माँ मातङ्गी महाविद्या | Maa Matangi Mahavidya : The 10 (Ten) Mahavidyas

Matangi Devi

Matangi Devi

षट्कोणाष्टदलं पदं लिखेद् यन्त्रं मनोरमम्।
भूपुरे-णापि संयुक्तं मातंगी प्रीति वर्धकम्।।

मतङ्ग शिव का नाम है, इनकी शक्ति मातङ्गी (Matangi) है। मातङ्गी (Matangi) के ध्यान में बताया गया है कि ये श्यामवर्णा हैं और चंद्रमा को मस्तक पर धारण किये हुए हैं। भगवती मातङ्गी (Matangi) त्रिनेत्रा, रक्तमय सिंहासन पर आसीन, नील कमल के समान क्रांतिवाली तथा राक्षस समूह रूप अरणय को भस्म करने में दावानल के समान है। इन्होंने अपनी चार भुजाओं में पाश, अङ्कश, खेटक और खड्ग धारण किया है। ये असुरों को मोहित करने वाली एवं भक्तों को अभीष्ट फल देने वाली है। गृहस्थ-जीवन को सुखी बनाने, पुरुषार्थ-सिद्धि और वाग्विलास में पारंगत होने के लिए मातङ्गी (Matangi) की साधना श्रेयस्कर है। महाविद्याओं में ये नवें स्थान पर परिगणित हैं।

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नारदपाञ्चरात्र के बारहवें अध्याय में शिव की चांडाल तथा शिवा को उच्छिष्ट चाण्डाली कहा गया है। इनका ही नाम मातङ्गी है। पुरा काल में मातङ्ग नामक मुनि में नाना वृक्षों से परिपूर्ण कदम्ब-वन में सभी जीवों को वश में करने के लिए भगवती त्रिपुरा की प्रसन्नताहेतु कठोर तपस्या की थी, उस समय त्रिपुरा के नेत्र से उत्पन्न तेज ने एक श्यामल नारी-विग्रह का रूप धारण कर लिया। इन्हें राजमातंगिनी कहा गया। यह दक्षिण तथा पश्चिमाम्राय की देवी है। राजमातङ्गी, सुमुखी, वश्यमातङ्गी तथा कर्णमातङ्गी इनके नामन्तर है। मातङ्गी के भैरव का नाम मातङ्ग है। ब्राह्मयामल इन्हें मातङ्ग मुनि की कन्या बताता है।
दशमहाविद्याओं में मातङ्गी की उपासना विशेषरूप से वाक्सिद्धि के लिये की जाती है। पुरश्चर्यार्णव में कहा गया है-

अक्षवक्ष्ये महादेवीं मातङ्गी सर्वसिद्धिदाम्।
अस्याः सेवनमात्रेण वाक्सिद्धिं लभते ध्रुवम्॥

मातङ्गी स्थूलरू`पात्मक प्रतीक विधान को देखने से यह भली-भांति ज्ञात हो जाता है कि ये पूर्णतया वाग्देवता की मूर्ति है। मातङ्गी (Matangi) का श्याम वर्ण परावाक् बिंदु है। उनका त्रिनयन सूर्य, सोम और अग्नि है। उनकी चार भुजाएँ चार वेद है। पाश अविद्या है, अंकुश विद्या है, कर्म राशि दण्ड है। शब्द-स्पर्शादि गुण कृपाण है अर्थात् पञ्चभूतात्मक सृष्टि के प्रतीक है। कदम्बवन ब्रह्मांड का प्रतीक है। योगराजोपनिषद् में ब्रह्मलोक को कदम्बगोलाकार कहा गया है-

कदम्बगोलाकारं ब्रह्मलोकं व्रजन्ति ते। भगवती मातङ्गी का सिंहासन शिवात्मक महामञ्च या त्रिकोण है। उनकी मूर्ति सूक्ष्म रूप में यंत्र तथा पर रूप में भावना मात्र है।

दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati) के सातवें अध्याय में भगवती मातङ्गी के ध्यान का वर्णन करते हुए कहा गया है कि वे रत्नमय सिंहासन पर बैठकर पढ़ते हुए तोते का मधुर शब्द सुन रही है। उनके शरीर का वर्ण श्याम है। वे अपना एक पैर कमल पर रखी हुई है। अपने मस्तक पर अर्धचंद्र तथा गले में कल्हार पुष्पों की माला धारण करती है। वीणा बजाती हुई भगवती मातङ्गी (Matangi) के अङ्ग में कसी हुई चोली शोभा पा रही है। वे लाल रंग की साड़ी पहने तथा हाथ में शंखमय पात्र लिये हुए हैं। उनके वदन पर मधु का हल्का-हल्का प्रभाव जान पड़ता है और ललाट में विन्दी शोभा पा रही है। इनका वल्लकी धारण करना नाद का प्रतीक है। तोते का पढ़ना ह्री वर्ण का उच्चारण करना है, जो बीजाक्षर का प्रतीक है। कमल वर्णनात्मक सृष्टि का प्रतीक है। शंख पात्र ब्रह्मरन्ध्र तथा मधु अमृत का प्रतीक है। रक्तवस्त्र अग्नि का ज्ञान का प्रतीक है। वाग्देवी के अर्थ में मातङ्गी यदि व्याकरण रूपा है तो शुभ शिक्षा का प्रतीक है। चारभुजाएँ वेदचतुष्टय हैं। इस प्रकार तांत्रिकों की भगवती मातङ्गी (Matangi) महाविद्या वैदिको की सरस्वती ही है। तंत्रग्रन्थों में इनकी उपासना का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है।

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Sri Matangi Ashtottara Shatanamavali | श्री मातङ्गी अष्टोत्तरशतनामावली

Maa Matangi

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Sri Matangi Ashtottara Shatanamavali – श्री मातङ्गी अष्टोत्तरशतनामावली

