Sarvarth Siddhi Muhurat | सर्वार्थ सिद्धि योग (सन् 2024-2025)

shubh muhurat
Sarvarth siddhi yog muhurat ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ – नाम से ही एहसास हो जाता है कि यह सभी काम सिद्ध करने के योग के बारे में है। आज के समय में एक अच्छा मुहूर्त निकालना बड़ा ही दुसाध्य काम है। यदि सही समय पर सही विद्वान न मिले तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जिसका बाद में खामियाजा भुगतना पड़ता है। लोक व्यवहार की बोलचाल में कहा भी गया है। :- कि अच्छे समय में यदि कोई बुरा काम भी कर लेता है, तो भी व्यक्ति को वाहवाही मिल जाती है क्योंकि समय अच्छा है। पर यदि बुरे समय अर्थार्थ बुरे मुहूर्त में किया गया शुभ काम भी नुकसान दे जाता है। आप सबकी इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखते हुए यह मुहूर्त नाम से कॉलम बनाया गया है। इस कॉलम में आपको इस साल के सभी शुभ मुहूर्त मिल जाएंगे। कई बार गुरु और शुक्र अस्त चल रहा हो तो उस समय में पंडित जन मुहूर्त बंद बताते हैं क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि जब भी गुरु और शुक्र अस्त हो जाते हैं। तब सभी शुभ काम बंद हो जाते हैं। संसार में ऐसे बहुत सारे काम होते हैं, जिन्हें करना अनिवार्य होता है और उनके लिए रुकना संभव नहीं हो पाता। इसीलिए शास्त्रों में इसका भी समाधान सर्वार्थ सिद्धि योग आदि मुहूर्तों के द्वारा किया जाता है। यदि किसी काम को जल्दी करने की स्थिति में कोई आवश्यक मुहूर्त नहीं मिल पा रहा हो तो व्यक्ति आंख बंद करके सर्वार्थ सिद्धि आदि योगों में अपना काम आरंभ कर सकता है। इन मुहूर्तों में गुरु – शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि किसी भी चीज का विचार करने की आवश्यकता नहीं है। यह अपने आप में ही सिद्ध मुहूर्त होते हैं। जो सभी कुयोगों को समाप्त करने की शक्ति रखते हैं। जैसे कि इनके नाम से ही स्पष्ट है। इन योगों के समय में कोई भी शुभ काम किया जाए तो वह सफल होता है। जैसे :- कहीं यात्रा पर जाना हो, गृह प्रवेश करना हो, कोई नया काम शुरू करना हो तो व्यक्ति इन मुहूर्तों में कर सकता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग सन् 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
31 मार्च रात्रि 10:57 से 01 अप्रैल सूर्योदय तक
07 अप्रैल दोपहर 12:59 से 08 अप्रैल सूर्योदय तक
07 अप्रैल दोपहर 12:58 से 08 अप्रैल सूर्योदय तक
( 09 अप्रैल सुबह 07:33 से 10 अप्रैल सुबह 05:06 तक) मंगलवार
11 अप्रैल रात्रि 03:06 से 11 अप्रैल सूर्योदय तक
16 अप्रैल रात्रि 03:06 से 16 अप्रैल सूर्योदय तक
17 अप्रैल प्रातः 05:16 से 17 अप्रैल सूर्योदय तक
19 अप्रैल सुबह 10:57 से 20 अप्रैल सूर्योदय तक
21 अप्रैल सूर्योदय से 22 अप्रैल सूर्योदय तक ) रविवार
25 अप्रैल रात्रि 02:24 से 27 अप्रैल रात्रि 03:40 तक
28 अप्रैल सूर्योदय से 29 अप्रैल प्रातः 04:49 तक
05 मई सूर्योदय से 05 मई रात्रि 07:57 तक
( 07 मई सूर्योदय से 07 मई दोपहर 03:32 तक) मंगलवार
08 मई दोपहर 01:34 से 09 मई सूर्योदय तक
13 मई सुबह 11:24 से 14 मई सूर्योदय तक
14 मई दोपहर 01:06 से 15 मई सूर्योदय तक
17 मई सूर्योदय से 17 मई रात्रि 09:18 तक
19 मई सूर्योदय से 20 मई रात्रि 03:16 तक) रविवार
23 मई सुबह 09:15 से 24 मई सूर्योदय तक
26 मई सूर्योदय से 26 मई सुबह 10:35 तक
03 जून रात्रि 01:41 से 03 जून सूर्योदय तक
