Sri Mangala Gauri Ashtottara Shatanamavali – श्री मङ्गलगौरी 108 नाम

Gauri 108 Naam

Gauri 108 Naam

Sri Mangala Gauri Ashtottara Shatanamavali – श्री मङ्गलगौरी अष्टोत्तरनामावली

  1. ॐ गौर्यै नमः।
  2. ॐ गणेशजनन्यै नमः।
  3. ॐ गिरिराजतनूद्भवायै नमः।
  4. ॐ गुहाम्बिकायै नमः।
  5. ॐ जगन्मात्रे नमः।
  6. ॐ गङ्गाधरकुटुम्बिन्यै नमः।
  7. ॐ वीरभद्रप्रसुवे नमः।
  8. ॐ विश्वव्यापिन्यै नमः।
  9. ॐ विश्वरूपिण्यै नमः।
  10. ॐ अष्टमूर्त्यात्मिकायै नमः।
  11. ॐ कष्टदारिद्य्रशमन्यै नमः।
  12. ॐ शिवायै नमः।
  13. ॐ शाम्भव्यै नमः।
  14. ॐ शाङ्कर्यै नमः।
  15. ॐ बालायै नमः।
  16. ॐ भवान्यै नमः।
  17. ॐ भद्रदायिन्यै नमः।
  18. ॐ माङ्गल्यदायिन्यै नमः।
  19. ॐ सर्वमङ्गलायै नमः।
  20. ॐ मञ्जुभाषिण्यै नमः।
  21. ॐ महेश्वर्यै नमः।
  22. ॐ महामायायै नमः।
  23. ॐ मन्त्राराध्यायै नमः।
  24. ॐ महाबलायै नमः।
  25. ॐ हेमाद्रिजायै नमः।
  26. ॐ हेमवत्यै नमः।
  27. ॐ पार्वत्यै नमः।
  28. ॐ पापनाशिन्यै नमः।
  29. ॐ नारायणाम्शजायै नमः।
  30. ॐ नित्यायै नमः।
  31. ॐ निरीशायै नमः।
  32. ॐ निर्मलायै नमः।
  33. ॐ अम्बिकायै नमः।
  34. ॐ मृडान्यै नमः।
  35. ॐ मुनिसंसेव्यायै नमः।
  36. ॐ मानिन्यै नमः।
  37. ॐ मेनकात्मजायै नमः।
  38. ॐ कुमार्यै नमः।
  39. ॐ कन्यकायै नमः।
  40. ॐ दुर्गायै नमः।
  41. ॐ कलिदोषनिषूदिन्यै नमः।
  42. ॐ कात्यायिन्यै नमः।
  43. ॐ कृपापूर्णायै नमः।
  44. ॐ कल्याण्यै नमः।
  45. ॐ कमलार्चितायै नमः।
  46. ॐ सत्यै नमः।
  47. ॐ सर्वमय्यै नमः।
  48. ॐ सौभाग्यदायै नमः।
  49. ॐ सरस्वत्यै नमः।
  50. ॐ अमलायै नमः।
  51. ॐ अमरसंसेव्यायै नमः।
  52. ॐ अन्नपूर्णायै नमः।
  53. ॐ अमृतेश्वर्यै नमः।
  54. ॐ अखिलागमसंस्तुत्यायै नमः।
  55. ॐ सुखसच्चित्सुधारसायै नमः।
  56. ॐ बाल्याराधितभूतेशायै नमः।
  57. ॐ भानुकोटिसमद्युतये नमः।
  58. ॐ हिरण्मय्यै नमः।
  59. ॐ परायै नमः।
  60. ॐ सूक्ष्मायै नमः।
  61. ॐ शीताम्शुकृतशेखरायै नमः।
  62. ॐ हरिद्राकुङ्कुमाराध्यायै नमः।
  63. ॐ सर्वकालसुमङ्गल्यै नमः।
  64. ॐ सर्वभोगप्रदायै नमः।
  65. ॐ सामशिखायै नमः।
  66. ॐ वेदान्तलक्षणायै नमः।
  67. ॐ कर्मब्रह्ममय्यै नमः।
  68. ॐ कामकलनायै नमः।
  69. ॐ काङ्क्षितार्थदायै नमः।
  70. ॐ चन्द्रार्कायितताटङ्कायै नमः।
  71. ॐ चिदम्बरशरीरिण्यै नमः।
  72. ॐ श्रीचक्रवासिन्यै नमः।
  73. ॐ देव्यै नमः।
  74. ॐ कामेश्वरपत्न्यै नमः।
  75. ॐ कमलायै नमः।
  76. ॐ मारारातिप्रियार्धाङ्ग्यै नमः।
  77. ॐ मार्कण्डेयवरप्रदायै नमः।
  78. ॐ पुत्रपौत्रवरप्रदायै नमः।
  79. ॐ पुण्यायै नमः।
  80. ॐ पुरुषार्थप्रदायिन्यै नमः।
  81. ॐ सत्यधर्मरतायै नमः।
  82. ॐ सर्वसाक्षिण्यै नमः।
  83. ॐ शशाङ्करूपिण्यै नमः।
  84. ॐ श्यामलायै नमः।
  85. ॐ बगलायै नमः।
  86. ॐ चण्डायै नमः।
  87. ॐ मातृकायै नमः।
  88. ॐ भगमालिन्यै नमः।
  89. ॐ शूलिन्यै नमः।
  90. ॐ विरजायै नमः।
  91. ॐ स्वाहायै नमः।
  92. ॐ स्वधायै नमः।
  93. ॐ प्रत्यङ्गिराम्बिकायै नमः।
  94. ॐ आर्यायै नमः।
  95. ॐ दाक्षायिण्यै नमः।
  96. ॐ दीक्षायै नमः।
  97. ॐ सर्ववस्तूत्तमोत्तमायै नमः।
  98. ॐ शिवाभिधानायै नमः।
  99. ॐ श्रीविद्यायै नमः।
  100. ॐ प्रणवार्थस्वरूपिण्यै नमः।
  101. ॐ ह्रीङ्कार्यै नमः।
  102. ॐ नादरूपिण्यै नमः।
  103. ॐ त्रिपुरायै नमः।
  104. ॐ त्रिगुणायै नमः।
  105. ॐ ईश्वर्यै नमः।
  106. ॐ सुन्दर्यै नमः।
  107. ॐ स्वर्णगौर्यै नमः।
  108. ॐ षोडशाक्षरदेवतायै नमः।