 
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नवरात्रि कैेलेंडर लिस्ट | Navratri Calender List
  1. ॐ महामत्तमातङ्गिन्यै नमः।
  2. ॐ सिद्धिरूपायै नमः।
  3. ॐ योगिन्यै नमः।
  4. ॐ भद्रकाल्यै नमः।
  5. ॐ रमायै नमः।
  6. ॐ भवान्यै नमः।
  7. ॐ भयप्रीतिदायै नमः।
  8. ॐ भूतियुक्तायै नमः।
  9. ॐ भवाराधितायै नमः।
  10. ॐ भूतिसम्पत्कर्यै नमः।
  11. ॐ जनाधीशमात्रे नमः।
  12. ॐ धनागारदृष्ट्यै नमः।
  13. ॐ धनेशार्चितायै नमः।
  14. ॐ धीरवास्यै नमः।
  15. ॐ वराङ्ग्यै नमः।
  16. ॐ प्रकृष्टायै नमः।
  17. ॐ प्रभारूपिण्यै नमः।
  18. ॐ कामरूपायै नमः।
  19. ॐ प्रहृष्टायै नमः।
  20. ॐ महाकीर्तिदायै नमः।
  21. ॐ कर्णनाल्यै नमः।
  22. ॐ काराल्यै नमः।
  23. ॐ भगायै नमः।
  24. ॐ घोररूपायै नमः।
  25. ॐ भगाङ्ग्यै नमः।
  26. ॐ भगाख्यायै नमः।
  27. ॐ भगप्रीतिदायै नमः।
  28. ॐ भीमरूपाभवान्यै नमः।
  29. ॐ महाकौशिक्यै नमः।
  30. ॐ कोशपूर्णायै नमः।
  31. ॐ किशोर्यै नमः।
  32. ॐ किशोरप्रियानन्दईहायै नमः।
  33. ॐ महाकारणायै नमः।
  34. ॐ अकारणायै नमः।
  35. ॐ कर्मशीलायै नमः।
  36. ॐ कपाल्यै नमः।
  37. ॐ प्रसिद्धायै नमः।
  38. ॐ महासिद्धखण्डायै नमः।
  39. ॐ मकारप्रियायै नमः।
  40. ॐ मानरूपायै नमः।
  41. ॐ महेश्यै नमः।
  42. ॐ महोल्लासिन्यै नमः।
  43. ॐ लास्यलीलालयाङ्ग्यै नमः।
  44. ॐ क्षमायै नमः।
  45. ॐ क्षेमशीलायै नमः।
  46. ॐ क्षपाकारिण्यै नमः।
  47. ॐ अक्षयप्रीतिदायै नमः।
  48. ॐ भूतियुक्ताभवान्यै नमः।
  49. ॐ भवाराधितायै नमः।
  50. ॐ भूतिसत्यात्मिकायै नमः।
  51. ॐ प्रभोद्भासितायै नमः।
  52. ॐ भानुभास्वत्करायै नमः।
  53. ॐ धराधीशमात्रे नमः।
  54. ॐ धनागारदृष्ट्यै नमः।
  55. ॐ धनेशार्चितायै नमः।
  56. ॐ धीवरायै नमः।
  57. ॐ धीवराङ्ग्यै नमः।
  58. ॐ प्रकृष्टायै नमः।
  59. ॐ प्रभारूपिण्यै नमः।
  60. ॐ प्राणरूप्यायै नमः।
  61. ॐ प्रकृष्टस्वरूपाय नमः।
  62. ॐ स्वरूपप्रियाय नमः।
  63. ॐ चलत्कुण्डलायै नमः।
  64. ॐ कामिनीकान्तयुक्तायै नमः।
  65. ॐ कपालायै नमः।
  66. ॐ अचलायै नमः।
  67. ॐ कालकोद्धारिण्यै नमः।
  68. ॐ कदम्बप्रियायै नमः।
  69. ॐ कोटर्यै नमः।
  70. ॐ कोटदेहायै नमः।
  71. ॐ क्रमायै नमः।
  72. ॐ कीर्तिदायै नमः।
  73. ॐ कर्णरूपायै नमः।
  74. ॐ लक्ष्म्यै नमः।
  75. ॐ क्षमाङ्ग्यै नमः।
  76. ॐ क्षयप्रेमरूपायै नमः।
  77. ॐ क्षपायै नमः।
  78. ॐ क्षयाक्षायै नमः।
  79. ॐ क्षयाख्यायै नमः।
  80. ॐ क्षयप्रान्तरायै नमः।
  81. ॐ क्षवत्कामिन्यै नमः।
  82. ॐ क्षारिण्यै नमः।
  83. ॐ क्षीरपूषायै नमः।
  84. ॐ शिवाङ्ग्यै नमः।
  85. ॐ शाकम्भर्यै नमः।
  86. ॐ शाकदेहायै नमः।
  87. ॐ महाशाकयज्ञायै नमः।
  88. ॐ फलप्राशकायै नमः।
  89. ॐ शकाह्वायै नमः।
  90. ॐ अशकाह्वायै नमः।
  91. ॐ शकाख्यायै नमः।
  92. ॐ शकायै नमः।
  93. ॐ शकाक्षान्तरोषायै नमः।
  94. ॐ सुरोषायै नमः।
  95. ॐ सुरेखायै नमः।
  96. ॐ महाशेषयज्ञोपवीतप्रियायै नमः।
  97. ॐ जयन्त्यै नमः।
  98. ॐ जयायै नमः।
  99. ॐ जाग्रत्यै नमः।
  100. ॐ योग्यरूपायै नमः।
  101. ॐ जयाङ्गायै नमः।
  102. ॐ जपध्यानसन्तुष्टसञ्ज्ञायै नमः।
  103. ॐ जयप्राणरूपायै नमः।
  104. ॐ जयस्वर्णदेहायै नमः।
  105. ॐ जयज्वालिन्यै नमः।
  106. ॐ यामिन्यै नमः।
  107. ॐ याम्यरूपायै नमः।
  108. ॐ जगन्मातृरूपायै नमः।

॥ इति श्री मातङ्गी अष्टोत्तरशतनामावली ॥

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Sri Chinnamasta Ashtottara Shatanamavali | श्री छिन्नमस्तादेवि अष्टोत्तरशतनामावली

Maa Chinnamasta

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Sri Chinnamasta Ashtottara Shatanamavali – श्री छिन्नमस्तादेवि अष्टोत्तरशतनामावली

 

