औषधि निर्माण एंव सेवन | Shubh Muhurat To Start Medicines

ज्योतिष वह विज्ञान है जो मनुष्य क़े अंधविश्वास रूपी अन्धकार का हरण करके ज्ञान का प्रकाश करता है| ज्योतिष भाग्य पर नहीं कर्म और केवल कर्म पर ही आधारित शास्त्र है|

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

नक्षत्रों का कभी क्षरण नहीं होता तथा वे सदैव अपने स्थान पर ही रहते हैं। जिस नक्षत्र में बच्चे का जन्म होता है, उसी के अनुसार उसकी जन्म राशि का निर्धारण होता है। शुभ नक्षत्रों का ध्यान रखते हुए यदि कोई कार्य किया जाए तो उसमें सफलता मिलती है। यहां हम औषधि सेवन व निर्माण कार्यों की विवेचना कर रहे हैं जिन्हें शुभ नक्षत्र में करने से लाभ मिल सकता है। जानें ऐसे ही कुछ शुभ नक्षत्र जो बेहद शुभ और लाभकारी हैं।

ग्राह्य तिथियाँ:- 1(कृष्ण), 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 (शुक्ल)

ग्राह्य वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार  ।

ग्राह्य नक्षत्र:- यहाँ जन्म नक्षत्र त्याज्य रहेगा

लघु संज्ञक (अश्विनी, पुष्य,  हस्त,अभिजीत) ,

मृदु संज्ञक (मृगशिरा, चित्रा, रेवती),

चर संज्ञक (पुनर्वसु, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा) तथा मूल नक्षत्र(ज्येष्ठा,मूल)  ।

लग्न शुद्धि:- द्विस्वभाव (3, 6, 9, 12) तथा लग्न ,सप्तम,अष्टम तथा द्वादश भाव शुध्द हो अर्थात इन बातों पर क्रोध की स्थिति व दृष्टि वर्ज्य है  ।

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Shubh Muhurat To Start Medicines
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Muhurat for Starting Medicines | Shubh Muhurat To Start Treatment | Ideal Days to Begin Medical Treatment | Mahurata for Medical Treatment |Auspicious day to go to hospital | औषधि लेने का शुभ मुहूर्त  |इलाज कराने का शुभ मुहूर्त | दवाई शुरू करने का शुभ मुहूर्त | किस मुहुर्त में करें रोग का निदान

Shubh Muhurat For Storage of Food Grain | अनाज संग्रह(भरने) का मुहूर्त 2024-2025

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

ज्योतिषशास्त्र में कृषि संबंधी कार्यों के लिए उपयोगी मुहूर्तों का उल्लेख किया गया है। यदि इन मुहूर्तो को घ्यान में रखते हुए कृषि संबंधी कार्य सम्पन्न किए जाएं, तो लाभ की संभावना रहती है।

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

शुभ मुहूर्त निर्धारण में वर्जित योग

  1. जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि, जन्म मास, माता-पिता की मृत्यु के दिन आदि।
  2. क्षय तिथियां, वृद्धि तिथियां, क्षय मास, अधिमास, क्षय वर्ष, दग्ध तिथियां आदि।

ग्राह्य तिथियाँ:- 2, 3, 5, 7, 8, 11, 12, 13 (शुक्ल), 15

ग्राह्य वार:- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार  ।

ग्राह्य नक्षत्र:- अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य,  पुनर्वसु,  उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद,  हस्त,  चित्रा , स्वाती ,अनुराधा, मूल , श्रवण ,धनिष्ठा, शतभिषा तथा रेवती  ।

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शुभ मुहूर्त कितने बजे हैं? | कृषि पंचांग | पंचांग विज्ञान | कृषि शास्त्र | Shubh Muhurat for Safe storage of food grain and seeds |
अनाज संग्रहण | धान्य संग्रह | सफलता के लिए शुभ मुहूर्त | फसल काटने का मुहूर्त | गेहूं काटने का शुभ मुहूर्त 

