प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने का शुभ मुहूर्त्त |  Muhurat to Submit Application letter

Application Dene ka Muhurat

Application Dene ka Muhurat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

प्रार्थनापत्र (अर्जी ) देने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Day (Tithi) For Submitting an Application Form :- 

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए 4, 9, 14 तिथियां शुभ है।

 प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Submitting an Application Form :-

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए मंगलवार, शनिवार  शुभ है।

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Submitting an Application Form  :-

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए कृतिका, आर्द्रा, भरणी, अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठ, मूल, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद  नक्षत्र हों, भद्रा होेवे तो अत्युत्तम है।

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Submit Application Letter Shubh Muhurat
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Other Keywords:- 

प्रार्थना पत्र देने का मुहूर्त्त | अर्जी देने का मुहूर्त्त  |

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Ravi Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | रवि पुष्य अमृत योग

Ravi Pushya
Ravi Pushya जब रविवार (Sunday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) बनता है। रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं। इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog)और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं। इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

रविपुष्य योग सन् : 2024-25

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
09 जून रात्रि 08:21 से 10 जून सूर्योदय तक
07 जुलाई   सूर्योदय से 08 जुलाई   सूर्योदय तक
04 अगस्त सूर्योदय से 04 अगस्त   दोपहर 01:26 तक

Guru Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | गुरु पुष्य अमृत योग

Guru Pushya

Guru Pushya

गुरुवार (Thursday) के दिन शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से संबंधित कार्य करना बहोत ही शुभ एवं मंगलमय होता है। जब गुरुवार (Thursday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) बनता है।

गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog ) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं।

इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी (Devi Lauxmi) जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।

इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

गुरुपुष्य योग सन् 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
26 सितंबर  रात्रि 11:34 से27 सितंबरसूर्योदय तक
24 अक्टूबर  सूर्योदय से25 अक्टूबरसूर्योदय तक
21 नवंबरसूर्योदय से21 नवंबरदोपहर 03:35 तक

गर्भाधान संस्कार शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurat for Garbhadhan First Conception

Garbhadhan Sanskar Muhurat

Garbhadhan Sanskar Muhurat

संतान प्राति के लिए कब सम्भोग करे ?

  • रजोदर्शन के बाद 16 रात्रियों तक, प्रथम 4 रात्रियों को छोड़कर शेष 12 रात्रियों में स्त्री संगम यानि समागम करे।
  • पुरुष अपने चंद्र बल में खुश होकर नवांगना से प्रथम समागम करे।
  • रिक्ता अमावस रहित तिथि में, शुभवार, रात्रि के प्रथम पहर को छोड़कर शुभ समय में चित्त को प्रसन्न कर, प्रथम दिन स्त्री संगम करें।
  • विषम रात्रि में संभोग करने से गर्भ ठहरने पर कन्या, सम रात्रियों में पुत्र का जन्म होता है।

गर्भाधान संस्कार का मुहूर्त्त | Garbhadhan Sanskar Muhurat

गर्भाधान के लिए शुभ तिथि | Best Day (Tithi) For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 तिथियां शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए सोम,बुध,गुरु एवं शुक्रवार शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए रोहिणी,मृगशिरा, अनुराधा, उत्तरा तीनों, हस्त, स्वाति, श्रावण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ समय | Auspicious Timing For Conceiving:-

  • जब लग्न और 4, 5, 7, 9, 10 स्थानों में शुभ ग्रह हो
  • 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह हो
  • सूर्य, मंगल या गुरु लग्न को देखते हो
  • विषम राशि के नवांश में चंद्रमा हो

पुरुष का स्त्री के प्रति कर्तव्य- स्त्री का अपमान या तिरस्कार न करें, आदर सत्कार करें।

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Garbhadhan Shubh Muhurat
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द्विरागमन (गौना) शुभ मुहूर्त | Auspicious Timings Dwiragaman (Gauna) Muhurat

