महात्मा रूचि कृत पितृस्तोत्र पाठ – Ruchi Kruta Pitru Stotram (Garuda Puran)

ruchi krut pitra dosha nivaran stotra

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पितृस्तोत्र – Pitrustotra

मार्कंडेय पुराण (९४/३ -१३ ) में वर्णित इस चमत्कारी पितृ स्तोत्र का नियमित पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते है।

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि:।।
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज:।।

।। इति पितृ स्त्रोत समाप्त ।।

 

पितृ स्तोत्र अर्थ

रूचि बोले – जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ। जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ। जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ। नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ। जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ। प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ। सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ। चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ। अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है। जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ। उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझ पर प्रसन्न हों।

मार्कण्डेयपुराण में महात्मा रूचि द्वारा की गयी पितरों की यह स्तुति ‘पितृस्तोत्र’ कहलाता है। पितरों की प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है।

पितृ स्तोत्र के अलावा श्राद्ध के समय “ पितृसूक्त” तथा “रक्षोघ्न सूक्त” का पाठ भी किया जा सकता है। इन पाठों की स्तुति से भी पितरों का आशीर्वाद सदैव व्यक्ति पर बना रहता है।

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Mangalwari|Bhomvati Amavasya| पितरों की तंत्र बाधा से मुक्ति

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तंत्र बाधा के क्या है लक्षण ? भौमवती अमावस्या पर करें, पितरों की तंत्र बाधा से मुक्ति व सद्गति

ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि जिन पितरों के ऊपर तंत्र बाधा का प्रयोग किया गया होता है या जो पितर दुष्ट आत्माओं के साए में फंसे हुए होते हैं। वह अपने घर परिवार के लोगों पर किस प्रकार का प्रभाव डालते हैं ? उसके क्या लक्षण होते हैं ? इस प्रकार की तंत्र बाधा तथा अज्ञात शक्ति बाधा से अपने पितरों को किस मुहूर्त में मुक्त कराया जाता है ? ऐसा दिव्य योग जल्दी ही आने वाला है। आइए जानते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी।

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कैसे करें पितरों को तांत्रिक प्रभाव से मुक्त ? Pitra Dosha Nivaran

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ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि किस प्रकार दुष्ट तांत्रिक किन शक्तियों के द्वारा पितरों को बांध देते हैं ? इस बंधन के कारण से ना तो हमारे द्वारा किए गए जप- तप, पूजा-पाठ, वस्त्रदान, हवन, तर्पण, मार्जन आदि का पुण्य फल पितरों तक पहुंच पाता है और ना ही पितरों के द्वारा दिया जाने वाला आशीर्वाद हम तक पहुंच पाता है। ऐसा क्या कारण है कि हमारे और पितरों के बीच एक काली छाया पड़ जाती है ? जिस कारण से पितर भी अतृप्त और अप्रसन्न रहते हैं और हम भी परेशान तथा हारे हुए जैसा जीवन जीते हैं। यदि किसी के पितर बंधन में पड़े हुए होते हैं तो उस घर, परिवार तथा व्यक्ति के ऊपर क्या अशुभ प्रभाव पड़ता है ? दुष्ट तथा शैतानी तांत्रिक शक्तियों को किन उपायों के माध्यम से हम दूर कर सकते हैं तथा अपने पितरों को तंत्र विद्या के प्रभाव से कैसे मुक्त कर सकते हैं ? आइए जानते हैं।


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