04 जून रात्रि 10:35 से 06 जून सूर्योदय तक
09 जून रात्रि 08:21 से 10 जून रात्रि 09:39 तक
11 जून सूर्योदय से 11 जून रात्रि 11:38 तक
( 16 जून सूर्योदय से 16 जून सुबह 11:12 तक) रविवार
19 जून शाम 05:24 से 20 जून शाम 06:10 तक
23 जून शाम 05:04 से 24 जून सूर्योदय तक
24 जून दोपहर 03:55 से 25 जून सूर्योदय तक
30 जून सुबह 07:35 से 01 जुलाई सूर्योदय तक
02 जुलाई सूर्योदय से 03 जुलाई प्रातः 04:40 तक
03 जुलाई सूर्योदय से 04 जुलाई प्रातः 04:07 तक
06 जुलाई प्रातः 04:07 से 06 जुलाई सूर्योदय तक
07 जुलाई सूर्योदय से 08 जुलाई सुबह 06:02 तक
09 जुलाई सूर्योदय से 09 जुलाई सुबह 07:52 तक
( 17 जुलाई सूर्योदय से 18 जुलाई रात्रि 03:12 तक) बुधवार
21 जुलाई सूर्योदय से 22 जुलाई रात्रि 00:14 तक
22 जुलाई सूर्योदय से 22 जुलाई रात्रि 10:21 तक
( 26 जुलाई दोपहर 02:31 से 27 जुलाई सूर्योदय तक ) शुक्रवार
28 जुलाई सूर्योदय से 28 जुलाई सुबह 11:45 तक
30 जुलाई सूर्योदय से 30 जुलाई सुबह 10:23 तक
31 जुलाई सूर्योदय से 01 अगस्त सूर्योदय तक
02 अगस्त सुबह 10:59 से 03 अगस्त सूर्योदय तक
04 अगस्त सूर्योदय से 04 अगस्त दोपहर 01:26 तक
11 अगस्त प्रातः 05:49 से 11 अगस्त सूर्योदय तक
( 14 अगस्त सूर्योदय से 14 अगस्त दोपहर 12:12 तक) बुधवार
18 अगस्त सूर्योदय से 18 अगस्त सुबह 10:15 तक
19 अगस्त सूर्योदय से 19 अगस्त सुबह 08:10 तक
22 अगस्त रात्रि 10:06 से 23 अगस्त रात्रि 07:54 तक) शुक्रवार
26 अगस्त दोपहर 03:56 से 27 अगस्त सूर्योदय तक
28 अगस्त सूर्योदय से 28 अगस्त दोपहर 03:53 तक
29 अगस्त शाम 04:40 से 30 अगस्त शाम 05:55 तक
07 सितंबर दोपहर 12:35 से 08 सितंबर सूर्योदय तक
09 सितंबर शाम 06:05 से 10 सितंबर सूर्योदय तक
14 सितंबर रात्रि 08:33 से 15 सितंबर सूर्योदय तक
19 सितंबर सुबह 08:05 से 21 सितंबर रात्रि 02:42 तक
23 सितंबर सूर्योदय से 24 सितंबर सूर्योदय तक) सोमवार
26 सितंबर सूर्योदय से 27 सितंबर सूर्योदय तक) गुरुवार
02 अक्टूबर दोपहर 12:23 से 03 अक्टूबर सूर्योदय तक
05 अक्टूबर सूर्योदय से 05 अक्टूबर रात्रि 09:33 तक
07 अक्टूबर सूर्योदय से 08 अक्टूबर रात्रि 02:25 तक
12 अक्टूबर प्रातः 05:26 से 13 अक्टूबर प्रातः 04:27 तक
15 अक्टूबर रात्रि 10:09 से 16 अक्टूबर सूर्योदय तक
17 अक्टूबर सूर्योदय से 18 अक्टूबर दोपहर 01:26 तक
21 अक्टूबर सूर्योदय से 22 अक्टूबर प्रातः 05:51 तक
24 अक्टूबर सूर्योदय से 25 अक्टूबर सूर्योदय तक
30 अक्टूबर सूर्योदय से 30 अक्टूबर रात्रि 09:43 तक
04 नवंबर सूर्योदय से 04 नवंबर सुबह 08:04 तक
08 नवंबर दोपहर 12:04 से 09 नवंबर सुबह 11:47 तक
12 नवंबर सुबह 07:56 से 13 नवंबर प्रातः 05:40 तक
14 नवंबर सूर्योदय से 15 नवंबर रात्रि 00:33 तक
( 16 नवंबर रात्रि 07:29 से 17 नवंबर सूर्योदय तक ) शनिवार
( 18 नवंबर सूर्योदय से 18 नवंबर दोपहर 03:48 तक ) सोमवार
( 21 नवंबर सूर्योदय से 21 नवंबर दोपहर 03:35 तक ) गुरुवार
24 नवंबर रात्रि 10:17 से 25 नवंबर सूर्योदय तक
06 दिसंबर सूर्योदय से 06 दिसंबर शाम 05:18 तक
10 दिसंबर सूर्योदय से 10 दिसंबर दोपहर 01:30 तक
12 दिसंबर सूर्योदय से 12 दिसंबर सुबह 09:52 तक
( 14 दिसंबर सूर्योदय से 15 दिसंबर रात्रि 03:54 तक ) शनिवार
21 दिसंबर रात्रि 03:58 से 21 दिसंबर सूर्योदय तक
22 दिसंबर सूर्योदय से 23 दिसंबर सूर्योदय तक
29 दिसंबर रात्रि 11:23 से 30 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