Gaun Shubh Muhurat

Gaun Shubh Muhurat

द्विरागमन (गौना | Dwiragaman) मुहूर्त विचार:-

पिता के घर से दूसरी बार पति के घर जाने को द्विरागमन (Dwiragaman) कहते हैं। यदि यह शुभ मुहूर्त में किया जाए तो पिता पक्ष और पति पक्ष दोनों के लिए शुभ रहता है।

द्विरागमन (गौना | Dwiragaman) करने का शुभ मुहूर्त :-

विवाह से एक वर्ष के भीतर अथवा तीसरे या पांचवें वर्ष में द्विरागमन (Dwiragaman) होना चाहिए।

द्विरागमन (Dwiragaman) के समय सूर्य वृश्चिक, कुंभ अथवा मेष राशि में और बृहस्पति शुद्ध होना चाहिए।

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ वार:-

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार शुभ होते हैं।

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ लग्न :-

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए 2, 3, 6, 7 या 12वीं राशि के लग्न शुभ होते हैं।

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ नक्षत्र:-

द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद , रोहिणी, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मूल, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र शुभ हैं।

द्विरागमन-मुहूर्त्त सन् 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्
16 अप्रैलरात्रि 12:48 से प्रातः 03:05 तक,
प्रातः 03:05 के बाद
18 नवंबरसुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, केतुयुति परिहार
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक, अभिजित्
28 नवंबरसूर्योदय से सुबह 07:36 तक
02 दिसंबरशाम 06:00 के बाद
05 दिसंबरदोपहर 12:49 से शाम 05:26 तक, मृत्युबाण परिहार,
शाम 05:26 से रात्रि 08:07 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:42 तक, 
दोपहर 02:18 से शाम 05:18 तक, 
शाम 05:18 के बाद
11 दिसंबरसुबह 11:47 से दोपहर 02:26 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:52 तक
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
20 फरवरीदोपहर 03:10 बाद
21 फरवरीसुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
28 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 01:40 तक
03 मार्चशाम 06:02 से प्रातः 04:29 तक
05 मार्चरात्रि 01:08 के बाद
06 मार्चसुबह 10:51 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार
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Dwiragaman (Gauna) Shubh Muhurat
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नववधू प्रवेश शुभ मुहूर्त | Nav Vadhu Griha Pravesh Shubh Muhurat

Navvdhu Parvesh

Navvdhu Parvesh

नववधू प्रवेश शुभ मुहूर्त | Vadhu Pravesh ka Shubh muhurt

गृह प्रवेश – नई वधूका पहली बार अपने पति के घर में प्रवेश:-

विवाह के पश्चात जब नववधू पति के घर पहली बार आती है उसे नववधू प्रवेश (Vadhu Pravesh) कहा जाता है। वधू घर की लक्ष्मी होती है। अतः प्रथम बार घर में वधू का प्रवेश यदि शुभ मुहूर्त में हो तो यह घर के लिए बहुत शुभ होता है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान नववधू के प्रवेश मुहूर्त के लिए कुछ विशेष जानकारी देता है ।

वधूप्रवेशो न दिवा-प्रशस्तः राजप्रवेशो न निशि-प्रशस्तः।
दिवा च रात्रौ च गृहप्रवेशः सत्कीर्तिदः स्यात्त्रिविधः प्रवेशः॥

दिन में वधू प्रवेश शुभ नहीं होता, यात्रा के अंत में जो राजा द्वारा गृह प्रवेश होता है वह रात्रि में शुभ नहीं है। सामान्य रूप से जो ग्रह प्रवेश होता है वह दिन और रात दोनों में शुभ होता है।

ज्‍योतिष : कब हो नववधू का गृह प्रवेश:

