Vaishakh Varuthini Ekadashi Vrat Katha hindi | वैशाख कृष्णा वरुथिनी एकादशी

Vaishakh maas ekadashi

Vaishakh maas ekadashi

।। वैशाख कृष्णा एकादशी व्रत कथा ।।
वरुथिनी एकादशी

Varuthini Ekadashi Vrat Katha

 

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वरूथिनी एकादशी की कथा सुनने के लिए
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धर्मराज युधिष्ठिर बोले कि हे भगवन् ! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी क्या विधि है तथा उसके करने से क्या फल मिलता होता है ? आप विस्तार पूर्वक मुझसे कहिए, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्री कृष्ण कहने लगे कि हे राजेश्वर ! इस एकादशी का नाम वरुथिनी है। यह सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली तथा अंत में मोक्ष देने वाली है। इस व्रत को यदि कोई अभागिनी स्त्री करें तो उसको सौभाग्य मिलता है। इसी वरुथिनी एकादशी के प्रभाव से राजा मांधाता स्वर्ग को गया था। वरुथिनी एकादशी का फल दस हजार वर्ष तक तप करने के बराबर होता है। कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय एक मन स्वर्ण दान करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल वरुथिनी एकादशी के व्रत करने से मिलता है।

वरुथिनी एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य इस लोक में सुख भोग कर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि हाथी का दान घोड़े के दान से श्रेष्ठ है। हाथी के दान से भूमि दान, भूमि के दान से तिलों का दान, तिलों के दान से स्वर्ण का दान तथा स्वर्ण के दान से अन्न का दान श्रेष्ठ है। अन्न दान के बराबर कोई दान नहीं। अन्न दान से देवता, पितर, और मनुष्य तीनों तृप्त हो जाते हैं। शास्त्रों में इसको कन्यादान के बराबर माना जाता है। वरुथिनी एकादशी के व्रत से अन्न दान तथा कन्यादान दोनों के बराबर फल मिलता है। जो मनुष्य लोग के वश होकर कन्या का धन लेते हैं वे प्रलय काल तक नरक में वास करते हैं या उनको अगले जन्म में बिलाव का जन्म लेना पड़ता है। जो मनुष्य प्रेम एवं धन सहित कन्या का दान करते हैं। उनके पुण्य को चित्रगुप्त भी लिखने में असमर्थ हैं। जो मनुष्य इस वरुथिनी एकादशी का व्रत करते हैं। उनको कन्यादान का फल मिलता है।
वरुथिनी एकादशी का व्रत करने वालों को दशमी के दिन निम्नलिखित वस्तुओं को त्याग देना चाहिए।

  1.  कांसे के बर्तन में भोजन करना
  2.  माँस (उड़द की दाल)
  3.  मसूर की दाल
  4.  चने का शाक
  5.  कोदों का शाक
  6.  मधु (शहद)
  7.  दूसरे का अन्न
  8. दूसरी बार भोजन करना
  9.  स्त्री प्रसंग।

व्रत वाले दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए तथा शयन भी नहीं करना चाहिए। उस दिन पान खाना, दातुन करना, दूसरे की निंदा करना तथा चुगली करना एवं पापी मनुष्यों के साथ बातचीत सब त्याग देना चाहिए। उस दिन क्रोध, मिथ्या भाषण का त्याग करना चाहिए। इस व्रत में नमक, तेल अथवा अन्न वर्जित है। हे राजन् ! जो मनुष्य विधिवत इस एकादशी को करते हैं उनको स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। अतः मनुष्य को पापों से डरना चाहिए। इस व्रत के माहात्म्य को पढ़ने से एक हजार गोदान दान का फल मिलता है। इसका फल गंगा स्नान के फल से भी अधिक है।

।। बोलिए श्री विष्णु भगवान की जय श्री एकादशी माता की जय ।।

 

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क्या आपको भी बिजनेस शुरू करने में आ रही है दिक्कत ? Business Careers

