शनि के रत्न नीलम आदि धारण विधि, मुहूर्त | Neelam Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

neelam dhran karne ka mantra vidhi

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आप शुद्ध तथा असली नीलम अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी नीलम जैसा ही देंगे। जैसे नीलिमा, जमुनिया, नीला कटहला, एमेथिस्ट, ब्लैकस्टार, ब्लू टोपाज आदि पंचधातु अथवा सोने, चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर काले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर नीलम तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ प्राम् प्रीम् प्रौम् सः शनैश्चराय नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ प्राम् प्रीम् प्रौम् सः शनैश्चराय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की मध्यमा (सबसे बड़ी अंगुली में) धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

शनि ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
04 मईरात्रि 10:07 से05 मईसूर्योदय तक
01 जूनसूर्योदय से02 जून रात्रि 03:16 तक
29 जूनसूर्योदय से29 जूनसुबह 08:49 तक 
31 अगस्तसूर्योदय से31 अगस्तरात्रि 09:39 तक
28 दिसंबरसूर्योदय से28 दिसंबररात्रि 10:13 तक

सन – 2025

01 मार्चसुबह 11:22 से02 मार्चसूर्योदय तक
29 मार्चसूर्योदय से29 मार्चरात्रि 07:26 तक

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शुक्र के रत्न हीरा जरकन धारण विधि, मुहूर्त | Zircon Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

diamond zircon ratan dharan mantra vidhi

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आप शुद्ध तथा असली हीरा अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी हीरे जैसा ही देंगे। जैसे करगी, सिम्मा, जरकन, ओपल, कुरंगी, दूधिया आदि सोने, चांदी अथवा प्लैटिनम की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर हीरे तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ द्राम् द्रीम् द्रौम् सः शुक्राय नमः।

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ द्राम् द्रीम् द्रौम् सः शुक्राय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) अथवा कनिष्ठिका (छोटी अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

शुक्र ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
23 मार्चप्रातः 04:27 से23 मार्चसूर्योदय तक
19 अप्रैलसुबह 10:56 से20 अप्रैलसूर्योदय तक
17 मईसूर्योदय से17 मईरात्रि 09:18 तक
20 जुलाईरात्रि 02:55 से20 जुलाईसूर्योदय तक
16 अगस्तदोपहर 12:43 से17 अगस्तसूर्योदय तक
13 सितंबरसूर्योदय से13 सितंबररात्रि 09:35 तक
20 सितंबररात्रि 02:42 से21 सितंबरसूर्योदय तक
18 अक्टूबरदोपहर 01:26 से19 अक्टूबरसूर्योदय तक
15 नवंबरसूर्योदय से15 नवंबररात्रि 09:55 तक
13 दिसंबरसूर्योदय से13 दिसंबर सुबह 07:50 तक
21 दिसंबररात्रि 03:47 से21 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

17 जनवरीदोपहर 12:44 से18 जनवरीसूर्योदय तक
14 फरवरीसूर्योदय से14 फरवरीरात्रि 11:09 तक

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गुरु के रत्न पुखराज आदि धारण विधि, मुहूर्त Pukhraj Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली पुखराज अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी पुखराज जैसा ही देंगे। जैसे – सुनहैला, पीला हकीक, केसरी, घियाकेरु आदि सोने की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर पुखराज तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ ग्राम् ग्रीम् ग्रौम् सः गुरवे नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ ग्राम् ग्रीम् ग्रौम् सः गुरवे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की तर्जनी (अंगूठे के पास वाली अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

गुरु ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
28 मार्चशाम 6:38 से 29 मार्चसूर्योदय तक
25 अप्रैलसूर्योदय से26 अप्रैल रात्रि 02:23 तक
23 मईसूर्योदय से23 मईसुबह 09:14 तक
27 जूनसुबह 11:36 से28 जूनसूर्योदय तक
25 जुलाईसूर्योदय से25 जुलाईशाम 04:16 तक
29 अगस्तशाम 04:39 से30 अगस्तसूर्योदय तक
26 सितंबरसूर्योदय से26 सितंबररात्रि 11:33 तक
26 दिसंबरशाम 06:09 से27 दिसंबरसूर्योदय तक

सन – 2025

23 जनवरीसूर्योदय से 24 जनवरीप्रातः 05:08 तक 
20 फरवरीसूर्योदय से 20 फरवरीदोपहर 01:30 तक