  • नववधू प्रवेश विवाह के 16 दिन के भीतर सम (2, 4, 6, 8, 10, 12 अथवा 14) दिनों में अथवा 5वें, 7वें, 9वें दिन में शुभ रहता है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के एक मास तक विषम (1, 3, 5, 7, 9, 11 आदि) दिनों में शुभ रहता है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के एक वर्ष के भीतर विषम मास में शुभ रहता है।
  • एक वर्ष के उपरांत 3 रे, 5 वें वर्ष में भी स्थिर लग्न में वधू प्रवेश शुभ है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के 5 वर्ष के उपरांत जब चाहे तब शुभ मुहूर्त्त में हो सकता है।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र | Shubh Nakshatra For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए रेवति, अश्वनी, रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण, धनिष्ठा, हस्त, चित्रा, स्वाति, मघा, मूल, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुष्य, अनुराधा नक्षत्र शुभ होते हैं।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ वार | | Shubh Vaar For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए चंद्र, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि वार शुभ होते हैं।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ तिथि | | Shubh Tithi For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, 15 तिथियां शुभ है।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ लग्न | | Shubh Lagna For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए 5, 8, 11 लग्न में चतुर्थाष्टम शुद्ध हों तो वधू प्रवेश शुभ है।

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Nav Vadhu Griha Pravesh Shubh Muhurat
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श्री गणेश मूर्ति प्रतिष्ठा मुहूर्त | Ganpati Bappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Ganpati

Lord Ganpati

श्री गणेश मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त 

Ganpati Bappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

“हे हाथी के जैसे विशालकाय गणेश, जिनका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है, सदा मेरे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें”।

गणेश जी की तिथि कृष्ण चतुर्थी है। भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त है।

श्री गणेश प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्, 
11 जुलाईदोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
24 जुलाईसुबह 07:26 से सुबह 09:46 तक,
दोपहर 12:03 से दोपहर 02:25 तक
19 नवंबरसुबह 09:01 से दोपहर 12:47 तक, अभिजित्
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
17 जनवरीपूरा दिन (संकष्ट चतुर्थी)
19 जनवरीसुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक,
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
22 जनवरीपूरा दिन
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक,
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
31 जनवरीपूरा दिन
07 फरवरीपूरा दिन
10 फरवरीसुबह 07:19 से सुबह 08:44 तक,
सुबह 10:07 से सुबह 11:39 तक, अभिजित्, भौमयुति परिहार
15 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:52 तक, केतुयुति परिहार 
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक 
21 फरवरीपूरा दिन
23 फरवरीसुबह 09:16 से दोपहर 12:43 तक, अभिजित्
26 फरवरीसूर्योदय से सुबह 11:09 तक
06 मार्चसूर्योदय से सुबह 10:59 तक
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Ganpati Bappa Sthapana Shubh Muhurat
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Lord Ganesha Pratishta muhurat | Ganpati pratishtha muhurat | Auspicious Time for ganpati sthapana | Ganpati Sthapana Shubh Muhurat | मंदिर में श्रीगणेश मूर्ति स्थापना मुहूर्त | गणपती स्थापना पूजा | देवप्रतिष्‍ठा मुहूर्त | प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat April 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat May 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat June 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat July 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat August 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat September 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat October 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat November 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat December 2024 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat January 2025 | Ganpati Bappa pran patishtha muhurat February 2025| Ganpati Bappa pran patishtha muhurat March 2025

श्री दुर्गा मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Maa Durga ji Murti Sthapana Shubh Muhurat