05 जनवरी रात्रि 08:18 से 06 जनवरी सूर्योदय तक
( 07 जनवरी शाम 05:51 से 08 जनवरी सूर्योदय तक ) मंगलवार
( 11 जनवरी सूर्योदय से 11 जनवरी दोपहर 12:29 तक ) शनिवार
17 जनवरी दोपहर 12:45 से 18 जनवरी सूर्योदय तक
19 जनवरी सूर्योदय से 20 जनवरी सूर्योदय तक 
24 जनवरी प्रातः 05:09 से 24 जनवरी सूर्योदय तक
26 जनवरी सुबह 08:27 से 27 जनवरी सूर्योदय तक
02 फरवरी सूर्योदय से 03 फरवरी रात्रि 00:52 तक
04 फरवरी सूर्योदय से 04 फरवरी रात्रि 09:49 तक
05 फरवरी रात्रि 08:34 से 06 फरवरी सूर्योदय तक
10 फरवरी शाम 06:01 से 11 फरवरी सूर्योदय तक
11 फरवरी शाम 06:35 से 12 फरवरी सूर्योदय तक
14 फरवरी सूर्योदय से 14 फरवरी रात्रि 11:09 तक
(16 फरवरी सूर्योदय से 17 फरवरी प्रातः 04:31 तक) रविवार
20 फरवरी दोपहर 01:31 से 21 फरवरी सूर्योदय तक
23 फरवरी सूर्योदय से 23 फरवरी शाम 06:42 तक
02 मार्च सूर्योदय से 02 मार्च सुबह 08:59 तक
03 मार्च प्रातः 06:40 से 03 मार्च सूर्योदय तक
05 मार्च रात्रि 02:38 से 06 मार्च सूर्योदय तक
09 मार्च रात्रि 11:56 से 11 मार्च रात्रि 00:51 तक
11 मार्च सूर्योदय से 12 मार्च रात्रि 02:15 तक
( 16 मार्च सूर्योदय से 16 मार्च सुबह 11:45 तक ) रविवार
( 19 मार्च रात्रि 08:51 से 20 मार्च सूर्योदय तक ) बुधवार
20 मार्च सूर्योदय से 20 अप्रैल रात्रि 11:31 तक
24 मार्च प्रातः 04:19 से 24 मार्च सूर्योदय तक
25 मार्च प्रातः 04:27 से 25 मार्च सूर्योदय तक
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दुश्मन विनाश के लिए मंत्र | Destroy Enemy Mantra | Durga mantra

