गायत्री श्राप विमोचन कैसे करें ? Gayatri Shaap Vimochan

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॥ गायत्री-शापविमोचन ॥

विशेष सूचना – ब्रह्मा, वसिष्ठ, विश्वामित्र और शुक्राचार्य आदि चार ऋषियों के द्वारा गायत्री-मन्त्र शापित है। अतः गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शाप विमोचन जरूर करना चाहिए। तभी गायत्री मंत्र जाप करने का पूरा पूण्य फल प्राप्त होता है। एक बार शाप विमोचन करने के बाद जब तक आपका जाप अनवरत रूप से चलता रहता है, तब तक प्रत्येक दिन श्राप विमोचन की कोई जरूरत नहीं है।

केवल जब किसी कारणवश जैसे घर-परिवार में सूतक अथवा पातक लगने अथवा किसी दिन आपने जाप नहीं किया और कुछ दिनों के बाद दोबारा जाप आरम्भ करेंगे केवल तब दोबारा शाप-निवृत्ति के लिये शाप-विमोचन करना चाहिए।

इसी प्रकार दुर्गा जी के भी सभी मंत्र शापित है। उन्हें भी तीन ऋषियों के द्वारा श्राप दिया गया है। अतः बिना श्राप विमोचन किए व्यक्ति को दुर्गा और गायत्री पाठ का पूरा पूण्य फल नहीं मिल पाता। अतः इन दोनों देवियों के मंत्रो का जाप, पाठ अथवा अनुष्ठान करने से पहले सभी साधकों को श्राप विमोचन अवश्य कर लेना चाहिए।

1). श्री ब्रह्मा शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्रीब्रह्मा शाप विमोचन मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिर्भुक्तिमुक्ति प्रदा
ब्रह्माशापविमोचनी गायत्री शक्तिर्देवता गायत्री छन्दः ब्रह्मा शााप विमोचने
विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

ॐ गायत्री ब्रह्मोत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्माविदो विदुः।
तां पश्यन्ति धीराः सुमनसो वाचमग्रतः।।
ॐ वेदान्तनाथाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्।
ॐ देवि ! गायत्रि! त्वं ब्रह्माशापाद्विमुक्ता भव।

2).  श्री वसिष्ठ शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्रीवसिष्ठ-शापविमोचनमन्त्रस्य निग्रहानुग्रहकर्ता वसिष्ठ
ऋषिर्वसिष्ठानुगृहीता गायत्री शक्तिर्देवता विश्वोद्भवा गायत्री छन्दः
वसिष्ठशापविमोचनार्थं जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी पानी में भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

ॐ सोऽहमंक्रमयं ज्योतिरात्मत्योतिरहं शिवः।
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतीरसोऽस्म्त्यह्म।।
योनिमुद्रा दिखाकर तीन बार गायत्री मंत्र जपे।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं वसिष्ठशापाद्विमुक्ता भव।

3). श्री विश्वामित्र शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्री विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य नूतन सृष्टिकर्ता विश्वामित्र
ऋषिर्विश्वा-मित्रानुगृहीता गायत्री शक्तिर्देवता वाग्देहा गायत्री छन्दः विश्वामित्र
शाप विमोचननार्थं जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

ॐ गायत्री भजाम्यग्निमुखीं विश्वगर्भां यदद्भुवाः।
देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टिं तां कल्याणीमिष्टकरीं प्रपद्ये।।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव।

4 श्री शुक्राचार्य शापविमोचन विनियोग:-

ॐ अस्य श्री शुक्रशाप-विमोचनमन्त्र श्री शुक्र ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः देवी गायत्री
देवता शुक्र शाप विमोचनार्थं जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

मन्त्र-

सोऽहमंक्रमयं ज्योतिक्रज्योतिरहं शिवः।
आत्मज्योतिरहं शुक्र्रः सर्वज्योतीरसोऽस्म्यहम्।।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं शुक्रशापाद्विमुक्ता भव।