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नवरात्रि कैेलेंडर लिस्ट | Navratri Calender List
  1. ॐ छिन्नमस्तायै नमः।
  2. ॐ महाविद्यायै नमः।
  3. ॐ महाभीमायै नमः।
  4. ॐ महोदर्यै नमः।
  5. ॐ चण्डेश्वर्यै नमः।
  6. ॐ चण्डमात्रे नमः।
  7. ॐ चण्डमुण्डप्रभञ्जिन्यै नमः।
  8. ॐ महाचण्डायै नमः।
  9. ॐ चण्डरूपायै नमः।
  10. ॐ चण्डिकायै नमः।
  11. ॐ चण्डखण्डिन्यै नमः।
  12. ॐ क्रोधिन्यै नमः।
  13. ॐ क्रोधजनन्यै नमः।
  14. ॐ क्रोधरूपायै नमः।
  15. ॐ कुह्वे नमः।
  16. ॐ कलायै नमः।
  17. ॐ कोपातुरायै नमः।
  18. ॐ कोपयुतायै नमः।
  19. ॐ कोपसंहारकारिण्यै नमः।
  20. ॐ वज्रवैरोचन्यै नमः।
  21. ॐ वज्रायै नमः।
  22. ॐ वज्रकल्पायै नमः।
  23. ॐ डाकिन्यै नमः।
  24. ॐ डाकिनीकर्मनिरतायै नमः।
  25. ॐ डाकिनीकर्मपूजितायै नमः।
  26. ॐ डाकिनीसङ्गनिरतायै नमः।
  27. ॐ डाकिनीप्रेमपूरितायै नमः।
  28. ॐ खट्वाङ्गधारिण्यै नमः।
  29. ॐ खर्वायै नमः।
  30. ॐ खड्गखर्परधारिण्यै नमः।
  31. ॐ प्रेतासनायै नमः।
  32. ॐ प्रेतयुतायै नमः।
  33. ॐ प्रेतसङ्गविहारिण्यै नमः।
  34. ॐ छिन्नमुण्डधरायै नमः।
  35. ॐ छिन्नचण्डविद्यायै नमः।
  36. ॐ चित्रिण्यै नमः।
  37. ॐ घोररूपायै नमः।
  38. ॐ घोरदृष्ट्यै नमः।
  39. ॐ घोररावायै नमः।
  40. ॐ घनोदर्यै नमः।
  41. ॐ योगिन्यै नमः।
  42. ॐ योगनिरतायै नमः।
  43. ॐ जपयज्ञपरायणायै नमः।
  44. ॐ योनिचक्रमय्यै नमः।
  45. ॐ योनये नमः।
  46. ॐ योनिचक्रप्रवर्तिन्यै नमः।
  47. ॐ योनिमुद्रायै नमः।
  48. ॐ योनिगम्यायै नमः।
  49. ॐ योनियन्त्रनिवासिन्यै नमः।
  50. ॐ यन्त्ररूपायै नमः।
  51. ॐ यन्त्रमय्यै नमः।
  52. ॐ यन्त्रेश्यै नमः।
  53. ॐ यन्त्रपूजितायै नमः।
  54. ॐ कीर्त्यायै नमः।
  55. ॐ कपर्दिन्यै नमः।
  56. ॐ काल्यै नमः।
  57. ॐ कङ्काल्यै नमः।
  58. ॐ कलकारिण्यै नमः।
  59. ॐ आरक्तायै नमः।
  60. ॐ रक्तनयनायै नमः।
  61. ॐ रक्तपानपरायणायै नमः।
  62. ॐ भवान्यै नमः।
  63. ॐ भूतिदायै नमः।
  64. ॐ भूत्यै नमः।
  65. ॐ भूतिदात्र्यै नमः।
  66. ॐ भैरव्यै नमः।
  67. ॐ भैरवाचारनिरतायै नमः।
  68. ॐ भूतभैरवसेवितायै नमः।
  69. ॐ भीमायै नमः।
  70. ॐ भीमेश्वर्यै नमः।
  71. ॐ देव्यै नमः।
  72. ॐ भीमनादपरायणायै नमः।
  73. ॐ भवाराध्यायै नमः।
  74. ॐ भवनुतायै नमः।
  75. ॐ भवसागरतारिण्यै नमः।
  76. ॐ भद्रकाल्यै नमः।
  77. ॐ भद्रतनवे नमः।
  78. ॐ भद्ररूपायै नमः।
  79. ॐ भद्रिकायै नमः।
  80. ॐ भद्ररूपायै नमः।
  81. ॐ महाभद्रायै नमः।
  82. ॐ सुभद्रायै नमः।
  83. ॐ भद्रपालिन्यै नमः।
  84. ॐ सुभव्यायै नमः।
  85. ॐ भव्यवदनायै नमः।
  86. ॐ सुमुख्यै नमः।
  87. ॐ सिद्धसेवितायै नमः।
  88. ॐ सिद्धिदायै नमः।
  89. ॐ सिद्धिनिवहायै नमः।
  90. ॐ सिद्धायै नमः।
  91. ॐ सिद्धनिषेवितायै नमः।
  92. ॐ शुभदायै नमः।
  93. ॐ शुभगायै नमः।
  94. ॐ शुद्धायै नमः।
  95. ॐ शुद्धसत्त्वायै नमः।
  96. ॐ शुभावहायै नमः।
  97. ॐ श्रेष्ठायै नमः।
  98. ॐ दृष्टिमयीदेव्यै नमः।
  99. ॐ दृष्टिसंहारकारिण्यै नमः।
  100. ॐ शर्वाण्यै नमः।
  101. ॐ सर्वगायै नमः।
  102. ॐ सर्वायै नमः।
  103. ॐ सर्वमङ्गलकारिण्यै नमः।
  104. ॐ शिवायै नमः।
  105. ॐ शान्तायै नमः।
  106. ॐ शान्तिरूपायै नमः।
  107. ॐ मृडान्यै नमः।
  108. ॐ मदनातुरायै नमः।

॥ इति श्री छिन्नमस्तादेवि अष्टोत्तरशतनामावली ॥

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Sri Bagalamukhi Ashtottara Shatanamavali | श्री बगलाष्टोत्तरशतनामावली

Maa Bagalamukhi

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Sri Bagalamukhi Ashtottara Shatanamavali – श्री बगलाष्टोत्तरशतनामावली

 