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बुद्ध के रत्न पन्ना आदि धारण विधि, मुहूर्त | Emerald Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

panna ratan dharan vidhi mantra

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आप शुद्ध तथा असली पन्ना अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी पन्ने जैसा ही देंगे। जैसेजैसे संग पन्ना, मरगज, ओनेक्स, हरा तुरमली आदि सोने की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर हरे रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर पन्ने तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ ब्राम् ब्रीम् ब्रौम् सः बुधाय नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें। 

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ ब्राम् ब्रीम् ब्रौम् सः बुधाय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की कनिष्ठिका (छोटी अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

 

बुद्ध ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
20 मार्चरात्रि 10:38 से21 मार्चसूर्योदय तक
17 अप्रैलसूर्योदय से18 अप्रैलसूर्योदय तक
15 मईसूर्योदय से15 मईदोपहर 03:25 तक 
11 सितंबरसूर्योदय से11 सितंबर रात्रि 09:21 तक
16 अक्टूबर रात्रि 07:17 से17 अक्टूबर सूर्योदय तक
13 नवंबरसूर्योदय से14 नवंबररात्रि 03:11 तक
11 दिसंबर सूर्योदय से11 दिसंबरसुबह 11:47 तक

सन – 2025

15 जनवरीसुबह 10:28 से16 जनवरीसूर्योदय तक
12 फरवरीसूर्योदय से12 फरवरीरात्रि 07:35 तक

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मंगल के रत्न मूंगा आदि धारण विधि, मुहूर्त | Coral Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली मूंगा अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी मूंगे जैसा ही देंगे जैसे लाल हकीक, तामड़ा, संगसितारा आदि तांबे की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर मूंगे तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ क्राम् क्रीम् क्रौम् सः भौमाय नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें।

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ क्राम् क्रीम् क्रौम् सः भौमाय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली) अंगुली में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

मंगल ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
26 मार्च दोपहर 1:33 से 27 मार्च सूर्योदय तक
23 अप्रैल सूर्योदय से 23 अप्रैल रात्रि 10:32  तक
21 मई सूर्योदय से 21 मई सुबह 05:46 तक
25 जून दोपहर 02:32 से 26 जून सूर्योदय तक
23 जुलाई सूर्योदय से 23 जुलाई रात्रि 08:18 तक
27 अगस्त दोपहर 03:38 से 28 अगस्त सूर्योदय तक
24 सितंबर सूर्योदय से 24 सितंबर रात्रि 09:54 तक
22 अक्टूबर सूर्योदय से 22 अक्टूबर सुबह 05:51 तक
24 दिसंबर दोपहर 12:17 से 25 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

21 जनवरी सूर्योदय से 21 जनवरी रात्रि 11:36 तक
18 फरवरी सूर्योदय से 18 फरवरी सुबह 07:35 तक
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चंद्रमा के रत्न मोती आदि धारण विधि, मुहूर्त | Pearl Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

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आप शुद्ध तथा असली साउथ सी का सुच्चा मोती अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी मोती जैसा ही देंगे। जैसे – निमरू, मूनस्टोन, चंद्रमणि, सफेद पुखराज आदि चांदी की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें।

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर मोती तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ॐ श्राम् श्रीम् श्रौम् सः चंद्रमसे नमः। 

 

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें।

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ॐ श्राम् श्रीम् श्रौम् सः चंद्रमसे नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की कनिष्ठिका (छोटी अंगुली) में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

चंद्रमा ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन:-2024-2025

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
25 मार्च प्रातः 10:35 से 26 मार्च सूर्योदय तक 
22 अप्रैल सूर्योदय से 22 अप्रैल रात्रि 07:59 तक
24 जून दोपहर 03:54 से 25 जून सूर्योदय तक
22 जुलाई सूर्योदय से 22 जुलाई रात्रि 10:21 तक
19 अगस्त सूर्योदय से 19 अगस्त सुबह 08:10 तक
26 अगस्त दोपहर 03:55 से 27 अगस्त सूर्योदय तक
23 सितंबर सूर्योदय से 23 सितंबर रात्रि 10:07 तक
21 अक्टूबर सूर्योदय से 21 अक्टूबर सुबह 06:50 तक
23 दिसंबर सुबह 09:09 से 24 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

