Gupat Navratre Vrat Calendar List 2024-2025 | गुप्त नवरात्र लिस्ट

Das Mahavidhya
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Gupat Navratre Vrat Calendar List 2024-2025 | गुप्त नवरात्र लिस्ट

सभी’नवरात्र’ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है-

‘नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते’ ।

माघ मास और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजिनक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है । आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में जहां वामाचार उपासना की जाती है । वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है ।

गुप्त नवरात्र की सूची संवत 2081 सन 2024-2025

आषाढ़ गुप्त नवरात्र सन 2024 | Magh Gupta Navratri

06 जुलाई 2024 नवरात्र का प्रथम दिन
07 जुलाई 2024 नवरात्र का द्वितीय दिन
08 / 09जुलाई 2024 नवरात्र का तृतीय दिन
10 जुलाई 2024 नवरात्र का चतुर्थ दिन
11 जुलाई 2024 नवरात्र का पञ्चम दिन
12 जुलाई 2024 नवरात्र का षष्ठ दिन
13 जुलाई 2024 नवरात्र का सप्तम दिन
14 जुलाई 2024 नवरात्र का अष्टम दिन
15 जुलाई 2024 नवरात्र का नवम दिन

माघ गुप्त नवरात्र सन 2025 | Magh Gupta Navratri

30 जनवरी 2025 नवरात्र का प्रथम दिन
31 जनवरी 2025 नवरात्र का द्वितीय दिन
01 फरवरी 2025 नवरात्र का तृतीय दिन
02 फरवरी 2025 नवरात्र का चतुर्थ दिन नवरात्र का पञ्चम दिन
03 फरवरी 2025 नवरात्र का षष्ठ दिन
04 फरवरी 2025 नवरात्र का सप्तम दिन
05 फरवरी 2025 नवरात्र का अष्टम दिन
06 फरवरी 2025 नवरात्र का नवम दिन

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Chaitra Shukal Chaitra Navratri Calendar List 2024 | चैत्र नवरात्री सम्वत 2081

basant navratri

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नवरात्रि (Navratri) का अर्थ होता है, नौ रातें। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।
तृतीय चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेति चतुर्थकम्।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाऽष्टम्।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।

नवरात्र के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है।

ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम नवरात्रहै।

अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी नवरात्रनाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है।

हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और, इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है।

इन मुख्य इन्द्रियों में अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन, नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।

चैत्र मास शुक्ल पक्ष (Chaitra | Basant Navratri) की सूची संवत 2081 सन 2024-2025

तारीखनवरात्रि व्रत पूजा विधि
09 अप्रैल 2024नवरात्रि का प्रथम दिन
10 अप्रैल 2024नवरात्रि का द्वितीय दिन
11 अप्रैल 2024नवरात्रि का तृतीय दिन
12 अप्रैल 2024नवरात्रि का चतुर्थ दिन
13 अप्रैल 2024नवरात्रि का पञ्चम दिन
14 अप्रैल 2024नवरात्रि का षष्ठ दिन
15 अप्रैल 2024नवरात्रि का सप्तम दिन
16 अप्रैल 2024नवरात्रि का अष्टम दिन
17 अप्रैल 2024नवरात्रि का नवम दिन

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Skand Shashti Vrat Calendar List 2024-2025 | स्कंद षष्ठी व्रत लिस्ट

Skand Shishathi

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षष्ठी तिथि भगवान स्कन्द को समर्पित हैं। शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन श्रद्धालु लोग उपवास करते हैं। षष्ठी तिथि जिस दिन पञ्चमी तिथि के साथ मिल जाती है उस दिन स्कन्द षष्ठी के व्रत को करने के लिए प्राथमिकता दी गयी है। इसीलिए स्कन्द षष्ठी का व्रत पञ्चमी तिथि के दिन भी हो सकता है।

स्कन्द षष्ठी को कन्द षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

स्कंद षष्ठी की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना)