खेती में बीज बोने (हल चलाने) का मुहूर्त 2024-2025 | Beej Bone ka Shubh Muhurat

sowing seeds

sowing seeds

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

ज्योतिषशास्त्र में कृषि संबंधी कार्यों के लिए उपयोगी मुहूर्तों का उल्लेख किया गया है। यदि इन मुहूर्तो को घ्यान में रखते हुए कृषि संबंधी कार्य सम्पन्न किए जाएं, तो लाभ की संभावना रहती है।

अन्य ग्रहों का संबंध मनुष्य पर या पृथ्वी पर स्पष्ट रूप में पड़े या नहीं, पर सूर्य एवं चंद्र का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। सूर्य के भिन्न-भिन्न नक्षत्रों में प्रवेश करने से मौसम बदलते रहते हं, उसी प्रकार पूर्णिमा एवं अमावस्या के फलस्वरूप समुद्र में ज्वार भाटा स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। पूर्णिमा एवं अमावस्या को मानसिक रूप से असंतुलित लोग ज्यादा परेशान रहते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ग्रह-नक्षत्र का प्रभाव पृथ्वी के साथ-साथ मनुष्य पर भी पड़ता है। मौसम में परिवर्तन सूर्य-चंद्र का सम्मिलित प्रभाव से होता है।

जब सूर्य रोहिणी में प्रवेश करता है तो बहुत गर्मी पड़ती है, मृगशिरा में इतनी गर्मी नहीं होती है एवं आद्र्रा में वर्षा शुरू हो जाती है।

सूर्य के नक्षत्र के अनुसार किसानों को अपने खेत में बीज बोने के लिए निर्देश दिया गया है। अगर गलत नक्षत्र में बीज बोए जाएं, तो फसल नहीं होगी। इस तरह यहां भी मुहूर्त देखने की जरूरत है। सूर्य मास की तरह ही चंद्र मास भी होता है। चित्रा नक्षत्र जिस मास की पूर्णिमा को होता है वह महीना चैत्र कहा जाता है, विशाखा अगर पूर्णिमा को हो तो वैशाख मास आदि।

शुभ मुहूर्त निर्धारण में वर्जित योग

  1. जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि, जन्म मास, माता-पिता की मृत्यु के दिन आदि।
  2. क्षय तिथियां, वृद्धि तिथियां, क्षय मास, अधिमास, क्षय वर्ष, दग्ध तिथियां आदि।

ग्राह्य तिथियाँ:- 1 (कृष्ण), 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 (कृष्ण)  तथा पूर्णिमा । 

ग्राह्य वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार

ग्राह्य नक्षत्र:- अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य , मघा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, धनिष्ठा, तथा रेवती ।

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Beej Bone ka Shubh Muhurat
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दुकान अथवा व्यापार आरंभ करने का मुहूर्त सन 2024-2025

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatras for Business or Opening Shop:-

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए नक्षत्र हस्त, चित्रा, रोहिणी, रेवती, उत्तराफाल्गुनी,  उत्तराषाढ़ा,  उत्तराभाद्रपद, पुष्य, अश्विणी, अभिजीत शुभ है।

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Tithi for Business or Opening Shop:-

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए तिथियां 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8 ,10, 11, 12, 13, 15 शुभ है।

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए शुभ वार | Auspicious Day for Business or Opening Shop:-

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए वार सोम, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, रवि शुभ है।

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए शुभ लग्न | Auspicious Nakshatra for Business or Opening Shop:-

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए लग्न कुंभ लग्न को छोड़कर अन्य लग्नों में शुभ है।

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए शुभ समय | Auspicious Timing for Business or Opening Shop:-

दुकान खोलने अथवा व्यापार आरंभ करने के लिए समय 2, 10, 11 स्थानों में शुभ ग्रह बैठे हों, 3, 6 में पाप ग्रह हों, 8, 12 वां स्थान पाप रहित हो, शुभ दशा भी हो तो दुकान करना शुभ है, चंद्र लग्न में हो तो अत्यंत शुभ है।

