वास्तुशान्ति करने का  शुभ मुहूर्त्त | Muhurat For Vastu Shanti

Vastu Shanti Muhurat

Vastu Shanti Muhurat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

वास्तुशान्ति के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Vastu Shanti:-

वास्तुशान्ति के लिए श्रवण, धनिष्ठा, मृगशिरा, मूल, अनुराधा, रेवती, हस्त, चित्रा, स्वाति, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुनर्वसु, पुष्य, रोहिणी, अश्विनी नक्षत्र शुभ हैं।

एषु भेषु शुभेऽह्नि सत्तिथौ बलिदानपुरस्सरं वास्त्वर्चनं कार्यम्।

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Vastu Shanti Shubh Muhurat 
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प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने का शुभ मुहूर्त्त |  Muhurat to Submit Application letter

Application Dene ka Muhurat

Application Dene ka Muhurat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

प्रार्थनापत्र (अर्जी ) देने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Day (Tithi) For Submitting an Application Form :- 

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए 4, 9, 14 तिथियां शुभ है।

 प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Submitting an Application Form :-

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए मंगलवार, शनिवार  शुभ है।

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Submitting an Application Form  :-

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए कृतिका, आर्द्रा, भरणी, अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठ, मूल, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद  नक्षत्र हों, भद्रा होेवे तो अत्युत्तम है।

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Submit Application Letter Shubh Muhurat
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Other Keywords:- 

प्रार्थना पत्र देने का मुहूर्त्त | अर्जी देने का मुहूर्त्त  |

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राजा दशरथ कृत- श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) | पद्म पुराण

Shani Stotra In Hindi

Shani Stotra In Hindi

राजा दशरथ कृत- श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) | पद्म पुराण

Raja Dashrath Krit – Shri Shani Stotra (In Hindi) -Padampuran

॥ श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) ॥

हे ! श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।।

स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।
सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे।।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।
हे ! दीर्घ नेत्र वालेे, शुष्कोदरा निराले।।

भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।
कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले।।

तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।
हे ! नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ।।

हे ! भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
हे ! पूज्य चरण तेरे। स्वीकारो नमन मेरे।।

हे ! सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।
हे ! अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी।।

विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हे पूज्य देव मेरे।।

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।
तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी।।

संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे।स्वीकारो नमन मेरे।।

नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो।
हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो।।

हे ! ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो भजन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे।।

जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि।
वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये।।

उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।
मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता।।

डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। शनि पूज्य चरण तेरे।।

हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर।
हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर।।

देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।
बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै।।

सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हैं पूज्य चरण तेरे।।

॥ इति श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) ॥

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Ravi Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | रवि पुष्य अमृत योग

Ravi Pushya
Ravi Pushya जब रविवार (Sunday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) बनता है। रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं। इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog)और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं। इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

रविपुष्य योग सन् : 2024-25

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
09 जून रात्रि 08:21 से 10 जून सूर्योदय तक
07 जुलाई   सूर्योदय से 08 जुलाई   सूर्योदय तक
04 अगस्त सूर्योदय से 04 अगस्त   दोपहर 01:26 तक

Guru Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | गुरु पुष्य अमृत योग

Guru Pushya

Guru Pushya

गुरुवार (Thursday) के दिन शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से संबंधित कार्य करना बहोत ही शुभ एवं मंगलमय होता है। जब गुरुवार (Thursday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) बनता है।

गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog ) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं।

इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी (Devi Lauxmi) जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।

इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

गुरुपुष्य योग सन् 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
26 सितंबर  रात्रि 11:34 से27 सितंबरसूर्योदय तक
24 अक्टूबर  सूर्योदय से25 अक्टूबरसूर्योदय तक
21 नवंबरसूर्योदय से21 नवंबरदोपहर 03:35 तक

इस दीपावली की रात लगेगा सूर्य ग्रहण – 25 Oct 2022 Deepawali | Surya Grahan (Solar Eclipse)

खंडग्रास सूर्यग्रहण – 25 अक्टूबर 2022

Surya Garhan – 25 October 2022

यह ग्रहण कार्तिक (Kartik) कृष्ण अमावस्या मंगलवार, तदनुसार 25 अक्टूबर 2022 ईस्वी को यूरोप के अधिकतर देशों, उत्तरी-पूर्वी अफ्रीकाऔर एशिया महाद्वीप के मध्य-पूर्वी / पश्चिमी भागों में खण्डग्रास (आंशिक) आकृति के रूप में दिखाई पडे़गा। यह ग्रहण स्वीडन, फिन्लैंड, एस्टोनिया, बेलारूस, यूक्रेन, रशिया, जाॅर्जिया, अरमीनिया, कज़ाकिस्तान, अज़रबैज़मान, इराक, ईरान, तुर्कमीनिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, तज़ीकिस्तान, अफ़गानिस्तान, कज़ाखस्तान, पाक और भारत में खण्डग्रास रूप में दीखेगा।