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नवरात्रि कैेलेंडर लिस्ट | Navratri Calender List
  1. ॐ बगलायै नमः।
  2. ॐ विष्णुवनितायै नमः।
  3. ॐ विष्णुशङ्करभामिन्यै नमः।
  4. ॐ बहुलायै नमः।
  5. ॐ देवमात्रे नमः।
  6. ॐ महाविष्णुप्रस्वै नमः।
  7. ॐ महामत्स्यायै नमः।
  8. ॐ महाकूर्मायै नमः।
  9. ॐ महावाराहरूपिण्यै नमः।
  10. ॐ नरसिंहप्रियायै नमः।
  11. ॐ रम्यायै नमः।
  12. ॐ वामनायै नमः।
  13. ॐ वटुरूपिण्यै नमः।
  14. ॐ जामदग्न्यस्वरूपायै नमः।
  15. ॐ रामायै नमः।
  16. ॐ रामप्रपूजितायै नमः।
  17. ॐ कृष्णायै नमः।
  18. ॐ कपर्दिन्यै नमः।
  19. ॐ कृत्यायै नमः।
  20. ॐ कलहायै नमः।
  21. ॐ विकारिण्यै नमः।
  22. ॐ बुद्धिरूपायै नमः।
  23. ॐ बुद्धभार्यायै नमः।
  24. ॐ बौद्धपाषण्डखण्डिन्यै नमः।
  25. ॐ कल्किरूपायै नमः।
  26. ॐ कलिहरायै नमः।
  27. ॐ कलिदुर्गतिनाशिन्यै नमः।
  28. ॐ कोटिसूर्यप्रतीकाशायै नमः।
  29. ॐ कोटिकन्दर्पमोहिन्यै नमः।
  30. ॐ केवलायै नमः।
  31. ॐ कठिनायै नमः।
  32. ॐ काल्यै नमः।
  33. ॐ कलायै नमः।
  34. ॐ कैवल्यदायिन्यै नमः।
  35. ॐ केशव्यै नमः।
  36. ॐ केशवाराध्यायै नमः।
  37. ॐ किशोर्यै नमः।
  38. ॐ केशवस्तुतायै नमः।
  39. ॐ रुद्ररूपायै नमः।
  40. ॐ रुद्रमूर्त्यै नमः।
  41. ॐ रुद्राण्यै नमः।
  42. ॐ रुद्रदेवतायै नमः।
  43. ॐ नक्षत्ररूपायै नमः।
  44. ॐ नक्षत्रायै नमः।
  45. ॐ नक्षत्रेशप्रपूजितायै नमः।
  46. ॐ नक्षत्रेशप्रियायै नमः।
  47. ॐ नित्यायै नमः।
  48. ॐ नक्षत्रपतिवन्दितायै नमः।
  49. ॐ नागिन्यै नमः।
  50. ॐ नागजनन्यै नमः।
  51. ॐ नागराजप्रवन्दितायै नमः।
  52. ॐ नागेश्वर्यै नमः।
  53. ॐ नागकन्यायै नमः।
  54. ॐ नागर्यै नमः।
  55. ॐ नगात्मजायै नमः।
  56. ॐ नगाधिराजतनयायै नमः।
  57. ॐ नगराजप्रपूजितायै नमः।
  58. ॐ नवीनायै नमः।
  59. ॐ नीरदायै नमः।
  60. ॐ पीतायै नमः।
  61. ॐ श्यामायै नमः।
  62. ॐ सौन्दर्यकारिण्यै नमः।
  63. ॐ रक्तायै नमः।
  64. ॐ नीलायै नमः।
  65. ॐ घनायै नमः।
  66. ॐ शुभ्रायै नमः।
  67. ॐ श्वेतायै नमः।
  68. ॐ सौभाग्यदायिन्यै नमः।
  69. ॐ सुन्दर्यै नमः।
  70. ॐ सौभगायै नमः।
  71. ॐ सौम्यायै नमः।
  72. ॐ स्वर्णाभायै नमः।
  73. ॐ स्वर्गतिप्रदायै नमः।
  74. ॐ रिपुत्रासकर्यै नमः।
  75. ॐ रेखायै नमः।
  76. ॐ शत्रुसंहारकारिण्यै नमः।
  77. ॐ भामिन्यै नमः।
  78. ॐ मायायै नमः।
  79. ॐ स्तम्भिन्यै नमः।
  80. ॐ मोहिन्यै नमः।
  81. ॐ शुभायै नमः।
  82. ॐ रागद्वेषकर्यै नमः।
  83. ॐ रात्र्यै नमः।
  84. ॐ रौरवध्वंसकारिण्यै नमः।
  85. ॐ यक्षिण्यै नमः।
  86. ॐ सिद्धनिवहायै नमः।
  87. ॐ सिद्धेशायै नमः।
  88. ॐ सिद्धिरूपिण्यै नमः।
  89. ॐ लङ्कापतिध्वंसकर्यै नमः।
  90. ॐ लङ्केशरिपुवन्दितायै नमः।
  91. ॐ लङ्कानाथकुलहरायै नमः।
  92. ॐ महारावणहारिण्यै नमः।
  93. ॐ देवदानवसिद्धौघपूजितायै नमः।
  94. ॐ परमेश्वर्यै नमः।
  95. ॐ पराणुरूपायै नमः।
  96. ॐ परमायै नमः।
  97. ॐ परतन्त्रविनाशिन्यै नमः।
  98. ॐ वरदायै नमः।
  99. ॐ वरदाराध्यायै नमः।
  100. ॐ वरदानपरायणायै नमः।
  101. ॐ वरदेशप्रियायै नमः।
  102. ॐ वीरायै नमः।
  103. ॐ वीरभूषणभूषितायै नमः।
  104. ॐ वसुदायै नमः।
  105. ॐ बहुदायै नमः।
  106. ॐ वाण्यै नमः।
  107. ॐ ब्रह्मरूपायै नमः।
  108. ॐ वराननायै नमः।

॥ इति श्री बगलाष्टोत्तरशतनामावली ॥

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Sri Dhumavati Ashtottara Shatanamavali | श्री धूमावत्यष्टोत्तरशतनामावली

Maa Dhumavati

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Sri Dhumavati Ashtottara Shatanamavali – श्री धूमावत्यष्टोत्तरशतनामावली

 

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नवरात्रि कैेलेंडर लिस्ट | Navratri Calender List
  1. ॐ धूमावत्यै नमः।
  2. ॐ धूम्रवर्णायै नमः।
  3. ॐ धूम्रपानपरायणायै नमः।
  4. ॐ धूम्राक्षमथिन्यै नमः।
  5. ॐ धन्यायै नमः।
  6. ॐ धन्यस्थाननिवासिन्यै नमः।
  7. ॐ अघोराचारसन्तुष्टायै नमः।
  8. ॐ अघोराचारमण्डितायै नमः।
  9. ॐ अघोरमन्त्रसम्प्रीतायै नमः।
  10. ॐ अघोरमन्त्रपूजितायै नमः।
  11. ॐ अट्टाट्टहासनिरतायै नमः।
  12. ॐ मलिनाम्बरधारिण्यै नमः।
  13. ॐ वृद्धायै नमः।
  14. ॐ विरूपायै नमः।
  15. ॐ विधवायै नमः।
  16. ॐ विद्यायै नमः।
  17. ॐ विरलाद्विजायै नमः।
  18. ॐ प्रवृद्धघोणायै नमः।
  19. ॐ कुमुख्यै नमः।
  20. ॐ कुटिलायै नमः।
  21. ॐ कुटिलेक्षणायै नमः।
  22. ॐ कराल्यै नमः।
  23. ॐ करालास्यायै नमः।
  24. ॐ कङ्काल्यै नमः।
  25. ॐ शूर्पधारिण्यै नमः।
  26. ॐ काकध्वजरथारूढायै नमः।
  27. ॐ केवलायै नमः।
  28. ॐ कठिनायै नमः।
  29. ॐ कुह्वे नमः।
  30. ॐ क्षुत्पिपासार्दितायै नमः।
  31. ॐ नित्यायै नमः।
  32. ॐ ललज्जिह्वायै नमः।
  33. ॐ दिगम्बर्यै नमः।
  34. ॐ दीर्घोदर्यै नमः।
  35. ॐ दीर्घरवायै नमः।
  36. ॐ दीर्घाङ्ग्यै नमः।
  37. ॐ दीर्घमस्तकायै नमः।
  38. ॐ विमुक्तकुन्तलायै नमः।
  39. ॐ कीर्त्यायै नमः।
  40. ॐ कैलासस्थानवासिन्यै नमः।
  41. ॐ क्रूरायै नमः।
  42. ॐ कालस्वरूपायै नमः।
  43. ॐ कालचक्रप्रवर्तिन्यै नमः।
  44. ॐ विवर्णायै नमः।
  45. ॐ चञ्चलायै नमः।
  46. ॐ दुष्टायै नमः।
  47. ॐ दुष्टविध्वंसकारिण्यै नमः।
  48. ॐ चण्ड्यै नमः।
  49. ॐ चण्डस्वरूपायै नमः।
  50. ॐ चामुण्डायै नमः।
  51. ॐ चण्डनिःस्वनायै नमः।
  52. ॐ चण्डवेगायै नमः।
  53. ॐ चण्डगत्यै नमः।
  54. ॐ चण्डविनाशिन्यै नमः।
  55. ॐ मुण्डविनाशिन्यै नमः।
  56. ॐ चाण्डालिन्यै नमः।
  57. ॐ चित्ररेखायै नमः।
  58. ॐ चित्राङ्ग्यै नमः।
  59. ॐ चित्ररूपिण्यै नमः।
  60. ॐ कृष्णायै नमः।
  61. ॐ कपर्दिन्यै नमः।
  62. ॐ कुल्लायै नमः।
  63. ॐ कृष्णरूपायै नमः।
  64. ॐ क्रियावत्यै नमः।
  65. ॐ कुम्भस्तन्यै नमः।
  66. ॐ महोन्मत्तायै नमः।
  67. ॐ मदिरापानविह्वलायै नमः।
  68. ॐ चतुर्भुजायै नमः।
  69. ॐ ललज्जिह्वायै नमः।
  70. ॐ शत्रुसंहारकारिण्यै नमः।
  71. ॐ शवारूढायै नमः।
  72. ॐ शवगतायै नमः।
  73. ॐ श्मशानस्थानवासिन्यै नमः।
  74. ॐ दुराराध्यायै नमः।
  75. ॐ दुराचारायै नमः।
  76. ॐ दुर्जनप्रीतिदायिन्यै नमः।
  77. ॐ निर्मांसायै नमः।
  78. ॐ निराकारायै नमः।
  79. ॐ धूमहस्तायै नमः।
  80. ॐ वरान्वितायै नमः।
  81. ॐ कलहायै नमः।
  82. ॐ कलिप्रीतायै नमः।
  83. ॐ कलिकल्मषनाशिन्यै नमः।
  84. ॐ महाकालस्वरूपायै नमः।
  85. ॐ महाकालप्रपूजितायै नमः।
  86. ॐ महादेवप्रियायै नमः।
  87. ॐ मेधायै नमः।
  88. ॐ महासङ्कटनाशिन्यै नमः।
  89. ॐ भक्तप्रियायै नमः।
  90. ॐ भक्तगत्यै नमः।
  91. ॐ भक्तशत्रुविनाशिन्यै नमः।
  92. ॐ भैरव्यै नमः।
  93. ॐ भुवनायै नमः।
  94. ॐ भीमायै नमः।
  95. ॐ भारत्यै नमः।
  96. ॐ भुवनात्मिकायै नमः।
  97. ॐ भेरुण्डायै नमः।
  98. ॐ भीमनयनायै नमः।
  99. ॐ त्रिनेत्रायै नमः।
  100. ॐ बहुरूपिण्यै नमः।
  101. ॐ त्रिलोकेश्यै नमः।
  102. ॐ त्रिकालज्ञायै नमः।
  103. ॐ त्रिस्वरूपायै नमः।
  104. ॐ त्रयीतनवे नमः।
  105. ॐ त्रिमूर्त्यै नमः।
  106. ॐ तन्व्यै नमः।
  107. ॐ त्रिशक्तये नमः।
  108. ॐ त्रिशूलिन्यै नमः।