दुकान अथवा व्यापार आरंभ करने का मुहूर्त सन् -2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
11 जुलाईदोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद
17 जुलाईसुबह 07:53 से सुबह 10:13 तक
21 जुलाईपूरा दिन
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित्
27 जुलाईसुबह 10:25 से दोपहर 12:59 तक (मृत्युबाण परिहार),
दोपहर 12:51 के बाद
28 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:47 तक
31 जुलाईसूर्योदय से दोपहर 02:14 तक, भौमयुति परिहार
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक
09 अगस्तपूरा दिन (केतुयुति परिहार)
14 अगस्तसुबह 10:24 से दोपहर 12:13 तक
23 अगस्तसुबह 11:55 के बाद
24 अगस्तसूर्योदय से शाम 06:05 तक, 
विशेष:- सुबह 10:01 से 02:43 तक, अभिजित्
26 अगस्तदोपहर 03:55 के बाद
28 अगस्तसूर्योदय से दोपहर 01:26 तक, भौमयुति परिहार
31 अगस्तसूर्योदय से शाम 05:38 तक
04 सितंबरपूरा दिन
08 सितंबरसुबह 09:02 से दोपहर 01:44 तक, अभिजित्
14 सितंबरसूर्योदय से सुबह 09:35 तक
03 अक्टूबर दोपहर 01:32 के बाद
07 अक्टूबरसुबह 09:48 के बाद
11 अक्टूबरसूर्योदय से दोपहर 01:39 तक, अभिजित्
12 अक्टूबरसुबह 10:59 के बाद
18 अक्टूबरसूर्योदय से दोपहर 01:26 तक, मृत्युबाण परिहार 
21 अक्टूबरसुबह 06:50 से सुबह 11:11 तक 
24 अक्टूबरपूरा दिन
28 अक्टूबरदोपहर 01:23 के बाद
03 नवंबरपूरा दिन
04 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:03 तक
07 नवंबरसुबह 11:51 के बाद
08 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:27 तक, 
सुबह 10:51 से दोपहर 12:03 तक 
13 नवंबरपूरा दिन
14 नवंबरसूर्योदय से सुबह 09:43 तक, मृत्युबाण परिहार
17 नवंबरपूरा दिन (मृत्युबाण परिहार)
18 नवंबरसुबह 09:05 से 12:50 तक, अभिजित्,  भद्रा परिहार 
21 नवंबरसूर्योदय से दोपहर 03:35 तक, भौमयुति परिहार
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
27 नवंबरपूरा दिन
28 नवंबरसूर्योदय से सुबह 07:35 तक
05 दिसंबरदोपहर 12:49 के बाद
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:43 तक
11 दिसंबरसुबह 07:35 से सुबह 11:20 तक
सुबह 11:47 से दोपहर 02:26 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:52 तक

दुकान अथवा व्यापार आरंभ करने का मुहूर्त सन् -2025

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 जनवरीसूर्योदय से सुबह 10:28 तक
19 जनवरीसूर्योदय से शाम 05:30 तक, केतुयुति परिहार
विशेष:- सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्
24 जनवरीसुबह 11:14 से दोपहर 02:41 तक, अभिजित्, मृत्युबाण परिहार
07 फरवरीसूर्योदय से शाम 04:16 तक
विशेष:- सुबह 10:29 से दोपहर 01:46 तक, अभिजित्
15 फरवरीसुबह 09:47 से दोपहर 01:14 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
20 फरवरीदोपहर 01:30 के बाद
21 फरवरीसुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
06 मार्चसुबह 08:32 से दोपहर 12:00 तक, अभिजित् 
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मकान, दुकान आदि की नींव रखने के मुहूर्त | Bhumi Pujan ke shubh muhurat

bhumi pujan shubh muhurat

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मकान बनाने के लिए पृथ्वी की शुभाशुभ परीक्षाः-मकान की नींव को इतना गहरा खोदें कि जल दीखने लगे अथवा दूसरी मिट्टी जब तक निकले अथवा साढे तीन हाथ गहरी खोदें अर्थात् मनुष्य के बराबर खोदें। खोदते समय यदि जमीन में पत्थर निकले तो धन-आयु की वृद्धि हो, अगर गुठली निकले तो धननाश हो अगर अस्थि, राख, बाल निकले तो मकान बनाने वाले को व्याधि-पीड़ा हो।

गृहारंभ मुहूर्त सन्:- 2024

प्रारंभ काल – तारीख

मुहूर्त का समय – घं.मि.