भारत में यह ग्रह पूर्वी भारत के कुछ प्रदेशों को छोड़कर लगभग सम्पूर्ण भारत में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। क्योंकि यह ग्रहण (Surya Grahan | Solar Eclipse) भारत में सर्वत्र ग्रस्तास्त होगा अर्थात् ग्रहणारंभ सूर्यास्त से पूर्व ही हो जाएगा या यूं कह सकते हैं कि-सूर्य की ग्रस्तस्थिति में ही सर्वत्र सूर्यास्त होगा, अतः ग्रहणारंभ (Surya Grahan | Solar Eclipse) तो सर्वत्र दीखेगा, लेकिन कुछ स्थलों / नगरों में ग्रहणमध्य नहीं दिखेगा और ग्रहण समाप्ति तो भारत में कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होगी।

खंडग्रास सूर्यग्रहण – 25 अक्टूबर 2022
कार्तिक कृष्ण, अमावस्या, मंगलवार,

ग्रहण प्रारंभ – दोपहर 2 बजकर 28 मिनट से
ग्रहण का मध्यकाल – शाम 4:30ः00
ग्रहण का समाप्ति काल – शाम 6:32ः00
ग्रहण का पर्व काल – 4 घंटे 3 मिनट 56 सेकंड
सूतक का प्रारंभ – सूर्योदय से पूर्व ( पूर्वरात्रि में 2:30 बजे पर )

यह ग्रहण कार्तिक अमावस, मंगलवार को स्वाति नक्षत्र (Swati Nakshtra) एवं तुला राशि (Libra Rashi) में घटित हो रहा है, अतः विशेषतः स्वाति नक्षत्र व तुला राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण विशेष अशुभ एवं कष्टप्रद रहेगा।

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गर्भाधान संस्कार शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurat for Garbhadhan First Conception

Garbhadhan Sanskar Muhurat

Garbhadhan Sanskar Muhurat

संतान प्राति के लिए कब सम्भोग करे ?

  • रजोदर्शन के बाद 16 रात्रियों तक, प्रथम 4 रात्रियों को छोड़कर शेष 12 रात्रियों में स्त्री संगम यानि समागम करे।
  • पुरुष अपने चंद्र बल में खुश होकर नवांगना से प्रथम समागम करे।
  • रिक्ता अमावस रहित तिथि में, शुभवार, रात्रि के प्रथम पहर को छोड़कर शुभ समय में चित्त को प्रसन्न कर, प्रथम दिन स्त्री संगम करें।
  • विषम रात्रि में संभोग करने से गर्भ ठहरने पर कन्या, सम रात्रियों में पुत्र का जन्म होता है।

गर्भाधान संस्कार का मुहूर्त्त | Garbhadhan Sanskar Muhurat

गर्भाधान के लिए शुभ तिथि | Best Day (Tithi) For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 तिथियां शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए सोम,बुध,गुरु एवं शुक्रवार शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए रोहिणी,मृगशिरा, अनुराधा, उत्तरा तीनों, हस्त, स्वाति, श्रावण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ समय | Auspicious Timing For Conceiving:-

  • जब लग्न और 4, 5, 7, 9, 10 स्थानों में शुभ ग्रह हो
  • 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह हो
  • सूर्य, मंगल या गुरु लग्न को देखते हो
  • विषम राशि के नवांश में चंद्रमा हो

पुरुष का स्त्री के प्रति कर्तव्य- स्त्री का अपमान या तिरस्कार न करें, आदर सत्कार करें।

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Garbhadhan Shubh Muhurat
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द्विरागमन (गौना) शुभ मुहूर्त | Auspicious Timings Dwiragaman (Gauna) Muhurat

Gaun Shubh Muhurat

Gaun Shubh Muhurat

द्विरागमन (गौना | Dwiragaman) मुहूर्त विचार:-

पिता के घर से दूसरी बार पति के घर जाने को द्विरागमन (Dwiragaman) कहते हैं। यदि यह शुभ मुहूर्त में किया जाए तो पिता पक्ष और पति पक्ष दोनों के लिए शुभ रहता है।

द्विरागमन (गौना | Dwiragaman) करने का शुभ मुहूर्त :-

विवाह से एक वर्ष के भीतर अथवा तीसरे या पांचवें वर्ष में द्विरागमन (Dwiragaman) होना चाहिए।

द्विरागमन (Dwiragaman) के समय सूर्य वृश्चिक, कुंभ अथवा मेष राशि में और बृहस्पति शुद्ध होना चाहिए।

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ वार:-

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार शुभ होते हैं।

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ लग्न :-

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए 2, 3, 6, 7 या 12वीं राशि के लग्न शुभ होते हैं।

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ नक्षत्र:-

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद , रोहिणी, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मूल, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र शुभ हैं।