प्रार्थना-

ॐ अहो देवि महादेवि संध्ये विद्ये सरस्वति!
अजरे अमरे चैव ब्रह्मयोनिर्नमोऽस्तु ते।।
ॐ देवि! गायत्रीं ! त्वं ब्रह्मशापाद्विमुक्ता भव, वसिष्ठशापाद्विमुक्ता भव,
विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव, शुक्रशापाद्विमुक्ता भव।

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दुर्गा श्राप विमोचन कैसे करें ? Durga Shaap Vimochan

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।। श्री दुर्गा शाप विमोचन ।।

विशेष सूचना:-  ब्रह्मा, वसिष्ठ, विश्वामित्र और शुक्राचार्य आदि चार ऋषियों के द्वारा गायत्री-मन्त्र शापित है। अतः गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शाप विमोचन जरूर करना चाहिए। तभी गायत्री मंत्र जाप करने का पूरा पूण्य फल प्राप्त होता है। एक बार शाप विमोचन करने के बाद जब तक आपका जाप अनवरत रूप से चलता रहता है,तब तक प्रत्येक दिन श्राप विमोचन की कोई जरूरत नहीं है।

केवल जब किसी कारणवश जैसे घर-परिवार में सूतक अथवा पातक लगने अथवा किसी दिन आपने जाप नहीं किया और कुछ दिनों के बाद दोबारा जाप आरम्भ करेंगे केवल तब दोबारा शाप-निवृत्ति के लिये शाप-विमोचन करना चाहिए।

इसी प्रकार दुर्गा जी के भी सभी मंत्र शापित है। उन्हें भी तीन ऋषियों के द्वारा श्राप दिया गया है। अतः बिना श्राप विमोचन किए व्यक्ति को दुर्गा और गायत्री पाठ का पूरा पूण्य फल नहीं मिल पाता। अतः इन दोनों देवियों के मंत्रो का जाप, पाठ अथवा अनुष्ठान करने से पहले सभी साधकों को श्राप विमोचन अवश्य कर लेना चाहिए।

ॐ अस्य श्रीचण्डिकाया ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य वसिष्ठ
नारद संवाद साम वेदा अधिपति ब्रह्माण ऋषयः सर्वैश्वर्य कारिणी श्रीदुर्गा देवता
चरित्र त्रयं बीजं ह्रीं शक्तिः त्रिगुणात्म् स्वरूप चण्डिका शाप विमुक्तौ मम
संकल्पित कार्य सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)

ॐ ( ह्रीं ) रीं रेतः स्वरूपिण्यै मधुकैटभ मर्दिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १ ।।

ॐ श्रीं बुद्धि स्वरूपिण्यै महिषासुर सैन्य नाशिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। २ ।।

ॐ रं रक्त स्वरूपिण्यै महिषासुर मर्दिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ३ ।।

ॐ क्षुं क्षुधा स्वरूपिण्यै देववन्दितायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ४ ।।

ॐ छां छाया स्वरूपिण्यै दूत संवादिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ५ ।।

ॐ शं शक्ति स्वरूपिण्यै ध्रूमलोचन घातिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ६ ।।

ॐ तृं तृषा स्वरूपिण्यै चण्ड-मुण्ड वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ७ ।।

ॐ क्षां क्षान्ति स्वरूपिण्यै रक्तबीज वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ८ ।।

ॐ जां जाति स्वरूपिण्यै निशुम्भ वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ९ ।।

ॐ लं लज्जा स्वरूपिण्यै शुम्भ वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १0 ।।

ॐ शां शांति स्वरूपिण्यै देवस्तुत्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ११ ।।

ॐ श्रं श्रद्धा स्वरूपिण्यै सकल फलदात्र्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १२ ।।

ॐ कां कान्ति स्वरूपिण्यै राजवर प्रदायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १३ ।।

ॐ मां मातृ स्वरूपिण्यै अनर्गल महिम सहितायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १४।।

ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सं सवैश्वर्य कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १५ ।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्य कवच स्वरूपिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १६ ।।