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ओम नमः शिवाय

सज्जनों जैसा कि पिछले वीडियो में हमने जाना था कि किस प्रकार की ग्रह चाल हो तो वह व्यक्ति बिजनेस में बहुत अधिक मात्रा में सफल होता है और किस प्रकार की ग्रह चाल होने से बिजनेस (Business) में नुकसान का सामना करना पड़ता है । सज्जनों आज के इस वीडियो में हम प्रत्येक ग्रह के अनुसार से यह जानेंगे कि यदि सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु यदि सातवें घर के अधिपति हो अथवा सातवें घर में बहुत अच्छे, शुभ अवस्था में बैठे हुए हो तो व्यक्ति को कौन-कौन से बिजनेस करने चाहिए आइए देखते हैं, आज के वीडियो में ।

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क्या बिजनेस में आपके भी हैं करोड़पति बनने के योग- Business Yog In Kundli Hindi

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ओम नमः शिवाय सज्जनों जैसा कि पिछले एपिसोड में हमने नौकरी के योग के बारे में बताया था कि सरकारी नौकरी के योग किस प्रकार से बनते हैं ? प्राइवेट नौकरी के योग किस प्रकार से बनते हैं तथा किस तरह की ग्रह चाल हो तो व्यक्ति को नौकरी में परेशानी का सामना करना पड़ता है ? उस व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल पाती है। आज के इस एपिसोड में हम बिजनेस के बारे में चर्चा करेंगे। बिजनेस का भाव कौन सा होता है ? कुंडली में कौन-कौन से ग्रह यदि कुंडली में बैठ जाते हैं तो वह किस प्रकार का अच्छा और बुरा फल देते हैं ? किस प्रकार की ग्रह चाल हो तो व्यक्ति बिजनेस में पूर्णत सफल होता है और किस प्रकार की ग्रह चाल में व्यक्ति को बिजनेस में नुकसान, कर्जे का सामना करना पड़ता है और किस व्यक्ति को भूलकर भी बिजनेस नहीं करना चाहिए ?

सज्जनों देखते हैं आज के इस वीडियो में – प्रतिदिन ज्योतिष से संबंधित नया वीडियो पाने के लिये हमारा यूट्यूब चैनल https://www.youtube.com/c/ASTRODISHA सबस्क्राइब करें। इसके अलावा यदि आप हमारी संस्था के सेवा कार्यों तथा प्रोडक्ट्स से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारी बेवसाइट https://www.astrodisha.com/ पर जा सकते हैं और अगर आपको कुछ पूछना है तो आप हमें help@astrodisha.com पर मेल कर सकते है। Contact – +91-7838813444, +91-7838813555, +91-7838813666, +91-7838813777 Whats app – +91-7838813444 Email – help@astrodisha.com Website – https://www.astrodisha.com Facebook – https://www.facebook.com/AstroDishaPtSunilVats

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मकान, दुकान आदि की नींव रखने के मुहूर्त | Bhumi Pujan ke shubh muhurat

bhumi pujan shubh muhurat

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मकान बनाने के लिए पृथ्वी की शुभाशुभ परीक्षाः-मकान की नींव को इतना गहरा खोदें कि जल दीखने लगे अथवा दूसरी मिट्टी जब तक निकले अथवा साढे तीन हाथ गहरी खोदें अर्थात् मनुष्य के बराबर खोदें। खोदते समय यदि जमीन में पत्थर निकले तो धन-आयु की वृद्धि हो, अगर गुठली निकले तो धननाश हो अगर अस्थि, राख, बाल निकले तो मकान बनाने वाले को व्याधि-पीड़ा हो।

गृहारंभ मुहूर्त सन्:- 2024

प्रारंभ काल – तारीख

मुहूर्त का समय – घं.मि.

