श्री भैरव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Bhairava Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Bhairava

Lord Bhairava

श्री भैरव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Bhairava Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

ॐ कालभैरवाय नम:। ॐ भयहरणं च भैरव:। ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।

भगवान भैरव जी की तिथि कृष्ण अष्टमी को पड़ती है।

श्री भैरव प्रतिष्ठा मुहूर्त- 2024

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
17 जुलाईसुबह 07:43 से सुबह 10:13 तक, 
दोपहर 12:31 से दोपहर 02:52 तक, भद्रा परिहार
21 जुलाईसुबह 07:37 से सुबह 09:57 तक, 
दोपहर 12:15 से दोपहर 02:37 तक,अभिजित्
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक, 
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित्
27 जुलाईसुबह 10:26 से दोपहर 01:00 तक, 
सूर्योदय से सुबह 11:22 तक, मृत्युबाण परिहार
28 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:48 तक
31 जुलाईसुबह 06:48 से सुबह 09:28 तक, 
सुबह 11:36 से दोपहर 01:57 तक,
सूर्योदय से दोपहर 02:00 तक, रोहिण्यां भौमयुति परिहार
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक
11 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:12 तक
12 अगस्तसूर्योदय से सुबह 08:33 तक
14 अगस्तसुबह 10:24 के बाद
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, भद्रा परिहार
24 अगस्तसुबह 10:01 से दोपहर 02:43 तक, अभिजित्
28 अगस्तसुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक, अभिजित्, भौमयुति परिहार
04 सितंबरसुबह 09:28 से दोपहर 02:00 तक
08 सितंबरसुबह 09:02 से दोपहर 01:44 तक, अभिजित्
11 सितंबरसुबह 08:49 से दोपहर 01:32 तक
14 सितंबरसुबह 08:39 से दोपहर 01:21 तक, अभिजित्
07 अक्टूबरसुबह 09:48 के बाद
11 अक्टूबरसुबह 06:56 से दोपहर 01:39 तक, अभिजित्
12 अक्टूबरसुबह 10:59 के बाद
18 अक्टूबरदोपहर 02:00 तक, मृत्युबाण परिहार
21 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 11:11 तक, 
सुबह 11:11 से दोपहर 02:11 तक, परिघ दोष
23 अक्टूबरसुबह 08:27 से दोपहर 12:52 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार, भौमयुति परिहार
24 अक्टूबरसुबह 08:23 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्
03 नवंबरसुबह 07:44 से दोपहर 12:09 तक, अभिजित्
04 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:04 तक
06 नवंबरसूर्योदय से सुबह 11:00 तक
08 नवंबरदोपहर 12:03 के बाद
09 नवंबरसुबह 07:20 से सुबह 11:45 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार
14 नवंबरसूर्योदय से सुबह 09:43 तक
17 नवंबरसुबह 09:09 से सुबह 11:13 तक, अभिजित्, मृत्यु परिहार
18 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:01 तक,  
सुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार, 
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक
21 नवंबरपूरा दिन (भौमयुति परिहार)
23 नवंबर  सूर्योदय से सुबह 11:41 तक, (श्री भैरवाष्टमी)
25 नवंबरसूर्योदय से सुबह 11:41 तक, केतुयुति परिहार
विशेष:- :सुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, अभिजित्, 
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
28 नवंबरसूर्योदय से सुबह 07:35 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:42 तक, 
सुबह 10:43 से दोपहर 02:19 तक, व्याघात दोष
07 दिसंबरसुबह 07:50 से सुबह 11:36 तक, अभिजित्
11 दिसंबरसुबह 11:48 से दोपहर 02:27 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:52 तक,
विशेष:- सुबह 07:31 से सुबह 11:16 तक, अभिजित्
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
22 जनवरीपूरा दिन
21 फरवरीपूरा दिन
Frame
Lord Bhairava
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Lord Bhairava Murti Sthapana Shubh Muhurat
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श्री परशुराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Parshuram Murti Sthapana Muhurat

Lord Parshuram

Lord Parshuram

 

श्री परशुराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Parshuram Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

‘ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।। ‘ ‘ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।। ‘

भगवान परशुराम जी की तिथि शुक्ल तृतीया है।

श्री परशुराम प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्, 
11 जुलाईदोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
19 जनवरीसुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक,
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
22 जनवरीपूरा दिन
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक, 
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
31 जनवरीपूरा दिन
07 फरवरीपूरा दिन
10 फरवरीसुबह 07:19 से सुबह 08:44 तक,
सुबह 10:07 से सुबह 11:39 तक, अभिजित्, भौमयुति परिहार
15 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:52 तक, केतुयुति परिहार 
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक 
21 फरवरीपूरा दिन
23 फरवरीसुबह 09:16 से दोपहर 12:43 तक, अभिजित्
26 फरवरीसूर्योदय से सुबह 11:09 तक
06 मार्चसूर्योदय से सुबह 10:59 तक
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Lord Parshuram
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Lord Parshuram Murti Sthapana Shubh Muhurat
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श्री गौरी देवी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Maa Gauri Murti Sthapana Shubh Muhurat