तारीख

पौष मास शुक्ल पक्ष

16 जनवरी 2024

माघ मास शुक्ल पक्ष

14 फरवरी 2024

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष

15 मार्च 2024

चैत्र मास शुक्ल पक्ष

13 अप्रैल 2024

वैशाख मास शुक्ल पक्ष

13 मई 2024

ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष

11 जून 2024

आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष

11 जुलाई 2024

श्रावण मास शुक्ल पक्ष

10 अगस्त 2024

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष

09 सितंबर 2024

आश्विन मास शुक्ल पक्ष

08 अक्टूबर 2024

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष

07 नवंबर 2024

मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष

06 दिसंबर 2024

स्कंद षष्ठी की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना)

तारीख

पौष मास शुक्ल पक्ष

05 जनवरी 2025

माघ मास शुक्ल पक्ष

03 फरवरी 2025

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष

04 मार्च 2025

  

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Ashwin Shukal Sharad Navratri Calendar List 2024 | शरद नवरात्री सम्वत 2081

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sharad navratri list नवरात्रि का अर्थ होता है, नौ रातें।यह पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं। प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी। तृतीय चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेति चतुर्थकम्। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाऽष्टम्। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः। नवरात्र के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम नवरात्रहै। अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी नवरात्रनाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है। हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और, इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है। इन मुख्य इन्द्रियों में अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन, नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।

अश्विन मास शुक्ल पक्ष (शारदीय नवरात्र) की सूची संवत 2081 सन 2024-2025

तारीख नवरात्रि व्रत पूजा विधि
03 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का प्रथम दिन
04 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का द्वितीय दिन
05 / 06 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का तृतीय दिन
07 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का चतुर्थ दिन
08 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का पञ्चम दिन
09 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का षष्ठ दिन
10 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का सप्तम दिन
11 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का अष्टम दिन
12 अक्टूबर 2024 नवरात्रि का नवम दिन

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Ashwin Krishna Paksha Shradh Calendar List 2024 | श्राद्ध पक्ष

Shradh Paksh calendar

Shradh Paksh calendar

हिंदू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है। श्राद्ध विधि इसी भावना पर आधारित है।

मृत्यु के बाद जीवनात्मा को उत्तम, मध्यम और कनिष्ठ कर्मानुसार स्वर्ग-नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीण होने पर वह पुन मृत्युलोक में आता है। स्वर्ग में जाना यह पितृयान मार्ग है एवं जन्म-मरण के चक्र में मुक्त होना यह देवयान मार्ग है।

पितृयान मार्ग में जाने वाले जीव पितृलोक से होकर चंद्रलोक में जाते हैं। चंद्रलोक में अमृतान्न का सेवन करके निर्वाह करते हैं। यह अमृतान्न कृष्ण पक्ष में चंद्र की कलाओं के साथ क्षीण होता रहता है। अंत कृष्ण पक्ष में उनके वंशजों को उनके लिए आहार पुहँचाना चाहिए, इसलिए श्राद्ध एवं पिंडदान की व्यवस्था की गई है। शास्त्रों में आता है कि अमावस के दिन तो पितृतर्पण अवश्य करना चाहिए।

प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर देवऋण, पितृऋण एवं ऋषिऋण रहता है। श्राद्ध क्रिया द्वारा पितृऋण से मुक्त हुआ जाता है। देवताओं को यज्ञ-भाग देने पर देवऋण से मुक्त हुआ जाता है। ऋषि-मुनि-संतो के विचारों को, आदर्शों को अपने जीवन में उतारने से, उनका प्रचार-प्रसार करने से एवं उनके लक्ष्य मानकर आदरसहित आचरण करने से ऋषिऋण से मुक्त हुआ जाता है।

पुराणों में आता है कि अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस के दिन सूर्य एवं चंद्र की युति होती है। सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है इस दिन हमारे पितर यमलोक से अपना निवास छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक में अपने वंशजों के निवास-स्थान में रहते हैं । अंत उस दिन उनके लिए विभिन्न श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं।

जो नि संतान ही चल बसे हो उन्हें मृतात्माओं के लिए भी यदि कोई व्यक्ति इन दिनों में श्राद्ध-तर्पण करेगा अथवा जलांजलि देगा तो वह भी उन तक पहुंचेगी। जिन की मरण-तिथि ज्ञात न हो उनके लिए भी अवधि के दौरान दी गई अंजलि पहुंचती है।

