श्री कृष्ण मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Krishna Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Krishana
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श्री कृष्ण मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Krishna Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे। तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम॥ भगवान कृष्ण जी की तिथि कृष्ण अष्टमी को पड़ती है।

श्री कृष्ण प्रतिष्ठा मुहूर्त 2025

प्रारंभ काल – तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
24 अप्रैल सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
25 अप्रैल सुबह 08:53 से सुबह 10:20 तक
30 अप्रैल पूरा दिन
1 मई  सुबह 11:24 से दोपहर 02:21 तक
3 मई    पूरा दिन
4 मई    सूर्योदय से सुबह 07:19 तक,  (भौमयुति-परिहार)
8 मई  प्रातः 05:57 से सुबह 10:06 तक, अभिजित् (केतुयुति-परिहार)
18 मई    सुबह 06:21 बाद
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक, (सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक क्रान्तिसाम्य)
20 मई    प्रातः 05:52 बाद 
25 मई    पूरा दिन
28 मई    पूरा दिन
31 मई    पूरा दिन
7 जून   सुबह 09:39 से सुबह 11:17 तक
सन् 2026
प्रारंभ काल – तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
7 फरवरी   पूरा दिन
9 फरवरी   पूरा दिन
13 फरवरी  सूर्योदय से सुबह 09:36 तक (सूर्य पूजा) (सुबह 09:36 से गुरुपादवेध)
18 फरवरी  सुबह 09:35 से सुबह 03:17 तक
21 फरवरी  दोपहर 01:01 बाद (मध्यमे)
11 मार्च   पूरा दिन
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Lord Krishna Murti Sthapana Shubh Muhurat
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श्री हनुमान मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Hanuman Murti Sthapana Muhurat

Lord Hanuman

Lord Hanuman

श्री हनुमान मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Hanuman Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।। अर्थात : जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्दिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं। कलियुग में भगवान हनुमान जी की भक्ति से बढ़कर किसी अन्य की भक्ति में शक्ति नहीं है। हनुमान की तिथि कृष्ण चतुर्दशी और वार मंगल को पड़ता है।

श्री हनुमान प्रतिष्ठा मुहूर्त 2025

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
24 अप्रैल सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
25 अप्रैल सुबह 08:53 से सुबह 10:20 तक
30 अप्रैल पूरा दिन
1 मई  सुबह 11:24 से दोपहर 02:21 तक
3 मई    पूरा दिन
4 मई    सूर्योदय से सुबह 07:19 तक,  (भौमयुति-परिहार)
8 मई  प्रातः 05:57 से सुबह 10:06 तक, अभिजित् (केतुयुति-परिहार)
18 मई    सुबह 06:21 बाद
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक, (सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक, क्रान्तिसाम्य)
25 मई    पूरा दिन
26 मई    सूर्योदय से सुबह 07:01 तक,
सुबह 09:25 बाद
 
28 मई    पूरा दिन
31 मई    पूरा दिन
7 जून   सुबह 09:39 से सुबह 11:17 तक
सन् 2026
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
7 फरवरी   पूरा दिन
13 फरवरी  सूर्योदय से सुबह 09:36 तक (सूर्य पूजा), (सुबह 09:36 से गुरुपादवेध)
16 फरवरी   पूरा दिन
18 फरवरी  सुबह 09:35 से सुबह 03:17 तक
21 फरवरी  दोपहर 01:01 बाद (मध्यमे)
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Lord Hanuman
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Lord Hanuman Murti Sthapana Shubh Muhurat
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श्री स्कन्द मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Ayyappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Skand

Lord Skand

श्री स्कन्द मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Skanda Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥ भगवान स्कन्द जी की तिथि शुक्ल पक्ष षष्ठी को पड़ती है।