 

श्री गौरी देवी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Maa Gauri ji Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

गौरी जी की तिथि शुक्ल तृतीया है।

श्री गौरी देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
14 जुलाईसुबह 08:05 से सुबह 10:25 तक, अभिजित्
17 जुलाईसुबह 07:56 से सुबह 10:13 तक 
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक,
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित्
29 जुलाईसुबह 10:55 के बाद
31 जुलाईसुबह 06:58 से सुबह 09:18 तक,
सुबह 11:36 से दोपहर 02:14 तक, रोहिण्यां भौमयुति परिहार
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक
11 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:12 तक,
सुबह 10:12 के बाद क्रान्तिसाम्य दोष
12 अगस्तसूर्योदय से सुबह 08:33 तक, भद्रा परिहार
14 अगस्तसूर्योदय से शाम 04:06 तक
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, भद्रा परिहार
26 अगस्तसुबह 09:54 से दोपहर 02:35 तक, अभिजित्
28 अगस्तसुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक, भौमयुति परिहार
08 सितंबरसुबह 09:02 से दोपहर 01:44 तक, अभिजित्
11 सितंबरसुबह 08:51 से दोपहर 01:32 तक, भद्रा परिहार
12 सितंबरसुबह 08:47 से दोपहर 01:28 तक, अभिजित्
07 अक्टूबरसुबह 09:30 से सुबह 11:50 तक, अभिजित्
12 अक्टूबरसुबह 06:59 से सुबह 11:30 तक अभिजित्
21 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 11:11 तक,
सुबह 11:11 से दोपहर 02:11 तक, परिघ-दोष
24 अक्टूबरसुबह 08:23 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्
25 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 07:40 तक
03 नवंबरसुबह 07:44 से दोपहर 12:09 तक, अभिजित्
04 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:04 तक
06 नवंबरसुबह 07:32 से सुबह 11:57 तक 
09 नवंबरसुबह 07:20 से सुबह 11:45 तक  अभिजित्, भद्रा परिहार
17 नवंबरसुबह 09:09 से सुबह 11:13 तक, अभिजित्, मृत्यु परिहार
18 नवंबरसुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:43 तक
13 दिसंबरसुबह 07:27 से सुबह 11:12 तक, अभिजित्
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
22 जनवरीसुबह 08:34 से सुबह 09:59 तक,
सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक,
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा परिहार
25 जनवरीसुबह 08:22 से सुबह 09:47 तक,
सुबह 11:10 से दोपहर 12:42 तक, अभिजित्
26 जनवरीसूर्योदय से सुबह 08:26 तक
06 फरवरीसुबह 10:22 से सुबह 11:55 तक, अभिजित्
07 फरवरीसुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक,
सुबह 10:19 से सुबह 11:51 तक, अभिजित्
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
21 फरवरीसुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
22 फरवरीसुबह 09:20 से दोपहर 12:47 तक, अभिजित्
06 मार्चसूर्योदय से सुबह 11:09 तक, अभिजित्
Frame
Maa Gauri
Frame
Maa Gauri Murti Sthapana Shubh Muhurat
Frame

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विद्यारम्भ-मुहूर्त्त | Shubh Muhurat To Start New Subject (Higher Studies)

Vidyarambh

Vidyarambh

बच्चे को वर्णमाला का ज्ञान करवाने के लिए अक्षरारम्भ के और संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, रसायन आदि विषयों का अध्ययन प्रारम्भ करने के लिए विद्यारम्भ के मुहूर्तों का प्रयोग करना चाहिए।

विद्यारम्भ संस्कार-मृगात्कराच्छ्रुतेस्त्रयेऽश्विमूलपूर्विकात्रये।
गुरुद्वयेऽर्कजीववित्सितेऽह्नि षट्शरत्रिके॥
शिवार्कदिग्द्विके तिथौ ध्रवान्त्यमित्रभे परैः।
शुभैरधीतिरूत्तमा त्रिकोणकेन्द्रगैः स्मृता॥

अर्थ- मृगशिरा, हस्त और श्रवण से तीन- तीन नक्षत्र अर्थात् मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु, हस्त, चित्रा, स्वाती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, अश्विनी, मूल, तीनों पूर्वा, पुष्य से दो अर्थात् पुष्य आश्लेषा नक्षत्रों में, रवि, गुरु, बुध और शुक्र वासरों में, षष्ठी, पंचमी, तृतीया, एकादशी, द्वादशी, दशमी एवं द्वितीया तिथियों में शुभग्रहों के केंद्र व त्रिकोण 1, 4, 7, 10, 5, 9 भावों में स्थित रहने पर कुछ विद्वानों के मतानुसार ध्रुवसंज्ञक तीनों उत्तरा, रोहिणी, रेवती और अनुराधा नक्षत्रों में भी विद्याध्ययन का आरंभ करना शुभ होता है।

