Mangalwari|Bhomvati Amavasya| पितरों की तंत्र बाधा से मुक्ति

Tantra pret badha dosh

तंत्र बाधा के क्या है लक्षण ? भौमवती अमावस्या पर करें, पितरों की तंत्र बाधा से मुक्ति व सद्गति

ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि जिन पितरों के ऊपर तंत्र बाधा का प्रयोग किया गया होता है या जो पितर दुष्ट आत्माओं के साए में फंसे हुए होते हैं। वह अपने घर परिवार के लोगों पर किस प्रकार का प्रभाव डालते हैं ? उसके क्या लक्षण होते हैं ? इस प्रकार की तंत्र बाधा तथा अज्ञात शक्ति बाधा से अपने पितरों को किस मुहूर्त में मुक्त कराया जाता है ? ऐसा दिव्य योग जल्दी ही आने वाला है। आइए जानते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी।


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एक अचूक उपाय मिलेगी हनुमान जी की कृपा व सिद्धि | Lord Hanuman

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ओम नमः शिवाय,

सज्जनों जेष्ठ मास आरंभ हो चुका है। इस मास में बहुत ही शुभ बड़े मंगल का योग बन रहा है। सज्जनों इस महीने में बहुत सारे योगों का समावेश और तालमेल बन रहा है। सबसे पहला योग कि यह जेष्ठ मास अधिक मास है। यानी मलमास है। मलमास में पूजा, भक्ति, निष्काम सेवा, मंत्र जाप, उपवास, धर्म ग्रंथों का पठन-पाठन बड़ा ही पुण्य फलदाई माना जाता है। दूसरा बड़ा योग है कि यह जेष्ठ मास मंगलवार से आरंभ हो रहा है। मलमास होने के कारण से जेष्ठ महीने की तिथियां बढ़ गई हैं और पूरे जेष्ठ मास के अंदर 9 मंगलवार आएंगे। अंक शास्त्र के अनुसार 9 अंक मंगल का होता है। 9 अंक पूर्णांक भी माना जाता है यानी 9 नंबर से अधिक कोई संख्या नहीं होती। तीसरा योग है मंगलवारी अमावस्या। जी हां, 15 मई 2018 को मंगलवारी अमावस्या भी पड़ रही है। चौथा बहुत बड़ा योग है कि मंगलवारी अमावस्या पर शनि जयंती यानी शनि देव जी का जन्मदिन भी आ रहा है। इस प्रकार से यह जेष्ठ मास अपने आप में बहुत शुभ फलदाई है। पुण्य फल प्रदायक है। लोगों के कष्टों का निवारण होगा। आइए जानते हैं कि इन 9 मंगलवारों में क्या उपाय करने से हनुमान जी की साधना सिद्धि व उनकी कृपा की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं, आज के इस वीडियो में।


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कितनी आयु के बालक की पितृ क्रिया करनी चाहिए ? Antim kriya karm

Pitra Dosha Puja

मृत्यु के बाद  कितनी आयु के बालक की पितृ क्रिया करनी चाहिए ?

ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि यदि किसी बालक की छोटी आयु में मृत्यु हो जाती है तो कितनी आयु में मृत्यु हो जाने के बाद पितृ क्रिया करनी चाहिए यह उम्र 5 साल के बाद है या 14 साल के बाद है या 18 साल की आयु के बाद पितृ क्रिया करनी चाहिए। आइए जानते हैं आज के इस वीडियो में।


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क्या सूखते पेड़ पौधे निशानी है किसी अनहोनी की ?Inauspicious Signs

inauspicious signs

क्यों सूखते हैं पेड़ पौधे ? क्या यह निशानी है किसी अनहोनी की ?

Why do tree plants dry up? Is this a sign of something untoward?

ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि हमारे द्वारा घर में लगाए गए पेड़ पौधे क्यों सूख जाते हैं ? फूल तथा फलों के पौधे तो सूखते ही हैं साथ ही साथ जितने भी शुभ पेड़-पौधे माने जाते हैं। जैसे तुलसी, केला, पीपल, आंवला आदि भी सूख जाते हैं। इसका कारण क्या है ? ऐसा किस चीज का प्रभाव होता है कि हमारे घर के सभी पेड़ पौधे सूख जाते हैं ? ऐसा होना किस बात की निशानी है ? क्या यह हमारे घर पर आ रहे किसी संकट के बारे में सूचना देता है या आने वाली दुख-दरिद्रता के बारे में बताता है आइए जानते हैं, आज के इस वीडियो में।


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कैसे करें पितरों को तांत्रिक प्रभाव से मुक्त ? Pitra Dosha Nivaran

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ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि किस प्रकार दुष्ट तांत्रिक किन शक्तियों के द्वारा पितरों को बांध देते हैं ? इस बंधन के कारण से ना तो हमारे द्वारा किए गए जप- तप, पूजा-पाठ, वस्त्रदान, हवन, तर्पण, मार्जन आदि का पुण्य फल पितरों तक पहुंच पाता है और ना ही पितरों के द्वारा दिया जाने वाला आशीर्वाद हम तक पहुंच पाता है। ऐसा क्या कारण है कि हमारे और पितरों के बीच एक काली छाया पड़ जाती है ? जिस कारण से पितर भी अतृप्त और अप्रसन्न रहते हैं और हम भी परेशान तथा हारे हुए जैसा जीवन जीते हैं। यदि किसी के पितर बंधन में पड़े हुए होते हैं तो उस घर, परिवार तथा व्यक्ति के ऊपर क्या अशुभ प्रभाव पड़ता है ? दुष्ट तथा शैतानी तांत्रिक शक्तियों को किन उपायों के माध्यम से हम दूर कर सकते हैं तथा अपने पितरों को तंत्र विद्या के प्रभाव से कैसे मुक्त कर सकते हैं ? आइए जानते हैं।


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क्यों नहीं मिलती मंत्र सिद्धि ? Mantra Jap And Mantra Siddhi

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ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि मंत्र क्या है ? मंत्र जाप करने से क्या फल मिलता है ? जाप किसे कहते हैं ? किन मंत्रों के जाप को किस प्रकार करना चाहिए ? मंत्र शक्ति कैसे काम करती है ? हमारे द्वारा ऐसी कौन सी गलतियां होती हैं जिससे मंत्र की सिद्धि नहीं हो पाती ? आज के इस वीडियो में इन सब विषयों के बारे में आपको जानकारी जा रही है।

 


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– By Pt. Sunil Vats 

वास्तु के उपाय कितने सच और कितने झूठ ? Vastu Dosh Upay ?

vastu dosha

 

ओम नमः शिवाय सज्जनों आज के इस वीडियो में हम बताएंगे कि आजकल हर कोई अपने घर, मकान, दुकान, फैक्ट्री के वास्तु को संवारना चाहता है। उससे संबंधित दोषों को दूर करना चाहता है। जब हम किसी एस्ट्रोलॉजर अथवा वास्तु विशेषज्ञ के पास जाते हैं तो हमें अनेक प्रकार के उपाय और प्रोडक्ट्स लेने के लिए कहा जाता है। इसमें रेमेडियल वास्तु शास्त्र भी है, बिना तोड़ फोड़ के वास्तु को ठीक करने से संबंधित। आज के समय में हमारी मार्केट चाइनीस आइटम्स से भरी पड़ी है और हर कोई हमें फेंग सुई से संबंधित अथवा बहुत सारे अन्य प्रोडक्ट्स लेने के लिए सजेस्ट करते हैं। क्या हमें वह प्रोडक्ट लेने चाहिए ? क्या हमारे शास्त्रों में वास्तु दोष निवारण करने के लिए उपाय बताए गए हैं ? जो सबसे सटीक तथा अच्छे हैं। आइए जानते हैं, आज के इस वीडियो में इन सब विषयों के बारे में आपको जानकारी जा रही है।


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किस रंग के आसन पर बैठकर कौन सा करें जाप?Mantra Jap & Aasan

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किस रंग के आसन पर बैठकर कौन सा करें मन्त्र जाप ? Mantra Jap & Aasan

ओम नमः शिवाय सज्जनों आसन अलग अलग रंग के होते हैं। किस रंग के आसन पर बैठकर किस मंत्र का जाप करना शास्त्रों में बताया गया है ? इस वीडियो में आज की इस वीडियो में हम यह सब जानेंगे। इसका क्या फल मिलता है और इसकी क्या विधि है ? इन सब विषयों के बारे में आपको जानकारी जा रही है।


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गायत्री श्राप विमोचन कैसे करें ? Gayatri Shaap Vimochan