20 जनवरी सूर्योदय से 20 जनवरी रात्रि 08:30 तक 
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सूर्य के रत्न माणिक आदि धारण विधि, मुहूर्त | Ruby Ratan Dharan Vidhi, Muhurat

Sun ratna gemstone ruby dharan

Sun ratna gemstone ruby dharan

आप शुद्ध तथा असली माणिक्य अथवा इसके उपरत्न जो कि सस्ते भी होंगे और शुभ असर भी माणिक्य जैसा ही देंगे। जैसेलाल सुजलाइट, लाल तामड़ा महसूरी आदि सोने की अंगूठी में बनवाकर नीचे बताए गए शुभ मुहूर्त में धारण करें। 

प्राण प्रतिष्ठा तथा रत्न धारण की विधि

मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर अपनी रत्न जड़ित अंगूठी रख दीजिए। जोतधूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर माणिक्य तथा इसके उपरत्नों में विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 

ह्राम् ह्रीम् ह्रौम् सः सूर्याय नमः।

 

मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें।

आं ह्रीं कों यं रं लं वं शं सं षं हं सः

देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरूच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इह।

पुनरूच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः।।

पुनरूच्चार्य देवस्य वाङमनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा।।

 

 

इसके बाद रतन को उठाकर सबसे पहले दूध मिले जल में धो लें। उसके बाद गंगाजल में धोकर तथा धूपदीप के ऊपर से सात बार सीधी तरफ (क्लॉक वाइज) घुमाकर ह्राम् ह्रीम् ह्रौम् सः सूर्याय नमः। मंत्र बोलते हुए जिस हाथ से आप काम करते हैं यानी आपका (एक्टिव हैंड) उस हाथ की अनामिका (छोटी अंगुली के पास वाली) अंगुली में धारण करें। 

नोट अपने आसन से उठने से पहले धरती पर हाथ लगाकर उसे माथे से लगाकर प्रणाम करें।

सूर्य ग्रह के रत्न धारण करने के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

सन : 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
24 मार्च प्रातः 07:33 से 25 मार्च सूर्योदय
21 अप्रैल  सूर्योदय से 21 अप्रैल शाम 05:08 तक
23 जून  शाम 05:03 से  24 जून  सूर्योदय तक
21 जुलाई  सूर्योदय से 22 जुलाई रात्रि 00:14 तक
18 अगस्त सूर्योदय से 18 अगस्त सुबह 10:15 तक
25 अगस्त शाम 04:45 से  26 अगस्त सूर्योदय तक
22 सितंबर सूर्योदय से 22 सितंबर रात्रि 11:02 तक
20 अक्टूबर सूर्योदय से 20 अक्टूबर सुबह 08:31 तक
24 नवंबर रात्रि 10:16 से 25 नवंबर सूर्योदय तक
22 दिसंबर सूर्योदय से 23 दिसंबर सूर्योदय तक

सन – 2025

19 जनवरी सूर्योदय से 19 जनवरी शाम 05:30 तक
रत्न धारण करने की अवधि और उसका महत्व क्या है?   Ruby dharan karne ki vidhi, Manik dharan karne ki vidhi, Manikya ratan dharan karne ki vidhi, ruby ratna kaise dharan karna chahiye, ruby stone kaise dharan karna chahiye , ratna dharan vidhi in hindi, Ratan dharan karne ka aaj ka shubh muhurt, kaun sa ratan dharan kare, Ruby ratna benefits in hindi, Ruby gemstone dharan karne ki vidhi, Ruby ratna or manik or Manikya ke sath konsa ratna pahne, manikya ratna pehne ki vidhi, manik ratna dharan karne ki vidhi in hindi, ruby dharan karne ka mantra, manikya dharan karne ka mantra, ruby dharan karne ka shubh muhurat