श्री स्कन्द प्रतिष्ठा मुहूर्त 2025

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
20 अप्रैल सुबह 11:49 बाद (पादेन गुरुवेधऽभावः)
21 अप्रैल (गुरुपादवेध विचार्य),
24 अप्रैल सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
25 अप्रैल सुबह 08:53 से सुबह 10:20 तक
30 अप्रैल पूरा दिन
1 मई  सुबह 11:24 से दोपहर 02:21 तक
3 मई    पूरा दिन
4 मई    सूर्योदय से सुबह 07:19 तक,  (भौमयुति-परिहार)
8 मई  प्रातः 05:57 से सुबह 10:06 तक, अभिजित् (केतुयुति-परिहार)
18 मई    सुबह 06:21 बाद
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक, (सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक, क्रान्तिसाम्य)
25 मई    पूरा दिन
28 मई    पूरा दिन
31 मई    पूरा दिन
1 जून   सूर्योदय से सुबह 09:11 तक, (भौमयुति-परिहार)
7 जून   सुबह 09:39 से सुबह 11:17 तक
29 अगस्त    सुबह 09:42 से दोपहर 12:03 तक
28 सितंबर   सुबह 10:05 से दोपहर 02:30 तक
27 अक्टूबर     सुबह 08:11 से सुबह 10:31 तक,  (मं. दा.)
सन् 2026
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
7 फरवरी   पूरा दिन
13 फरवरी  सूर्योदय से सुबह 09:36 तक (सूर्य पूजा), (सुबह 09:36 से गुरुपादवेध)
18 फरवरी  सुबह 09:35 से सुबह 03:17 तक
21 फरवरी  दोपहर 01:01 बाद (मध्यमे)
23 फरवरी   सूर्योदय से सुबह 09:09 तक
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Lord Ayyappa
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Lord Ayyappa Murti Sthapana Shubh Muhurat 
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श्री नागदेवता मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Shri Nag Devta Murti Sthapana Muhurat

Nag Devta

Nag Devta

श्री नागदेवता मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Nag Devta Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।। भगवान नागदेवता जी की तिथि शुक्ल पंचमी को पड़ती है।

श्री नागदेवता प्रतिष्ठा मुहूर्त 2025

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
24 अप्रैल सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
25 अप्रैल सुबह 08:53 से सुबह 10:20 तक
30 अप्रैल पूरा दिन
1 मई  सुबह 11:24 से दोपहर 02:21 तक
3 मई    पूरा दिन
4 मई    सूर्योदय से सुबह 07:19 तक, (भौमयुति-परिहार)
5 मई    पूरा दिन
8 मई  प्रातः 05:57 से सुबह 10:06 तक, अभिजित्, (केतुयुति-परिहार)
18 मई    सुबह 06:21 बाद
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक, (सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक, क्रान्तिसाम्य)
25 मई    पूरा दिन
28 मई    पूरा दिन
31 मई    पूरा दिन
7 जून   सुबह 09:39 से सुबह 11:17 तक
25 नवंबर   पूरा दिन
सन् 2026
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
7 फरवरी   पूरा दिन
13 फरवरी  सूर्योदय से सुबह 09:36 तक (सूर्य पूजा), (सुबह 09:36 से गुरुपादवेध)
18 फरवरी  सुबह 09:35 से सुबह 03:17 तक
21 फरवरी  दोपहर 01:01 बाद (मध्यमे)
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Shri Nag Devta
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Shri Nag Devta Murti Sthapana Shubh Muhurat
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श्री भैरव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Bhairava Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Bhairava

Lord Bhairava

श्री भैरव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Bhairava Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

ॐ कालभैरवाय नम:। ॐ भयहरणं च भैरव:। ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।

भगवान भैरव जी की तिथि कृष्ण अष्टमी को पड़ती है।

श्री भैरव प्रतिष्ठा मुहूर्त:- 2025-2026

प्रारंभ काल-तारीख

मुहूर्त का समय-घं.मि.