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॥ गायत्री-शापविमोचन ॥

विशेष सूचना – ब्रह्मा, वसिष्ठ, विश्वामित्र और शुक्राचार्य आदि चार ऋषियों के द्वारा गायत्री-मन्त्र शापित है। अतः गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शाप विमोचन जरूर करना चाहिए। तभी गायत्री मंत्र जाप करने का पूरा पूण्य फल प्राप्त होता है। एक बार शाप विमोचन करने के बाद जब तक आपका जाप अनवरत रूप से चलता रहता है, तब तक प्रत्येक दिन श्राप विमोचन की कोई जरूरत नहीं है।

केवल जब किसी कारणवश जैसे घर-परिवार में सूतक अथवा पातक लगने अथवा किसी दिन आपने जाप नहीं किया और कुछ दिनों के बाद दोबारा जाप आरम्भ करेंगे केवल तब दोबारा शाप-निवृत्ति के लिये शाप-विमोचन करना चाहिए।

इसी प्रकार दुर्गा जी के भी सभी मंत्र शापित है। उन्हें भी तीन ऋषियों के द्वारा श्राप दिया गया है। अतः बिना श्राप विमोचन किए व्यक्ति को दुर्गा और गायत्री पाठ का पूरा पूण्य फल नहीं मिल पाता। अतः इन दोनों देवियों के मंत्रो का जाप, पाठ अथवा अनुष्ठान करने से पहले सभी साधकों को श्राप विमोचन अवश्य कर लेना चाहिए।

1). श्री ब्रह्मा शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्रीब्रह्मा शाप विमोचन मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिर्भुक्तिमुक्ति प्रदा
ब्रह्माशापविमोचनी गायत्री शक्तिर्देवता गायत्री छन्दः ब्रह्मा शााप विमोचने
विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

ॐ गायत्री ब्रह्मोत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्माविदो विदुः।
तां पश्यन्ति धीराः सुमनसो वाचमग्रतः।।
ॐ वेदान्तनाथाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्।
ॐ देवि ! गायत्रि! त्वं ब्रह्माशापाद्विमुक्ता भव।

2).  श्री वसिष्ठ शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्रीवसिष्ठ-शापविमोचनमन्त्रस्य निग्रहानुग्रहकर्ता वसिष्ठ
ऋषिर्वसिष्ठानुगृहीता गायत्री शक्तिर्देवता विश्वोद्भवा गायत्री छन्दः
वसिष्ठशापविमोचनार्थं जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी पानी में भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

ॐ सोऽहमंक्रमयं ज्योतिरात्मत्योतिरहं शिवः।
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतीरसोऽस्म्त्यह्म।।
योनिमुद्रा दिखाकर तीन बार गायत्री मंत्र जपे।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं वसिष्ठशापाद्विमुक्ता भव।

3). श्री विश्वामित्र शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्री विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य नूतन सृष्टिकर्ता विश्वामित्र
ऋषिर्विश्वा-मित्रानुगृहीता गायत्री शक्तिर्देवता वाग्देहा गायत्री छन्दः विश्वामित्र
शाप विमोचननार्थं जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

ॐ गायत्री भजाम्यग्निमुखीं विश्वगर्भां यदद्भुवाः।
देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टिं तां कल्याणीमिष्टकरीं प्रपद्ये।।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव।

4 श्री शुक्राचार्य शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्री शुक्रशाप-विमोचनमन्त्र श्री शुक्र ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः देवी गायत्री
देवता शुक्र शाप विमोचनार्थं जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

सोऽहमंक्रमयं ज्योतिक्रज्योतिरहं शिवः।
आत्मज्योतिरहं शुक्र्रः सर्वज्योतीरसोऽस्म्यहम्।।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं शुक्रशापाद्विमुक्ता भव।

प्रार्थना-

ॐ अहो देवि महादेवि संध्ये विद्ये सरस्वति!
अजरे अमरे चैव ब्रह्मयोनिर्नमोऽस्तु ते।।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं ब्रह्मशापाद्विमुक्ता भव, वसिष्ठशापाद्विमुक्ता भव,
विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव, शुक्रशापाद्विमुक्ता भव।

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दुर्गा श्राप विमोचन कैसे करें ? Durga Shaap Vimochan

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।। श्री दुर्गा शाप विमोचन ।।