*(11 जुलाई)दोपहर 01:04 के बाद
*(12 जुलाई)सुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
17 जुलाईसुबह 07:53 से सुबह 10:13 तक,
दोपहर 12:31 से दोपहर 02:52 तक, मृत्युबाण 
*(26 जुलाई)दोपहर 02:30 के बाद
*(27 जुलाई)सुबह 10:25 से दोपहर 12:59 तक, मृत्युबाण परिहार
*(31 जुलाई)सूर्योदय से सुबह 10:12 तक (भौमयुति परिहार)
सुबह 10:12 से दोपहर 02:13 तक, 
शाम 05:49 के बाद
*(01 अगस्त)सूर्योदय सेसुबह 10:24 तक
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, 
विशेष:- सुबह 10:21 से दोपहर 03:03 तक, अभिजित्
*(28 अगस्त)सुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक 
*(04 सितंबर)सुबह 09:18 से दोपहर 12:00 तक 
14 सितंबरसुबह 08:35 से दोपहर 01:17 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार 
18 अक्टूबरसुबह 06:25 से दोपहर 01:11 तक, अभिजित्
*(21 अक्टूबर)सूर्योदय से सुबह 06:50 तक
*(24 अक्टूबर)पूरा दिन
*(04 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:03 तक
*(07 नवंबर)सुबह 11:51 के बाद
*(08 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:27 तक, 
सुबह 10:51 से दोपहर 12:03 तक
*(18 नवंबर)सुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्
*(25 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 11:41 तक, (केतुयुति परिहार)
विशेष:- सुबह 08:37 से दोपहर 12:33 तक, अभिजित् 
*(27 नवंबर)सुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
*(05 दिसंबर)दोपहर 12:49 के बाद
*(07 दिसंबर)सूर्योदय से शाम 04:50 तक, 
सुबह 07:50 से सुबह 11:36 तक
11 दिसंबरसुबह 11:48 के बाद
12 दिसंबरसुबह 07:31 से सुबह 11:16 तक

गृहारंभ मुहूर्त सन्:-2025

प्रारंभ काल – तारीख

मुहूर्त का समय – घं.मि.

15 जनवरीसुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक
*(22 जनवरी)सूर्योदय से दोपहर 03:18 तक
*(31 जनवरी)सूर्योदय से दोपहर 03:32 तक
विशेष:-  सुबह 07:51 से सुबह 09:24 तक, सुबह 10:46 से दोपहर 12:29 तक, अभिजित्  
15 फरवरीसुबह 09:47 से दोपहर 01:15 तक, अभिजित्
*(19 फरवरी)सूर्योदय से सुबह 10:40 तक
*(20 फरवरी)दोपहर 03:09 के बाद
*(21 फरवरी)सुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक 

*(तारा) अंकित मुहूर्त्तों में केवल ‘वृष-वास्तुचक्र-शुद्धि’ नहीं है, अन्यथा ये मुहूर्त्त सर्वथा शुद्ध हैं।

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Bhumi Pujan ke shubh muhurat
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Bhumi Pujan Ke Shubh Muhurat
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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नये गृह में प्रवेश करने का मुहूर्त | Best Griha Pravesh Shubh Muhurat 2024-2025

nav griha pravesh dates

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नए घर में प्रवेश करने का मुहूर्त सन्:- 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 अप्रैल सुबह 07:28 से सुबह 11:37 तक, अभिजित्
11 जुलाईदोपहर 01:04 के बाद
12 जुलाईसुबह 07:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
18 अक्टूबरसुबह से दोपहर 01:11 तक, अभिजित्, मृत्युबाण परिहार
*(21 अक्टूबर)सूर्योदय से सुबह 11:11 तक
*(23 अक्टूबर)सुबह 07:27 से दोपहर 12:52 तक, भौमयुति परिहार
*(24 अक्टूबर)सुबह 08:26 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्
28 अक्टूबरदोपहर 03:23 के बाद
*(04 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:03 तक
07 नवंबरसुबह 11:51 के बाद
08 नवंबरसूर्योदय से सुबह 08:27 तक, 
सुबह 10:51 से दोपहर 12:03 तक
09 नवंबरसुबह 07:20 से सुबह 11:45 तक, अभिजित्
13 नवंबरपूरा दिन
*(18 नवंबर)सूर्योदय से सुबह 08:01 तक, 
सुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्  
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक 
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार, केतुयुति परिहार
27 नवंबरपूरा दिन
*(05 दिसंबर)दोपहर 12:41 के बाद, मृत्युबाण परिहार
*(06 दिसंबर)सूर्योदय से सुबह 10:43 तक
07 दिसंबरसुबह 07:50 से सुबह 11:36 तक, अभिजित्
11 दिसंबरसुबह 11:48 के बाद, भद्रा-परिहार
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:53 तक