*(11 जुलाई)दोपहर 01:04 के बाद
*(12 जुलाई)सुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
17 जुलाईसुबह 07:53 से सुबह 10:13 तक,
दोपहर 12:31 से दोपहर 02:52 तक, मृत्युबाण 
*(26 जुलाई)दोपहर 02:30 के बाद
*(27 जुलाई)सुबह 10:25 से दोपहर 12:59 तक, मृत्युबाण परिहार
*(31 जुलाई)सूर्योदय से सुबह 10:12 तक (भौमयुति परिहार)
सुबह 10:12 से दोपहर 02:13 तक, 
शाम 05:49 के बाद
*(01 अगस्त)सूर्योदय सेसुबह 10:24 तक
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, 
विशेष:- सुबह 10:21 से दोपहर 03:03 तक, अभिजित्
*(28 अगस्त)सुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक 
*(04 सितंबर)सुबह 09:18 से दोपहर 12:00 तक 
14 सितंबरसुबह 08:35 से दोपहर 01:17 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार 
18 अक्टूबरसुबह 06:25 से दोपहर 01:11 तक, अभिजित्
*(21 अक्टूबर)सूर्योदय से सुबह 06:50 तक
*(24 अक्टूबर)पूरा दिन
*(04 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:03 तक
*(07 नवंबर)सुबह 11:51 के बाद
*(08 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:27 तक, 
सुबह 10:51 से दोपहर 12:03 तक
*(18 नवंबर)सुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्
*(25 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 11:41 तक, (केतुयुति परिहार)
विशेष:- सुबह 08:37 से दोपहर 12:33 तक, अभिजित् 
*(27 नवंबर)सुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
*(05 दिसंबर)दोपहर 12:49 के बाद
*(07 दिसंबर)सूर्योदय से शाम 04:50 तक, 
सुबह 07:50 से सुबह 11:36 तक
11 दिसंबरसुबह 11:48 के बाद
12 दिसंबरसुबह 07:31 से सुबह 11:16 तक

गृहारंभ मुहूर्त सन्:-2025

प्रारंभ काल – तारीख

मुहूर्त का समय – घं.मि.

15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
*(22 जनवरी)सूर्योदय से दोपहर 03:18 तक
*(31 जनवरी)सूर्योदय से दोपहर 03:32 तक
विशेष:-  सुबह 07:51 से सुबह 09:24 तक, सुबह 10:46 से दोपहर 12:29 तक, अभिजित्  
15 फरवरीसुबह 09:47 से दोपहर 01:15 तक, अभिजित्
*(19 फरवरी)सूर्योदय से सुबह 10:40 तक
*(20 फरवरी)दोपहर 03:09 के बाद
*(21 फरवरी)सुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक 

*(तारा) अंकित मुहूर्त्तों में केवल ‘वृष-वास्तुचक्र-शुद्धि’ नहीं है, अन्यथा ये मुहूर्त्त सर्वथा शुद्ध हैं।

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Bhumi Pujan ke shubh muhurat
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Bhumi Pujan Ke Shubh Muhurat
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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नये गृह में प्रवेश करने का मुहूर्त | Best Griha Pravesh Shubh Muhurat 2024-2025

nav griha pravesh dates

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नए घर में प्रवेश करने का मुहूर्त सन्:- 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 अप्रैल सुबह 07:28 से सुबह 11:37 तक, अभिजित्
11 जुलाईदोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाईसुबह 07:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
18 अक्टूबरसुबह से दोपहर 01:11 तक, अभिजित्, मृत्युबाण परिहार
*(21 अक्टूबर)सूर्योदय से सुबह 11:11 तक
*(23 अक्टूबर)सुबह 07:27 से दोपहर 12:52 तक, भौमयुति परिहार
*(24 अक्टूबर)सुबह 08:26 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्
28 अक्टूबरदोपहर 03:23 के बाद
*(04 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:03 तक
07 नवंबरसुबह 11:51 के बाद
08 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:27 तक, 
सुबह 10:51 से दोपहर 12:03 तक
09 नवंबरसुबह 07:20 से सुबह 11:45 तक, अभिजित्
13 नवंबरपूरा दिन
*(18 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:01 तक, 
सुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्  
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक 
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार, केतुयुति परिहार
27 नवंबरपूरा दिन
*(05 दिसंबर)दोपहर 12:41 के बाद, मृत्युबाण परिहार
*(06 दिसंबर)सूर्योदय से सुबह 10:43 तक
07 दिसंबरसुबह 07:50 से सुबह 11:36 तक, अभिजित्
11 दिसंबरसुबह 11:48 के बाद, भद्रा-परिहार
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:53 तक