जन्म कुंडली से जानें सरकारी नौकरी के योग Govt Job Prediction

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ओम नमः शिवाय

सज्जनों ,

आज से हम ज्योतिषीय ज्ञान को लेकर एपिसोड की एक नई श्रंखला शुरू कर रहे हैं। इन प्रोग्राम्स में आप सभी को ज्योतिष, कुंडली, भाव, ग्रह आदि से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। सज्जनों प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक मुख्य चीज होती है और वह है कर्म। कर्म के भी आगे दो रास्ते होते हैं। पहला रास्ता है नौकरी और दूसरा रास्ता है बिजनेस। आज के इस प्रोग्राम में हम नौकरी को लेकर बात करेंगे। सज्जनों हमारे द्वारा एक छोटा सा प्रयास उन व्यक्तियों के लिए किया जा रहा है। अनेक ज्योतिषीय स्थानों पर जाकर भ्रमित हो जाते हैं। जिनको कुंडली की नॉलेज नहीं है। जिनको कोई भी ऐरा – गैरा व्यक्ति ठग लेता है। हमारा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कुंडली, उसके ग्रहों की नॉलेज होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जितना अधिक उसको अपनी कुंडली, कुंडली के ग्रहों के बारे में नॉलेज होगी। उतना ही वह अपने कर्मों को ठीक करने में तत्पर हो पाएगा और यदि व्यक्ति अपने कर्मों को उपायों आदि के माध्यम से अथवा जो शास्त्रों में निर्देश बताए गए हैं। उनके माध्यम से ठीक कर लेता है तो उस व्यक्ति का जीवन सुखमय हो सकता है। सज्जनों आज के इस एपिसोड में हम जानेंगे कि ऐसे कौन सी ग्रह चाल होती है कि जिसके कारण से व्यक्ति को सरकारी नौकरी के प्राप्ति होती है किस ग्रह चाल के कारण से व्यक्ति को प्राइवेट नौकरी मिलती हैं ? ऐसी कौन सी ग्रह चाल होती है कि जिसके कारण से व्यक्ति को जीवन में नौकरी नहीं मिलती अथवा नौकरी का सुख उस व्यक्ति को नहीं मिल पाता ? चाहे उस व्यक्ति के पास कितने भी योग्यता क्यों ना हो या कितनी भी डिग्रियां क्यों ना हो ?

आइए जानते हैं आज के इस प्रोग्राम के बारे में – प्रतिदिन ज्योतिष से संबंधित नया वीडियो पाने के लिये हमारा यूट्यूब चैनल https://www.youtube.com/c/ASTRODISHA सबस्क्राइब करें। इसके अलावा यदि आप हमारी संस्था के सेवा कार्यों तथा प्रोडक्ट्स से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारी बेवसाइट https://www.astrodisha.com/ पर जा सकते हैं और अगर आपको कुछ पूछना है तो आप हमें help@astrodisha.com पर मेल कर सकते है।

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स्वप्न देखने के शुभ – अशुभ फल विचार | Nightmare Meaning in Hindi

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स्वप्न के शुभ अशुभ फल का विचार

ईश्वर ने संपूर्ण सृष्टि में स्वप्न केवल मनुष्य को ही प्रदान किए हैं। मनुष्य के वास्तविक जीवन में जो अभिलाषाएँ पूर्ण नहीं हो पाती, वह एक स्वप्न पूरी हो जाती हैं। सूर्योदय के कुछ पूर्व अथवा ब्रह्म मुहूर्त में देखे हुए स्वप्न का फल दस दिनों में, रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल एक वर्ष के पश्चात, रात्रि के दूसरे प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल छह महीने में, रात्रि के तृतीय प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल तीन महीने के बाद, रात्रि के अंतिम प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल एक मास में प्रकट होता है। जबकि दिन में देखे गए स्वप्न लगभग 80% विश्वसनीय नहीं होते। जो स्वप्न रोग अथवा परेशानी की हालत में आते हैं, उन पर भी पूरा विश्वास नहीं किया जा सकता। स्वस्थ मन और शरीर की सामान्य स्थिति में देखे गए सपनों के फल पर ही विचार करना चाहिए।

अशुभ स्वप्न के कुप्रभाव के निवारण के लिए गायत्री मंत्र का जाप, तीर्थ में स्नान – दान व अनुष्ठान आदि शुभ कर्मों का संपादन करना चाहिए।

स्वप्न

फल

अग्नि देखना

पित्त संबंधी रोग

अस्त्र देखना

दुख निवारण

आम का वृक्ष

संतान प्राप्ति

ऑपरेशन देखना

रोग आवेगा

अपमान देखना

चिंताएं दूर होना

अतिथि देखना

आकस्मिक विपत्ति आना

अपनी शादी देखना

संकट आवे

अंधेरा देखना

दुख मिले

अपने को मृत देखना

आयु में वृद्धि होवे

अंग गिरना

शुभ समाचार

आलिंगन (स्त्री का)

धन लाभ होवे

आकाश देखना 

तरक्की होगी

आवारा भटकना

नौकरी मिलना

आंवला देखना

उदर रोग

आत्महत्या देखना (करना)

