीभगिनी गिरिशप्रिया॥१५॥

मेनकागर्भसम्भूता मैनाकभगिनीप्रिया।
आद्या त्रिलोकजननी त्रैलोक्यपरिपालिनी॥१६॥

तीर्थश्रेष्ठतमा श्रेष्ठा सर्वतीर्थमयी शुभा।
चतुर्वेदमयी सर्वा पितृसंतृप्तिदायिनी॥१७॥

शिवदा शिवसायुज्यदायिनी शिववल्लभा।
तेजस्विनी त्रिनयना त्रिलोचनमनोरमा॥१८॥

सप्तधारा शतमुखी सगरान्वयतारिणी।
मुनिसेव्या मुनिसुता जह्नुजानुप्रभेदिनी॥१९॥

मकरस्था सर्वगता सर्वाशुभनिवारिणी।
सुदृश्या चाक्षुषीतृप्तिदायिनी मकरालया॥२०॥

सदानन्दमयी नित्यानन्ददा नगपूजिता।
सर्वदेवाधिदेवैश्च परिपूज्यपदाम्बुजा॥२१॥

एतानि मुनिशार्दूल नामानि कथितानि ते।
शस्तानि जाह्नवीदेव्याः सर्वपापहराणि च॥२२॥

य इदं पठते भक्त्या प्रातरुत्थाय नारद।
गङ्गायाः परमं पुण्यं नामाष्टशतमेव हि॥२३॥

तस्य पापानि नश्यन्ति ब्रह्महत्यादिकान्यपि।
आरोग्यमतुलं सौख्यं लभते नात्र संशयः॥२४॥

यत्र कुत्रापि संस्नायात्पठेत्स्तोत्रमनुत्तमम्।
तत्रैव गङ्गास्नानस्य फलं प्राप्नोति निश्चितम्॥२५॥

प्रत्यहं प्रपठेदेतद् गङ्गानामशताष्टकम्।
सोऽन्ते गङ्गामनुप्राप्य प्रयाति परमं पदम्॥२६॥

गङ्गायां स्नानसमये यः पठेद्भक्त्तिसंयुतः।
सोऽश्वमेधसहस्त्राणां फलमाप्नोति मानवः॥२७॥

गवामयुतदानस्य यत्फलं समुदीरितम्।
तत्फलं समवाप्नोति पञ्चम्यां प्रपठन्नरः॥२८॥

कार्तिक्यां पौर्णमास्यां तु स्नात्वा सागरसङ्गमे।
यः पठेत्स महेशत्वं याति सत्यं न संशयः॥२९॥

॥ इति श्रीमहाभागवते महापुराणे श्री गंगाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

Sri Ganga (108) Ashtottara Shatanamavali – श्री गंगा  अष्टोत्तरशतनामावली

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