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एक समय की बात है ब्रह्मा आदि देवताओं ने पुष्पों तथा अनेक उपचारों से महेश्वरी भगवती दुर्गा जी का पूजन किया। इससे प्रसन्न होकर दुष्टों का नाश करने वाली दुर्गा जी ने कहा –

‘हे ! देवताओं,  मैं तुम्हारे पूजन से संतुष्ट हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो, मांग लो,  मैं तुम्हें दुर्लभ से दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूंगी।

दुर्गा जी का यह वचन सुनकर देवता बोले हे ! देवी, हमारे जितने भी शत्रु थे, उन सबको आप ने मार डाला। यह जो एक से एक महान बलशाली जैसे महिसासुर, चंड – मुंड, धूम्र विलोचन, रक्तबीज, शुंभ – निशुंभ आदि सब राक्षसों को आपने मार डाला, इससे संपूर्ण जगत निर्भय हो गया है। सबके भीतर का डर खत्म हो गया है।

आपकी ही कृपा से हमें दोबारा अपने – अपने पद की प्राप्ति हुई है। आप भक्तों के लिए कल्प वृक्ष के समान हैं। हे ! माता’ हम आप की शरण में आए हैं, अतः अब हमारे मन में कुछ भी पाने की इच्छा बाकी नहीं है।

आपने हमें बिना मांगे ही सब कुछ दे दिया है। हमारे मन में इस समूचे जगत की रक्षा के लिए एक प्रश्न हैं। वह प्रश्न हम आप से पूछना चाहते हैं।

हे ! भद्रकाली’ कौन सा ऐसा उपाय है ? जिससे जल्दी प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए प्राणी की तुरंत रक्षा करती हैं। हे ! देवेश्वरी’ यह बात यदि सर्वथा गोपनीय हो तो भी आप हम पर कृपा करके हमें अवश्य बताएं।

देवताओं के इस प्रकार प्रार्थना करने पर दयामयी दुर्गा देवी ने कहा-

‘हे ! देवगण’ सुनो जो रहस्य मैं आप लोगों को बता रही हूं, यह रहस्य संपूर्ण जगत में अत्यंत दुर्लभ और गोपनीय है। जो व्यक्ति संकट में पड़ा होने पर, मेरे बत्तीस नामों की माला का जाप करता है, उसके ऊपर आई हुई आपत्ति और विपत्ति का तुरंत नाश हो जाता है।

हे ! देवताओं, तीनों लोकों में इन बत्तीस नामों की स्तुति के समान कोई दूसरी स्तुति नहीं है। यह स्तुति बहुत ही रहस्यमयी है, फिर भी तुम पर कृपा करते हुए मैं इसे बतलाती हूं, ध्यान से सुनो –

1   दुर्गा                                             2  दुर्गार्तिशमनी                                            3  दुर्गापद्विनिवारिणी

4   दुर्गमच्छेदिनी                              5   दुर्गसाधिनी                                               6  दुर्गनाशिनी

7   दुर्गतो धारिणी                             8  दुर्गनिहन्त्री                                                9   दुर्गमापहा

10  दुर्गमज्ञानदा                               11  दुर्ग दत्य लोक दवानला                             12  दुर्गमा

13  दुर्गमालोका                               14  दुर्गम आत्म स्वरूपिणी                            15  दुर्गमार्गप्रदा

16  दुर्गमविद्या                                  17   दुर्गमाश्रिता                                            18  दुर्गम ज्ञान संस्थाना

19  दुर्गम ध्यान भासिनी                    20   दुर्गमोहा                                                21  दुर्गमगा