द्विरागमन-मुहूर्त्त सन् 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्
16 अप्रैलरात्रि 12:48 से प्रातः 03:05 तक,
प्रातः 03:05 के बाद
18 नवंबरसुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, केतुयुति परिहार
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक, अभिजित्
28 नवंबरसूर्योदय से सुबह 07:36 तक
02 दिसंबरशाम 06:00 के बाद
05 दिसंबरदोपहर 12:49 से शाम 05:26 तक, मृत्युबाण परिहार,
शाम 05:26 से रात्रि 08:07 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:42 तक, 
दोपहर 02:18 से शाम 05:18 तक, 
शाम 05:18 के बाद
11 दिसंबरसुबह 11:47 से दोपहर 02:26 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:52 तक
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
20 फरवरीदोपहर 03:10 बाद
21 फरवरीसुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
28 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 01:40 तक
03 मार्चशाम 06:02 से प्रातः 04:29 तक
05 मार्चरात्रि 01:08 के बाद
06 मार्चसुबह 10:51 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार
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Dwiragaman (Gauna) Shubh Muhurat
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नववधू प्रवेश शुभ मुहूर्त | Nav Vadhu Griha Pravesh Shubh Muhurat

Navvdhu Parvesh

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नववधू प्रवेश शुभ मुहूर्त | Vadhu Pravesh ka Shubh muhurt

गृह प्रवेश – नई वधूका पहली बार अपने पति के घर में प्रवेश:-

विवाह के पश्चात जब नववधू पति के घर पहली बार आती है उसे नववधू प्रवेश (Vadhu Pravesh) कहा जाता है। वधू घर की लक्ष्मी होती है। अतः प्रथम बार घर में वधू का प्रवेश यदि शुभ मुहूर्त में हो तो यह घर के लिए बहुत शुभ होता है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान नववधू के प्रवेश मुहूर्त के लिए कुछ विशेष जानकारी देता है ।

वधूप्रवेशो न दिवा-प्रशस्तः राजप्रवेशो न निशि-प्रशस्तः।
दिवा च रात्रौ च गृहप्रवेशः सत्कीर्तिदः स्यात्त्रिविधः प्रवेशः॥

दिन में वधू प्रवेश शुभ नहीं होता, यात्रा के अंत में जो राजा द्वारा गृह प्रवेश होता है वह रात्रि में शुभ नहीं है। सामान्य रूप से जो ग्रह प्रवेश होता है वह दिन और रात दोनों में शुभ होता है।

ज्‍योतिष : कब हो नववधू का गृह प्रवेश:

  • नववधू प्रवेश विवाह के 16 दिन के भीतर सम (2, 4, 6, 8, 10, 12 अथवा 14) दिनों में अथवा 5वें, 7वें, 9वें दिन में शुभ रहता है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के एक मास तक विषम (1, 3, 5, 7, 9, 11 आदि) दिनों में शुभ रहता है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के एक वर्ष के भीतर विषम मास में शुभ रहता है।
  • एक वर्ष के उपरांत 3 रे, 5 वें वर्ष में भी स्थिर लग्न में वधू प्रवेश शुभ है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के 5 वर्ष के उपरांत जब चाहे तब शुभ मुहूर्त्त में हो सकता है।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र | Shubh Nakshatra For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए रेवति, अश्वनी, रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण, धनिष्ठा, हस्त, चित्रा, स्वाति, मघा, मूल, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुष्य, अनुराधा नक्षत्र शुभ होते हैं।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ वार | | Shubh Vaar For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए चंद्र, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि वार शुभ होते हैं।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ तिथि | | Shubh Tithi For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, 15 तिथियां शुभ है।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ लग्न | | Shubh Lagna For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए 5, 8, 11 लग्न में चतुर्थाष्टम शुद्ध हों तो वधू प्रवेश शुभ है।

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Nav Vadhu Griha Pravesh Shubh Muhurat
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श्री गणेश मूर्ति प्रतिष्ठा मुहूर्त | Ganpati Bappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Ganpati

Lord Ganpati

श्री गणेश मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त 

Ganpati Bappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

“हे हाथी के जैसे विशालकाय गणेश, जिनका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है, सदा मेरे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें”।

गणेश जी की तिथि कृष्ण चतुर्थी है। भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त है।

श्री गणेश प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्, 
11 जुलाईदोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
24 जुलाईसुबह 07:26 से सुबह 09:46 तक,
दोपहर 12:03 से दोपहर 02:25 तक
19 नवंबरसुबह 09:01 से दोपहर 12:47 तक, अभिजित्
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
17 जनवरीपूरा दिन (संकष्ट चतुर्थी)
19 जनवरीसुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक,
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
22 जनवरीपूरा दिन
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक,
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
31 जनवरीपूरा दिन
07 फरवरीपूरा दिन
10 फरवरीसुबह 07:19 से सुबह 08:44 तक,
सुबह 10:07 से सुबह 11:39 तक, अभिजित्, भौमयुति परिहार
15 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:52 तक, केतुयुति परिहार 
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक 
21 फरवरीपूरा दिन
23 फरवरीसुबह 09:16 से दोपहर 12:43 तक, अभिजित्
26 फरवरीसूर्योदय से सुबह 11:09 तक
06 मार्चसूर्योदय से सुबह 10:59 तक
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