दीर्घायु होवे

आलू देखना

मुसीबत आवे

आग उठाना

परेशानी होना

आकाश से गिरना

मानहानि / चिंता

इंजन देखना

योजनाएं असफल होवे

इमली का पेड़

स्वास्थ्य में गिरावट

ईट देखना

घर डहना

इमारत देखना

धन लाभ / तरक्की

इमारत बनाना

धन लाभ / तरक्की

इमली खाना (स्त्री)

पुत्र प्राप्ति

इंद्रिय देखना

संतान प्राप्ति

उल्लू देखना

रोग – शोक होवे

उल्टा लटकना

अपमान मिले

ऊंचाई पर चढ़ना

तरक्की व मान-सम्मान की प्राप्ति

ऊंट देखना

अंग घात होना

कन्या देखना

उन्नति / तीर्थयात्रा होना

कोढ़ी देखना

रोग होवे

कब्रिस्तान देखना

प्रतिष्ठा में वृद्धि

कमल देखना

धन की प्राप्ति

कंगन अथवा कड़ा देखना

धन की हानि

कबाब खाना

विवाद / अपयश होना

कैंची चलाना

व्यर्थ विवाद होना

कोयला देखना

झूठा आरोप लगे

कटा सिर देखना

चिंता परेशानी होना

कंघी करना

इच्छा पूर्ण होना

कुएं में गिरना

परेशानी बढ़ेगी

काला नाग देखना

राज सम्मान होवे

कौवा बोलना

प्रिय से मिलाप होगा

किला देखना

तरक्की पाना

कुत्ते का काटना

शत्रु का भय होना

कैंची देखना

स्त्री से कलह होना

कबूतर देखना

शुभ समाचार प्राप्त होना

खरगोश देखना

स्त्री से मिलाप होना

खिलौना देखना

सुख शांति होवे

खेत देखना

संकट आना

खून करना

संकट आना

खरबूजा देखना

धन लाभ होना

गंगा देखना शेष

जीवन सुखी होना

गोली चलते देखना

विपत्ति निवारण होना

गर्भपात देखना

गंभीर रोग होना

ग्रहण देखना

रोग व चिंता होवे

गुरु देखना

कार्य में सफलता होवे

घोड़े से गिरना

परेशानी व चिंता

घोड़े पर चढ़ना

पदोन्नति होवे

घाट बैठना / नहाना

तीर्थयात्रा होवे

घुंघट देखना

नया कारोबार पद में वृद्धि

चाय पीना

सफलता होवे

चोर देखना

धन हानि

चावल खाना

शुभ समाचार

चीखे मारना

परेशानी व कष्ट

चौकीदार देखना

धनागमन

चट्टाने देखना

कार्य पूर्ति

चरखा देखना

आर्थिक लाभ

छिपकली देखना

अचानक धन लाभ

छींकना

कार्य बाधा

छुरी देखना

संकट निवारण होना

बुखार से पीड़ित देखना

स्वास्थ्य ठीक होना

जहाज देखना

यात्रा व स्त्री से क्लेश होवे

पहाड़ पर चढ़ना

परिवर्तन होना

जुआ खेलना

धन हानि

जनाजा देखना

धन लाभ व तरक्की होना

जेब काटना

धन हानि

झाड़ू देखना

नुकसान होवे

झंडा देखना

सुयश / धनलाभ होवे

झरना देखना

खर्च अधिक होवे

टेलीफोन करना

शुभ समाचार मिलेगा

टिकट लेना

हानि संबंध टूटना

ठग मिलना

धन हानि होवे

ठाकुर / ईश्वर को देखना

आध्यात्मिक प्रवृत्ति होगी

डर कर भागना

कष्ट से छुटकारा मिलेगा

डाकखाना देखना

व्यापार में विस्तार

डोली देखना

मुराद पूरी होगी

डाकू देखना

धन की हानि होगी

डाकिया देखना

समाचार प्राप्त होवे

डॉक्टर देखना

रोग की उत्पत्ति होवे

डूबते देखना

अनिष्ट होवे

ढोलक बजाना

किसी से भेंट मुलाकात होगी

ताली बजाना

खुशी मिलेगी

तरबूज खाना

चिंता और परेशानी होगी

तांगा देखना

झगड़ा होवे

तीर मारना

खुशी मिलेगी

तारे देखना

मनोरथ सिद्धि होवे

तेल देखना

परेशानी बढ़ेगी

तपस्वी देखना

शांति मिलेगी

तूफान देखना

परेशानी बढ़ेगी

तोता देखना

कष्ट से छुटकारा होगा