नए घर में प्रवेश करने का मुहूर्त सन्:-2025

प्रारंभ काल – तारीख

मुहूर्त का समय – घं.मि.

*(15 जनवरी)सुबह 09:01 से सुबह 10:28 तक, 
सुबह 11:49 से दोपहर 01:22 तक 
*(18 जनवरी)दोपहर 02:51 के बाद, केतुयुति परिहार
22 जनवरीसुबह 07:34 से 09:59 तक
सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 07:26 से सुबह 09:51 तक
सुबह 11:15 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, भद्रा परिहार, मृत्युबाण परिहार
*(31 जनवरी)सुबह 07:51 से सुबह 09:24 तक,
सुबह 10:46 से दोपहर 12:29 तक, अभिजित्
07 फरवरीसूर्योदय से शाम 04:16 तक
विशेष:- सुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक, सुबह 10:19 से सुबह 11:51 तक, अभिजित् 
10 फरवरीसुबह 07:19 से सुबह 08:44 तक
सुबह 10:07 से सुबह 11:39 तक, अभिजित्
*(15 फरवरी)सुबह 09:47 से दोपहर 01:15 तक, अभिजित्
*(19 फरवरी)सुबह 09:31 से सुबह 11:04 तक, बुधपादवेधऽभावः
*(21 फरवरी)सुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक, अभिजित्
06 मार्चसुबह 08:32 से दोपहर 12:00 तक, अभिजित्

* (तारा) अंकित मुहूर्तों में केवल कलशचक्र-शुद्धि नहीं है, अन्यथा ये मुहूर्त्त सर्वथा शुद्ध हैं।

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Griha Pravesh Shubh Muhurat
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Griha Pravesh Shubh Muhurat
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हमारे द्वारा यहां कुछ विशेष मुहूर्त दिए गए हैं यदि आप स्वयं के लिए किसी विशेष दिन का मुहूर्त चाहते हैं तो संपर्क करें

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केतु के रत्न लहसुनिया धारण विधि, मुहूर्त | Cats Eye Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

lehsuniya ratan dharan karne ka mantra vidhi

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आप शुद्ध तथा असली लहसुनिया अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी लहसुनिया जैसा ही देंगे। जैसे वैदूर्य, कैट्स आई, गोदंती, संगी, अलेक्जेंड्राइट चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर काले  – सफेद अथवा चितकबरे रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर लहसुनिया तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ स्त्राम् स्त्रीम् स्त्रौम् सः केतवे नमः। 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ स्त्राम् स्त्रीम् स्त्रौम् सः केतवे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

केतु ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
21 मार्चरात्रि 01:26 से मार्चसूर्योदय तक 
18 अप्रैलसुबह 07:56 से19 अप्रैलसूर्योदय तक
16 मईसूर्योदय से16 मईशाम 06:14 तक
19 जुलाईरात्रि 03:25 से19 जुलाईसूर्योदय तक
15 अगस्तदोपहर 12:52 से16 अगस्तसूर्योदय तक
12 सितंबरसूर्योदय से12 सितंबररात्रि 09:52 तक
17 अक्टूबरशाम 04:20 से18 अक्टूबर सूर्योदय तक
14 नवंबरसूर्योदय से15 नवंबररात्रि 00:33 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से12 दिसंबरसुबह 09:52 तक 
20 दिसंबररात्रि 01:59 से20 दिसंबरसूर्योदय तक