नए घर में प्रवेश करने का मुहूर्त सन्:-2025

प्रारंभ काल – तारीख

मुहूर्त का समय – घं.मि.

*(15 जनवरी)सुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक, 
सुबह 11:49 से दोपहर 01:22 तक 
*(18 जनवरी)दोपहर 02:51 के बाद, केतुयुति परिहार
22 जनवरीसुबह 07:34 से 09:59 तक
सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 07:26 से सुबह 09:51 तक
सुबह 11:15 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार, मृत्युबाण परिहार
*(31 जनवरी)सुबह 07:51 से सुबह 09:24 तक,
सुबह 10:46 से दोपहर 12:29 तक, अभिजित्
07 फरवरीसूर्योदय से शाम 04:16 तक
विशेष:- सुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक, सुबह 10:19 से सुबह 11:51 तक, अभिजित् 
10 फरवरीसुबह 07:19 से सुबह 08:44 तक
सुबह 10:07 से सुबह 11:39 तक, अभिजित्
*(15 फरवरी)सुबह 09:47 से दोपहर 01:15 तक, अभिजित्
*(19 फरवरी)सुबह 09:31 से सुबह 11:04 तक, बुधपादवेधऽभावः
*(21 फरवरी)सुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
06 मार्चसुबह 08:32 से दोपहर 12:00 तक, अभिजित्

* (तारा) अंकित मुहूर्तों में केवल कलशचक्र-शुद्धि नहीं है, अन्यथा ये मुहूर्त्त सर्वथा शुद्ध हैं।

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केतु के रत्न लहसुनिया धारण विधि, मुहूर्त | Cats Eye Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

lehsuniya ratan dharan karne ka mantra vidhi

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आप शुद्ध तथा असली लहसुनिया अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी लहसुनिया जैसा ही देंगे। जैसे वैदूर्य, कैट्स आई, गोदंती, संगी, अलेक्जेंड्राइट चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर काले  – सफेद अथवा चितकबरे रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर लहसुनिया तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ स्त्राम् स्त्रीम् स्त्रौम् सः केतवे नमः। 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ स्त्राम् स्त्रीम् स्त्रौम् सः केतवे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

केतु ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
21 मार्चरात्रि 01:26 से मार्चसूर्योदय तक 
18 अप्रैलसुबह 07:56 से19 अप्रैलसूर्योदय तक
16 मईसूर्योदय से16 मईशाम 06:14 तक
19 जुलाईरात्रि 03:25 से19 जुलाईसूर्योदय तक
15 अगस्तदोपहर 12:52 से16 अगस्तसूर्योदय तक
12 सितंबरसूर्योदय से12 सितंबररात्रि 09:52 तक
17 अक्टूबरशाम 04:20 से18 अक्टूबर सूर्योदय तक
14 नवंबरसूर्योदय से15 नवंबररात्रि 00:33 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से12 दिसंबरसुबह 09:52 तक 
20 दिसंबररात्रि 01:59 से20 दिसंबरसूर्योदय तक

सन – 2025

16 जनवरीसुबह 11:16 से17 जनवरीसूर्योदय तक
13 फरवरीसूर्योदय से13 फरवरीरात्रि 09:07 तक

