‘त्रिपुष्कर योग’ जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि तिगुना। ‘जी हां’ त्रिपुष्कर योग में यदि किसी व्यक्ति को लाभ होता है तो है तिगुना होता है और यदि किसी कारणवश हानि हो जाती है तो वह भी 3 गुना ही होती है। अतः जितने भी हमारे शास्त्रों में अच्छे मुहूर्त और योग बताए गए हैं उनको दोगुना करने वाला योग त्रिपुष्कर योग कहलाता है। इस युग में शुभ काम करने पर यह तिगुना लाभ प्रदान करता है।
त्रिपुष्कर योग सन् 2022
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
20 दिसंबर | सुबह 09:54 से | 21 दिसंबर | रात्रि 00:46 तक |
24 दिसंबर | रात्रि 10:15 से | 25 दिसंबर | सुबह 08:25 तक |
सन् 2023 | |||
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
03 जनवरी | सूर्योदय से | 03 जनवरी | शाम 04:25 तक |
13 फरवरी | रात्रि 02:27 से | 13 फरवरी | सूर्योदय तक |
21 फरवरी | सुबह 09:05 से | 22 फरवरी | प्रातः 05:58 तक |
26 फरवरी | रात्रि 03:58 से | 27 फरवरी | रात्रि 00:59 तक |
18 अप्रैल | प्रातः 04:07 से | 18 अप्रैल | सूर्योदय तक |
22 अप्रैल | सूर्योदय से | 22 अप्रैल | प्रातः 07:49 तक |
02 मई | सूर्योदय से | 02 मई | रात्रि 07:49 तक |
20 जून | सूर्योदय से | 20 जून | दोपहर 01:07 तक |
25 जून | सुबह 10:12 से | 26 जून | रात्रि 00:25 तक |
04 जुलाई | दोपहर 01:39 से | 05 जुलाई | सूर्योदय तक |
18 अगस्त | प्रातः 05:16 से | 18 अगस्त | सूर्योदय तक |
05 सितंबर | दोपहर 03:47 से | 06 सितंबर | सूर्योदय तक |
21 अक्टूबर | रात्रि 07:55 से | 21 अक्टूबर | रात्रि 09:53 तक |
30 अक्टूबर | प्रातः 04:42 से | 30 अक्टूबर | सूर्योदय तक |
04 नवंबर | सूर्योदय से | 04 नवंबर | सुबह 07:57 तक |
19 दिसंबर | सूर्योदय से | 19 दिसंबर | दोपहर 01:07 तक |
23 दिसंबर | रात्रि 09:10 से | 24 दिसंबर | प्रातः 06:24 तक |
सन् 2024 | |||
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
02 जनवरी | शाम 05:12 से | 03 जनवरी | सूर्योदय तक |
11 फरवरी | शाम 05:40 से | 11 फरवरी | रात्रि 09:09 तक |
20 फरवरी | दोपहर 12:13 से | 21 फरवरी | सूर्योदय तक |
26 फरवरी | रात्रि 01:25 से | 26 फरवरी | सूर्योदय तक |
02 मार्च | सुबह 07:55 से | 02 मार्च | दोपहर 02:42 तक |
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4 Comments
सर इस मुहुर्त मेज्ञकिया सुख जप ध्यान का फलफी ऊतना गुणा बघता है क्या?
ओम नमः शिवाय
श्रीमान जी
द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग जिसमें 2 गुना और 3 गुना अधिक लाभ होने के योग बनते हैं। यह एक प्रकार के मुहूर्त हैं। इनका पूजा-पाठ, जप – तप, होम – हवन आदि से कोई अर्थ नहीं है। बताए गए द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग में बहुमूल्य वस्तुएं जैसे – आभूषण, भूमि, गाड़ी आदि का क्रय करना शुभ फलदायक माना गया है।
मंत्र जप में कई गुना अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जो संपादक दोष और उत्पीड़न दोष के मुहूर्त बताए गए हैं। वह मुहूर्त पूजा – पाठ, मंत्र जाप अथवा पुण्यदाई कर्म करने के लिए शुभ हैं। क्योंकि वह मुहूर्त सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण जैसा फल देने का सामर्थ्य रखते हैं।
Agar koi vyakti daru chhodna chahte ho aur tripushkar yoga me daru pee le toh kya use teen baar aur pini hogi? Kya iska koi upay gai hai
श्रीमान जी त्रिपुष्कर योग, द्विपुष्कर योग का महत्व शुभ कार्यों से संबंधित होता है। यदि आप कोई पाप पूर्ण कार्य अथवा व्यसन छोड़ना चाहते हैं तो उसे दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी समय छोड़ सकते हैं और आगे से उस कार्य को न करने का दृढ़ संकल्प करें। आपकी विजय होगी।