21 अप्रैल  

पूरा दिन

20 मई   

प्रातः 05:52 बाद

12 जुलाई  

प्रातः 05:51 से सुबह 08:13 तक, दोपहर 03:12 से शाम 05:32 तक, अभिजित् 

13 जुलाई  

प्रातः 05:47 से सुबह 08:09 तक, दोपहर 03:08 से शाम 05:28 तक, अभिजित् 

3 नवंबर  

पूरा दिन

7 नवंबर 

07:28 से सुबह 09:48 तक, सुबह 11:53 से दोपहर  02:34 तक, अभिजित्

10 नवंबर  

पूरा दिन

23 नवंबर 

सूर्योदय से दोपहर 12:09 तक

27 नवंबर  

सुबह 07:51 बाद 

30 नवंबर  

पूरा दिन

5 दिसंबर

पूरा दिन

6 दिसंबर

सूर्योदय से सुबह 08:48 तक

7 दिसंबर

सूर्योदय से सुबह 07:50 तक

 

सन् 2026

प्रारंभ काल-तारीख

मुहूर्त का समय-घं.मि.

9 फरवरी  

पूरा दिन

11 मार्च  

पूरा दिन

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Lord Bhairava
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Lord Bhairava Murti Sthapana Shubh Muhurat
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श्री परशुराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Lord Parshuram Murti Sthapana Muhurat

Lord Parshuram

Lord Parshuram

श्री परशुराम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Lord Parshuram Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। ‘ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।। ‘ ‘ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।। ‘ भगवान परशुराम जी की तिथि शुक्ल तृतीया है।

श्री परशुराम प्रतिष्ठा मुहूर्त:- 2025-2026

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
24 अप्रैल सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
25 अप्रैल सुबह 08:53 से सुबह 10:20 तक
30 अप्रैल   पूरा दिन
1 मई  सुबह 11:24 से दोपहर 02:21 तक
3 मई    पूरा दिन
4 मई    सूर्योदय से सुबह 07:19 तक, (भौमयुति-परिहार)
8 मई  प्रातः 05:57 से सुबह 10:06 तक, अभिजित्, (केतुयुति-परिहार)
18 मई    सुबह 06:21 बाद
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक
(सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक, क्रान्तिसाम्य)
25 मई    पूरा दिन
28 मई    पूरा दिन
29 मई    पूरा दिन
31 मई    पूरा दिन
7 जून   सुबह 09:39 से सुबह 11:17 तक
सन् 2026
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
7 फरवरी   पूरा दिन
13 फरवरी  सूर्योदय से सुबह 09:36 तक, (सूर्य पूजा)
(सुबह 09:36 से गुरुपादवेध)
18 फरवरी  सुबह 09:35 से सुबह 03:17 तक
21 फरवरी  दोपहर 01:01 बाद (मध्यमे)
Frame
Lord Parshuram
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Lord Parshuram Murti Sthapana Shubh Muhurat
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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श्री गौरी देवी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Maa Gauri Murti Sthapana Shubh Muhurat

श्री गौरी देवी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त | Maa Gauri ji Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं। हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।। गौरी जी की तिथि शुक्ल तृतीया है।

श्री गौरी देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त:- 2025-2026

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
24 अप्रैल सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
25 अप्रैल सुबह 08:53 से सुबह 10:20 तक
30 अप्रैल   पूरा दिन
1 मई  सुबह 11:24 से दोपहर 02:21 तक
3 मई    पूरा दिन
4 मई    सूर्योदय से सुबह 07:19 तक, (भौमयुति-परिहार)
8 मई  प्रातः 05:57 से सुबह 10:06 तक, अभिजित्,  (केतुयुति-परिहार)
18 मई    सुबह 06:21 बाद
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक
(सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक, क्रान्तिसाम्य)
25 मई    पूरा दिन
28 मई    पूरा दिन
29 मई    पूरा दिन
31 मई    पूरा दिन
7 जून   सुबह 09:39 से सुबह 11:17 तक
सन् 2026
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
7 फरवरी   पूरा दिन
13 फरवरी  सूर्योदय से सुबह 09:36 तक (सूर्य पूजा)
(सुबह 09:36 से गुरुपादवेध)
18 फरवरी  सुबह 09:35 से सुबह 03:17 तक
21 फरवरी  दोपहर 01:01 बाद (मध्यमे)
Frame
Maa Gauri
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Maa Gauri Murti Sthapana Shubh Muhurat
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विद्यारम्भ-मुहूर्त्त | Shubh Muhurat To Start New Subject (Higher Studies)