ॐ क्रीं काल्यै कालि ह्रीं फट् स्वाहायै ऋग्वेद स्वरूपिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १७ ।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गादिव्यै नमः ।। १८ ।।

इत्येवं हि महामन्त्रान् पठित्वा परमेश्वर ।
चण्डीपाठं दिवा रात्रौ कुर्यादेव न संशयः ।। १९ ।।

एवं मन्त्रं न जानाति चण्डीपाठं करोति यः ।
आत्मानं चैव दातारं क्षीणं कुर्यान्न संशयः ।। २0 ।।

नोट :- जो दुर्गा साधक एक दिन में पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वह नवरात्रों में अथवा प्रतिदिन पहले दिन 1, दूसरे दिन 2, तीसरे दिन 1, चौथे दिन 4, पांचवें दिन 2, छठे दिन 1 और सातवें दिन 2 अध्यायों को क्रम से सात दिनों में पाठ पूरा करने का आदेश दिया गया है।

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दुश्मन विनाश के लिए मंत्र | Destroy Enemy Mantra | Durga mantra

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एक समय की बात है ब्रह्मा आदि देवताओं ने पुष्पों तथा अनेक उपचारों से महेश्वरी भगवती दुर्गा जी का पूजन किया। इससे प्रसन्न होकर दुष्टों का नाश करने वाली दुर्गा जी ने कहा –

‘हे ! देवताओं,  मैं तुम्हारे पूजन से संतुष्ट हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो, मांग लो,  मैं तुम्हें दुर्लभ से दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूंगी।

दुर्गा जी का यह वचन सुनकर देवता बोले हे ! देवी, हमारे जितने भी शत्रु थे, उन सबको आप ने मार डाला। यह जो एक से एक महान बलशाली जैसे महिसासुर, चंड – मुंड, धूम्र विलोचन, रक्तबीज, शुंभ – निशुंभ आदि सब राक्षसों को आपने मार डाला, इससे संपूर्ण जगत निर्भय हो गया है। सबके भीतर का डर खत्म हो गया है।

आपकी ही कृपा से हमें दोबारा अपने – अपने पद की प्राप्ति हुई है। आप भक्तों के लिए कल्प वृक्ष के समान हैं। हे ! माता’ हम आप की शरण में आए हैं, अतः अब हमारे मन में कुछ भी पाने की इच्छा बाकी नहीं है।

आपने हमें बिना मांगे ही सब कुछ दे दिया है। हमारे मन में इस समूचे जगत की रक्षा के लिए एक प्रश्न हैं। वह प्रश्न हम आप से पूछना चाहते हैं।

हे ! भद्रकाली’ कौन सा ऐसा उपाय है ? जिससे जल्दी प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए प्राणी की तुरंत रक्षा करती हैं। हे ! देवेश्वरी’ यह बात यदि सर्वथा गोपनीय हो तो भी आप हम पर कृपा करके हमें अवश्य बताएं।

देवताओं के इस प्रकार प्रार्थना करने पर दयामयी दुर्गा देवी ने कहा-

‘हे ! देवगण’ सुनो जो रहस्य मैं आप लोगों को बता रही हूं, यह रहस्य संपूर्ण जगत में अत्यंत दुर्लभ और गोपनीय है। जो व्यक्ति संकट में पड़ा होने पर, मेरे बत्तीस नामों की माला का जाप करता है, उसके ऊपर आई हुई आपत्ति और विपत्ति का तुरंत नाश हो जाता है।

हे ! देवताओं, तीनों लोकों में इन बत्तीस नामों की स्तुति के समान कोई दूसरी स्तुति नहीं है। यह स्तुति बहुत ही रहस्यमयी है, फिर भी तुम पर कृपा करते हुए मैं इसे बतलाती हूं, ध्यान से सुनो –

1   दुर्गा                                             2  दुर्गार्तिशमनी                                            3  दुर्गापद्विनिवारिणी

4   दुर्गमच्छेदिनी                              5   दुर्गसाधिनी                                               6  दुर्गनाशिनी

7   दुर्गतो धारिणी                             8  दुर्गनिहन्त्री                                                9   दुर्गमापहा