॥ इति श्री धूमावत्यष्टोत्तरशतनामावली ॥

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Sri Bhuvaneshwari Ashtottara Shatanama Stotram | श्री भुवनेश्वरी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

Maa Bhuvaneshwari

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Sri Bhuvaneshwari Ashtottara Shatanama Stotram – श्री भुवनेश्वरी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

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।। ध्यान ।।

बालरविद्युतिमिन्दुकिरीटां तुङ्गकुचां नयनत्रययुक्ताम् ।
स्मेरमुखीं वरदाङ्कुशपाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ।।

।। विनियोग ।।

ॐ अस्य श्रीभुवनेश्वर्यष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रस्य शक्ति ऋषिर्गायत्री च्छन्दो भुवनेश्वरी देवता चतुर्वर्गसाधने जपे विनियोगः।

कैलासशिखरे रम्ये नानारत्नोपशोभिते ।
नरनारीहितार्थाय शिवं पप्रच्छ पार्वती ॥ १ ॥

॥ देव्युवाच ॥

भुवनेश्वरी महाविद्यानाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।
कथयस्व महादेव यद्यहं तव वल्लभा ॥ २ ॥

॥ ईश्वर उवाच॥

श्रृणु देवि महाभागे स्तवराजमिदं शुभम् ।
सहस्रनाम्नामधिकं सिद्धिदं मोक्षहेतुकम् ॥ ३ ॥

शुचिभिः प्रातरुत्थाय पठितव्यं समाहितैः ।
त्रिकालं श्रद्धया युक्तैः सर्वकामफलप्रदम् ॥ ४ ॥

॥ स्तोत्रम् ॥

महामाया महाविद्या महायोगा महोत्कटा ।
माहेश्वरी कुमारी च ब्रह्माणी ब्रह्मरूपिणी ॥ ५ ॥

वागीश्वरी योगरूपा योगिनी कोटिसेविता ।
जया च विजया चैव कौमारी सर्वमङ्गला ॥ ६ ॥

हिङ्गला च विलासी च ज्वालिनी ज्वालरूपिणी ।
ईश्वरी क्रूरसंहारी कुलमार्गप्रदायिनी ॥ ७ ॥

वैष्णवी सुभगाकारा सुकुल्या कुलपूजिता ।
वामाङ्गा वामचारा च वामदेवप्रिया तथा ॥ ८ ॥

डाकिनी योगिनीरूपा भूतेशी भूतनायिका ।
पद्मावती पद्मनेत्रा प्रबुद्धा च सरस्वती ॥ ९ ॥

भूचरी खेचरी माया मातङ्गी भुवनेश्वरी ।
कान्ता पतिव्रता साक्षी सुचक्षुः कुण्डवासिनी ॥ १० ॥

उमा कुमारी लोकेशी सुकेशी पद्मरागिणी ।
इन्द्राणी ब्रह्मचाण्डाली चण्डिका वायुवल्लभा ॥ ११ ॥

सर्वधातुमयी-मूर्ति-र्जलरूपा जलोदरी ।
आकाशी रणगा चैव नृकपालविभूषणा ॥ १२ ॥

नर्मदा मोक्षदा चैव कामधर्मार्थदायिनी ।
गायत्री चाऽथ सावित्री त्रिसन्ध्या तीर्थगामिनी ॥ १३ ॥

अष्टमी नवमी चैव दशम्येकादशी तथा ।
पौर्णमासी कुहूरूपा तिथिमूर्तिस्वरूपिणी ॥ १४ ॥

सुरारिनाशकारी च उग्ररूपा च वत्सला ।
अनला अर्धमात्रा च अरुणा पीतलोचना ॥ १५ ॥

लज्जा सरस्वती विद्या भवानी पापनाशिनी ।
नागपाशधरा मूर्ति-रगाधा धृतकुण्डला ॥ १६ ॥

क्षत्ररूपी क्षयकरी तेजस्विनी शुचिस्मिता ।
अव्यक्ता-व्यक्तलोका च शम्भुरूपा मनस्विनी ॥ १७ ॥

मातङ्गी मत्तमातङ्गी महादेवप्रिया सदा ।
दैत्यहा चैव वाराही सर्वशास्त्रमयी शुभा ॥ १८ ॥

य इदं पठते भक्त्या शृणुयाद्वा समाहितः ।
अपुत्रो लभते पुत्रान् निर्धनो धनवान् भवेत् ॥ १९ ॥