Devi Durga

Devi Durga

श्री दुर्गा देवी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त

Maa Durga ji Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

गौरीजीकी तिथि शुक्ल तृतीया है। दुर्गाजी की तिथि शुक्ल नवमी और नक्षत्र मूल ।

श्री दुर्गा देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्
17 अप्रैलपूरा दिन
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
14 जुलाईसुबह 08:05 से सुबह 10:25 तक, अभिजित्
17 जुलाईसुबह 07:56 से सुबह 10:13 तक 
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक,
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित्
29 जुलाईसुबह 10:55 के बाद
31 जुलाईसुबह 06:58 से सुबह 09:18 तक,
सुबह 11:36 से दोपहर 02:14 तक, रोहिण्यां भौमयुति परिहार
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक
11 अगस्तसुबह 10:12 तक, सुबह 10:12 के बाद क्रान्तिसाम्य दोष
12 अगस्तसूर्योदय से सुबह 08:33 तक, भद्रा परिहार
14 अगस्तसूर्योदय से शाम 04:06 तक
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, भद्रा परिहार
26 अगस्तसुबह 09:54 से दोपहर 02:35 तक, अभिजित्
28 अगस्तसुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक, भौमयुति परिहार
08 सितंबरसुबह 09:02 से दोपहर 01:44 तक, अभिजित्
11 सितंबरसुबह 08:51 से दोपहर 01:32 तक, भद्रा परिहार
12 सितंबरसुबह 08:47 से दोपहर 01:28 तक, अभिजित्
07 अक्टूबरसुबह 09:30 से सुबह 11:50 तक, अभिजित्
12 अक्टूबरसुबह 06:59 से सुबह 11:30 तक अभिजित्
21 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 11:11 तक,
सुबह 11:11 से दोपहर 02:11 तक परिघ-दोष
24 अक्टूबरसुबह 08:23 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्
25 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 07:40 तक
03 नवंबरसुबह 07:44 से दोपहर 12:09 तक अभिजित्
04 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:04 तक
06 नवंबरसुबह 07:32 से सुबह 11:57 तक 
09 नवंबरसुबह 07:20 से सुबह 11:45 तक  अभिजित्, (भद्रा परिहार)
17 नवंबरसुबह 09:09 से सुबह 11:13 तक, अभिजित्, (मृत्यु परिहार)
18 नवंबरसुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित् (भद्रा परिहार)
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:43 तक
13 दिसंबरसुबह 07:27 से सुबह 11:12 तक, अभिजित्
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
22 जनवरीसुबह 08:34 से सुबह 09:59 तक,
सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक,
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
25 जनवरीसुबह 08:22 से सुबह 09:47 तक,
सुबह 11:10 से दोपहर 12:42 तक, अभिजित्
26 जनवरीसूर्योदय से सुबह 08:26 तक
06 फरवरीसुबह 07:49 के बाद
07 फरवरीसुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक,
सुबह 10:19 से सुबह 11:51 तक, अभिजित्
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
21 फरवरीसुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
22 फरवरीसुबह 09:20 से दोपहर 12:47 तक, अभिजित्
06 मार्चसूर्योदय से सुबह 11:09 तक, अभिजित्
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Maa Durga ji Sthapana Shubh Muhurat
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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भगवान शिव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Shiva Murti or Shivling Sthapana Muhurat

Lord Shiv

Lord Shiv

भगवान शिव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त

Lord Shiva Murti or Shivling Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए।देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

“ हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग (“मुक्त”) हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों । ”