तैरते हुए देखना

आयु में वृद्धि होगी

ताला बंद देखना

कार्यों में रुकावट आवेगी

तालाब में नहाना

मान प्राप्ति होवे

तलवार देखना

शत्रु पर विजय होवे

ताश खेलना

पड़ोसी से मनमुटाव होवे

तितली देखना

प्रेम संबंध में सफलता प्राप्त होवे

तीर्थ देखना

धार्मिक रूचि होवेगी

तोता देखना

धन लाभ होगा

तेल / तेल की धार देखना

अप्रिय घटना घटेगी

त्रिशूल देखना

सौभाग्य में वृद्धि होगी

थूक देखना

परेशानी बढ़ेगी

थन देखना (गाय का)

धन प्राप्ति कल्याण होवेगा

थप्पड़ खाना

शुभ होगा

दीवार से गिरना

धन हानि होवेगी

दरवाजा बंद देखना

धन हानि होवेगी

दरिया में नहाना

रोग नाश होवेगा

दरिया में डूबना

कष्ट बढ़ेगा

दूध पीना

खुशी प्राप्ति होवेगी

दही खाना

लाभ व तरक्की होगी

देवी – देवता देखना

खुशी प्राप्ति होवेगी

दवाई पीना

रोग नाश होवेगा

दौलत देखना

संतान सुख प्राप्त होवेगा

दर्जी देखना

काम बिगड़ेगा

दांत गिरते देखना

स्वास्थ्य लाभ होवेगा

दांत उखाड़ना

धन लाभ होवेगा

दक्षिणा देना

मंगल कार्य बनेगा

दुश्मन देखना

हानिकारक परिणाम मिलेगा

दुकान (भरी देखना)

धन लाभ होवेगा

दुकान (खाली देखना)

धन हानि होवेगी

धुआँ देखना

कष्ट की प्राप्ति होवेगी

धूल देखना

यात्रा करनी पड़ेगी

धोबी देखना

सफलता प्राप्ति होवेगी

नहर देखना

कष्ट निवारण होगा

नल देखना

कार्य में सिद्धि होवेगी

नदी में गिरना

फिकर / चिंता होवेगी

नाव में बैठना

झूठा आरोप लगेगा

नंगा देखना

कष्ट प्राप्ति होवेगी

नमाज पढ़ना

आत्मिक उन्नति होवेगी

नाखून काटना

रोग व दुख से मुक्ति होवेगी

नाग देखना

सुख प्राप्ति होवे

न्यायालय देखना

झगड़े में सफलता मिलेगी

पखाना करते देखना

कष्ट मिलेगा

प्यासा होना

कार्य में बाधा होवेगी

पहाड़ पर चढ़ना

धन व तरक्की होवेगी

पहाड़ से उतरना

हानि होवेगी

पतंग देखना

परेशानी बढ़ेगी

जहाज पर चढ़ना

परिवर्तन होवेगा

पेड़ पर चढ़ना

मान प्रतिष्ठा व तरक्की होवेगी

पपीता देखना

धन लाभ होवेगा

पानी में डूबना

परेशानी बढ़ेगी

पान खाना देखना

प्रिय से मिलाप होवेगा

पत्थर देखना

कठिनाई पड़ेगी

पटाखा देखना

धन लाभ होवे

पुल देखना

शुभ यात्रा होवेगी

परीक्षा में स्वयं को देखना

कठिनता से सफलता मिलेगी

पशु देखना

व्यापार में लाभ होवेगा

पहलवान देखना

स्वास्थ्य में लाभ होवेगा

पुजारी देखना

धार्मिक रूचि बढ़ेगी

पूजन देखना

आत्मिक उन्नति व श्रद्धा भाव बढ़ेगा

प्रेत देखना

सौभाग्य वर्धक रहेगा

फव्वारा देखना

चिंता दूर होवेगी

फुलवारी देखना

खुशी मिलेगी

फांसी देखना

जीवन में नया मोड़ आवेगा

बर्फ गिरते देखना

धन हानि व रोग आवेगा

बारिश देखना

रोग व कलह होवेगा

बिल्ली देखना

लड़ाई होवेगी

बकरी देखना

शुभ समाचार यात्रा से लाभ मिलेगा

बंदर देखना

रोग व चिंता होवेगी

बादाम देखना

स्वास्थ्य लाभ होवेगा

बूढ़ी स्त्री देखना

दुख की प्राप्ति होवेगी

बारात देखना

चिंता परेशानी बढ़ेगी

बिच्छू देखना

चिंता बढ़ेगी

बर्फ देखना

प्रिय से मिलाप होवेगा

बाग देखना

सुख मिलेगा

बंदूक देखना

संकट आवेगा

बाढ़ देखना (घिर जाना)