॥ इति श्री मङ्गलगौरी अष्टोत्तरनामावली ॥

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Sri Radha 108 Naam | Ashtottara Shatanamavali – श्री राधा अष्टोत्तरशतनामावली

Radha Rani

Radha Rani

Sri Radha Ashtottara Shatanamavali – श्री राधा अष्टोत्तरशतनामावली

  1. श्री राधायै नमः।
  2. श्री राधिकायै नमः।
  3. कृष्णवल्लभायै नमः।
  4. कृष्णसम्युक्तायै नमः।
  5. वृन्दावनेश्वर्यै नमः।
  6. कृष्णप्रियायै नमः।
  7. मदनमोहिन्यै नमः।
  8. श्रीमत्यै नमः।
  9. कृष्णकान्तायै नमः।
  10. कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नमः।
  11. यशस्विन्यै नमः।
  12. यशोदानन्दनवल्लभायै नमः।
  13. त्रैलोक्यसुन्दर्यै नमः।
  14. वृन्दावनविहारिण्यै नमः।
  15. वृषभानुसुतायै नमः।
  16. हेमाङ्गायै नमः।
  17. उज्ज्वलगात्रिकायै नमः।
  18. शुभाङ्गायै नमः।
  19. विमलाङ्गायै नमः।
  20. विमलायै नमः।
  21. कृष्णचन्द्रप्रियायै नमः।
  22. रासप्रियायै नमः।
  23. रासाधिष्टातृदेवतायै नमः।
  24. रसिकायै नमः।
  25. रसिकानन्दायै नमः।
  26. रासेश्वर्ये नमः।
  27. रासमण्डलमध्यस्थायै नमः।
  28. रासमण्डलशोभितायै नमः।
  29. रासमण्डलसेव्यायै नमः।
  30. रासक्रिडामनोहर्यै नमः।
  31. कृष्णप्रेमपरायणायै नमः।
  32. वृन्दारण्यप्रियायै नमः।
  33. वृन्दावनविलासिन्यै नमः।
  34. तुलस्यधिष्टातृदेव्यै नमः।
  35. करुणार्णवसम्पूर्णायै नमः।
  36. मङ्गलप्रदायै नमः।
  37. कृष्णभजनाश्रितायै नमः।
  38. गोविन्दार्पितचित्तायै नमः।
  39. गोविन्दप्रियकारिण्यै नमः।
  40. रासक्रीडाकर्यै नमः।
  41. रासवासिन्यै नमः।
  42. राससुन्दर्यै नमः।
  43. गोकुलत्वप्रदायिन्यै नमः।
  44. किशोरवल्लभायै नमः।
  45. कालिन्दीकुलदीपिकायै नमः।
  46. प्रेमप्रियायै नमः।
  47. प्रेमरूपायै नमः।
  48. प्रेमानन्दतरङ्गिण्यै नमः।
  49. प्रेमधात्र्यै नमः।
  50. प्रेमशक्तिमय्यै नमः।
  51. कृष्णप्रेमवत्यै नमः।
  52. कृष्णप्रेमतरङ्गिण्यै नमः।
  53. गौरचन्द्राननायै नमः।
  54. चन्द्रगात्र्यै नमः।
  55. सुकोमलायै नमः।
  56. रतिवेषायै नमः।
  57. रतिप्रियायै नमः।
  58. कृष्णरतायै नमः।
  59. कृष्णतोषणतत्परायै नमः।
  60. कृष्णप्रेमवत्यै नमः।
  61. कृष्णभक्तायै नमः।
  62. कृष्णप्रियभक्तायै नमः।
  63. कृष्णक्रीडायै नमः।
  64. प्रेमरताम्बिकायै नमः।
  65. कृष्णप्राणायै नमः।
  66. कृष्णप्राणसर्वस्वदायिन्यै नमः।
  67. कोटिकन्दर्पलावण्यायै नमः।
  68. कन्दर्पकोटिसुन्दर्यै नमः।
  69. लीलालावण्यमङ्गलायै नमः।
  70. करुणार्णवरूपिण्यै नमः।
  71. यमुनापारकौतुकायै नमः।
  72. कृष्णहास्यभाषणतत्परायै नमः।
  73. गोपाङ्गनावेष्टितायै नमः।
  74. कृष्णसङ्कीर्तिन्यै नमः।
  75. राससक्तायै नमः।
  76. कृष्णभाषातिवेगिन्यै नमः।
  77. कृष्णरागिण्यै नमः।
  78. भाविन्यै नमः।
  79. कृष्णभावनामोदायै नमः।
  80. कृष्णोन्मादविदायिन्यै नमः।
  81. कृष्णार्तकुशलायै नमः।
  82. पतिव्रतायै नमः।
  83. महाभावस्वरूपिण्यै नमः।
  84. कृष्णप्रेमकल्पलतायै नमः।
  85. गोविन्दनन्दिन्यै नमः।
  86. गोविन्दमोहिन्यै नमः।
  87. गोविन्दसर्वस्वायै नमः।
  88. सर्वकान्ताशिरोमण्यै नमः।
  89. कृष्णकान्ताशिरोमण्यै नमः।
  90. कृष्णप्राणधनायै नमः।
  91. कृष्णप्रेमानन्दामृतसिन्धवे नमः।
  92. प्रेमचिन्तामण्यै नमः।
  93. प्रेमसाध्यशिरोमण्यै नमः।
  94. सर्वैश्वर्यसर्वशक्तिसर्वरसपूर्णायै नमः।
  95. महाभावचिन्तामण्यै नमः।
  96. कारुण्यामृतायै नमः।
  97. तारुण्यामृतायै नमः।
  98. लावण्यामृतायै नमः।
  99. निजलज्जापरीधानश्यामपटुशार्यै नमः।
  100. सौन्दर्यकुङ्कुमायै नमः।
  101. सखीप्रणयचन्दनायै नमः।
  102. गन्धोन्मादितमाधवायै नमः।
  103. महाभावपरमोत्कर्षतर्षिण्यै नमः।
  104. सखीप्रणयितावशायै नमः।
  105. कृष्णप्रियावलीमुख्यायै नमः।
  106. आनन्दस्वरूपायै नमः।
  107. रूपगुणसौभाग्यप्रेमसर्वाधिकाराधिकायै नमः।
  108. एकमात्रकृष्णपरायणायै नमः।