22  दुर्गमार्थस्वरूपिणी                     23   दुर्गमासुरसंहन्त्री                                   24  दुर्गमायुधधारिणी

25  दुर्गमांगी                                     26    दुर्गमता                                              27   दुर्गम्या

28   दुर्गमेश्वरी                                  29    दुर्गभीमा                                               30   दुर्गभामा

31   दुर्गभा                                        32    दुर्गदारिणी

हे ! देवताओं, जो मनुष्य मेरे इन बत्तीस नामों की नाम माला का पाठ करता है, वह निसंदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।

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भय विनाश के लिए मंत्र | Durga Saptshati Mantra

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ज्वाला-कराल-मृत्युग्रम-शेषासुर-सूदनम् ।

त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकाली नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

यदि किसी व्यक्ति के जीवन में किसी दुश्मन के कारण से डर हो। अचानक कोई विपत्ति आ पड़ी हो, तो इस मंत्र का की एक माला या श्रद्धा अनुसार नित्य जाप करना चाहिए।

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विपत्ति विनाश के लिए मंत्र | Mantra to Destroy Disaster

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शरणागत दीनार्त, परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवी, नारायणि नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

जब चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। दानवों और राक्षसों ने तपस्या के बल पर स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। अच्छे और सज्जन लोगों पर को दुख दिया जाता था और प्रताड़ित किया जाता था।

जब किसी को कुछ नहीं सोच रहा था। यहां तक की सभी देवी देवता भी राक्षसों के भय से आतंकित थे, तो सबने मिलकर शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा का आवाहन किया और उनसे अपने प्राण बचाने का निवेदन किया।

तब मां दुर्गा ने ही इस समस्त ब्रह्मांड को संपूर्ण भयों से मुक्त किया था। आज भी जो भक्तगण श्रद्धा और विश्वास के साथ मां शक्ति की पूजा – उपासना करते हैं। उन सब का अनुभव है कि माता अपने भक्तों की संपूर्ण विपत्तियों का अंत कर देती हैं।

इसलिए जीवन में आ रहे संकटों के नाश व मां भगवती की कृपा प्राप्ति के लिए इस मंत्र का श्रद्धा अनुसार जाप करना चाहिए।

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सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मंत्र | Health Mantra

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देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि में परमं सुखम् ।

रूपम देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि ।। (दुर्गा सप्तशती)

आज के समय में अच्छा स्वास्थ्य किसे नहीं चाहिए  अच्छा स्वास्थ्य ही सभी उन्नतियों को दर्शाता है।

‘कहा भी गया है, पहला सुख निरोगी काया’

उस धन का भी क्या फायदा जो हम उपभोग ना कर सकें। आज के समय में बहुत सारे लोग पैसा तो बहुत कमाते हैं, परंतु वह सारा पैसा डॉक्टर हकीम वैद्य आदि के पास जाता रहता है अर्थात खर्च होता रहता है। कारण शरीर रोगों का घर बन गया है। हमारे शास्त्रों में बताए गए दिव्य मंत्रों का उपयोग करके हम आरोग्यता को प्राप्त कर सकते हैं, इन्हीं दिव्य मंत्रों में से यह सप्तशती मंत्र बड़ा अमोघ है।इस मंत्र का नियमित जाप करने से अच्छे स्वास्थ्य, विजय, सौभाग्य व यश की प्राप्ति होती है।

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दुर्घटना व महामारी नाश के लिए मंत्र | Remove Badluck

Misshaping remove

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जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।।

(दुर्गा सप्तशती)

यदि किसी के घर में अचानक अनहोनी घटनाएं, दुर्घटना, अकाल मृत्यु, भय, रोग, शोक आदि बार-बार होते हों, उस स्थिति में इस मंत्र का 11,000 जप-अनुष्ठान करना चाहिए।