विशेष सूचना:-  ब्रह्मा, वसिष्ठ, विश्वामित्र और शुक्राचार्य आदि चार ऋषियों के द्वारा गायत्री-मन्त्र शापित है। अतः गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शाप विमोचन जरूर करना चाहिए। तभी गायत्री मंत्र जाप करने का पूरा पूण्य फल प्राप्त होता है। एक बार शाप विमोचन करने के बाद जब तक आपका जाप अनवरत रूप से चलता रहता है,तब तक प्रत्येक दिन श्राप विमोचन की कोई जरूरत नहीं है।

केवल जब किसी कारणवश जैसे घर-परिवार में सूतक अथवा पातक लगने अथवा किसी दिन आपने जाप नहीं किया और कुछ दिनों के बाद दोबारा जाप आरम्भ करेंगे केवल तब दोबारा शाप-निवृत्ति के लिये शाप-विमोचन करना चाहिए।

इसी प्रकार दुर्गा जी के भी सभी मंत्र शापित है। उन्हें भी तीन ऋषियों के द्वारा श्राप दिया गया है। अतः बिना श्राप विमोचन किए व्यक्ति को दुर्गा और गायत्री पाठ का पूरा पूण्य फल नहीं मिल पाता। अतः इन दोनों देवियों के मंत्रो का जाप, पाठ अथवा अनुष्ठान करने से पहले सभी साधकों को श्राप विमोचन अवश्य कर लेना चाहिए।

ॐ अस्य श्रीचण्डिकाया ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य वसिष्ठ
नारद संवाद साम वेदा अधिपति ब्रह्माण ऋषयः सर्वैश्वर्य कारिणी श्रीदुर्गा देवता
चरित्र त्रयं बीजं ह्रीं शक्तिः त्रिगुणात्म् स्वरूप चण्डिका शाप विमुक्तौ मम
संकल्पित कार्य सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

ॐ ( ह्रीं ) रीं रेतः स्वरूपिण्यै मधुकैटभ मर्दिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १ ।।

ॐ श्रीं बुद्धि स्वरूपिण्यै महिषासुर सैन्य नाशिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। २ ।।

ॐ रं रक्त स्वरूपिण्यै महिषासुर मर्दिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ३ ।।

ॐ क्षुं क्षुधा स्वरूपिण्यै देववन्दितायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ४ ।।

ॐ छां छाया स्वरूपिण्यै दूत संवादिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ५ ।।

ॐ शं शक्ति स्वरूपिण्यै ध्रूमलोचन घातिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ६ ।।

ॐ तृं तृषा स्वरूपिण्यै चण्ड-मुण्ड वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ७ ।।

ॐ क्षां क्षान्ति स्वरूपिण्यै रक्तबीज वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ८ ।।

ॐ जां जाति स्वरूपिण्यै निशुम्भ वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ९ ।।

ॐ लं लज्जा स्वरूपिण्यै शुम्भ वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १0 ।।

ॐ शां शांति स्वरूपिण्यै देवस्तुत्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ११ ।।

ॐ श्रं श्रद्धा स्वरूपिण्यै सकल फलदात्र्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १२ ।।

ॐ कां कान्ति स्वरूपिण्यै राजवर प्रदायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १३ ।।

ॐ मां मातृ स्वरूपिण्यै अनर्गल महिम सहितायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १४।।

ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सं सवैश्वर्य कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १५ ।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्य कवच स्वरूपिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १६ ।।

ॐ क्रीं काल्यै कालि ह्रीं फट् स्वाहायै ऋग्वेद स्वरूपिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १७ ।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गादिव्यै नमः ।। १८ ।।

इत्येवं हि महामन्त्रान् पठित्वा परमेश्वर ।
चण्डीपाठं दिवा रात्रौ कुर्यादेव न संशयः ।। १९ ।।

एवं मन्त्रं न जानाति चण्डीपाठं करोति यः ।
आत्मानं चैव दातारं क्षीणं कुर्यान्न संशयः ।। २0 ।।

नोट :- जो दुर्गा साधक एक दिन में पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वह नवरात्रों में अथवा प्रतिदिन पहले दिन 1, दूसरे दिन 2, तीसरे दिन 1, चौथे दिन 4, पांचवें दिन 2, छठे दिन 1 और सातवें दिन 2 अध्यायों को क्रम से सात दिनों में पाठ पूरा करने का आदेश दिया गया है।

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