‘द्विपुष्कर योग’ जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि दोगुना। ‘जी हां’ द्विपुष्कर योग में यदि किसी व्यक्ति को लाभ होता है तो है दोगुना होता है और यदि किसी कारणवश हानि हो जाती है तो वह भी 2 गुना ही होती है। अतः जितने भी हमारे शास्त्रों में अच्छे मुहूर्त और योग बताए गए हैं उनको दोगुना करने वाला योग द्विपुष्कर योग कहलाता है। इस युग में शुभ काम करने पर यह दोगुना लाभ प्रदान करता है।
द्विपुष्कर योग सन् 2022 – 2023
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
25 जनवरी | सूर्योदय से | 25 जनवरी | प्रातः 07:49 |
19 मार्च | रात्रि 11:38 | 20 मार्च | प्रातः 10:07 |
29 मार्च | सूर्योदय से | 29 मार्च | प्रातः 11:28 |
21 मई | रात्रि 11:46 से | 22 मई | रात्रि 11:00 तक |
31 मई | शाम 07:19 से | 1 जून | सूर्योदय तक |
24 जुलाई | रात्रि 10:00 से | 25 जुलाई | सूर्योदय तक |
17 सितंबर | दोपहर 12:21 से | 17 सितंबर | दोपहर 02:14 तक |
27 सितंबर | शाम 06:17 से | 28 सितंबर | रात्रि 02:28 तक |
21 नवंबर | रात्रि 00:36 से | 21 नवंबर | सूर्योदय तक |
29 नवंबर | सुबह 11:04 से | 30 नवंबर | सूर्योदय तक |
सन् 2023 | |||
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
14 जनवरी | शाम 06:13 से | 14 जनवरी | शाम 07:23 तक |
23 जनवरी | रात्रि 03:21 से | 23 जनवरी | सूर्योदय तक |
19 मार्च | रात्रि 00:29 से | 19 मार्च | सुबह 08:07 तक |
28 मार्च | सूर्योदय से | 28 मार्च | शाम 05:32 तक |
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