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राहू के रत्न गोमेद आदि धारण विधि, मुहूर्त | Gomed Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

gomed ratan dharan karne ka mantra vidhi

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आप शुद्ध तथा असली गोमेद अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी गोमेद जैसा ही देंगे। जैसे तुरसा, साफा आदि अष्टधातु अथवा चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर नीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर गोमेद तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ भ्राम् भ्रीम् भ्रौम् सः राहवे नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ भ्राम् भ्रीम् भ्रौम् सः राहवे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की मध्यमा (सबसे बड़ी अंगुली में) धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 राहू ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
24 अप्रैलसूर्योदय से25 अप्रैलरात्रि 00:41 तक
22 मईसूर्योदय से22 मईसुबह 07:46 तक
26 जूनदोपहर 01:05 से27 जूनसूर्योदय तक
24 जुलाईसूर्योदय से24 जुलाईशाम 06:14 तक
28 अगस्तदोपहर 03:53 से29 अगस्तसूर्योदय तक
25 सितंबरसूर्योदय से25 सितंबररात्रि 11:23 तक

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शनि के रत्न नीलम आदि धारण विधि, मुहूर्त | Neelam Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली नीलम अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी नीलम जैसा ही देंगे। जैसे नीलिमा, जमुनिया, नीला कटहला, एमेथिस्ट, ब्लैकस्टार, ब्लू टोपाज आदि पंचधातु अथवा सोने, चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर काले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर नीलम तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ प्राम् प्रीम् प्रौम् सः शनैश्चराय नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ प्राम् प्रीम् प्रौम् सः शनैश्चराय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की मध्यमा (सबसे बड़ी अंगुली में) धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

शनि ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
04 मईरात्रि 10:07 से05 मईसूर्योदय तक
01 जूनसूर्योदय से02 जून रात्रि 03:16 तक
29 जूनसूर्योदय से29 जूनसुबह 08:49 तक 
31 अगस्तसूर्योदय से31 अगस्तरात्रि 09:39 तक
28 दिसंबरसूर्योदय से28 दिसंबररात्रि 10:13 तक

सन – 2025

01 मार्चसुबह 11:22 से02 मार्चसूर्योदय तक
29 मार्चसूर्योदय से29 मार्चरात्रि 07:26 तक

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शुक्र के रत्न हीरा जरकन धारण विधि, मुहूर्त | Zircon Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली हीरा अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी हीरे जैसा ही देंगे। जैसे करगी, सिम्मा, जरकन, ओपल, कुरंगी, दूधिया आदि सोने, चांदी अथवा प्लैटिनम की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर हीरे तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ द्राम् द्रीम् द्रौम् सः शुक्राय नमः।

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ द्राम् द्रीम् द्रौम् सः शुक्राय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) अथवा कनिष्ठिका (छोटी अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

शुक्र ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
23 मार्चप्रातः 04:27 से23 मार्चसूर्योदय तक
19 अप्रैलसुबह 10:56 से20 अप्रैलसूर्योदय तक
17 मईसूर्योदय से17 मईरात्रि 09:18 तक
20 जुलाईरात्रि 02:55 से20 जुलाईसूर्योदय तक
16 अगस्तदोपहर 12:43 से17 अगस्तसूर्योदय तक
13 सितंबरसूर्योदय से13 सितंबररात्रि 09:35 तक
20 सितंबररात्रि 02:42 से21 सितंबरसूर्योदय तक
18 अक्टूबरदोपहर 01:26 से19 अक्टूबरसूर्योदय तक
15 नवंबरसूर्योदय से15 नवंबररात्रि 09:55 तक
13 दिसंबरसूर्योदय से13 दिसंबर सुबह 07:50 तक
21 दिसंबररात्रि 03:47 से21 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

17 जनवरीदोपहर 12:44 से18 जनवरीसूर्योदय तक
14 फरवरीसूर्योदय से14 फरवरीरात्रि 11:09 तक

