मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत विधि | Masik Shri Durga Ashtami Vrat Katha, Puja Vidhi

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मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत विधि | Masik Shri Durga Ashtami Vrat Katha, Puja Vidhi

हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी (Durga Ashtami) का उपवास किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं।

मुख्य दुर्गाष्टमी (Durga Ashtami) जिसे महाष्टमी कहते हैं, अश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है।

संस्कृत की भाषा में दुर्गा शब्द का अर्थ होता है अपराजित अर्थात जो किसी से भी कभी पराजित नहीं हो, और अष्टमी का अर्थ होता है आठवा दिन। इस अष्टमी के दिन महिषासुर नामक राक्षस पर देवी दुर्गा ने जीत हासिल की थी। इस दिन देवी ने अपने भयानक और रौद्र रूप को धारण किया था, इसलिए इस दिन को देवी भद्रकाली के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योकि इस दिन दुष्ट और क्रूर राक्षस को उन्होंने मार कर सारे ब्रह्माण्ड को भय मुक्त किया था।

इस दिन जो भी पूरी भक्ति और श्रधा से पूर्ण समर्पण के साथ दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) का व्रत करता है उसके जीवन में खुशी और अच्छे भाग्य का आगमन होता है।

मासिक दुर्गा अष्टमी कथा | Masik Durga Ashtami Katha (Story) in Hindi

प्राचीन समय में दुर्गम नामक एक दुष्ट और क्रूर दानव रहता था। वह बहुत ही शक्तिशाली था। अपनी क्रूरता से उसने तीनों लोकों में अत्याचार कर रखा था। उसकी दुष्टता से पृथ्वी, आकाश और ब्रह्माण्ड तीनों जगह लोग पीड़ित थे। उसने ऐसा आतंक फैलाया था, कि आतंक के डर से सभी देवता कैलाश में चले गए, क्योंकि देवता उसे मार नहीं सकते थे, और न ही उसे सजा दे सकते थे। सभी देवता ने भगवान शिव जी से इस बारे में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।

अंत में विष्णु, ब्रह्मा और सभी देवता के साथ मिलकर भगवान शंकर ने एक मार्ग निकाला और सबने अपनी ऊर्जाअर्थात अपनी शक्तियों को साझा करके संयुकत रूप से शुक्ल पक्ष अष्टमी को देवी दुर्गा को जन्म दिया। उसके बाद उन्होंने उन्हें सबसे शक्तिशाली हथियार को देकर दानव के साथ एक कठोर युद्ध को छेड़ दिया, फिर देवी दुर्गा ने उसको बिना किसी समय को लगाये तुरंत दानव का संहार कर दिया। वह दानव दुर्ग सेन के नाम से भी जाना जाता था। उसके बाद तीनों लोकों में खुशियों के साथ ही जयकारे लगने लगे, और इस दिन को ही दुर्गाष्टमी की उत्पति हुई। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।

मासिक दुर्गा अष्टमी पूजा विधि | Masik Durga Ashtami Puja Vidhi

देवी दुर्गा जी के नौ रूप है हर एक विशेष दिन देवी के एक विशेष रूप का पूजन किया जाता है जिनके नाम शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री है। मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Durga Ashtami) के दिन विशेष रूप से माँ दुर्गा (Maa Durga) के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है।

दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा के हथियारों की पूजा की जाती है और हथियारों के प्रदर्शन के कारण इस दिन को लोकप्रिय रूप से विराष्ट्मी के रूप में भी जाना जाता है।

दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) के दिन भक्त सुबह जल्दी से स्नान करके देवी दुर्गा से प्रार्थना करते है और पूजन के लिए लाल फूल, लाल चन्दन, दीया, धूप इत्यादि इन सामग्रियों से पूजा करते है, और देवी को अर्पण करने के लिए विशेष रूप से नैवेध को तैयार किया जाता है।

दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) के दिन विशेष कर जो 6 वर्ष से 12 वर्ष के आयु वर्ग की कन्याओं के 5, 7, 9 और 11 के समूह को भोजन के लिए आमन्त्रित कर, उनके स्वागत में उनके पांव को पहले धोया जाता है, फिर उनका पूजन किया जाता है तत्पश्चात उन्हें भोजन में खीर, हलवा, पुड़ी, मिठाई इत्यादि खाद्य पदार्थ दिए जाते है और उसके बाद कुछ उपहार देकर उन्हें सम्मानित किया जाता है।

इन सारे विधि कार्यों को करने के बाद पूजा समाप्त हो जाती है और अंत में माता का आशीर्वाद आपको प्राप्त हो जाता है।

माँ दुर्गा आरती | Maa Durga Aarti

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी॥

माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी॥

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी॥

केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी॥

कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी॥

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी॥

चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी॥

ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी॥

तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्‍तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी॥

भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी॥

कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी॥

श्री अम्बेजी की आरती,जो को‌ई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी॥

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Masik Durga Ashtami Calendar List 2024-2025 | मासिक श्री दुर्गाष्टमी व्रत लिस्ट

Masik Shree Durga Ashtami Calendar

 

प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली अष्टमी को दुर्गाष्टमी कहते हैं। यह तिथि मां दुर्गा को समर्पित होती है। अतः इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है ।प्रत्येक माह की आने वाली दुर्गा अष्टमी का व्रत बहुत शुभ फलदायी होता है। वर्ष में 12 महीने होने के कारण वर्ष भर में 12 मासिक दुर्गा अष्टमी आती हैं l

दुर्गा अष्टमी का व्रत गृहस्थियों के लिए सुख और समृद्धि देने वाला है l माता दुर्गा की आराधना करने से महामारी बाढ़ सूखा जैसे प्राकृतिक उपद्रवों से भी रक्षा होती है l

मासिक दुर्गा अष्टमी की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना) 

तारीख

चैत्र मास

16 अप्रैल 2024

वैशाख मास

15 मई 2024

ज्येष्ठ मास

14 जून 2024

आषाढ़ मास

14 जुलाई 2024

श्रावण मास

13 अगस्त 2024

भाद्रपद मास

11 सितंबर 2024

आश्विन मास

11 अक्टूबर 2024

कार्तिक मास

09 नवंबर 2024

मार्गशीर्ष मास

09 दिसंबर 2024

मासिक दुर्गा अष्टमी की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना) 

तारीख

पौष मास

07 जनवरी 2025

माघ मास

05 फरवरी 2025

फाल्गुन मास

07 मार्च 2025

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