10  दुर्गमज्ञानदा                               11  दुर्ग दत्य लोक दवानला                             12  दुर्गमा

13  दुर्गमालोका                               14  दुर्गम आत्म स्वरूपिणी                            15  दुर्गमार्गप्रदा

16  दुर्गमविद्या                                  17   दुर्गमाश्रिता                                            18  दुर्गम ज्ञान संस्थाना

19  दुर्गम ध्यान भासिनी                    20   दुर्गमोहा                                                21  दुर्गमगा

22  दुर्गमार्थस्वरूपिणी                     23   दुर्गमासुरसंहन्त्री                                   24  दुर्गमायुधधारिणी

25  दुर्गमांगी                                     26    दुर्गमता                                              27   दुर्गम्या

28   दुर्गमेश्वरी                                  29    दुर्गभीमा                                               30   दुर्गभामा

31   दुर्गभा                                        32    दुर्गदारिणी

हे ! देवताओं, जो मनुष्य मेरे इन बत्तीस नामों की नाम माला का पाठ करता है, वह निसंदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।

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भय विनाश के लिए मंत्र | Durga Saptshati Mantra

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ज्वाला-कराल-मृत्युग्रम-शेषासुर-सूदनम् ।

त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकाली नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

यदि किसी व्यक्ति के जीवन में किसी दुश्मन के कारण से डर हो। अचानक कोई विपत्ति आ पड़ी हो, तो इस मंत्र का की एक माला या श्रद्धा अनुसार नित्य जाप करना चाहिए।

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विपत्ति विनाश के लिए मंत्र | Mantra to Destroy Disaster

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शरणागत दीनार्त, परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवी, नारायणि नमोस्तुते ।। (दुर्गा सप्तशती)

जब चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। दानवों और राक्षसों ने तपस्या के बल पर स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। अच्छे और सज्जन लोगों पर को दुख दिया जाता था और प्रताड़ित किया जाता था।

जब किसी को कुछ नहीं सोच रहा था। यहां तक की सभी देवी देवता भी राक्षसों के भय से आतंकित थे, तो सबने मिलकर शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा का आवाहन किया और उनसे अपने प्राण बचाने का निवेदन किया।

तब मां दुर्गा ने ही इस समस्त ब्रह्मांड को संपूर्ण भयों से मुक्त किया था। आज भी जो भक्तगण श्रद्धा और विश्वास के साथ मां शक्ति की पूजा – उपासना करते हैं। उन सब का अनुभव है कि माता अपने भक्तों की संपूर्ण विपत्तियों का अंत कर देती हैं।

इसलिए जीवन में आ रहे संकटों के नाश व मां भगवती की कृपा प्राप्ति के लिए इस मंत्र का श्रद्धा अनुसार जाप करना चाहिए।

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सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मंत्र | Health Mantra

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देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि में परमं सुखम् ।

रूपम देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि ।। (दुर्गा सप्तशती)

आज के समय में अच्छा स्वास्थ्य किसे नहीं चाहिए  अच्छा स्वास्थ्य ही सभी उन्नतियों को दर्शाता है।

‘कहा भी गया है, पहला सुख निरोगी काया’

उस धन का भी क्या फायदा जो हम उपभोग ना कर सकें। आज के समय में बहुत सारे लोग पैसा तो बहुत कमाते हैं, परंतु वह सारा पैसा डॉक्टर हकीम वैद्य आदि के पास जाता रहता है अर्थात खर्च होता रहता है। कारण शरीर रोगों का घर बन गया है। हमारे शास्त्रों में बताए गए दिव्य मंत्रों का उपयोग करके हम आरोग्यता को प्राप्त कर सकते हैं, इन्हीं दिव्य मंत्रों में से यह सप्तशती मंत्र बड़ा अमोघ है।इस मंत्र का नियमित जाप करने से अच्छे स्वास्थ्य, विजय, सौभाग्य व यश की प्राप्ति होती है।

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दुर्घटना व महामारी नाश के लिए मंत्र | Remove Badluck