मूर्खोऽपि लभते शास्त्रं चौरोऽपि लभते गतिम् ।
वेदानां पाठको विप्रः क्षत्रियो विजयी भवेत् ॥ २० ॥

वैश्यस्तु धनवान्भूयाच्छूद्रस्तु सुखमेधते ।
अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां चैकचेतसः ॥ २१ ॥

ये पठन्ति सदा भक्त्या न ते वै दुःखभागिनः ।
एककालं द्विकालं वा त्रिकालं वा चतुर्थकम् ॥ २२ ॥

ये पठन्ति सदा भक्त्या स्वर्गलोके च पूजिताः।
रुद्रं दृष्ट्वा यथा देवाः पन्नगा गरुडं यथा ।
शत्रवः प्रपलायन्ते तस्य वक्त्रविलोकनात् ॥ २३ ॥

॥ इति श्रीरुद्रयामले देवीशङ्करसंवादे श्रीभुवनेश्वर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥

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Sri Dhumavati Ashtottara Shatanama Stotram | श्री धूमावती अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

Maa Dhumavati

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Sri Dhumavati Ashtottara Shatanama Stotram – श्री धूमावती अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

 

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।। ध्यान ।।
धूम्राभां धूम्रवस्त्रां प्रकटितदशनां मुक्तबालाम्बराढ्यां
काकाङ्कस्यन्दनस्थां धवलकरयुगां शूर्पहस्तातिरूक्षाम् ।
नित्यं क्षुत्क्षान्तदेहां मुहुरतिकुटिलां वारिवाञ्छाविचित्तां
ध्यायेद् धूमावतीं वामनयनयुगलां भीतिदां भीषणास्याम् ।।

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।। स्तोत्र ।।

॥ ईश्वर उवाच ॥

ॐ धूमावती धूम्रवर्णा धूम्रपानपरायणा ।
धूम्राक्षमथिनी धन्या धन्यस्थाननिवासिनी ॥ १ ॥

अघोराचारसन्तुष्टा अघोराचारमण्डिता ।
अघोरमन्त्रसम्प्रीता अघोरमन्त्रपूजिता ॥ २ ॥

अट्टाट्टहासनिरता मलिनाम्बरधारिणी ।
वृद्धा विरूपा विधवा विद्या च विरलद्विजा ॥ ३ ॥

प्रवृद्धघोणा कुमुखी कुटिला कुटिलेक्षणा ।
कराली च करालास्या कङ्काली शूर्पधारिणी ॥ ४ ॥

काकध्वजरथारूढा केवला कठिना कुहूः ।
क्षुत्पिपासार्दिता नित्या ललज्जिह्वा दिगम्बरी ॥ ५ ॥

दीर्घोदरी दीर्घरवा दीर्घाङ्गी दीर्घमस्तका ।
विमुक्तकुन्तला कीर्त्या कैलासस्थानवासिनी ॥ ६ ॥

क्रूरा कालस्वरूपा च कालचक्रप्रवर्तिनी ।
विवर्णा चञ्चला दुष्टा दुष्टविध्वंसकारिणी ॥ ७ ॥

चण्डी चण्डस्वरूपा च चामुण्डा चण्डनिःस्वना ।
चण्डवेगा चण्डगतिश्चण्डमुण्डविनाशिनी ॥ ८ ॥

चाण्डालिनी चित्ररेखा चित्राङ्गी चित्ररूपिणी ।
कृष्णा कपर्दिनी कुल्ला कृष्णारूपा क्रियावती ॥ ९ ॥

कुम्भस्तनी महोन्मत्ता मदिरापानविह्वला ।
चतुर्भुजा ललज्जिह्वा शत्रुसंहारकारिणी ॥ १० ॥

शवारूढा शवगता श्मशानस्थानवासिनी ।
दुराराध्या दुराचारा दुर्जनप्रीतिदायिनी ॥ ११ ॥

निर्मांसा च निराकारा धूमहस्ता वरान्विता ।
कलहा च कलिप्रीता कलिकल्मषनाशिनी ॥ १२ ॥

महाकालस्वरूपा च महाकालप्रपूजिता ।
महादेवप्रिया मेधा महासङ्कटनाशिनी ॥ १३ ॥

भक्तप्रिया भक्तगतिर्भक्तशत्रुविनाशिनी ।
भैरवी भुवना भीमा भारती भुवनात्मिका ॥ १४ ॥

भेरुण्डा भीमनयना त्रिनेत्रा बहुरूपिणी ।
त्रिलोकेशी त्रिकालज्ञा त्रिस्वरूपा त्रयीतनुः ॥ १५ ॥

त्रिमूर्तिश्च तथा तन्वी त्रिशक्तिश्च त्रिशूलिनी ।
इति धूमामहत् स्तोत्रं नाम्नामष्टशतात्मकम् ॥ १६ ॥

मया ते कथितं देवि शत्रुसङ्घविनाशनम् ।
कारागारे रिपुग्रस्ते महोत्पाते महाभये ॥ १७ ॥

इदं स्तोत्रं पठेन्मर्त्यो मुच्यते सर्वसङ्कटैः ।
गुह्याद्गुह्यतरं गुह्यं गोपनीयं प्रयत्नतः ॥ १८ ॥

चतुष्पदार्थदं नॄणां सर्वसम्पत्प्रदायकम् ॥ १९ ॥

॥ इति शाक्तप्रमोदे श्रीधूमावत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

Other Keywords:

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Sri Bagalamukhi Ashtottara Shatanama Stotram | श्री बगलामुखी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

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Sri Bagalamukhi Ashtottara Shatanama Stotram – श्री बगलामुखी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

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।। ध्यान ।।

सौवर्णासनसंस्थितां त्रिनयनां पतांशुकोल्लासिनीं
हेमाभाङ्गरूचिं शशाङ्कमुकुटां सच्चम्पकस्त्रग्युताम् ।
हस्तैर्मुद्गरपाशवज्ररसनाः सम्बिभ्रतीं भूषणैः
व्याप्ताङ्गी बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत् ।।

।। विनियोग ।।

ॐ अस्य श्रीपीताम्बर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रस्य सदाशिव ऋषिरनुष्टुप्छन्दः श्रीपीताम्बरी देवता श्रीपीताम्बरी प्रीतये जपे विनियोगः ।।

॥ नारद उवाच ॥

भगवन् देवदेवेश सृष्टिस्थितिलयात्मक ।
शतमष्टोत्तरं नाम्नां बगलाया वदाधुना ॥ १ ॥

॥ श्री भगवानुवाच ॥

शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।
पीताम्बर्या महादेव्याः स्तोत्रं पापप्रणाशनम् ॥ २ ॥

यस्य प्रपठनात्सद्यो वादी मूकोभवेत् क्षणात् ।
रिपूणां स्तम्भनं याति सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ॥ ३ ॥

।। स्तोत्र ।।

ॐ बगला विष्णुवनिता विष्णुशङ्करभामिनी ।
बहुला वेदमाता च महाविष्णुप्रसूरपि ॥ ४ ॥

महामत्स्या महाकूर्मा महावाराहरूपिणी ।
नरसिंहप्रिया रम्या वामना बटुरूपिणी ॥ ५ ॥

जामदग्न्यस्वरूपा च रामा रामप्रपूजिता ।
कृष्णा कपर्दिनी कृत्या कलहा कलकारिणी ॥ ६ ॥