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स्वप्न देखने के शुभ – अशुभ फल विचार | Nightmare Meaning in Hindi

क्या शत्रु ने किया है – मारण, वशीकरण, उच्चाटन प्रयोग ? दुर्गा सप्तशती से करें निवारण

Maa Durga 32 Naam Mantra | Shtru Vinashak Mantra | दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला

त्रिपिंडी और पंचपिंडी श्राद्ध क्या होता है ? | Pitra Dosha Puja Vidhi

SHANIVARI AMAVSYA / शनिश्चरी अमावस्या प्रेत / पित्र दोष निवारण

Chandra Grahan | चंद्र ग्रहण पर सिद्ध करें – बुद्धि वर्धक मंत्र

लॉटरी, रेस, शेयर, सट्टे में लाभ | Mantra for Lottery, Share Market

जानिए कौन सी ग्रह चाल बढ़ाती है आपकी Decision Power ?

ग्रह भी हो सकते हैं जिम्मेदार आपके गलत फैसलों के ?Wrong Decision

Horoscope Sign से जानिए आपकी निर्णय क्षमता |Decision Power

Pitra Dosha Upay| पित्र दोष निवारण के लिए करें यह ‘अकाट्य उपाय’

Pitra Puja|Shraddh paksh में पितरों के लिए यह अवश्य करें

Mahalaya|Shraddha paksh | पितृ पक्ष में भूलकर भी ना करें यह कार्य

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Lunar Eclipse|Chandra Grahan|चंद्र ग्रहण में करें मंत्र का जाप ?

गुरु के रत्न पुखराज आदि धारण विधि, मुहूर्त Pukhraj Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली पुखराज अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी पुखराज जैसा ही देंगे। जैसे – सुनहैला, पीला हकीक, केसरी, घियाकेरु आदि सोने की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर पुखराज तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ ग्राम् ग्रीम् ग्रौम् सः गुरवे नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ ग्राम् ग्रीम् ग्रौम् सः गुरवे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की तर्जनी (अंगूठे के पास वाली अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

गुरु ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
28 मार्चशाम 6:38 से 29 मार्चसूर्योदय तक
25 अप्रैलसूर्योदय से26 अप्रैल रात्रि 02:23 तक
23 मईसूर्योदय से23 मईसुबह 09:14 तक
27 जूनसुबह 11:36 से28 जूनसूर्योदय तक
25 जुलाईसूर्योदय से25 जुलाईशाम 04:16 तक
29 अगस्तशाम 04:39 से30 अगस्तसूर्योदय तक
26 सितंबरसूर्योदय से26 सितंबररात्रि 11:33 तक
26 दिसंबरशाम 06:09 से27 दिसंबरसूर्योदय तक

सन – 2025

23 जनवरीसूर्योदय से 24 जनवरीप्रातः 05:08 तक 
20 फरवरीसूर्योदय से 20 फरवरीदोपहर 01:30 तक

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स्वप्न देखने के शुभ – अशुभ फल विचार | Nightmare Meaning in Hindi

क्या शत्रु ने किया है – मारण, वशीकरण, उच्चाटन प्रयोग ? दुर्गा सप्तशती से करें निवारण

Maa Durga 32 Naam Mantra | Shtru Vinashak Mantra | दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला

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SHANIVARI AMAVSYA / शनिश्चरी अमावस्या प्रेत / पित्र दोष निवारण

Chandra Grahan | चंद्र ग्रहण पर सिद्ध करें – बुद्धि वर्धक मंत्र

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ग्रह भी हो सकते हैं जिम्मेदार आपके गलत फैसलों के ?Wrong Decision

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Pitra Dosha Upay| पित्र दोष निवारण के लिए करें यह ‘अकाट्य उपाय’

Pitra Puja|Shraddh paksh में पितरों के लिए यह अवश्य करें

Mahalaya|Shraddha paksh | पितृ पक्ष में भूलकर भी ना करें यह कार्य

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