वर्णमाला गणितादि में बालक परिपक्व हो जाने पर भविष्यत् आजीविका प्रदात्री कोई विशेष या सर्वसामान्य विद्या का शुभारंभ करना चाहिये।

ज्योतिष गणितारंभ मुहूर्त्त | Starts Learning Jyotish Ganit Muhurat

वार- बुधवार एवं गुरुवार।

नक्षत्र- रोहिणी, आर्द्रा, हस्त, चित्रा, अनुराधा, शतभिषा, पू०भा० एवं रेवती।

व्याकरणारम्भ मुहूर्त | Starts Learning Grammar Muhurat

वार- बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार

नक्षत्र- अश्विनी, रोहिणी, मृगऋ पुन० ह० चि० स्वा० वि० अनु०।

न्यायशास्त्रारम्भ मुहूर्त्त | Starts Learning Nayay Shastra Muhurat

वार- बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार

नक्षत्र- अश्विनी, रो०, पुन०,पु०, तीनों उत्तरा, स्वाती, श्र० श०।

धर्मशास्त्रारम्भ मुहूर्त्त | Starts Learning Dharmshastra Muhurat

वार- बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार

नक्षत्र- अश्विनी, मृ० पु०, ह०, चि०, स्वा० अनु०, श्र० ध० श० रे०।

संगीतारम्भ मुहूर्त्त | Starts Learning Sangeet (Music) Muhurat

वार-चंद्रवार, बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार। वाद्यारंभ में रविवार भी

नक्षत्र- रोहिणी, मृ० पु० तीनों उत्तरा, हस्त्र, अनु० ज्ये० ध० शत० रे०।

वेदमंत्रारंभ मुहूर्त्त | Starts Learning Vedas Muhurat

मास- अश्विन

तिथि- 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 शु०

नक्षत्र- अश्विनी, मृ०, आ०, पुन०, श्ले, तीनों पूर्वा, ह० चि० स्वा० श्र० ध० श०।

चित्रकलारंभ मुहूर्त्त | Starts Learning Arts Muhurat

वार- चन्द्रवार, बुध, गुरु एवं शुक्रवार

नक्षत्र-अश्विनी, आ०, पुन०, ह०, चि०, स्वा० अनु०, श्र० रेवती।

 विद्यारम्भ-मुहूर्त्त -2024

प्रारंभ काल – तारीख

प्रारंभ काल – घं.मि.

समाप्ति काल – घं.मि.

14 अप्रैल 

सूर्योदय से

सुबह 11:44 तक

17 अप्रैल

दोपहर 03:14 से

सूर्यास्त तक

18 अप्रैल

सूर्योदय से

सुबह 07:56 तक

 

सन्- 2025

 

प्रारंभ काल – तारीख

प्रारंभ काल – घं.मि.

समाप्ति काल – घं.मि.

15 जनवरी

सूर्योदय से

सुबह 10:28 तक

15 जनवरी

सुबह 10:28 से

सूर्यास्त तक

16 जनवरी

सूर्योदय से

सुबह 11:16 तक

19 जनवरी 

सूर्योदय से

शाम 05:30 तक, केतुयुति परिहार

31 जनवरी

सूर्योदय से

दोपहर 03:32 तक

07 फरवरी

सूर्योदय से

शाम 04:16 तक

09 फरवरी

सूर्योदय से

सूर्यास्त तक

14 फरवरी  

सूर्योदय से

सूर्यास्त तक

19 फरवरी

सूर्योदय से

सुबह 07:32 तक

Frame
Vidhya Arambh
Frame
Vidhya Arambh Shubh Muhurat
Frame

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अक्षरारम्भ मुहूर्त्त | Shubh Muhurat to Start School For The First Time

Akshra Arambh

Akshra Arambh

अक्षरारम्भ-मुहूर्त्त | Akshra Arambh Muhurat

बच्चे को वर्णमाला का ज्ञान करवाने के लिए अक्षरारम्भ के और संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, रसायन आदि विषयों का अध्ययन प्रारम्भ करने के लिए विद्यारम्भ के मुहूर्तों का प्रयोग करना चाहिए।

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में एक विद्यारंभ संस्कार भी है। यह संस्कार बच्चे के 4 से 5 वर्ष के उम्र में किया जाता है। क्योंकि इस उम्र में बच्चे अच्छी तरह से बोलना और समझना सीख जाते हैं। इसलिए उन बच्चों का विद्यालय में नाम दाखिल किया जाता है। बच्चों का नाम विद्यालय में दाखिल करने लिए शुभ मुहूर्त का भी होना अति आवश्यक है। क्योंकि जो भी कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाता है। उसका परिणाम अति सुख प्राप्त होता है।