Vidyarambh

Vidyarambh

बच्चे को वर्णमाला का ज्ञान करवाने के लिए अक्षरारम्भ के और संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, रसायन आदि विषयों का अध्ययन प्रारम्भ करने के लिए विद्यारम्भ के मुहूर्तों का प्रयोग करना चाहिए।

विद्यारम्भ संस्कार-मृगात्कराच्छ्रुतेस्त्रयेऽश्विमूलपूर्विकात्रये।
गुरुद्वयेऽर्कजीववित्सितेऽह्नि षट्शरत्रिके॥
शिवार्कदिग्द्विके तिथौ ध्रवान्त्यमित्रभे परैः।
शुभैरधीतिरूत्तमा त्रिकोणकेन्द्रगैः स्मृता॥

अर्थ- मृगशिरा, हस्त और श्रवण से तीन- तीन नक्षत्र अर्थात् मृगशीर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु, हस्त, चित्रा, स्वाती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, अश्विनी, मूल, तीनों पूर्वा, पुष्य से दो अर्थात् पुष्य आश्लेषा नक्षत्रों में, रवि, गुरु, बुध और शुक्र वासरों में, षष्ठी, पंचमी, तृतीया, एकादशी, द्वादशी, दशमी एवं द्वितीया तिथियों में शुभग्रहों के केंद्र व त्रिकोण 1, 4, 7, 10, 5, 9 भावों में स्थित रहने पर कुछ विद्वानों के मतानुसार ध्रुवसंज्ञक तीनों उत्तरा, रोहिणी, रेवती और अनुराधा नक्षत्रों में भी विद्याध्ययन का आरंभ करना शुभ होता है।

वर्णमाला गणितादि में बालक परिपक्व हो जाने पर भविष्यत् आजीविका प्रदात्री कोई विशेष या सर्वसामान्य विद्या का शुभारंभ करना चाहिये।

ज्योतिष गणितारंभ मुहूर्त्त | Starts Learning Jyotish Ganit Muhurat

वार- बुधवार एवं गुरुवार।

नक्षत्र- रोहिणी, आर्द्रा, हस्त, चित्रा, अनुराधा, शतभिषा, पू०भा० एवं रेवती।

व्याकरणारम्भ मुहूर्त | Starts Learning Grammar Muhurat

वार- बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार

नक्षत्र- अश्विनी, रोहिणी, मृगऋ पुन० ह० चि० स्वा० वि० अनु०।

न्यायशास्त्रारम्भ मुहूर्त्त | Starts Learning Nayay Shastra Muhurat

वार- बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार

नक्षत्र- अश्विनी, रो०, पुन०,पु०, तीनों उत्तरा, स्वाती, श्र० श०।

धर्मशास्त्रारम्भ मुहूर्त्त | Starts Learning Dharmshastra Muhurat

वार- बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार

नक्षत्र- अश्विनी, मृ० पु०, ह०, चि०, स्वा० अनु०, श्र० ध० श० रे०।

संगीतारम्भ मुहूर्त्त | Starts Learning Sangeet (Music) Muhurat

वार-चंद्रवार, बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार। वाद्यारंभ में रविवार भी

नक्षत्र- रोहिणी, मृ० पु० तीनों उत्तरा, हस्त्र, अनु० ज्ये० ध० शत० रे०।

वेदमंत्रारंभ मुहूर्त्त | Starts Learning Vedas Muhurat

मास- अश्विन

तिथि- 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 शु०

नक्षत्र- अश्विनी, मृ०, आ०, पुन०, श्ले, तीनों पूर्वा, ह० चि० स्वा० श्र० ध० श०।

चित्रकलारंभ मुहूर्त्त | Starts Learning Arts Muhurat

वार- चन्द्रवार, बुध, गुरु एवं शुक्रवार

नक्षत्र-अश्विनी, आ०, पुन०, ह०, चि०, स्वा० अनु०, श्र० रेवती।

 विद्यारम्भ-मुहूर्त्त -2025

प्रारंभ काल – तारीख

प्रारंभ काल – घं.मि.

