Tripushkar Yog | त्रिपुष्कर योग (सन् 2023-2024)

shubh muhurat teen guna labh dene wala yog

‘त्रिपुष्कर योग’ जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि तिगुना। ‘जी हां’  त्रिपुष्कर योग में यदि किसी व्यक्ति को लाभ होता है तो है तिगुना होता है और यदि किसी कारणवश हानि हो जाती है तो वह भी 3 गुना ही होती है। अतः जितने भी हमारे शास्त्रों में अच्छे मुहूर्त और योग बताए गए हैं उनको दोगुना करने वाला योग त्रिपुष्कर योग कहलाता है। इस युग में शुभ काम करने पर यह तिगुना लाभ प्रदान करता है।    

त्रिपुष्कर योग सन् 2022 

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
20 दिसंबरसुबह 09:54 से21 दिसंबररात्रि 00:46 तक
24 दिसंबररात्रि 10:15 से25 दिसंबरसुबह 08:25 तक
सन् 2023
प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
03 जनवरीसूर्योदय से03 जनवरीशाम 04:25 तक
13 फरवरीरात्रि 02:27 से13 फरवरीसूर्योदय तक
21 फरवरीसुबह 09:05 से22 फरवरीप्रातः 05:58 तक
26 फरवरीरात्रि 03:58 से27 फरवरीरात्रि 00:59 तक
18 अप्रैलप्रातः 04:07 से18 अप्रैलसूर्योदय तक
22 अप्रैलसूर्योदय से22 अप्रैलप्रातः 07:49 तक
02 मईसूर्योदय से02 मईरात्रि 07:49 तक
20 जूनसूर्योदय से20 जूनदोपहर 01:07 तक
25 जूनसुबह 10:12 से26 जूनरात्रि 00:25 तक
04 जुलाईदोपहर 01:39 से05 जुलाईसूर्योदय तक
18 अगस्तप्रातः 05:16 से18 अगस्तसूर्योदय तक
05 सितंबरदोपहर 03:47 से06 सितंबरसूर्योदय तक
21 अक्टूबररात्रि 07:55 से21 अक्टूबररात्रि 09:53 तक
30 अक्टूबरप्रातः 04:42 से30 अक्टूबरसूर्योदय तक
04 नवंबरसूर्योदय से04 नवंबरसुबह 07:57 तक
19 दिसंबरसूर्योदय से19 दिसंबरदोपहर 01:07 तक
23 दिसंबररात्रि 09:10 से24 दिसंबरप्रातः 06:24 तक
सन् 2024
प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
02 जनवरीशाम 05:12 से03 जनवरीसूर्योदय तक
11 फरवरीशाम 05:40 से11 फरवरीरात्रि 09:09 तक
20 फरवरीदोपहर 12:13 से21 फरवरीसूर्योदय तक
26 फरवरीरात्रि 01:25 से26 फरवरीसूर्योदय तक
02 मार्चसुबह 07:55 से02 मार्च दोपहर 02:42 तक
    

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4 Comments

  1. सर इस मुहुर्त मेज्ञकिया सुख जप ध्यान का फलफी ऊतना गुणा बघता है क्या?

    • ओम नमः शिवाय
      श्रीमान जी
      द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग जिसमें 2 गुना और 3 गुना अधिक लाभ होने के योग बनते हैं। यह एक प्रकार के मुहूर्त हैं। इनका पूजा-पाठ, जप – तप, होम – हवन आदि से कोई अर्थ नहीं है। बताए गए द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग में बहुमूल्य वस्तुएं जैसे – आभूषण, भूमि, गाड़ी आदि का क्रय करना शुभ फलदायक माना गया है।

      मंत्र जप में कई गुना अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जो संपादक दोष और उत्पीड़न दोष के मुहूर्त बताए गए हैं। वह मुहूर्त पूजा – पाठ, मंत्र जाप अथवा पुण्यदाई कर्म करने के लिए शुभ हैं। क्योंकि वह मुहूर्त सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण जैसा फल देने का सामर्थ्य रखते हैं।

  2. Agar koi vyakti daru chhodna chahte ho aur tripushkar yoga me daru pee le toh kya use teen baar aur pini hogi? Kya iska koi upay gai hai

    • श्रीमान जी त्रिपुष्कर योग, द्विपुष्कर योग का महत्व शुभ कार्यों से संबंधित होता है। यदि आप कोई पाप पूर्ण कार्य अथवा व्यसन छोड़ना चाहते हैं तो उसे दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी समय छोड़ सकते हैं और आगे से उस कार्य को न करने का दृढ़ संकल्प करें। आपकी विजय होगी।


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