धन की हानि होवेगी

स्वयं को भूखा देखना

यात्रा में लाभ होगा

भिखारी देखना

यात्रा करनी पड़ेगी

भाषण देना सुनना

वाद-विवाद बढ़ेगा

भूकंप देखना

उच्चपद मान सम्मान मिलेगा

मुर्गी देखना

स्त्री से मिलाप होवेगा

मुर्दा हंसते देखना

फिकर व चिंता होवेगी

मुर्दा रोते देखना

कष्ट से छुटकारा मिलेगा

माली देखना

खुशी मिलेगी

महल देखना

कष्ट से छुटकारा होवेगा

मंदिर देखना

इच्छा पूरी होगी

मिठाई खाना

मान व तरक्की मिलेगी

मोर देखना

खुशी की प्राप्ति होगी

मौत देखना

तरक्की होगी

मुर्दे के साथ खाना

दुख दूर हो होवेगा

मिर्च खाना

लड़ाई होवेगी

मछली देखना

धन व स्त्री की प्राप्ति होवेगी

मक्खन खाना / देखना

लंबी यात्रा होवेगी

मांसाहार करना / देखना

शरीर अस्वस्थ होवेगा

यज्ञ देखना

सौभाग्य में वृद्धि होगी

यात्रा करना

यात्रा द्वारा धन लाभ होगा

रोटी खाना

इच्छा पूरी होगी

रीछ देखना

शुभ समाचार मिलेगा

रेत देखना 

रोग आवेगा

रेत पर चलना

शत्रु से हानि होगी

(स्वयं को) रोते देखना

खुशी मिलेगी

रोते हुए देखना

प्रसन्नता मिलेगी

रथ देखना

यात्रा होवेगी

रोगी देखना

दुख से निवृत्ति होवेगी

रोटी देखना

धन लाभ होवेगा

रिश्वत लेना

अपमान होवेगा

रेल देखना

यात्रा से कष्ट मिलेगा

(स्वयं) रोगी होना

चिंता होवेगी

लॉटरी का टिकट खरीदना

सौभाग्यप्रद रहेगा

लकड़ी उठाना देखना

अकारण वाद-विवाद होवेगा

वर्षा देखना

चिंता / हानि होवेगी

विष खाना

परेशानी बढ़ेगी

वृक्ष काटना

धन – हानि होवेगी

वध दिखाई देना

आकस्मिक विपत्ति आवेगी

विदेश यात्रा देखना

पारिवारिक विवाद होवेगा

वाद-विवाद देखना

गहरी मित्रता होवेगी

शेर देखना

शत्रु का नाश होगा

शिकार करना

इच्छापूर्ण होवेगी

शीशा देखना

रोग नाश होवेगा

शत्रु देखना

सफलता मिलेगी

शव यात्रा देखना

शुभ फल मिलेगा

शमशान घाट

देखना दीर्घायु होवे

शिकारी देखना

साहस में वृद्धि होवे

श्राद्ध देखना करना

पितरों की प्रसन्नता मिलेगी

सोना मिलना

कष्ट / चिंता प्राप्त होवेगी

सांप देखना

भय व परेशानी बढ़ेगी

सांप गिरना

रोग व चिंता आवेगी

सांप का काटना

धन में लाभ मिलेगा

साइकिल चलाना

कार्य सिद्धि होवेगी

सांप

पकड़ना

शत्रु पर विजय होगी

सुंदरी देखना

धन लाभ मिलेगा

सागर देखना

धन में वृद्धि होवेगी

स्वर्ग की यात्रा देखना

लौकिक – पारलौकिक सुख मिलेगा

स्टेशन देखना

यात्रा शुभ होगी

हवाई जहाज देखना

यात्रा में रुकावट आवेगी

हवालात देखना

मान – सम्मान मिलेगा

 