समाप्ति काल – घं.मि.

18 अप्रैल  

दोपहर 12:57 बाद

सूर्यास्त तक

23 अप्रैल  

शाम 04:43 बाद

सूर्यास्त तक

24 अप्रैल  

सूर्योदय से

सुबह 10:49 तक

25 अप्रैल  

सुबह 08:53 से

सुबह 11:45 तक

30 अप्रैल  

सूर्योदय से

दोपहर 12:01 तक

1 मई   

सुबह 11:24 से

दोपहर 02:20 तक

1 मई   

दोपहर 02:20 बाद

सूर्यास्त तक

2 मई   

सूर्योदय से

दोपहर 01:04 तक

2 मई   

दोपहर 01:04 बाद

सूर्यास्त तक

7 मई   

सूर्योदय से

सुबह 11:38 तक

8 मई   

दोपहर 12:29 बाद, (केतुयुति-परिहार)

सूर्यास्त तक

15 मई   

दोपहर 02:07 से

दोपहर 03:16 तक

18 मई   

सुबह 06:21 से

शाम 06:52 तक

28 मई   

सूर्योदय से

सूर्यास्त तक

29 मई   

सूर्योदय से

दोपहर 03:46 तक

1 जून  

सूर्योदय से

सुबह 09:11 तक

1 जून  

दोपहर 12:47 बाद, (भौमयुति-परिहार)

सूर्यास्त तक

 

सन् 2026

 

प्रारंभ काल – तारीख

प्रारंभ काल – घं.मि.

समाप्ति काल – घं.मि.

4 फरवरी  

सूर्योदय से

दोपहर 12:15 तक, (केतुयुति-परिहार)

13 फरवरी  

सूर्योदय से

सुबह 09:37 तक

13 फरवरी  

शाम 04:12 बाद

सूर्यास्त तक

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Vidhya Arambh
Frame
Vidhya Arambh Shubh Muhurat
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अक्षरारम्भ मुहूर्त्त | Shubh Muhurat to Start School For The First Time

Akshra Arambh

Akshra Arambh

अक्षरारम्भ-मुहूर्त्त | Akshra Arambh Muhurat

बच्चे को वर्णमाला का ज्ञान करवाने के लिए अक्षरारम्भ के और संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, रसायन आदि विषयों का अध्ययन प्रारम्भ करने के लिए विद्यारम्भ के मुहूर्तों का प्रयोग करना चाहिए।

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में एक विद्यारंभ संस्कार भी है। यह संस्कार बच्चे के 4 से 5 वर्ष के उम्र में किया जाता है। क्योंकि इस उम्र में बच्चे अच्छी तरह से बोलना और समझना सीख जाते हैं। इसलिए उन बच्चों का विद्यालय में नाम दाखिल किया जाता है। बच्चों का नाम विद्यालय में दाखिल करने लिए शुभ मुहूर्त का भी होना अति आवश्यक है। क्योंकि जो भी कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाता है। उसका परिणाम अति सुख प्राप्त होता है।

गणेश विष्णु वाग्रमाः प्रपूज्य पंचमाब्दके।
तिथौ शिवार्कदिकद्विषटशरत्रिके रवावुदक्॥
लघुश्रवोऽनिलान्त्यभादितीशतक्षमित्रभे।
चरोनसत्तनौ शिशोर्लिपिग्रहः सतां दिने॥