भगवान शिव जी की तिथि कृष्ण चतुर्दशी और नक्षत्र आर्दा है।

भगवान शिव जी प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
14 अप्रैलसुबह 07:32 से सुबह 11:40 तक, अभिजित्
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्
16 अप्रैलसुबह 07:24 से सुबह 11:33 तक, अभिजित्
11 जुलाईसूर्योदय से दोपहर 01:04 तक
17 जुलाईसुबह 07:56 से सुबह 10:13 तक, भद्रा परिहार 
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक, 
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित्
23 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:11 तक, 
सुबह 11:11 से दोपहर 02:48 तक, शुक्र पादवेध विचार्य
24 जुलाईसुबह 07:26 से सुबह 09:46 तक, 
दोपहर 12:03 से दोपहर 02:25 तक
27 जुलाईसुबह 10:26 के बाद, 
सूर्योदय से सुबह 10:26 तक, भद्रा एवं मृत्युबाण परिहार
28 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:48 तक
30 जुलाईसुबह 10:23 के बाद, भौमयुति परिहार
31 जुलाईसुबह 06:58 से सुबह 09:18 तक, 
सुबह 11:36 से दोपहर 02:14 तक, रोहिण्यां भौमयुति परिहार
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक,
सुबह 10:24 के बाद,
02 अगस्तसुबह 06:50 से सुबह 09:10 तक,
सुबह 11:28 से दोपहर 01:59 तक,
(सुबह 11:45 से दोपहर 03:21 तक वज्र दोष)
03 अगस्तसुबह 06:46 से सुबह 09:06 तक, 
सुबह 11:24 से सुबह 01:46 तक, अभिजित्
07 अगस्त सुबह 06:31 से सुबह 08:51 तक, 
सुबह 11:08 से दोपहर 01:30 तक
11 अगस्त सूर्योदय से सुबह 10:12 तक
12 अगस्तसूर्योदय से सुबह 08:33 तक
18 अगस्तसुबह 10:15 के बाद
17 नवंबरसुबह 09:09 से दोपहर 12:03 तक, अभिजित्, मृत्यु-परिहार  
18 नवंबर सुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्, भद्रा-परिहार 
19 नवंबरसुबह 09:01 से दोपहर 12:47 तक, अभिजित्
20 नवंबर सुबह 08:56 से दोपहर 12:43 तक
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
03 दिसंबरसुबह 08:06 से सुबह 11:52 तक, अभिजित्
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:43 तक, 
सुबह 10:12 से दोपहर 02:19 तक, व्याघात दोष
07 दिसंबर सुबह 07:50 से सुबह 11:36 तक, अभिजित्
11 दिसंबरसुबह 11:48 से दोपहर 02:27 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:53 तक
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
18 जनवरीसुबह 08:50 से सुबह 10:15 तक, 
सुबह 11:37 से दोपहर 01:10 तक, अभिजित्
19 जनवरीसुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक, 
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
22 जनवरीसुबह 08:34 से सुबह 09:59 तक,
 सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक,
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
25 जनवरीसुबह 08:22 से सुबह 09:47 तक,
सुबह 11:10 से दोपहर 12:42 तक, अभिजित्
26 जनवरीसूर्योदय से सुबह 08:26 तक
28 जनवरीसुबह 08:58 के बाद
31 जनवरी सुबह 07:59 से सुबह 09:24 तक, 
सुबह 10:46 से दोपहर 12:29 तक, अभिजित् 
04 फरवरीसुबह 07:43 से सुबह 09:08 तक, 
सुबह 10:30 से दोपहर 12:03 तक, अभिजित्
07 फरवरीसुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक, 
सुबह 10:19 से सुबह 11:51 तक, अभिजित्
09 फरवरीसुबह 07:23 से सुबह 08:48 तक, 
सुबह 10:11 से सुबह 11:43 तक, अभिजित्
10 फरवरीसूर्योदय से सुबह 11:57 तक, भौमयुति परिहार
14 फरवरीसुबह 09:51 से दोपहर 01:28 तक, अभिजित्
18 फरवरीसुबह 07:36 के बाद
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
21 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 03:54 तक
26 फरवरीसुबह 08:51 के बाद, 
सूर्योदय से सुबह 08:51 तक, परिघ-दोष
27 फरवरीसूर्योदय से सुबह 08:55 तक, शिवयोग
03 मार्चसुबह 08:44 से दोपहर 12:11 तक, अभिजित्
06 मार्चसूर्योदय से सुबह 11:09 तक, अभिजित्
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Shiva Murti or Shivling Sthapana Shubh Muhurat
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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श्री राम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Rama Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Rama
Lord Rama

श्री राम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Rama Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम। श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः।। भगवान राम जी की तिथि शुक्ल नवमी को पड़ती है।

श्री राम प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैल सूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्, 
17 अप्रैल पूरा दिन (श्रीरामनवमी)
11 जुलाई दोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाई सुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरी सुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
19 जनवरी सुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक, 
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
22 जनवरी पूरा दिन
24 जनवरी सुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक, 
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
31 जनवरी पूरा दिन
07 फरवरी पूरा दिन
10 फरवरी सुबह 07:19 से सुबह 08:44 तक, 
सुबह 10:07 से सुबह 11:39 तक, अभिजित्, भौमयुति परिहार
15 फरवरी सूर्योदय से सुबह 10:52 तक, केतुयुति परिहार 
19 फरवरी सूर्योदय से सुबह 10:40 तक 
21 फरवरी पूरा दिन
23 फरवरी सुबह 09:16 से दोपहर 12:43 तक, अभिजित्
26 फरवरी सूर्योदय से सुबह 11:09 तक
06 मार्च सूर्योदय से सुबह 10:59 तक
Frame
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Lord Rama Murti Sthapana Shubh Muhurat 
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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