॥ इति श्री राधा अष्टोत्तरनामावली ॥

Sri Radha 108 | Ashtottara Shatanama Stotram  श्री राधा-अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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Sri Sita (108) Ashtottara Shatanama stotram श्री सीता-अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

Sita Mata

Sita Mata

Sri Sita Ashtottara Shatanama stotram श्री सीता-अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
 

॥ विनियोग ॥

अस्य श्रीसीतानामाष्टोत्तरमन्त्रस्य अगस्तिऋषिः। अनुष्टुप्छन्दः । रमेति बीजम् । मातुलुङ्गीति शक्तिः। पद्माक्षजेति कीलकम्। अवनिजेत्यस्त्रम्। जनकजेति कवचम्। मूलकासुरमर्दिनीति परमो मन्त्रः। श्रीसीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थ सकलकामनासिद्ध्यर्थं जपे विनियोगः।

॥ करन्यास ॥

ॐ सीतायै अङ्गुष्ठाभ्यां नमः। ॐ रमायै तर्जनीभ्यां नमः। ॐ मातुलुङ्ग्यै मध्यमाभ्यां नमः। ॐ पद्माक्षजायै अनामिकाभ्यां नमः। ॐ अवनिजायै कनिष्ठिकाभ्यां नमः। ॐ जनकजायै करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

॥ हृदयादिन्यास ॥

ॐ सीतायै हृदयाय नमः। ॐ रमायै शिरसे स्वाहा । ॐ मातुलुङ्ग्यै शिखायै वषट्। ॐ पद्माक्षजायै नेत्रत्रयाय वौषट्। ॐ जनकात्मजायै अस्त्राय फट्। ॐ मूलकासुरमर्दिन्यै इति दिग्बन्धः।

॥ ध्यान ॥

वामाङ्गे रघुनायकस्य रुचिरे या संस्थिता शोभना
या विप्राधिपयानरम्यनयना या विप्रपालानना।
विद्युत्पुञ्जविराजमानवसना भक्तार्तिसंखण्डना
श्रीमद्राघवपादपद्मयुगलन्यस्तेक्षणा सावतु॥