सन – 2025

16 जनवरीसुबह 11:16 से17 जनवरीसूर्योदय तक
13 फरवरीसूर्योदय से13 फरवरीरात्रि 09:07 तक

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राहू के रत्न गोमेद आदि धारण विधि, मुहूर्त | Gomed Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

gomed ratan dharan karne ka mantra vidhi

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आप शुद्ध तथा असली गोमेद अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी गोमेद जैसा ही देंगे। जैसे तुरसा, साफा आदि अष्टधातु अथवा चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर नीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर गोमेद तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ भ्राम् भ्रीम् भ्रौम् सः राहवे नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ भ्राम् भ्रीम् भ्रौम् सः राहवे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की मध्यमा (सबसे बड़ी अंगुली में) धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 राहू ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
24 अप्रैलसूर्योदय से25 अप्रैलरात्रि 00:41 तक
22 मईसूर्योदय से22 मईसुबह 07:46 तक
26 जूनदोपहर 01:05 से27 जूनसूर्योदय तक
24 जुलाईसूर्योदय से24 जुलाईशाम 06:14 तक
28 अगस्तदोपहर 03:53 से29 अगस्तसूर्योदय तक
25 सितंबरसूर्योदय से25 सितंबररात्रि 11:23 तक

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शनि के रत्न नीलम आदि धारण विधि, मुहूर्त | Neelam Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली नीलम अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी नीलम जैसा ही देंगे। जैसे नीलिमा, जमुनिया, नीला कटहला, एमेथिस्ट, ब्लैकस्टार, ब्लू टोपाज आदि पंचधातु अथवा सोने, चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर काले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर नीलम तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ प्राम् प्रीम् प्रौम् सः शनैश्चराय नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ प्राम् प्रीम् प्रौम् सः शनैश्चराय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की मध्यमा (सबसे बड़ी अंगुली में) धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

शनि ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
04 मईरात्रि 10:07 से05 मईसूर्योदय तक
01 जूनसूर्योदय से02 जून रात्रि 03:16 तक
29 जूनसूर्योदय से29 जूनसुबह 08:49 तक 
31 अगस्तसूर्योदय से31 अगस्तरात्रि 09:39 तक
28 दिसंबरसूर्योदय से28 दिसंबररात्रि 10:13 तक

सन – 2025

01 मार्चसुबह 11:22 से02 मार्चसूर्योदय तक
29 मार्चसूर्योदय से29 मार्चरात्रि 07:26 तक

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शुक्र के रत्न हीरा जरकन धारण विधि, मुहूर्त | Zircon Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली हीरा अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी हीरे जैसा ही देंगे। जैसे करगी, सिम्मा, जरकन, ओपल, कुरंगी, दूधिया आदि सोने, चांदी अथवा प्लैटिनम की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर हीरे तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ द्राम् द्रीम् द्रौम् सः शुक्राय नमः।

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ द्राम् द्रीम् द्रौम् सः शुक्राय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) अथवा कनिष्ठिका (छोटी अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

शुक्र ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
23 मार्चप्रातः 04:27 से23 मार्चसूर्योदय तक
19 अप्रैलसुबह 10:56 से20 अप्रैलसूर्योदय तक
17 मईसूर्योदय से17 मईरात्रि 09:18 तक
20 जुलाईरात्रि 02:55 से20 जुलाईसूर्योदय तक
16 अगस्तदोपहर 12:43 से17 अगस्तसूर्योदय तक
13 सितंबरसूर्योदय से13 सितंबररात्रि 09:35 तक
20 सितंबररात्रि 02:42 से21 सितंबरसूर्योदय तक
18 अक्टूबरदोपहर 01:26 से19 अक्टूबरसूर्योदय तक
15 नवंबरसूर्योदय से15 नवंबररात्रि 09:55 तक
13 दिसंबरसूर्योदय से13 दिसंबर सुबह 07:50 तक
21 दिसंबररात्रि 03:47 से21 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

17 जनवरीदोपहर 12:44 से18 जनवरीसूर्योदय तक
14 फरवरीसूर्योदय से14 फरवरीरात्रि 11:09 तक

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