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जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।।

(दुर्गा सप्तशती)

यदि किसी के घर में अचानक अनहोनी घटनाएं, दुर्घटना, अकाल मृत्यु, भय, रोग, शोक आदि बार-बार होते हों, उस स्थिति में इस मंत्र का 11,000 जप-अनुष्ठान करना चाहिए।

घर से निकलने से पहले प्रतिदिन तीन बार इस मंत्र का जाप करके जाना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु आदि दोषों का निवारण होता है। इस दिव्य मंत्र के प्रभाव से अनहोनी घटनाएं रुक जाएंगी और व्यक्ति को जीवन में सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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रोग नाश करने के लिए मंत्र  | Health Mantra | Durga Saptshati

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रोगान् शेषान् पहंसि तुष्टा ,

रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।

त्वामाश्रितानाम् न विपत्रराणाम् ,

त्वामाश्रिता हाश्रयताम् प्रयान्ति ।। (दुर्गा सप्तशती)

जो व्यक्ति बहुत अधिक बीमार रहता हो, अनेक उपाय व बहुत इलाज करने के बावजूद भी यदि ठीक नहीं हो रहा हो, तो उसे मां जगदंबा के इस अलोकिक मंत्र का आसरा लेना चाहिए।

मैंने स्वयं इस मंत्र का चमत्कार अपने जीवन में कई बार देखा है। मरण तुल्य कष्ट में पड़े हुए व्यक्ति को भी जीवन दान देने का सामर्थ्य इस मंत्र में है। मां भगवती का ध्यान करके लाल रंग के आसन पर बैठकर एक कटोरी पानी में देखते हुए अथवा रोगी की दवाई को निहारते हुए इस मंत्र की एक माला जाप करें।

फिर वह अभिमंत्रित जल या दवाई उस रोगी को खिला दें। मंत्र के प्रभाव से रोगी को दवाई लगनी शुरू हो जाएगी और जल्दी ही भला चंगा हो जाएगा।

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Beautiful wife | सुंदर पत्नी प्राप्ति के लिए मंत्र | Durga Saptshati

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पत्नीम् मनोरमाम् देहि, मनोवृत्तानुसारिणीम् ।

तारिणीम् दुर्गसंसारसागरस्य, कुलोद्भवाम् ।। (दुर्गा सप्तशती)

आजकल बहुत से युवाओं की शादी में ग्रह चाल के कारण से अनेक विघ्न आते रहते हैं।  इन विघ्नों को दूर करने के लिए और मनचाही पत्नी की प्राप्ति के लिए, दुर्गा जी का यह मंत्र कल्प वृक्ष के समान है।

इस मंत्र के अनुष्ठान से सुंदर, सुलोचना, गुणों से युक्त व घर को बसाने वाली पत्नी की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के अकाट्य प्रभाव से अनेक लोगों का घर बसा है। आप भी बसा सकते हैं।

परंतु इस मंत्र का प्रयोग विवाह से पहले ही करें बाद में नहीं। गृहस्थ जीवन में आए विघ्न को दूर करने के लिए अथवा आपसी मनमुटाव दूर करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग ना करें।

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दरिद्रता और दुखों के नाश के लिए मंत्र | Durga Saptshati Mantra

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दरिद्रता और दुखों के नाश के लिए मंत्र

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो,

स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि ।

दारिद्र्य दुख भय हारिणी का त्वदन्या,

सर्वोपकार करणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ।। (दुर्गा सप्तशती)

हर कार्य में विघ्न पड़ जाते हों ?

अथक मेहनत के बावजूद भी मात्र गुजारा ही चलता हो ?

जिस किसी व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता पीछा न छोड़ती हो ?

उस व्यक्ति के लिए यह मंत्र ब्रह्मास्त्र के समान है। पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस मंत्र की एक माला का जाप प्रतिदिन करना चाहिए। इस मंत्र के जाप के प्रभाव से मेहनत का फल मिलना आरंभ हो जायेगा, दरिद्रता से पीछा छूटेगा और तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे।

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