॥ स्तोत्र ॥

श्री सीता जानकी देवी वैदेही राघवप्रिया।
रमावनिसुता रामा राक्षसान्तप्रकारिणी॥१॥

रत्नगुप्ता मातुलुङ्गी मैथिली भक्ततोषदा।
पद्माक्षजा कञ्जनेत्रा स्मितास्या नूपुरस्वना॥२॥

वैकुण्ठनिलया मा श्रीर्मुक्तिदा कामपूरणी।
नृपात्मजा हेमवर्णा मृदुलाङ्गी सुभाषिणी॥३॥

कुशाम्बिका दिव्यदा च लवमाता मनोहरा।
हनुमद्वन्दितपदा मुग्धा केयूरधारिणी॥४॥

अशोकवनमध्यस्था रावणादिकमोहिनी।
विमानसंस्थिता सुभ्रूः सुकेशी रशनान्विता॥५॥

रजोरूपा सत्त्वरूपा तामसी वह्निवासिनी।
हेममृगासक्तचित्ता वाल्मीक्याश्रमवासिनी॥६॥

पतिव्रता महामाया पीतकौशेयवासिनी।
मृगनेत्रा च बिम्बोष्ठी धनुर्विद्याविशारदा॥७॥

सौम्यरुपा दशरथस्नुषा चामरवीजिता।
सुमेधादुहिता दिव्यरूप त्रैलोक्यपालिनी॥८॥

अन्नपूर्णा महालक्ष्मीर्धीर्लज्जा च सरस्वती।
शान्तिः पुष्टिः क्षमा गौरी प्रभायोध्यानिवासिनी॥९॥

वसन्तशीतला गौरी स्नानसन्तुष्टमानसा।
रमानामभद्रसंस्था हेमकुम्भपयोधरा॥१०॥

सुरार्चिता धृतिः कान्तिः स्मृतिर्मेधा विभावरी।
लघूदरा वरारोहा हेमकङ्कणमण्डिता॥११॥

द्विजपत्न्यर्पितनिजभूषा राघवतोषिणी।
श्रीरामसेवनरता रत्नताटङ्कधारिणी॥१२॥

रामवामाङ्गसंस्था च रामचन्द्रैकरञ्जनी।
सरयूजलसंक्रीडाकारिणी राममोहिनी॥१३॥

सुवर्णतुलिता पुण्या पुण्यकीर्तिः कलावती।
कलकण्ठा कम्बुकण्ठा रम्भोरुर्गजगामिनी॥१४॥

रामार्पितमना रामवन्दिता रामवल्लभा।
श्रीरामपदचिह्नाङ्का रामरामेतिभाषिणी॥१५॥

रामपर्यङ्कशयना रामाङ्घ्रिक्षालिनी वरा।
कामधेन्वन्नसन्तुष्टा मातुलुङ्गकरे धृता॥१६॥

दिव्यचन्दनसंस्था श्रीर्मूलकारसुरमर्दिनी।
एवमष्टोत्तरशतं सीतानाम्नां सुपुण्यदम्॥१७॥

ये पठन्ति नरा भूम्यां ते धन्याः स्वर्गगामिनः।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां सीतायाः स्तोत्रमुत्तमम्॥१८॥

जपनीयं प्रयत्नेन सर्वदा भक्तिपूर्वकम्।
सति स्तोत्राण्यनेकानि पुण्यदानि महान्ति च॥१९॥

नानेन सदृशानीह तानि सर्वाणि भूसुर।
स्तोत्राणामुत्तमं चेदं भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणाम्॥२०॥

एवं सुतीक्ष्ण ते प्रोक्तमष्टोत्तरशतं शुभम्।
सीतानाम्नां पुण्यदं च श्रवणान्मङ्गलप्रदम्॥२१॥

नरैः प्रातः समुत्थाय पठितव्यं प्रयत्नतः।
सीतापूजनकालेऽपि सर्ववाञ्छितदायकम्॥२२॥

॥ इति श्री आनन्दरामायणे श्री सीताष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Sri Sita (108 Naam) Ashtottara Shatanamavali -श्री सीता अष्टोत्तरशतनामावली

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Sri Sita (108 Naam) Ashtottara Shatanamavali -श्री सीता अष्टोत्तरशतनामावली