आश्विन कृष्ण पक्ष के श्राद्ध की सूची संवत 2081 सन 2024

तिथि का श्राद्ध 

तारीख

पूर्णिमा/प्रोष्पदी का श्राद्ध

17 सितंबर 2024

प्रतिपदा का श्राद्ध

18 सितंबर 2024

द्वितीया का श्राद्ध

19 सितंबर 2024

तृतीया का श्राद्ध

20 सितंबर 2024
चतुर्थी का श्राद्ध
भरणी का श्राद्ध

21 सितंबर 2024

पंचमी का श्राद्ध

22 सितंबर 2024

पष्ठी का श्राद्ध
सप्तमी का श्राद्ध

23 सितंबर 2024

अष्टमी का श्राद्ध

24 सितंबर 2024

नवमी/ सौभाग्यवतीनां श्राद्ध

25 सितंबर 2024

दशमी का श्राद्ध

26 सितंबर 2024

एकादशी का श्राद्ध

27 सितंबर 2024

द्वादशी , सन्यासियों का श्राद्ध
मघा श्राद्ध

29 सितंबर 2024

त्रयोदशी का श्राद्ध

30 सितंबर 2024

चतुर्दशी श्राद्ध – अपमृत्यु वालों का श्राद्ध

01 अक्टूबर 2024

सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात मृतकों का श्राद्ध, महालय श्राद्ध

02 अक्टूबर 2024

विशेष: नाना नानी का श्राद्ध अमावस्या तिथि अथवा प्रतिपदा तिथि पर किया जाता है। सभी अपने स्थानों के अनुसार इसे कर सकते हैं।

Pitru Paksha | Shradh 2021: कब से शुरु है पितृ पक्ष? जानें ​महत्वपूर्ण जानकारी

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Amavasya Calendar List 2024-2025 | अमावस्या की लिस्ट

Amavasya calendar

 Amavasya calendar

अमावस्या का ज्योतिष शास्त्र तथा धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। इस दिन पितरों के निमित्त से तर्पण, पूजन, मार्जन आदि करने से पितृ दोष से मुक्ति होती है। जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष हो l  उनके लिए इस तिथि पर पितरों के निमित्त से कुछ भी किया जाए तर्पण करने से पित्र दोष शांत हो जाता है l अमावस्या तिथि को ही सूर्य पर ग्रहण लगता है l 

अमावस्या से शुरू होने वाले पक्ष को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि इस दिन अपने पूर्वजों को याद कर पूजा करने और गरीबों को दान देने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। वैसे तो सभी अमावस्या को एक समान माना जाता है, लेकिन सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या जिसे हम सोमवती अमावस्या कहते हैं। वो अन्य अमावस्या की तुलना में इस विशेष महत्व रखता है। पितरों की तर्पण के लिए भौमवती और शनिचरी अमावस्या का विशेष महत्व है l

अमावस्या की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना)

तारीख

पौष मास

11 जनवरी 2024 (गुरुवार)

माघ मास

09 फरवरी 2024 (शुक्रवार)

फाल्गुन मास

10 मार्च 2024 (रविवार)

चैत्र मास

08 अप्रैल 2024 (सोमवार)

वैशाख मास

08 मई 2024 (बुधवार)

ज्येष्ठ मास

06 जून 2024 (गुरुवार)

आषाढ़ मास

05 जुलाई 2024 (शुक्रवार)

श्रावण मास

04 अगस्त 2024 (रविवार)

भाद्रपद मास

02 सितंबर 2024 (सोमवार)

भाद्रपद मास

03 सितंबर 2024 (मंगलवार)

आश्विन मास

02 अक्टूबर 2024 (बुधवार)

कार्तिक मास

01 नवंबर 2024 (शुक्रवार)

मार्गशीर्ष मास

01 दिसंबर 2024  (रविवार)

पौष मास

30 दिसंबर 2024 (सोमवार)

अमावस्या की सूची संवत 2081 सन 2025

माघ मास

29 जनवरी 2025 (बुधवार)