गणेश विष्णु वाग्रमाः प्रपूज्य पंचमाब्दके।
तिथौ शिवार्कदिकद्विषटशरत्रिके रवावुदक्॥
लघुश्रवोऽनिलान्त्यभादितीशतक्षमित्रभे।
चरोनसत्तनौ शिशोर्लिपिग्रहः सतां दिने॥

अर्थ- गणेश, विष्णु, सरस्वती और लक्ष्मी का विधिवत् पूजन कर पाँचवें वर्ष में, एकादशी, द्वादशी, दशमी, द्वितीया, षष्ठी, पंचमी एवं तृतीया तिथियों में सूर्य के उत्तरायण रहने पर लघुसंज्ञक (हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत् श्रवण, स्वाती, रेवती, पुनर्वसु, आर्द्रा, चित्रा तथा अनुराधा) नक्षत्रों में चर लग्नों (1, 4, 7, 10) को छोड़कर शुभग्रहों के लग्नों (2, 3, 4, 6, 7, 9, 12) में शुभग्रहों के (चंद्रवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार) वारों में बालकों को अक्षरारम्भ कराना चाहिये।

बालकों को पाँच वर्ष की अवस्था में सम्प्राप्त हो जाने पर अधोवर्णित विशुद्ध दिन को विघ्नविनायक, शारदा, लक्ष्मी नारायण, गुरु एवं कुल देवता की पूजा के साथ उसे लिखने पढ़ने का श्रीगणेश करवाना चाहिये।

विशेष- उपर्युक्त देवताओं के नाम से घृत हवन करे तथा ब्राह्मणों को दक्षिणादि देकर संतुष्ट करना चाहिये। बालक का चंद्र-बुध बल अपेक्षित है।

अक्षरारम्भ-मुहूर्त्त- 2025

प्रारंभ काल – तारीख

प्रारंभ काल – घं.मि.

समाप्ति काल – घं.मि.

19 फरवरी

सूर्योदय से

सुबह 07:32 तक

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Akshra Arambh
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Akshra Arambh Shubh Muhurat
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मुंडन (चूड़ाकर्म ) संस्कार शुभ मुहूर्त | Mundan Ceremony Vidhi Shubh Muhurat

Chudakarm Mundan Sanskar

Chudakarm Mundan Sanskar

सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में से आठवां संस्कार (चूड़ाकर्म/ मुंडन संस्कार)

सनातन संस्कृति में मनुष्य जीवन के कुल सोलह संस्कार होते हैं, जिनमें से मुंडन संस्कार अथवा चूड़ाकर्म संस्कार आठवां संस्कार होता है। इस संस्कार में शिशु को जन्म के दोषों से संपूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है तथा अब वह पूरी तरह से पवित्र हो जाता है। मुंडन (चूड़ाकर्म) संस्कार में शिशु को जन्म के समय मिले केश/ सिर के बाल काट दिए जाते है जिससे उसकी बौद्धिक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मुंडन संस्कार क्या होता है? (Mundan Sanskar Kya Hai)

मुंडन का अर्थ होता है सिर के बालों को पूरी तरह से काटना। यह वे बाल होते हैं जो शिशु अपनी माँ के गर्भ से लेकर आता है। मुंडन संस्कार करके माँ के गर्भ से मिले बालों को उतार दिया जाता हैं जिससे वह सभी प्रकार के मलिन दोषों से पूर्णतया मुक्त हो जाता है।

शिखा की व्यवस्था

शिखा छिन्दन्ति ये मोहात् द्वेषादज्ञानतोऽपि वा।
तप्तकृच्च्रेण शुध्यन्ति त्रायो वर्णा द्विजातयः- लघुहारित

चूड़ाकरण का शास्त्रीय आधार था दीर्घायुष्य की प्राप्ति।

सुश्रुत ने (जो विश्व के प्रथम शीर्षशल्य चिकित्सक थे) इस सम्बन्ध में बताया है कि-

मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा संधि का सन्निपात है वहीं रोमवर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिखा रखने से इस कोमलांग की रक्षा होती है। इससे मस्तिष्ट का ज्ञान वहां पर केन्द्रित होता है तथा उसे ठंडा रखने में भी सहायता मिलती है।

बच्चों के केश कटवाने के पश्चात सिर पर दही, शहद, मक्खन इत्यादि का लेप किया जाता है जिससे उसे ठंडक प्राप्त हो। इसके पश्चात उसे स्नान करवाया जाता है। उसके बालों को धार्मिक स्थल, नदी इत्यादि में छोड़ दिया जाता है।