Sita Maa

Sita Maa

Sri Sita Ashtottara Shatanamavali – श्री सीता अष्टोत्तरशतनामावली

  1. ॐ श्रीसीतायै नमः।
  2. ॐ जानक्यै नमः।
  3. ॐ देव्यै नमः।
  4. ॐ वैदेह्यै नमः।
  5. ॐ राघवप्रियायै नमः।
  6. ॐ रमायै नमः।
  7. ॐ अवनिसुतायै नमः।
  8. ॐ रामायै नमः।
  9. ॐ राक्षसान्तप्रकारिण्यै नमः।
  10. ॐ रत्नगुप्तायै नमः।
  11. ॐ मातुलुङ्ग्यै नमः।
  12. ॐ मैथिल्यै नमः।
  13. ॐ भक्ततोषदायै नमः।
  14. ॐ पद्माक्षजायै नमः।
  15. ॐ कञ्जनेत्रायै नमः।
  16. ॐ स्मितास्यायै नमः।
  17. ॐ नूपुरस्वनायै नमः।
  18. ॐ वैकुण्ठनिलयायै नमः।
  19. ॐ मायै नमः।
  20. ॐ श्रियै नमः।
  21. ॐ मुक्तिदायै नमः।
  22. ॐ कामपूरण्यै नमः।
  23. ॐ नृपात्मजायै नमः।
  24. ॐ हेमवर्णायै नमः।
  25. ॐ मृदुलाङ्ग्यै नमः।
  26. ॐ सुभाषिण्यै नमः।
  27. ॐ कुशाम्बिकायै नमः।
  28. ॐ दिव्यदायै नमः।
  29. ॐ लवमात्रे नमः।
  30. ॐ मनोहरायै नमः।
  31. ॐ हनुमद्वन्दितपदायै नमः।
  32. ॐ मुग्धायै नमः।
  33. ॐ केयूरधारिण्यै नमः।
  34. ॐ अशोकवनमध्यस्थायै नमः।
  35. ॐ रावणादिकमोहिन्यै नमः।
  36. ॐ विमानसंस्थितायै नमः।
  37. ॐ सुभ्रुवे नमः।
  38. ॐ सुकेश्यै नमः।
  39. ॐ रशनान्वितायै नमः।
  40. ॐ रजोरूपायै नमः।
  41. ॐ सत्त्वरूपायै नमः।
  42. ॐ तामस्यै नमः।
  43. ॐ वह्निवासिन्यै नमः।
  44. ॐ हेममृगासक्तचित्तयै नमः।
  45. ॐ वाल्मीक्याश्रमवासिन्यै नमः।
  46. ॐ पतिव्रतायै नमः।
  47. ॐ महामायायै नमः।
  48. ॐ पीतकौशेयवासिन्यै नमः।
  49. ॐ मृगनेत्रायै नमः।
  50. ॐ बिम्बोष्ठ्यै नमः।
  51. ॐ धनुर्विद्याविशारदायै नमः।
  52. ॐ सौम्यरूपायै नमः
  53. ॐ दशरथस्नुषाय नमः।
  54. ॐ चामरवीजितायै नमः।
  55. ॐ सुमेधादुहित्रे नमः।
  56. ॐ दिव्यरूपायै नमः।
  57. ॐ त्रैलोक्यपालिन्यै नमः।
  58. ॐ अन्नपूर्णायै नमः।
  59. ॐ महालक्ष्म्यै नमः।
  60. ॐ धिये नमः।
  61. ॐ लज्जायै नमः।
  62. ॐ सरस्वत्यै नमः।
  63. ॐ शान्त्यै नमः।
  64. ॐ पुष्ट्यै नमः।
  65. ॐ क्षमायै नमः।
  66. ॐ गौर्यै नमः।
  67. ॐ प्रभायै नमः।
  68. ॐ अयोध्यानिवासिन्यै नमः।
  69. ॐ वसन्तशीतलायै नमः।
  70. ॐ गौर्यै नमः।
  71. ॐ स्नानसन्तुष्टमानसायै नमः।
  72. ॐ रमानामभद्रसंस्थायै नमः।
  73. ॐ हेमकुम्भपयोधरायै नमः।
  74. ॐ सुरार्चितायै नमः।
  75. ॐ धृत्यै नमः।
  76. ॐ कान्त्यै नमः।
  77. ॐ स्मृत्यै नमः।
  78. ॐ मेधायै नमः।
  79. ॐ विभावर्यै नमः।
  80. ॐ लघूदरायै नमः।
  81. ॐ वरारोहायै नमः।
  82. ॐ हेमकङ्कणमण्डितायै नमः।
  83. ॐ द्विजपत्न्यर्पितनिजभूषायै नमः।
  84. ॐ राघवतोषिण्यै नमः।
  85. ॐ श्रीरामसेवानिरतायै नमः।
  86. ॐ रत्नताटङ्कधारिण्यै नमः।
  87. ॐ रामवामाङ्कसंस्थायै नमः।
  88. ॐ रामचन्द्रैकरञ्जन्यै नमः।
  89. ॐ सरयूजलसङ्क्रीडाकारिण्यै नमः।
  90. ॐ राममोहिन्यै नमः।
  91. ॐ सुवर्णतुलितायै नमः।
  92. ॐ पुण्यायै नमः।
  93. ॐ पुण्यकीर्तये नमः।
  94. ॐ कलावत्यै नमः।
  95. ॐ कलकण्ठायै नमः।
  96. ॐ कम्बुकण्ठायै नमः।
  97. ॐ रम्भोरवे नमः।
  98. ॐ गजगामिन्यै नमः।
  99. ॐ रामार्पितमनायै नमः।
  100. ॐ रामवन्दितायै नमः।
  101. ॐ रामवल्लभायै नमः।
  102. ॐ श्रीरामपदचिह्नाङ्कायै नमः।
  103. ॐ रामरामेतिभाषिण्यै नमः।
  104. ॐ रामपर्यङ्कशयनायै नमः।
  105. ॐ रामाङ्घ्रिक्षालिण्यै नमः।
  106. ॐ वरायै नमः।
  107. ॐ कामधेन्वन्नसन्तुष्टायै नमः।
  108. ॐ मातुलुङ्गकरेधृतायै नमः।