फाल्गुन मास

27 फरवरी 2025 (गुरुवार)

चैत्र मास

29 मार्च 2025 (शनिवार)

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Masik Kalashtami Calendar List 2024-2025 | मासिक कालाष्टमी लिस्ट

Masik Kalashtami Vrat Calendar

Masik Kalashtami Vrat Calendar

जो कोई भी व्यक्ति कालाष्टमी की पूजा करता है l उसे भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मासिक कालाष्टमी कहा जाता हैं l अतः वर्ष भर में 12 मासिक कालाष्टमी आती हैं l

मासिक कालाष्टमी की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना)

तारीख

चैत्र मास

02 अप्रैल 2024

वैशाख मास

01 मई 2024

ज्येष्ठ मास

30 मई 2024

आषाढ़ मास

28 जून 2024

श्रावण मास

28 जुलाई 2024

भाद्रपद मास

26 अगस्त 2024

आश्विन मास

24 सितंबर 2024

कार्तिक मास

24 अक्टूबर 2024

मार्गशीर्ष मास

23 नवंबर 2024

पौष मास

22 दिसंबर 2024

मासिक कालाष्टमी की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना)

तारीख

माघ मास

21 जनवरी 2025

फाल्गुन मास

20 फरवरी 2025

चैत्र मास

22 मार्च 2025

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Siddhi Vinayak Chaturthi Vrat Calendar List 2024-2025 | विनायक चतुर्थी व्रत लिस्ट

Siddhi Vinayaka Chuturthi Vrt Calendar
Siddhi Vinayaka Chuturthi Vrt Calendar प्रत्येक मास दो चतुर्थी तिथि आती है, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। गणेश पुराण में बताया गया है कि चतुर्थी तिथि गणपति भगवान को समर्पित है। कहीं-कहीं पर इसे वरद चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन बप्पा की आराधना करने से गणेश भगवान आर्थिक संपन्नता प्रदान करते हैं साथ ही ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं। चतुर्थी पर बप्पा की पूजा करने से हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है और गणपति भगवान अपने भक्तों के सारे दुख दूर करते हैं ।

सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना) 

तारीख

चैत्र मास

12 अप्रैल 2024

वैशाख मास

11 मई 2024

ज्येष्ठ मास

10 जून 2024

आषाढ़ मास

09 जुलाई 2024

श्रावण मास

08 अगस्त 2024

भाद्रपद मास

07 सितंबर 2024

आश्विन मास

06 अक्टूबर 2024

कार्तिक मास

05 नवंबर 2024

मार्गशीर्ष मास

05 दिसंबर 2024

सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना) 

तारीख

पौष मास

04 जनवरी 2025

माघ मास

01 फरवरी 2025

फाल्गुन मास

03 मार्च 2025

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Masik Durga Ashtami Calendar List 2024-2025 | मासिक श्री दुर्गाष्टमी व्रत लिस्ट

Masik Shree Durga Ashtami Calendar

 

प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली अष्टमी को दुर्गाष्टमी कहते हैं। यह तिथि मां दुर्गा को समर्पित होती है। अतः इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है ।प्रत्येक माह की आने वाली दुर्गा अष्टमी का व्रत बहुत शुभ फलदायी होता है। वर्ष में 12 महीने होने के कारण वर्ष भर में 12 मासिक दुर्गा अष्टमी आती हैं l

दुर्गा अष्टमी का व्रत गृहस्थियों के लिए सुख और समृद्धि देने वाला है l माता दुर्गा की आराधना करने से महामारी बाढ़ सूखा जैसे प्राकृतिक उपद्रवों से भी रक्षा होती है l

मासिक दुर्गा अष्टमी की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना) 

तारीख

चैत्र मास

16 अप्रैल 2024

वैशाख मास

15 मई 2024

ज्येष्ठ मास

14 जून 2024

आषाढ़ मास

14 जुलाई 2024

श्रावण मास

13 अगस्त 2024

भाद्रपद मास

11 सितंबर 2024

आश्विन मास

11 अक्टूबर 2024

कार्तिक मास

09 नवंबर 2024

मार्गशीर्ष मास

09 दिसंबर 2024

मासिक दुर्गा अष्टमी की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना) 