मुण्डन मुहूर्त

गर्भाधान काल से या जन्म काल से विषम अर्थात 1, 3,5,7 वर्ष में चैत्र को छोड़कर; उत्तरायण सूर्य में चंद्र, बुध, गुरु और शुक्रवार, लग्न तथा नवांशक में; जन्म राशि या जन्मलग्न से अष्टम लग्न को छोड़कर 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 तिथियों में संक्रांति दिन को छोड़कर; जब लग्न से आठवां स्थान शुद्ध (ग्रह रहित) हो, 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह हों; ज्येष्ठ, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, हस्त, अश्विनी, पुष्य और अभिजित नक्षत्रों में मुण्डन शुभ है।

निषिद्ध काल-गर्भिण्यां मातरि शिशोः क्षौर कर्म न कारयेत्-

लड़के की माता को पांच मास का गर्भ हो तो मुण्डन निषिद्ध है, परंतु 5 वर्ष से अधिक अवस्था के बालक के लिए निषेध नहीं है। जेठे लड़के का मुण्डन ज्येष्ट मास में नहीं करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त भी मुहूर्त निर्णय के समय-निषिद्ध काल को त्यागना चाहिए।

मुण्डन कर्म में विशेष- स्वकुल-शिष्टाचारानुसार उपरोक्त नक्षत्र, तिथ्यादि, शुभ समय में अपने-अपने इष्ट देव के स्थानों में मुंडन संस्कार करना चाहिए। किसी देवस्थल / तीर्थ पर बिना मुहूर्त के भी मुंडन करवाना शुभ माना गया है। नवरात्रों के दिनों में भी शक्तिपीठों (देवी-मंदिरों) के समीप मुंडन करवाने की पंजाब, हिमाचल आदि प्रदेशों में पुरानी परंपरा है।

Mundan Shubh Muhurat

 मुण्डन-मुहूर्त्त (सन् 2024)

प्रारंभ काल-तारीखमुहूर्त का समय-घं.मि.
15 अप्रैलसूर्योदय से दोपहर 12:12 तक, अभिजित्, 
16 अप्रैलसुबह 07:24 से सुबह 11:33 तक, अभिजित्, क्षत्रियाणां केवल
03 अक्टूबरदोपहर 03:32 के बाद
08 अक्टूबरसुबह 11:46 से दोपहर 01:51 तक, अभिजित्, क्षत्रियाणां केवल
12 अक्टूबरसुबह 10:59 के बाद, 
विशेष:- सुबह 11:30 से दोपहर 01:35 तक, अभिजित्, वैश्यानां केवल
 

सन् 2025

प्रारंभ काल-तारीख

मुहूर्त का समय-घं.मि.

15 जनवरीसूर्योदय से सुबह 10:28 तक
22 जनवरीसुबह 11:21 से दोपहर 02:49 तक, शूल-दोष परिहार
25 जनवरीसुबह 11:10 से दोपहर 12:42 तक, अभिजित्, वैश्यानां केवल
26 जनवरीसूर्योदय से सुबह 08:26 तक, ब्राह्मणों के लिए
31 जनवरीदोपहर 03:32 तक, अभिजित्
04 फरवरीसुबह 10:30 से दोपहर 01:58 तक, अभिजित्, क्षत्रियाणां केवल
10 फरवरीपूरा दिन (भौमयुति परिहार)
18 फरवरीसुबह 07:36 के बाद, 
विशेष:- सुबह 09:35 से दोपहर 01:03 तक, अभिजित्, क्षत्रियाणां केवल
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:28 तक, भद्रा पातालगते
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Mudan Cermony Shubh Muhurat
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Janiye Kis Din Kya Kaam Karna Shubh Hai | जानिए किस दिन क्या काम करें

Shubh Din

Shubh Din

जानिए किस दिन क्या काम करना शुभ है

 

रविवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  पूर्व, उत्तर (दक्षिण पूर्व)

यात्रा में त्याज्य:-  पश्चिम, नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम कोण)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:-  विज्ञान, इंजीनियरिंग, सेना, उद्योग, बिजली, मैडिकल एवं प्रशासनिक शिक्षा संबंधी l

व्यापार संबंधी कार्य:-  राज्य प्रशासनिक कार्य, सेना अधिकारी, ज्यूलर्स, औषधि, शास्त्र, अग्नि, अनाज, सोना, तांबा, चांदी, गाय – बैलादि का क्रय – विक्रय, मैडिकल, इलेक्ट्रिकल, मंत्रानुष्ठान व हवन आदि l

सोमवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  पश्चिम, दक्षिण (उत्तर, पश्चिम)

यात्रा में त्याज्य:- पूर्व, उत्तर आग्नेय (दक्षिण – पूर्व)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:-  लेखननादि कार्य, मैडिकल, शिक्षा, सौंदर्य, प्रसाधन, औषधि निर्माण, योजना संबंधी l