॥ इति श्री सीता अष्टोत्तरशतनामावली ॥

Sri Sita (108) Ashtottara Shatanama stotram श्री सीता-अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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Sri Ganga (108) Ashtottara Shatanamavali – श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामावली

Ganga Maa

Ganga Maa

Sri Ganga Ashtottara Shatanamavali – श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामावली

  1. ऊँ गंगा नम:।
  2. ऊँ त्रिपथगा देवी नम:।
  3. ऊँ शंभु मौलिविहारिणी नम:।
  4. ऊँ जाह्नवी नम:।
  5. ऊँ पापहन्त्री नम:।
  6. ऊँ महापातकनाशिनी नम:।
  7. ऊँ पतितोद्धारिणि नम:।
  8. ऊँ स्त्रोतस्वती नम:।
  9. ऊँ परमवेगिनी नम:।
  10. ऊँ विष्णुपादाब्जसम्भूता नम:।
  11. ऊँ विष्णुदेहकृतालया नम:।
  12. ऊँ स्वर्गाब्धिनिलया नम:।
  13. ऊँ साध्वी नम:।
  14. ऊँ स्वर्णदी नम:।
  15. ऊँ सुरनिम्नगा नम:।
  16. ऊँ मन्दाकिनी नम:।
  17. ऊँ महावेगा नम:।
  18. ऊँ स्वर्णश्रृंगप्रभेदिनी नम:।
  19. ऊँ देवपूज्यतमा नम:।
  20. ऊँ दिव्या नम:।
  21. ऊँ दिव्यस्थाननिवासिनी नम:।
  22. ऊँ सुचारूनीररूचिरा नम:।
  23. ऊँ महापर्वतभेदिनी नम:।
  24. ऊँ भागीरथी नम:।
  25. ऊँ भगवती नम:।
  26. ऊँ महामोक्षप्रदायिनी नम:।
  27. ऊँ सिंधुसंगगता नम:।
  28. ऊँ शुद्धा नम:।
  29. ऊँ रसातलनिवासिनी नम:।
  30. ऊँ महाभोगा नम:।
  31. ऊँ भोगवती नम:।
  32. ऊँ सुभगानन्ददायिनी नम:।
  33. ऊँ महापापहरा नम:।
  34. ऊँ पुण्या नम:।
  35. ऊँ परमाह्लाददायिनी नम:।
  36. ऊँ पार्वती नम:।
  37. ऊँ शिवपत्नी नम:।
  38. ऊँ शिवशीर्षगतालया नम:।
  39. ऊँ शम्भोर्जटामध्यगता नम:।
  40. ऊँ निर्मला नम:।
  41. ऊँ निर्मलानना नम:।
  42. ऊँ महाकलुषहन्त्री नम:।
  43. ऊँ जह्नपुत्री नम:।
  44. ऊँ जगत्प्रिया नम:।
  45. ऊँ त्रैलोक्यपावनी नम:।
  46. ऊँ पूर्णा नम:।
  47. ऊँ पूर्णब्रह्मस्वरूपिणी नम:।
  48. ऊँ जगत्पूज्यतमा नम:।
  49. ऊँ चारू-रूपिणी नम:।
  50. ऊँ जगदम्बिका नम:।
  51. ऊँ लोकानुग्रहकत्रीं नम:।
  52. ऊँ सर्वलोकदयापरा नम:।
  53. ऊँ याम्यभीतिहरा नम:।
  54. ऊँ तारा नम:।
  55. ऊँ पारा नम:।
  56. ऊँ संसारतारिणी नम:।
  57. ऊँ ब्रह्माण्डभेदिनी नम:।
  58. ऊँ ब्रह्मकमण्डलुकृतालया नम:।
  59. ऊँ सौभाग्यदायिनी नम:।
  60. ऊँ पुंसां निर्वाणपददायिनी नम:।
  61. ऊँ अचिन्त्यचरिता नम:।
  62. ऊँ चारूरूचिरातिमनोहरा नम:।
  63. ऊँ मर्त्यस्था नम:।
  64. ऊँ मृत्युभयहा नम:।
  65. ऊँ स्वर्गमोक्षप्रदायिनी नम:।
  66. ऊँ पापापहारिणी नम:।
  67. ऊँ दूरचारिणी नम:।
  68. ऊँ वीचिधारिणी नम:।
  69. ऊँ कारूण्यपूर्णा नम:।
  70. ऊँ करूणामयी नम:।
  71. ऊँ दुरितनाशिनी नम:।
  72. ऊँ गिरिराजसुता नम:।
  73. ऊँ गौरीभगिनी नम:।
  74. ऊँ गिरिशप्रिया नम:।
  75. ऊँ मेनकागर्भसम्भूता नम:।
  76. ऊँ मैनाकभगिनीप्रिया नम:।
  77. ऊँ आद्या नम:।
  78. ऊँ त्रिलोकजननी नम:।
  79. ऊँ त्रैलोक्यपरिपालिनी नम:।
  80. ऊँ तीर्थश्रेष्ठतमा नम:।
  81. ऊँ श्रेष्ठा नम:।
  82. ऊँ सर्वतीर्थमयी नम:।
  83. ऊँ शुभा नम:।
  84. ऊँ चतुर्वेदमयी नम:।
  85. ऊँ सर्वा नम:।
  86. ऊँ पितृसंतृप्तिदायिनी नम:।
  87. ऊँ शिवदा नम:।
  88. ऊँ शिवसायुज्यदायिनी नम:।
  89. ऊँ शिववल्लभा नम:।
  90. ऊँ तेजस्विनी नम:।
  91. ऊँ त्रिनयना नम:।
  92. ऊँ त्रिलोचनमनोरमा नम:।
  93. ऊँ सप्तधारा नम:।
  94. ऊँ शतमुखी नम:।
  95. ऊँ सगरान्वयतारिणी नम:।
  96. ऊँ मुनिसेव्या नम:।
  97. ऊँ मुनिसुता नम:।
  98. ऊँ जह्नुजानुप्रभेदिनी नम:।
  99. ऊँ मकरस्था नम:।
  100. ऊँ सर्वगता नम:।
  101. ऊँ सर्वाशुभनिवारिणी नम:।
  102. ऊँ सुदृश्या नम:।
  103. ऊँ चाक्षुषीतृप्तिदायिनी नम:।
  104. ऊँ मकरालया नम:।
  105. ऊँ सदानन्दमयी नम:।
  106. ऊँ नित्यानन्ददा नम:।
  107. ऊँ नगपूजिता नम:।
  108. ऊँ सर्वदेवाधिदेवै नम:।