तारीख

पौष मास

07 जनवरी 2025

माघ मास

05 फरवरी 2025

फाल्गुन मास

07 मार्च 2025

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Pradosh Vrat Calendar List 2024-2025 | प्रदोष व्रत लिस्ट

Prdos Vrt Calendar

Prdos Vrt Calendar

हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत को मुख्य रुप से भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। प्रदोष व्रत की महिमा ऎसी है जैसे अमूल्य मोतियों में “पारस” का होना।  प्रदोष व्रत जो भी धारण करता है। उस व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और दुखों का नाश होता है।

अलग-अलग वार का त्रयोदशी तिथि के साथ संगम होने से पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा भी उसी के अनुरूप होती है ।

आईये जानें किस वार को कौन सा प्रदोष व्रत आता है और क्या है उस प्रदोष व्रत की महिमा –

सोम प्रदोष व्रत-

सोमवार जो भगवान शिव और चंद्र देव का दिन माना गया है, तो इस दिन प्रदोष व्रत का आना अत्यंत ही शुभदायक और कई गुना शुभ फलों को देने वाला होता है। यह सोने पर सुहागा की उक्ति को चरितार्थ करने वाला होता है। सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर प्रदोष व्रत रखने से मानसिक सुख प्राप्त होता है, अगर चंद्रमा कुण्डली में खराब हो तो इस दिन व्रत का नियम अपनाने पर चंद्र दोष समाप्त होता है। सौभाग्य एवं परिवार के सुख की प्राप्ति होती है।

भौम प्रदोष व्रत-

मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत का आगमन संतान के सुख को देने वाला और मंगल दोष से उत्पन्न कष्टों की निवृत्ति प्रदान करने वाला होता है। इस दिन व्रत रखने पर स्वास्थ्य संबंधी कष्ट दूर होते हैं। क्रोध की शांति होती है और धैर्य साहस की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत विधि पूर्वक करने से आर्थिक घाटे से मुक्ति मिलती है। कर्ज से यदि परेशानी है तो वह भी समाप्त होती है। रक्त से संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति के लिए भौम प्रदोष व्रत अत्यंत लाभदायक होता है।

बुध प्रदोष व्रत-

बुधवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सौम्य प्रदोष, सौम्यवारा प्रदोष, बुध प्रदोष कहा जाता है।  इस दिन व्रत करने से बौद्धिकता में वृद्धि होती है। वाणी में शुभता आती है। जिन जातकों की कुण्डली में बुध ग्रह के कारण परेशानी है या वाणी दोष इत्यादि कोई विकार परेशान करता है तो उसके लिए बुधवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शुभ लाभ प्राप्त होते हैं, बुध की शुभता प्राप्त होती है. छोटे बच्चों का मन अगर पढा़ई में नहीं लग रहा होता है तो माता-पिता को चाहिए की बुध प्रदोष व्रत का पालन करें इससे लाभ प्राप्त होगा।

गुरु प्रदोष व्रत-

बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर गुरु के शुभ फलों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। बढ़े बुजुर्गों के आशीर्वाद स्वरुप यह व्रत जातक को संतान और सौभाग्य की प्राप्ति कराता है। व्यक्ति को ज्ञानवान बनाता है और आध्यात्मक चेतना देता है।

शुक्र प्रदोष व्रत-

शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर इसे भृगुवारा प्रदोष व्रत के नाम से भी पुकारा जाता है। इस दिन व्रत का पालन करने पर आर्थिक कठिनाईयों से मुक्ति प्राप्त होती है। व्यक्ति के जीवन में शुभता एवं सौम्यता का वास होता है। इस व्रत का पालन करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है और प्रेम की प्राप्ति होती है।

शनि प्रदोष व्रत-

शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने पर शनि प्रदोष व्रत होता है। शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुंडली में मौजूद शनि दोष या शनि की साढे़साती अथवा ढैय्या से मिलने वाले कष्ट भी दूर होते हैं। शनि प्रदोष व्रत द्वारा पापों का नाश होता है। हमारे कर्मों का फल देने वाले शनिमहाराज की कृपा प्राप्त होती है। कार्यक्षेत्र और व्यवसाय में लाभ पाने के लिए भी शनि प्रदोष व्रत अत्यंत असरकारी होता है।