व्यापार संबंधी कार्य:-  कृषि, गाय, भैंस, दूध, घी, डेयरी, फॉर्म, औषधि, तरल पदार्थ, शंख, मोती, स्त्री, धन – सम्पदा, सौंदर्य प्रसाधन संबंधी वस्तुओं का क्रय – विक्रय, विदेशी पत्राचार आदि l

मंगलवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  दक्षिण-पूर्व

यात्रा में त्याज्य:-  उत्तर, पश्चिम वायव्य (उत्तर-पश्चिम)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:-  बिजली, सर्जरी की परीक्षा, शस्त्र, विद्या सीखना अग्नि, स्पोर्ट्स और भूगर्भ विज्ञान, दंत चिकित्सा आदि l

व्यापार संबंधी कार्य:-  शक्ति, अग्नि एवं बिजली से संबंधित कार्य, बेकरी इलेक्ट्रॉनिक,गुड़, सोना, तांबा, मूंगा, पीतल का कार्य, भूमि, सर्जरी एवं रक्षा सामग्री संधि विच्छेद अदि कार्य l

बुधवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  दक्षिण, पूर्व नैऋत्य (दक्षिण, पश्चिम)

यात्रा में त्याज्य:-  उत्तर, पश्चिम, ईशान (पूर्व – उत्तर)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:-  गणित,लेखनादि, बौद्धिककार्य, बैंक, वकालत, तकनीकी कार्य, ज्योतिषी, विज्ञान, वाहन चलाना सीखना l

व्यापार संबंधी कार्य:-  कृषि एवं व्यापारिक वस्तुओं का क्रय – विक्रय, शेयर बाजार, बैंकिंग, पुस्तक, लेखन प्रशासन अकाउंट्स, शिक्षण वकालत,शिल्प, एवं सम्पादन कार्य, वाहन क्रय – विक्रय।

वीरवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  पूर्व, उत्तर ईशान (पूर्व, उत्तर)

यात्रा में त्याज्य:-  दक्षिण -पूर्व नैऋत्य (दक्षिण – पश्चिम)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:- दर्शन-शास्त्र, धर्म-मंत्र,ज्योतिष, वकालत, उच्च पद प्रशासनिक शिक्षा, औषधि आदि l

व्यापार संबंधी कार्य:-धार्मिक अनुष्ठान, उच्च प्रशासनिक कार्य, उच्च शिक्षा के कार्य, आभूषण, लकड़ी, भूमि, वाहन का लेन-देन, विदेश गमनादि कार्य l

शुक्रवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  पूर्व, उत्तर (उत्तर, पूर्व)

यात्रा में त्याज्य:-  पश्चिम, दक्षिण नैऋत्य कोण (दक्षिण, पश्चिम)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:-  नृत्य, वाद्य, गायन, कला, संगीत, एक्टिंग, गीत-काव्य, रचना, स्त्रियों एवं सौंदर्य संबंधी शिक्षा।

व्यापार संबंधी कार्य:-  संगीत, सिनेमा, विदेश यात्रा, टेलीविजन, स्त्रियों एवं सौंदर्य संबंधी संबंधित कार्य, रूई, कपड़ा, चांदी , जवाहरात, रसायन, शराब, सोडा, सुगन्धित द्रव्य, वाहनादि क्रय- विक्रय, परफ्यूम आदि ।

शनिवार

यात्रा में शुभ ग्रह दिशाएं:-  पश्चिम, दक्षिण नैऋत्य (दक्षिण, पश्चिम)

यात्रा में त्याज्य:- पूर्व, उत्तर, ईशान (पूर्व-उत्तर)

विद्या एवं शिक्षा संबंधी:-  तकनीकी शिल्प, कला, मशीनरी संबंधी ज्ञान, अंग्रेजी, उर्दू फारसी का ज्ञान शुरू करना ।

व्यापार संबंधी कार्य:-  मशीनरी, लोहा, लकड़ी, चमड़ा, सीमेंट, तेल, पेट्रोल, पत्थर, भूमि, ठेकेदारी, शस्त्रों का क्रय-विक्रय, अन्वेषण कार्य, अधीनस्थ कर्मचारी, वाहनादि प्रयोग, विदेश यात्रा आदि कार्य ।

नाम 

वार

रवि सोम मंगल बुध वीर शुक्र शनि

नवीन वस्त्र 

धारण करना

शुभ  मध्यम अशुभ शुभ शुभ 

अति 

शुभ

अशुभ

नवीन आभूषण

धारण

शुभ शुभ मध्यम शुभ शुभ शुभअशुभ
तेल लगाना अशुभ शुभ अशुभ

विशेष

 शुभ

अशुभ शुभ

विशेष

 शुभ

हजामत करना मध्यम शुभअशुभ शुभ अशुभ शुभ मध्यम

नया जूता 

पहनना

  अशुभ शुभअशुभ शुभ मध्यमशुभ मध्यम
मुकदमा करना  अशुभ अशुभ शुभ शुभ अशुभ मध्यम शुभ 

 