॥ इति श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामावली ॥

Sri Ganga (108) Ashtottara Shatanam Stotram- श्री गंगा अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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Gupat Navratre Vrat Calendar List 2024-2025 | गुप्त नवरात्र लिस्ट

Das Mahavidhya
Das Mahavidhya

Gupat Navratre Vrat Calendar List 2024-2025 | गुप्त नवरात्र लिस्ट

सभी’नवरात्र’ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है-

‘नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते’ ।

माघ मास और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजिनक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है ।

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में जहां वामाचार उपासना की जाती है । वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है ।

गुप्त नवरात्र की सूची संवत 2081 सन 2024-2025

आषाढ़ गुप्त नवरात्र सन 2024 | Magh Gupta Navratri

06 जुलाई 2024 नवरात्र का प्रथम दिन
07 जुलाई 2024 नवरात्र का द्वितीय दिन
08 / 09जुलाई 2024 नवरात्र का तृतीय दिन
10 जुलाई 2024 नवरात्र का चतुर्थ दिन
11 जुलाई 2024 नवरात्र का पञ्चम दिन
12 जुलाई 2024 नवरात्र का षष्ठ दिन
13 जुलाई 2024 नवरात्र का सप्तम दिन
14 जुलाई 2024 नवरात्र का अष्टम दिन
15 जुलाई 2024 नवरात्र का नवम दिन

माघ गुप्त नवरात्र सन 2025 | Magh Gupta Navratri

30 जनवरी 2025 नवरात्र का प्रथम दिन
31 जनवरी 2025 नवरात्र का द्वितीय दिन
01 फरवरी 2025 नवरात्र का तृतीय दिन
02 फरवरी 2025 नवरात्र का चतुर्थ दिन नवरात्र का पञ्चम दिन
03 फरवरी 2025 नवरात्र का षष्ठ दिन
04 फरवरी 2025 नवरात्र का सप्तम दिन
05 फरवरी 2025 नवरात्र का अष्टम दिन
06 फरवरी 2025 नवरात्र का नवम दिन

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Did You Know – Hanuman Chalisa | हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई?

Tulsidas-Hanuman ji

Tulsidas-Hanuman ji

Did You Know – Hanuman Chalisa | हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई?