रवि प्रदोष व्रत-

त्रयोदशी तिथि के दिन रविवार होने पर रवि प्रदोष व्रत होता है। इस दिन को भानुवारा प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना के साथ-साथ सूर्य देव की उपासना भी करनी अत्यंत शुभ फलदायी होती है। ये व्रत करने से आपको जीवन में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। राज्य एवं सरकार से लाभ भी मिलता है। यदि किसी कारण से सरकार की ओर से कष्ट हो रहा हो या पिता से अलगाव अथवा सुख की कमी हो तो, इस रवि प्रदोष व्रत को करने से सुखद फलों की प्राप्ति होती है। कुण्डली में अगर किसी भी प्रकार का सूर्य संबंधी दोष होने पर इस व्रत को करना अत्यंत लाभदायी होता है।

 

प्रदोष व्रत की सूची संवत 2081 सन 2024

मास और पक्ष

प्रदोष व्रत

तारीख

पौष मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत09 जनवरी 2024
पौष मास शुक्ल पक्षमंगल प्रदोष व्रत23 जनवरी 2024
माघ मास कृष्ण पक्षबुध प्रदोष व्रत07 फरवरी 2024
माघ मास शुक्ल पक्षबुध प्रदोष व्रत21 फरवरी 2024
फाल्गुन मास कृष्ण पक्षशुक्र प्रदोष व्रत08 मार्च 2024
फाल्गुन मास शुक्ल पक्षशुक्र प्रदोष व्रत22 मार्च 2024
चैत्र मास कृष्ण पक्षशनि प्रदोष व्रत06 अप्रैल 2024
चैत्र मास शुक्ल पक्षरवि प्रदोष व्रत21 अप्रैल 2024
वैशाख मास कृष्ण पक्षरवि प्रदोष व्रत05 मई 2024
वैशाख मास शुक्ल पक्षसोम प्रदोष व्रत20 मई 2024
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत04 जून 2024
ज्येष्ठ मास शुक्ल  पक्षबुध प्रदोष व्रत19 जून 2024
आषाढ़ मास  कृष्ण पक्षबुध प्रदोष व्रत03 जुलाई 2024
आषाढ़ मास शुक्ल  पक्षशुक्र प्रदोष व्रत19 जुलाई 2024
श्रावण मास कृष्ण पक्षगुरु प्रदोष व्रत01 अगस्त 2024
श्रावण मास शुक्ल पक्षशनि प्रदोष व्रत17 अगस्त 2024
भाद्रपद मास कृष्ण पक्षशनि प्रदोष व्रत31 अगस्त 2024
भाद्रपद मास शुक्ल पक्षरवि प्रदोष व्रत15 सितंबर 2024
आश्विन मास कृष्ण पक्षसोम प्रदोष व्रत30 सितंबर 2024
आश्विन मास शुक्ल पक्षमंगल प्रदोष व्रत15 अक्टूबर 2024
कार्तिक मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत29 अक्टूबर 2024
कार्तिक मास शुक्ल पक्षबुध प्रदोष व्रत13 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्षगुरु प्रदोष व्रत28 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष मास शुक्ल  पक्षशुक्र प्रदोष व्रत13 दिसंबर 2024
पौष मास कृष्ण पक्षशनि प्रदोष व्रत28 दिसंबर 2024

प्रदोष व्रत की सूची संवत 2081 सन 2025

पौष मास शुक्ल पक्षशनि प्रदोष व्रत11 जनवरी 2025
माघ मास कृष्ण पक्षसोम प्रदोष व्रत27 जनवरी 2025
माघ मास शुक्ल पक्षसोम प्रदोष व्रत10 फरवरी 2025
फाल्गुन मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत25 फरवरी 2025
फाल्गुन मास शुक्ल पक्षमंगल प्रदोष व्रत11 मार्च 2025
चैत्र मास कृष्ण पक्षगुरु प्रदोष व्रत27 मार्च 2025

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