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ॠण- ग्रहण ( कर्ज लेने ) मुहूर्त | Shubh Muhurat To Take Loan

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

 

Shubh Muhurat To Take Loan

ग्रार्हय तिथि :-1(कृष्ण), 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12 (कृष्णशुक्ल), 13 (शुक्ल), 14

 ग्रार्हय  वार :-सोमवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार  ।

ग्रार्हय नक्षत्र:-अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य, उ0 फा0, उ0 षा0, उ0 भा0, हस्त, चित्रा, अनुराधा,  श्रवण,  धनिष्ठा, शतभिषा,  तथा रेवती तथापि  मृगशिरा, चित्रा,अनुराधा, रेवती विशेष रूप से शुभ है । 

शुभ लगन :-1, 4, 7, 10 लग्न   श्रेष्ठ है शुभ  ग्रह त्रिकोण ( 5, 9वे ) तथा अष्टम भाव शुद्ध  हो ।

विशेष :-मंगलवार को कर्ज के रूप में किसी से धन नहीं लेना चाहिए । संक्रांति वाले दिन, वृद्धि योग, हस्त नक्षत्र और रविवार में ऋण नहीं लेना चाहिए  ।

अपि च,  “ऋणच्च्छेदं  कुजे कुर्यात् संचयं सोमनन्दें”:-  मंगलवार को ऋणों को चुका देना तथा बुधवार को धन संचय करना चाहिए ।

ऋण लेने के लिए वर्जित काल (निषेध काल) | Inauspicious Time to take loan

  1. मंगलवार, संक्रांति दिन, वृद्धियोग, हस्तनक्षत्र युक्त रविवार को ऋण ले तो कभी मुक्त न हो।
  2. मंगलवार को ऋण चुकाना अच्छा है।
  3. बुधवार को धन न देना चाहिए।
  4. कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठ, मूल नक्षत्रों में भद्रा, व्यतिपात और अमावस में गया धन फिर मिलता नहीं या झगड़े आदि पर उतारू होना पड़ता है।
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ऋणदान (कर्ज देने) का मुहूर्त | Shubh Muhurat To Give Loan

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है ।

इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

Shubh Muhurat to Give loan

ग्रार्हय तिथि :-1 (कृष्ण), 2, 3, 6, 7, 8, 10, 11, 12 (कृष्ण, शुक्ल), 13 (शुक्ल ), 14

ग्रार्हय वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार ।

ग्रार्हय  नक्षत्र :- अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, चित्रा, विशाखा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती।

लग्न शुद्धि:- 1, 4, 7, 10 राशि लग्न।

पंचम नवम भाव में शुभ ग्रह तथा अष्टम भाव शुद्ध होना चाहिए।

 विशेष :- बुधवार को अपना धन किसी को भी नहीं देना चाहिए। अर्थात बुधवार को दिया हुआ धन वापस नहीं मिलता । भद्रा, व्यतीपात, पात, महापात तथा अमावस में दिया गया धन वापस प्राप्त नहीं होता ।

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पशु अथवा वाहन (चौपाया) खरीदने का मुहूर्त | Pashu | Vahan Kharidne ka Muhurt

ज्योतिष वह विज्ञान है जो मनुष्य क़े अंधविश्वास रूपी अन्धकार का हरण करके ज्ञान का प्रकाश करता है| ज्योतिष भाग्य पर नहीं कर्म और केवल कर्म पर ही आधारित शास्त्र है|

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए पशुपालन के लिए पशु गाय, भैंस , ऊँट, बकरी पशु खरीदने के शुभ मुहूर्त नीचे दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

विशेष – जिस व्यक्ति का शनि कुंडली में शुभ अवस्था का बैठा हुआ हो, केवल उसी को शनिवार के दिन वाहन अथवा पशु खरीदना चाहिए। ध्यान रखें कि यहां पर चार टायर वाली गाड़ी के बारे में मुहूर्त दिया गया है। दो पहिया वाहन का मुहूर्त नहीं है।

Pashu OR Vahan (Car, Jeep ) Kharidne ka Shubh Muhurat

ग्रार्हय तिथि :- 1 (कृष्ण), 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12 (कृष्ण, शुक्ल), 13 (शुक्ल), 14

ग्राह्य वार:- रविवार, चंदवार, बुधवार, गुरुवार, शनिवार ।

ग्राह्य  नक्षत्र :- अश्विनी, पुनर्वसु, हस्त, विशाखा, ज्येष्ठा, धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती   ।