ॐ श्री हनुमते नमः॥

भगवान को अगर किसी युग में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तो वह युग है कलियुग। रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है।

कलियुग केवल नाम अधारा ,

सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।

अर्थात- कलियुग में मोक्ष प्राप्त करने का एक ही लक्ष्य है वो है भगवान का नाम लेना।

तुलसीदास जी (Tulsidas ji)  ने अध्यात्म जगत को बहुत सुन्दर रचनाएँ दी हैं। कलियुग में हनुमान जी (Hanuman ji) सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। उन्होंने हनुमान जी (Hanuman ji) की स्तुति में कई रचनाएँ रची जिनमें हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk), हनुमानाष्टक (Hanumanashtak) और हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) प्रमुख हैं।

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना के पीछे एक बहुत सुंदर व रोचक कहानी है। आइये जानते हैं हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना की कहानी :-

ये बात उस समय की है जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर (Aakbar) का राज्य था। सुबह का समय था। एक महिला ने पूजा से लौटते हुए, तुलसीदास जी (Tulsidas ji) के पैर छुए। तुलसीदास जी (Tulsidas ji) ने नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया।

आशीर्वाद मिलते ही वो महिला फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए, उसने बताया कि अभी-अभी उसके पति की मृत्यु हो गई है। इस बात का पता चलने पर भी तुलसीदास जी (Tulsidas ji) जरा भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे।

क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञान भली भाँति था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा। उन्होंने उस औरत सहित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा। वहां उपस्थित सभी लोगों ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम के जाप आरंभ होते ही जीवित हो उठा।

यह बात पूरे राज्य में जंगल की आग की तरह फैल गयी। जब यह बात बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची तो उसने अपने महल में तुलसीदास जी (Tulsidas ji) को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा कि कोई चमत्कार दिखाएँ।

ये सब सुन कर तुलसीदास जी (Tulsidas ji) ने अकबर (Aakbar)  से बिना डरे उसे बताया की वो कोई चमत्कारी बाबा नहीं हैं, सिर्फ श्री राम जी के भक्त हैं। अकबर (Aakbar)  इतना सुनते ही क्रोध में आ गया और उसने उसी समय सिपाहियों से कह कर तुलसीदास जी (Tulsidas ji) को कारागार में डलवा दिया।

तुलसीदास जी (Tulsidas ji) ने तनिक भी प्रतिक्रिया नहीं दी और राम का नाम जपते हुए कारागार में चले गए। उन्होंने कारागार में भी अपनी आस्था बनाए रखी और वहाँ रह कर ही हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना की और लगातार 40 दिन तक उसका निरंतर पाठ किया।

चालीसवें दिन एक चमत्कार हुआ। हजारों बंदरों ने एक साथ अकबर (Aakbar) के राज्य पर हमला बोल दिया। अचानक हुए इस हमले से सब अचंभित हो गए।

अकबर (Aakbar) को समझते देर न लगी। उसे भक्ति की महिमा समझ में आ गई। उसने उसी क्षण तुलसीदास जी से क्षमा मांग कर कारागार से मुक्त किया और आदर सहित उन्हें विदा किया।

इस तरह तुलसीदास जी (Tulsidas ji) ने एक व्यक्ति को कठिनाई की घड़ी से निकलने के लिए हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के रूप में एक ऐसा रास्ता दिया है। जिस पर चल कर हम किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।

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श्री हनुमान आरती | Shri Hanuman Aarti

Bhagwan Hanuman ji

Bhagwan Hanuman ji

श्री हनुमान आरती|Sri Hanuman Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपै। रोग-दोष जाके निकट न झांपै॥

अंजनिपुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाये॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे। सीयरामजी के काज संवारे॥

लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे।आनि सजीवन प्रान उबारे॥

पैठि पाताल तोरि ज़मकारे। अहिरावन की भुजा उखारे॥

बांये भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे॥

सुर नर मुनिजन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परमपद पावै॥

लंक विध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई॥

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श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa

Bhagawan Hanuman ji

Bhagawan Hanuman ji

श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa

॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु क्लेश विकार ॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै।
कांधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥

लाय संजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद शारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिग्पाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥

जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥

भूत पिशाच-निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट ते हनुमान छुड़ावै।
मन-कर्म-वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाँई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महासुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजे नाथ हृदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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श्री बजरंग बाण | Shri Bajrang Baan

Bhagwan Hanuman ji

Bhagwan Hanuman ji

श्री बजरंग बाण | Sri Bajrang Baan

॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिन्धु महिपारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा॥

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥
जाय विभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥

बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा॥

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई॥
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी॥

जय जय लखन प्राण के दाता। आतुर होय दुःख हरहु निपाता॥
जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥

ओंकार हुँकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥

सत्य होहु हरि शपथ पायके। रामदूत धरु मारु जाय के॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा॥

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं॥

पांय परौं कर जोरि मनावौं। येहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता। शंकर सुवन वीर हनुमन्ता॥

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक॥
भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की। राखउ नाथ मरजाद नाम की॥
जनकसुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब ना लावो॥

जय जय जय धुनि होत अकासा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा॥
चरण शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई॥
ॐ चँ चँ चँ चँ चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥

ऊँ हँ हँ हाँक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥

यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै॥
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमंत रक्षा करैं प्राण की॥

यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत-प्रेत सब काँपै॥
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा॥

॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

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