अर्थ- गणेश, विष्णु, सरस्वती और लक्ष्मी का विधिवत् पूजन कर पाँचवें वर्ष में, एकादशी, द्वादशी, दशमी, द्वितीया, षष्ठी, पंचमी एवं तृतीया तिथियों में सूर्य के उत्तरायण रहने पर लघुसंज्ञक (हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत् श्रवण, स्वाती, रेवती, पुनर्वसु, आर्द्रा, चित्रा तथा अनुराधा) नक्षत्रों में चर लग्नों (1, 4, 7, 10) को छोड़कर शुभग्रहों के लग्नों (2, 3, 4, 6, 7, 9, 12) में शुभग्रहों के (चंद्रवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार) वारों में बालकों को अक्षरारम्भ कराना चाहिये।

बालकों को पाँच वर्ष की अवस्था में सम्प्राप्त हो जाने पर अधोवर्णित विशुद्ध दिन को विघ्नविनायक, शारदा, लक्ष्मी नारायण, गुरु एवं कुल देवता की पूजा के साथ उसे लिखने पढ़ने का श्रीगणेश करवाना चाहिये।

विशेष- उपर्युक्त देवताओं के नाम से घृत हवन करे तथा ब्राह्मणों को दक्षिणादि देकर संतुष्ट करना चाहिये। बालक का चंद्र-बुध बल अपेक्षित है।

अक्षरारम्भ-मुहूर्त्त- 2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.समाप्ति काल – घं.मि.
14 अप्रैल  सुबह 08:25 बादसूर्यास्त तक
2 मई   सूर्योदय सेसूर्यास्त तक
15 मई   सूर्योदय सेदोपहर 02:07 तक
29 मई   सूर्योदय सेदोपहर 03:46 तक
 सन् 2026 
प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.समाप्ति काल – घं.मि.
9 मार्च  शाम  04:11 बादसूर्यास्त तक
Frame
Akshra Arambh
Frame
Akshra Arambh Shubh Muhurat
Frame

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मुंडन (चूड़ाकर्म ) संस्कार शुभ मुहूर्त | Mundan Ceremony Vidhi Shubh Muhurat

Chudakarm Mundan Sanskar

Chudakarm Mundan Sanskar

सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में से आठवां संस्कार (चूड़ाकर्म/ मुंडन संस्कार)

सनातन संस्कृति में मनुष्य जीवन के कुल सोलह संस्कार होते हैं, जिनमें से मुंडन संस्कार अथवा चूड़ाकर्म संस्कार आठवां संस्कार होता है। इस संस्कार में शिशु को जन्म के दोषों से संपूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है तथा अब वह पूरी तरह से पवित्र हो जाता है। मुंडन (चूड़ाकर्म) संस्कार में शिशु को जन्म के समय मिले केश/ सिर के बाल काट दिए जाते है जिससे उसकी बौद्धिक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मुंडन संस्कार क्या होता है? (Mundan Sanskar Kya Hai)

मुंडन का अर्थ होता है सिर के बालों को पूरी तरह से काटना। यह वे बाल होते हैं जो शिशु अपनी माँ के गर्भ से लेकर आता है। मुंडन संस्कार करके माँ के गर्भ से मिले बालों को उतार दिया जाता हैं जिससे वह सभी प्रकार के मलिन दोषों से पूर्णतया मुक्त हो जाता है। शिखा की व्यवस्था शिखा छिन्दन्ति ये मोहात् द्वेषादज्ञानतोऽपि वा। तप्तकृच्च्रेण शुध्यन्ति त्रायो वर्णा द्विजातयः- लघुहारित चूड़ाकरण का शास्त्रीय आधार था दीर्घायुष्य की प्राप्ति। सुश्रुत ने (जो विश्व के प्रथम शीर्षशल्य चिकित्सक थे) इस सम्बन्ध में बताया है कि- मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा संधि का सन्निपात है वहीं रोमवर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिखा रखने से इस कोमलांग की रक्षा होती है। इससे मस्तिष्ट का ज्ञान वहां पर केन्द्रित होता है तथा उसे ठंडा रखने में भी सहायता मिलती है। बच्चों के केश कटवाने के पश्चात सिर पर दही, शहद, मक्खन इत्यादि का लेप किया जाता है जिससे उसे ठंडक प्राप्त हो। इसके पश्चात उसे स्नान करवाया जाता है। उसके बालों को धार्मिक स्थल, नदी इत्यादि में छोड़ दिया जाता है।