बुद्धिरूपा बुद्धभार्या बौद्धपाखण्डखण्डिनी ।
कल्किरूपा कलिहरा कलिदुर्गतिनाशिनी ॥ ७ ॥

कोटिसूर्यप्रतीकाशा कोटिकन्दर्पमोहिनी ।
केवला कठिना काली कला कैवल्यदायिनी ॥ ८ ॥

केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता ।
रुद्ररूपा रुद्रमूर्ती रुद्राणी रुद्रदेवता ॥ ९ ॥

नक्षत्ररूपा नक्षत्रा नक्षत्रेशप्रपूजिता ।
नक्षत्रेशप्रिया नित्या नक्षत्रपतिवन्दिता ॥ १० ॥

नागिनी नागजननी नागराजप्रवन्दिता ।
नागेश्वरी नागकन्या नागरी च नगात्मजा ॥ ११ ॥

नगाधिराजतनया नगराजप्रपूजिता ।
नवीननीरदा पीता श्यामा सौन्दर्यकारिणी ॥ १२ ॥

रक्ता नीला घना शुभ्रा श्वेता सौभाग्यदायिनी ।
सुन्दरी सौभगा सौम्या स्वर्णाभा स्वर्गतिप्रदा ॥ १३ ॥

रिपुत्रासकरी रेखा शत्रुसंहारकारिणी ।
भामिनी च तथा माया स्तम्भिनी मोहिनी शुभा ॥ १४ ॥

रागद्वेषकरी रात्री रौरवध्वंसकारिणी ।
यक्षिणी सिद्धनिवहा सिद्धेशा सिद्धिरूपिणी ॥ १५ ॥

लङ्कापतिध्वंसकरी लङ्केशरिपुवन्दिता ।
लङ्कानाथकुलहरा महारावणहारिणी ॥ १६ ॥

देवदानवसिद्धौघपूजिता परमेश्वरी ।
पराणुरूपा परमा परतन्त्रविनाशिनी ॥ १७ ॥

वरदा वरदाराध्या वरदानपरायणा ।
वरदेशप्रिया वीरा वीरभूषणभूषिता ॥ १८ ॥

वसुदा बहुदा वाणी ब्रह्मरूपा वरानना ।
बलदा पीतवसना पीतभूषणभूषिता ॥ १९ ॥

पीतपुष्पप्रिया पीतहारा पीतस्वरूपिणी ।
इति ते कथितं विप्र नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥ २० ॥

यः पठेत्पाठयेद्वापि शृणुयाद्वा समाहितः ।
तस्य शत्रुः क्षयं सद्यो याति नैवात्र संशयः ॥ २१ ॥

प्रभातकाले प्रयतो मनुष्यः पठेत्सुभक्त्या परिचिन्त्य पीताम् ।
द्रुवं भवेत्तस्य समस्तवृद्धि- र्विनाशमायाति च तस्य शत्रुः ॥ २२ ॥

॥ इति श्रीविष्णुयामले नारदविष्णुसंवादे श्रीबगलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

Other Keywords:

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Sri Kamala Ashtottara Shatanama Stotram | श्री कमला अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

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।। ध्यान ।।

अक्षस्त्रक्परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनुष्कुण्डिकां
दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम्।
शूलं पाशसुदर्शने च दशतीं हस्तैः प्रसन्नाननां
सेवे सैरिभमर्दिनीमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम्।।

॥ स्तोत्र ॥

॥ श्री शिव उवाच ॥

शतमष्टोत्तरं नाम्नां कमलाया वरानने ।
प्रवक्ष्याम्यतिगुह्यं हि न कदापि प्रकाशयेत् ॥ १ ॥

महामाया महालक्ष्मीर्महावाणी महेश्वरी ।
महादेवी महारात्रिर्महिषासुरमर्दिनी ॥ २ ॥

कालरात्रिः कुहूः पूर्णानन्दाद्या भद्रिका निशा ।
जया रिक्ता महाशक्तिर्देवमाता कृशोदरी ॥ ३ ॥

शचीन्द्राणी शक्रनुता शङ्करप्रियवल्लभा ।
महावराहजननी मदनोन्मथिनी मही ॥ ४ ॥

वैकुण्ठनाथरमणी विष्णुवक्षःस्थलस्थिता ।
विश्वेश्वरी विश्वमाता वरदाभयदा शिवा ॥ ५ ॥

शूलिनी चक्रिणी मा च पाशिनी शङ्खधारिणी ।
गदिनी मुण्डमाला च कमला करुणालया ॥ ६ ॥

पद्माक्षधारिणी ह्यम्बा महाविष्णुप्रियङ्करी ।
गोलोकनाथरमणी गोलोकेश्वरपूजिता ॥ ७ ॥

गया गङ्गा च यमुना गोमती गरुडासना ।
गण्डकी सरयू तापी रेवा चैव पयस्विनी ॥ ८ ॥

नर्मदा चैव कावेरी केदारस्थलवासिनी ।
किशोरी केशवनुता महेन्द्रपरिवन्दिता ॥ ९ ॥

ब्रह्मादिदेवनिर्माणकारिणी वेदपूजिता ।
कोटिब्रह्माण्डमध्यस्था कोटिब्रह्माण्डकारिणी ॥ १० ॥

श्रुतिरूपा श्रुतिकरी श्रुतिस्मृतिपरायणा ।
इन्दिरा सिन्धुतनया मातङ्गी लोकमातृका ॥ ११ ॥

त्रिलोकजननी तन्त्रा तन्त्रमन्त्रस्वरूपिणी ।
तरुणी च तमोहन्त्री मङ्गला मङ्गलायना ॥ १२ ॥

मधुकैटभमथनी शुम्भासुरविनाशिनी ।
निशुम्भादिहरा माता हरिशङ्करपूजिता ॥ १३ ॥

सर्वदेवमयी सर्वा शरणागतपालिनी ।
शरण्या शम्भुवनिता सिन्धुतीरनिवासिनी ॥ १४ ॥

गन्धर्वगानरसिका गीता गोविन्दवल्लभा ।
त्रैलोक्यपालिनी तत्त्वरूपा तारुण्यपूरिता ॥ १५ ॥

चन्द्रावली चन्द्रमुखी चन्द्रिका चन्द्रपूजिता ।
चन्द्रा शशाङ्कभगिनी गीतवाद्यपरायणा ॥ १६ ॥

सृष्टिरूपा सृष्टिकरी सृष्टिसंहारकारिणी ।
इति ते कथितं देवि रमानामशताष्टकम् ॥ १७ ॥

त्रिसन्ध्यं प्रयतो भूत्वा पठेदेतत्समाहितः ।
यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोत्यसंशय ॥ १८ ॥

इमं स्तवं यः पठतीह मर्त्यो
वैकुण्ठपत्न्याः परमादरेण ।
धनाधिपाद्यैः परिवन्दितः स्यात्
प्रयास्यति श्रीपदमन्तकाले ॥ १९ ॥