  • गाय लेनी अथवा बेचनी हो तो अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, विशाखा, ज्येष्ठ, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती नक्षत्र में शुभ है। 
  • अन्य पशु पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठ, मूल, धनिष्ठा, रेवती में लेना-बेचना शुभ है। 
  • गाय लेनी हो तो उत्तराफाल्गुनी से दिन नक्षत्र तक गिने। 3 तक लाभदायक, 5 तक हानि, 11 तक अर्थ लाभ, 16 तक सुख, 22 तक महा लाभ, 23 तक वृद्धि, 27 तक भय होता है। 
  • वृषभ (बैल) लेना हो तो 6 नक्षत्र लाभदायक, फिर दो-दो के क्रम से गाय के समान फल जानें। 
  • महिषी (भैंस) लेनी हो तो भी गौ नक्षत्रगणना क्रम से शुभाशुभफल हेतु सूर्य नक्षत्र तक गिनें

नौमी चौदस चौथ चौपाया।  मंगल हान करें घर आया॥

वाहनादि क्रय मुहूर्त्त 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 अप्रैलसुबह 07:28 से सुबह 11:37 तक, अभिजित्
18 अप्रैलसुबह 07:57 के बाद
11 जुलाईसुबह 08:27 से सुबह 10:37 तक, अभिजित्
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
17 जुलाईसुबह 07:53 से सुबह 10:13 तक, 
दोपहर 12:31 से दोपहर 02:52 तक, अभिजित्, भद्रा-परिहार
21 जुलाईसुबह 07:37 से सुबह 09:57 तक, 
दोपहर 12:25 से दोपहर 02:37 तक, अभिजित् 
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक, 
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित् 
28 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:48 तक
31 जुलाईसुबह 10:13 के बाद
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक
07 अगस्तसुबह 11:08 से दोपहर 01:30 तक
11 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:12 तक, 
सुबह 10:12 से क्रान्तिसाम्य दोष
12 अगस्तसूर्योदय से सुबह 08:33 तक
14 अगस्तसुबह 10:24 के बाद
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, भद्रा-परिहार
28 अगस्तसुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक, भौमयुति परिहार
04 सितंबरसुबह 09:18 से दोपहर 02:00 तक
08 सितंबरसुबह 09:02 से दोपहर 01:44 तक, अभिजित्
07 अक्टूबरसुबह 09:48 के बाद
10 अक्टूबरसूर्योदय से दोपहर 12:32 तक
11 अक्टूबरसुबह 06:56 से दोपहर 01:39 तक, अभिजित्
18 अक्टूबरसूर्योदय से दोपहर 01:26 तक
21 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 11:11 तक, 
सुबह 11:11 से दोपहर 02:11 तक, परिघ दोष
23 अक्टूबरसुबह 08:27 से दोपहर 12:52 तक, भद्रा-परिहार, भौमयुति परिहार
24 अक्टूबरसुबह 08:23 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्  
27 अक्टूबरसुबह 08:11 से दोपहर 12:36 तक, अभिजित्, मृत्युबाण-परिहार
28 अक्टूबरसुबह 08:07 से दोपहर 12:32 तक, अभिजित्
03 नवंबरसुबह 07:44 से दोपहर 12:09 तक, अभिजित्
06 नवंबरसूर्योदय से सुबह 11:00 तक
07 नवंबरसूर्योदय से सुबह 09:51 तक
08 नवंबरदोपहर 12:03 के बाद
11 नवंबरसुबह 09:40 के बाद
14 नवंबरसूर्योदय से सुबह 09:44 तक
18 नवंबरसुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्, भद्रा-परिहार
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
04 दिसंबरसुबह 08:02 से सुबह 11:48 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:43 तक, 
सुबह 10:43 से दोपहर 02:19 तक, व्याघात
11 दिसंबरसुबह 11:48 से दोपहर 02:27 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:53 तक
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीविशेष:- सुबह 09:01 से सुबह 10:27 तक, 
सूर्योदय से सुबह 10:28 तक
16 जनवरीसुबह 11:17 के बाद
19 जनवरीसुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक, 
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्
22 जनवरीसुबह 08:34 से सुबह 09:59 तक, 
सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक, 
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा-परिहार
31 जनवरीसुबह 07:59 से सुबह 09:24 तक, 
सुबह 10:46 से दोपहर 12:19 तक, अभिजित्
07 फरवरीसुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक, 
सुबह 10:29 से सुबह 11:51 तक, अभिजित्
10 फरवरीसुबह 11:57 तक, भौमयुति परिहार
13 फरवरीसुबह 09:57 के बाद
14 फरवरीसुबह 09:51 से दोपहर 01:18 तक, अभिजित्
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
21 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 03:54 तक
26 फरवरीसुबह 08:51 के बाद, चंद्र दान, 
सूर्योदय से सुबह 11:09 तक
06 मार्चसुबह 08:32 से दोपहर 12:00 तक, अभिजित्

नोट- मुहूर्त्त वाले दिन व्याप्त राशि जातक / जातिका की नाम राशि से 4, 8, 12 वें न हों।

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