‘त्रिपुष्कर योग’ जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि तिगुना। ‘जी हां’ त्रिपुष्कर योग में यदि किसी व्यक्ति को लाभ होता है तो है तिगुना होता है और यदि किसी कारणवश हानि हो जाती है तो वह भी 3 गुना ही होती है। अतः जितने भी हमारे शास्त्रों में अच्छे मुहूर्त और योग बताए गए हैं उनको दोगुना करने वाला योग त्रिपुष्कर योग कहलाता है। इस युग में शुभ काम करने पर यह तिगुना लाभ प्रदान करता है।
त्रिपुष्कर योग सन् 2025-2026
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
15 अप्रैल | सूर्योदय से | 15 अप्रैल | सुबह 10:55 तक |
20 अप्रैल | सुबह 11:49 से | 20 अप्रैल | रात्रि 07:01 तक |
29 अप्रैल | सूर्योदय से | 29 अप्रैल | शाम 05:31 तक |
03 मई | सुबह 07:53 से | 03 मई | दोपहर 12:34 तक |
18 जून | रात्रि 01:02 से | 18 जून | सूर्योदय तक |
22 जून | शाम 05:39 से | 23 जून | रात्रि 01:22 तक |
01 जुलाई | सुबह 10:22 से | 02 जुलाई | सूर्योदय तक |
06 जुलाई | रात्रि 09:16 से | 06 जुलाई | रात्रि 10:41 तक |
12 जुलाई | सूर्योदय से | 12 जुलाई | सुबह 06:36 तक |
20 अगस्त | रात्रि 01:08 से | 20 अगस्त | सूर्योदय तक |
25 अगस्त | रात्रि 02:06 से | 25 अगस्त | सूर्योदय तक |
30 अगस्त | सूर्योदय से | 30 अगस्त | दोपहर 02:37 तक |
13 सितंबर | सुबह 07:24 से | 13 सितंबर | सुबह 10:11 तक |
28 अक्टूबर | दोपहर 03:46 से | 29 अक्टूबर | सूर्योदय तक |
02 नवंबर | सुबह 07:33 से | 02 नवंबर | शाम 05:04 तक |
16 दिसंबर | दोपहर 02:10 से | 16 दिसंबर | रात्रि 11:57 तक |
22 दिसंबर | प्रातः 03:37 से | 22 दिसंबर | सूर्योदय तक |
27 दिसंबर | सूर्योदय से | 27 दिसंबर | सुबह 09:09 तक |
31 दिसंबर | प्रातः 05:02 से | 31 दिसंबर | सूर्योदय तक |
सन् 2026
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
04 जनवरी | दोपहर 12:31 से | 04 जनवरी | दोपहर 03:11 तक |
24 फरवरी | सूर्योदय से | 24 फरवरी | सुबह 07:02 तक |
28 फरवरी | सूर्योदय से | 28 फरवरी | सुबह 09:35 तक |
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4 Comments
सर इस मुहुर्त मेज्ञकिया सुख जप ध्यान का फलफी ऊतना गुणा बघता है क्या?
ओम नमः शिवाय
श्रीमान जी
द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग जिसमें 2 गुना और 3 गुना अधिक लाभ होने के योग बनते हैं। यह एक प्रकार के मुहूर्त हैं। इनका पूजा-पाठ, जप – तप, होम – हवन आदि से कोई अर्थ नहीं है। बताए गए द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग में बहुमूल्य वस्तुएं जैसे – आभूषण, भूमि, गाड़ी आदि का क्रय करना शुभ फलदायक माना गया है।
मंत्र जप में कई गुना अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जो संपादक दोष और उत्पीड़न दोष के मुहूर्त बताए गए हैं। वह मुहूर्त पूजा – पाठ, मंत्र जाप अथवा पुण्यदाई कर्म करने के लिए शुभ हैं। क्योंकि वह मुहूर्त सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण जैसा फल देने का सामर्थ्य रखते हैं।
Agar koi vyakti daru chhodna chahte ho aur tripushkar yoga me daru pee le toh kya use teen baar aur pini hogi? Kya iska koi upay gai hai
श्रीमान जी त्रिपुष्कर योग, द्विपुष्कर योग का महत्व शुभ कार्यों से संबंधित होता है। यदि आप कोई पाप पूर्ण कार्य अथवा व्यसन छोड़ना चाहते हैं तो उसे दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी समय छोड़ सकते हैं और आगे से उस कार्य को न करने का दृढ़ संकल्प करें। आपकी विजय होगी।