मुण्डन मुहूर्त

गर्भाधान काल से या जन्म काल से विषम अर्थात 1, 3,5,7 वर्ष में चैत्र को छोड़कर; उत्तरायण सूर्य में चंद्र, बुध, गुरु और शुक्रवार, लग्न तथा नवांशक में; जन्म राशि या जन्मलग्न से अष्टम लग्न को छोड़कर 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 तिथियों में संक्रांति दिन को छोड़कर; जब लग्न से आठवां स्थान शुद्ध (ग्रह रहित) हो, 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह हों; ज्येष्ठ, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, हस्त, अश्विनी, पुष्य और अभिजित नक्षत्रों में मुण्डन शुभ है। निषिद्ध काल-गर्भिण्यां मातरि शिशोः क्षौर कर्म न कारयेत्- लड़के की माता को पांच मास का गर्भ हो तो मुण्डन निषिद्ध है, परंतु 5 वर्ष से अधिक अवस्था के बालक के लिए निषेध नहीं है। जेठे लड़के का मुण्डन ज्येष्ट मास में नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त भी मुहूर्त निर्णय के समय-निषिद्ध काल को त्यागना चाहिए। मुण्डन कर्म में विशेष- स्वकुल-शिष्टाचारानुसार उपरोक्त नक्षत्र, तिथ्यादि, शुभ समय में अपने-अपने इष्ट देव के स्थानों में मुंडन संस्कार करना चाहिए। किसी देवस्थल / तीर्थ पर बिना मुहूर्त के भी मुंडन करवाना शुभ माना गया है। नवरात्रों के दिनों में भी शक्तिपीठों (देवी-मंदिरों) के समीप मुंडन करवाने की पंजाब, हिमाचल आदि प्रदेशों में पुरानी परंपरा है।

Mundan Shubh Muhurat

 मुण्डन-मुहूर्त्त (सन् 2025)

प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
14 अप्रैल   सुबह 08:25 बाद
21 अप्रैल  दोपहर 12:37 बाद 
23 अप्रैल   शाम 04:43 बाद
24 अप्रैल   सूर्योदय से सुबह 10:49 तक
1 मई    सुबह 11:24 से दोपहर 02:20 तक
2 मई  दोपहर 01:04 बाद 
3 मई  सुबह 06:17 से सुबह 10:26 तक, अभिजित्, (वैश्यानां केवलम्)
4 मई  सूर्योदय से सुबह 07:20 तक (ब्राह्मणों के लिए) (भौमयुति-परिहार) 
12 मई  सूर्योदय से सुबह 06:17 तक
15 मई    सूर्योदय से दोपहर 02:07 तक, अभिजित्  (सूर्य पूजा)
19 मई  सूर्योदय से सुबह 10:19 तक, (सुबह 10:19 से दोपहर 03:24 तक क्रान्तिसाम्य)
28 मई    पूरा दिन
31 मई  सुबह 06:22 से सुबह 08:36 तक, दोपहर 01:18 से दोपहर 03:36 तक, अभिजित् (वैश्यानां)
7 जून   सुबह 09:40 बाद (वैश्यानां)
28 सितंबर   सुबह 10:05 से दोपहर 02:26 तक, अभिजित्, (ब्राह्मणों के लिए)
सन् 2026
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
18 फरवरी   सुबह 09:35 से दोपहर 03:17 तक
21 फरवरी   दोपहर 01:01 बाद, (वैश्यानां केवलम्)
9 मार्च   शाम 04:12 बाद
11 मार्च   सुबह 08:13 से दोपहर 01:54 तक
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Mundan Ceremony
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Mudan Cermony Shubh Muhurat
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