दुश्मन विनाश के लिए मंत्र | Destroy Enemy Mantra | Durga mantra

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एक समय की बात है ब्रह्मा आदि देवताओं ने पुष्पों तथा अनेक उपचारों से महेश्वरी भगवती दुर्गा जी का पूजन किया। इससे प्रसन्न होकर दुष्टों का नाश करने वाली दुर्गा जी ने कहा –

‘हे ! देवताओं,  मैं तुम्हारे पूजन से संतुष्ट हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो, मांग लो,  मैं तुम्हें दुर्लभ से दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूंगी।

दुर्गा जी का यह वचन सुनकर देवता बोले हे ! देवी, हमारे जितने भी शत्रु थे, उन सबको आप ने मार डाला। यह जो एक से एक महान बलशाली जैसे महिसासुर, चंड – मुंड, धूम्र विलोचन, रक्तबीज, शुंभ – निशुंभ आदि सब राक्षसों को आपने मार डाला, इससे संपूर्ण जगत निर्भय हो गया है। सबके भीतर का डर खत्म हो गया है।

आपकी ही कृपा से हमें दोबारा अपने – अपने पद की प्राप्ति हुई है। आप भक्तों के लिए कल्प वृक्ष के समान हैं। हे ! माता’ हम आप की शरण में आए हैं, अतः अब हमारे मन में कुछ भी पाने की इच्छा बाकी नहीं है।

आपने हमें बिना मांगे ही सब कुछ दे दिया है। हमारे मन में इस समूचे जगत की रक्षा के लिए एक प्रश्न हैं। वह प्रश्न हम आप से पूछना चाहते हैं।

हे ! भद्रकाली’ कौन सा ऐसा उपाय है ? जिससे जल्दी प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए प्राणी की तुरंत रक्षा करती हैं। हे ! देवेश्वरी’ यह बात यदि सर्वथा गोपनीय हो तो भी आप हम पर कृपा करके हमें अवश्य बताएं।

देवताओं के इस प्रकार प्रार्थना करने पर दयामयी दुर्गा देवी ने कहा-

‘हे ! देवगण’ सुनो जो रहस्य मैं आप लोगों को बता रही हूं, यह रहस्य संपूर्ण जगत में अत्यंत दुर्लभ और गोपनीय है। जो व्यक्ति संकट में पड़ा होने पर, मेरे बत्तीस नामों की माला का जाप करता है, उसके ऊपर आई हुई आपत्ति और विपत्ति का तुरंत नाश हो जाता है।

हे ! देवताओं, तीनों लोकों में इन बत्तीस नामों की स्तुति के समान कोई दूसरी स्तुति नहीं है। यह स्तुति बहुत ही रहस्यमयी है, फिर भी तुम पर कृपा करते हुए मैं इसे बतलाती हूं, ध्यान से सुनो –

1   दुर्गा                                             2  दुर्गार्तिशमनी                                            3  दुर्गापद्विनिवारिणी

4   दुर्गमच्छेदिनी                              5   दुर्गसाधिनी                                               6  दुर्गनाशिनी

7   दुर्गतो धारिणी                             8  दुर्गनिहन्त्री                                                9   दुर्गमापहा

10  दुर्गमज्ञानदा                               11  दुर्ग दत्य लोक दवानला                             12  दुर्गमा

13  दुर्गमालोका                               14  दुर्गम आत्म स्वरूपिणी                            15  दुर्गमार्गप्रदा

16  दुर्गमविद्या                                  17   दुर्गमाश्रिता                                            18  दुर्गम ज्ञान संस्थाना

19  दुर्गम ध्यान भासिनी                    20   दुर्गमोहा                                                21  दुर्गमगा

22  दुर्गमार्थस्वरूपिणी                     23   दुर्गमासुरसंहन्त्री                                   24  दुर्गमायुधधारिणी

25  दुर्गमांगी                                     26    दुर्गमता                                              27   दुर्गम्या

28   दुर्गमेश्वरी                                  29    दुर्गभीमा                                               30   दुर्गभामा

31   दुर्गभा                                        32    दुर्गदारिणी

हे ! देवताओं, जो मनुष्य मेरे इन बत्तीस नामों की नाम माला का पाठ करता है, वह निसंदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।

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बुद्धि व विशेष शक्ति प्राप्त करने का मंत्र | Mind & Power Gain Mantra

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सृष्टिस्थितिविनाशानाम् , शक्तिभूते सनातनि ।

गुणाश्रये गुणमये, नारायणि नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

जो व्यक्ति देवी की सिद्धि-साधना करके विशेष शक्ति प्राप्त करना चाहता है, उसे प्रतिदिन नियमपूर्वक इस मंत्र कि कम से कम एक माला का जाप करना चाहिए।

इस मंत्र जाप के प्रभाव से व्यक्ति में आलोकिक बुद्धि प्रकट होती है और व्यक्ति ज्ञान का भंडार हो जाता है। इस मंत्र का जाप पीले रंग के आसन पर बैठकर व माथे पर हल्दी का तिलक लगाकर करना चाहिए।

इस मंत्र के जाप से भोंदू से भोंदू बच्चे भी तेज दिमाग वाले बन गए हैं। यह मंत्र कई लोगों के द्वारा आजमाया हुआ है।

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मुक्ति प्राप्ति के लिए मंत्र | Durga Saptshati Mantra for Moksha

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सर्वस्य बुद्धिरूपेण, जनस्य ह्रदि संस्थिते ।

स्वर्गापवर्गदे देवी, नारायणि नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

इस जगत में मरना तो सभी का निश्चित है, परंतु मृत्यु के बाद जीवात्मा दुर्गति को प्राप्त ना हो, उसका पतन ना हो, इसके लिए यह मंत्र बड़ा चमत्कारी है। जो व्यक्ति इस संसार के सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-विजय आदि से द्वंदों से मुक्ति पाना चाहते हैं। परमात्मा की शरण में जाना चाहते हैं।

जिनके मन में मोक्ष प्राप्ति की तीव्र इच्छा है। उनके लिए श्री दुर्गा जी का यह मंत्र बहुत कल्याणकारी है। ऐसे भगवत प्रेमी मनुष्य को इस मंत्र का सदा जाप करना चाहिए।

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