॥ इति शाक्तप्रमोदे श्रीकमलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

Other Keywords:

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Sri Matangi Ashtottara Shatanama Stotram | श्री मातङ्गी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

Maa Matangi

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Sri Matangi Ashtottara Shatanama Stotram – श्री मातङ्गी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

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।। ध्यान ।।

ध्यायेयं रत्नपीठे शुककलपठितं शृण्वतीं श्यामलाङ्गीं
न्यस्तैकाङ्घ्रिं सरोजे शशिशकलधरां वल्लकीं वादययन्तीम् ।
कह्लाराबद्धमालां नियमितविलसच्चोलिकां रक्तवस्त्रां
मातङ्गीं शङ्खपात्रां मधुरमधुमदां चित्रकोद्भासिभालाम् ।।

।। विनियोग ।।

ॐ अस्य श्रीमातङ्गीशतनाम्नां भगवान्मतङ्ग ऋषिरनुष्टुप्छन्दो मातङ्गी देवता मातङ्गी प्रीतये जपे विनियोगः ।।

॥ श्री भैरव्युवाच ॥

भगवञ्छ्रोतुमिच्छामि मातङ्ग्याः शतनामकम् ।
यद्गुह्यं सर्वतन्त्रेषु केनापि न प्रकाशितम् ॥ १ ॥

॥ श्री भैरव उवाच ॥

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि रहस्यातिरहस्यकम् ।
नाख्येयं यत्र कुत्रापि पठनीयं परात्परम् ॥ २ ॥

यस्यैकवारपठनात्सर्वे विघ्ना उपद्रवाः ।
नश्यन्ति तत्क्षणाद्देवि वह्निना तूलराशिवत् ॥ ३ ॥

प्रसन्ना जायते देवी मातङ्गी चास्य पाठतः ।
सहस्रनामपठने यत्फलं परिकीर्तितम् ।
तत्कोटिगुणितं देवी नामाष्टशतकं शुभम् ॥ ४ ॥

॥ स्तोत्र ॥

महामत्तमातङ्गिनी सिद्धिरूपा
तथा योगिनी भद्रकाली रमा च ।
भवानी भयप्रीतिदा भूतियुक्ता
भवाराधिता भूतिसम्पत्करी च ॥ १ ॥

जनाधीशमाता धनागारदृष्टि-
र्धनेशार्चिता धीरवासी वराङ्गी ।
प्रकृष्टा प्रभारूपिणी कामरूपा
प्रहृष्टा महाकीर्तिदा कर्णनाली ॥ २ ॥

काली भगा घोररूपा भगाङ्गी
भगाह्वा भगप्रीतिदा भीमरूपा ।
भवानी महाकौशिकी कोशपूर्णा
किशोरी किशोरप्रिया नन्दईहा ॥ ३ ॥

महाकारणाकारणा कर्मशीला
कपाली प्रसिद्धा महासिद्धखण्डा ।
मकारप्रिया मानरूपा महेशी
महोल्लासिनी लास्यलीलालयाङ्गी ॥ ४ ॥

क्षमा क्षेमशीला क्षपाकारिणी चा-
क्षयप्रीतिदा भूतियुक्ता भवानी ।
भवाराधिता भूतिसत्यात्मिका च
प्रभोद्भासिता भानुभास्वत्करा च ॥ ५ ॥

धराधीशमाता धनागारदृष्टि-
र्धनेशार्चिता धीवरा धीवराङ्गी ।
प्रकृष्टा प्रभारूपिणी प्राणरूपा
प्रकृष्टस्वरूपा स्वरूपप्रिया च ॥ ६ ॥

चलत्कुण्डला कामिनी कान्तयुक्ता
कपालाचला कालकोद्धारिणी च ।
कदम्बप्रिया कोटरी कोटदेहा
क्रमा कीर्तिदा कर्णरूपा च काक्ष्मी ॥ ७ ॥

क्षमाङ्गी क्षयप्रेमरूपा क्षपा च
क्षयाक्षा क्षयाह्वा क्षयप्रान्तरा च ।
क्षवत्कामिनी क्षारिणी क्षीरपूषा
शिवाङ्गी च शाकम्भरी शाकदेहा ॥ ८ ॥

महाशाकयज्ञा फलप्राशका च
शकाह्वाशकाह्वा शकाख्याशका च ।
शकाक्षान्तरोषा सुरोषा सुरेखा
महाशेषयज्ञोपवीतप्रिया च ॥ ९ ॥

जयन्ती जया जाग्रती योग्यरूपा
जयाङ्गा जपध्यानसन्तुष्टसंज्ञा ।
जयप्राणरूपा जयस्वर्णदेहा
जयज्वालिनी यामिनी याम्यरूपा ॥ १० ॥

जगन्मातृरूपा जगद्रक्षणा च
स्वधावौषडन्ता विलम्बाविलम्बा ।
षडङ्गा महालम्बरूपासिहस्ता
पदाहारिणी हारिणी हारिणी च ॥ ११ ॥

महामङ्गला मङ्गलप्रेमकीर्ति-
र्निशुम्भक्षिदा शुम्भदर्पत्वहा च ।
तथानन्दबीजादिमुक्तिस्वरूपा
तथा चण्डमुण्डापदा मुख्यचण्डा ॥ १२ ॥

प्रचण्डाप्रचण्डा महाचण्डवेगा
चलच्चामरा चामरा चन्द्रकीर्तिः ।
सुचामीकरा चित्रभूषोज्ज्वलाङ्गी
सुसङ्गीतगीता च पायादपायात् ॥ १३ ॥

इति ते कथितं देवि नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।
गोप्यं च सर्वतन्त्रेषु गोपनीयं च सर्वदा ॥ १४ ॥

एतस्य सतताभ्यासात्साक्षाद्देवो महेश्वरः ।
त्रिसन्ध्यं च महाभक्त्या पठनीयं सुखोदयम् ॥ १५ ॥

न तस्य दुष्करं किञ्चिज्जायते स्पर्शतः क्षणात् ।
स्वकृतं यत्तदेवाप्तं तस्मादावर्तयेत्सदा ॥ १६ ॥

सदैव सन्निधौ तस्य देवी वसति सादरम् ।
अयोगा ये तव एवाग्रे सुयोगाश्च भवन्ति वै ॥ १७ ॥

त एव मित्रभूताश्च भवन्ति तत्प्रसादतः ।
विषाणि नोपसर्पन्ति व्याधयो न स्पृशन्ति तान् ॥ १८ ॥

लूता विस्फोटकाः सर्वे शमं यन्ति च तत्क्षणात् ।
जरापलितनिर्मुक्तः कल्पजीवी भवेन्नरः ॥ १९ ॥

अपि किं बहुनोक्तेन सान्निध्यं फलमाप्नुयात् ।
यावन्मया पुरा प्रोक्तं फलं साहस्रनामकम् ।
तत्सर्वं लभते मर्त्यो महामायाप्रसादतः ॥ २० ॥

॥ इति श्रीरुद्रयामले श्रीमातङ्गीशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

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