घर से निकलने से पहले प्रतिदिन तीन बार इस मंत्र का जाप करके जाना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु आदि दोषों का निवारण होता है। इस दिव्य मंत्र के प्रभाव से अनहोनी घटनाएं रुक जाएंगी और व्यक्ति को जीवन में सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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रोग नाश करने के लिए मंत्र  | Health Mantra | Durga Saptshati

health mantra

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रोगान् शेषान् पहंसि तुष्टा ,

रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।

त्वामाश्रितानाम् न विपत्रराणाम् ,

त्वामाश्रिता हाश्रयताम् प्रयान्ति ।। (दुर्गा सप्तशती)

जो व्यक्ति बहुत अधिक बीमार रहता हो, अनेक उपाय व बहुत इलाज करने के बावजूद भी यदि ठीक नहीं हो रहा हो, तो उसे मां जगदंबा के इस अलोकिक मंत्र का आसरा लेना चाहिए।

मैंने स्वयं इस मंत्र का चमत्कार अपने जीवन में कई बार देखा है। मरण तुल्य कष्ट में पड़े हुए व्यक्ति को भी जीवन दान देने का सामर्थ्य इस मंत्र में है। मां भगवती का ध्यान करके लाल रंग के आसन पर बैठकर एक कटोरी पानी में देखते हुए अथवा रोगी की दवाई को निहारते हुए इस मंत्र की एक माला जाप करें।

फिर वह अभिमंत्रित जल या दवाई उस रोगी को खिला दें। मंत्र के प्रभाव से रोगी को दवाई लगनी शुरू हो जाएगी और जल्दी ही भला चंगा हो जाएगा।

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Beautiful wife | सुंदर पत्नी प्राप्ति के लिए मंत्र | Durga Saptshati

beautiful wife mantra

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पत्नीम् मनोरमाम् देहि, मनोवृत्तानुसारिणीम् ।

तारिणीम् दुर्गसंसारसागरस्य, कुलोद्भवाम् ।। (दुर्गा सप्तशती)

आजकल बहुत से युवाओं की शादी में ग्रह चाल के कारण से अनेक विघ्न आते रहते हैं।  इन विघ्नों को दूर करने के लिए और मनचाही पत्नी की प्राप्ति के लिए, दुर्गा जी का यह मंत्र कल्प वृक्ष के समान है।

इस मंत्र के अनुष्ठान से सुंदर, सुलोचना, गुणों से युक्त व घर को बसाने वाली पत्नी की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के अकाट्य प्रभाव से अनेक लोगों का घर बसा है। आप भी बसा सकते हैं।

परंतु इस मंत्र का प्रयोग विवाह से पहले ही करें बाद में नहीं। गृहस्थ जीवन में आए विघ्न को दूर करने के लिए अथवा आपसी मनमुटाव दूर करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग ना करें।

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दरिद्रता और दुखों के नाश के लिए मंत्र | Durga Saptshati Mantra

Durga Saptshatii

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दरिद्रता और दुखों के नाश के लिए मंत्र

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो,

स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि ।

दारिद्र्य दुख भय हारिणी का त्वदन्या,

सर्वोपकार करणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ।। (दुर्गा सप्तशती)

हर कार्य में विघ्न पड़ जाते हों ?

अथक मेहनत के बावजूद भी मात्र गुजारा ही चलता हो ?

जिस किसी व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता पीछा न छोड़ती हो ?

उस व्यक्ति के लिए यह मंत्र ब्रह्मास्त्र के समान है। पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस मंत्र की एक माला का जाप प्रतिदिन करना चाहिए। इस मंत्र के जाप के प्रभाव से मेहनत का फल मिलना आरंभ हो जायेगा, दरिद्रता से पीछा छूटेगा और तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे।

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सुख समृद्धि व कल्याण प्रदायक मंत्र | Mantra for Goodluck

Durga saptshati

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सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके ।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी, नारायणि नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

मां जगदंबा का यह मंत्र बहुत आलोकिक है। मां का हर भक्त इस मंत्र को अवश्य जानता होगा ? यह मंत्र दिखने में भले ही साधारण लगे, पर इसके जाप से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। घर में सुख-समृद्धि व मंगल ही मंगल होता है।

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