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क्या शत्रु ने किया है – मारण, वशीकरण, उच्चाटन प्रयोग ? दुर्गा सप्तशती से करें निवारण

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शास्त्रों में छह प्रकार के आभिचारिक कर्म बताए गए हैं। मतलब अशुभ कार्य जिनके द्वारा दूसरों को दुख, पीड़ा, परेशानी दी जा सकती है। यह 6 प्रकार के आभिचारिक कर्म क्रमशः मारण, मोहन, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन कहलाए जाते हैं।

मारण (Maran) प्रयोग में व्यक्ति के ऊपर मारक मंत्रों के द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। जिससे कि उस पर मृत्यु समान कष्ट आता है अथवा कई बार उसकी मृत्यु भी हो जाती है।

मोहन (Mohan) कर्म में उसको मोह लिया जाता है तथा वशीकरण (Vashikaran) प्रयोग करके उसको अपने वश में कर लिया जाता है।

स्तंभन (Stambhan) प्रयोग में कोई भी चलता हुआ कार्य, चलती हुई गाड़ी अथवा पढ़ाई में अच्छे चल रहे बालक पर यदि स्तंभन प्रयोग कर दिया जाए तो सब चीजें स्तंभित हो जाती हैं अर्थात रुक जाती हैं। कई बार किसी की कोख पर भी स्तंभन कर दिया जाता है। इसलिए उस स्त्री को बालक नहीं हो पाते और कई बार चलती हुई दुकान अथवा काम धंधा भी बिल्कुल ठप हो जाता है। इसका मुख्य कारण स्तंभन प्रयोग ही होता है।

विद्वेषण (Vidveshan) प्रयोग में जिन व्यक्तियों के बीच आपस में प्यार – प्रेम, स्नेह होता है। उनके ऊपर विद्वेषण प्रयोग कर दिया जाता है। जिस कारण से उनमें आपस में बैर, दुश्मनी, ईर्ष्या, लड़ाई झगड़े होने आरंभ हो जाते हैं।

उच्चाटन (Uchhatan) प्रयोग में जिस व्यक्ति के ऊपर उच्चाटन प्रयोग होता है। उस व्यक्ति का मन, बुद्धि, अंतरात्मा उच्चाट हो जाती है अर्थात वह पागलों की नाईं इधर-उधर भटकता है। उसका चित्त कहीं भी टिकता नहीं है। इस प्रकार से यह छह आभिचारिक कर्म है और यह प्रयोग जिस किसी व्यक्ति के ऊपर होते हैं तो ऊपर बताए गए विधान के अनुसार उस पर प्रभाव आता है।

शास्त्रों में सातवा कर्म भी बताया गया है। जिसे शांति कहा जाता है। जिस किसी व्यक्ति के ऊपर यदि उसके शत्रु ने यह 6 प्रकार के अभिचार कर्म कर दिए हैं तो वह दुर्गा जी की आराधना करके इन सभी की शांति कर सकता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महिमा | Significance of Siddha Kunjika Stotram

जीवन में सफलता की कुंजी हैसिद्ध कुंजिका नाम के अनुरूप यह सिद्ध कुंजिका है। जब किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा हो, समस्या का समाधान नहीं हो रहा हो, तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करिए। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में दशों महाविद्या, नौ देवियों की आराधना है। भगवती आपकी रक्षा करेंगी।

भगवान शंकर कहते हैं कि सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले को देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक की अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि | Sidha Kunjika Stotram Pathh Vidhi

कुंजिका स्तोत्र का पाठ वैसे तो किसी भी माह, दिन में किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में यह अधिक प्रभावी होता है। कुंजिका स्तोत्र साधना भी होती है, लेकिन यहां हम इसकी सर्वमान्य विधि का वर्णन कर रहे हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रतिदिन इसका पाठ किया जाता है। इसलिए साधक प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान को साफ करके लाल रंग के आसन पर बैठ जाए। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सामान्य पूजन करें। तेल या घी का दीपक लगाए और देवी को हलवे या मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाएं। 

इसके बाद अपने दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प, एक रुपए का सिक्का रखकर नवरात्रि के नौ दिन कुंजिका स्तोत्र का पाठ संयमनियम से करने का संकल्प लें। यह जल भूमि पर छोड़कर पाठ प्रारंभ करें। यह संकल्प केवल पहले दिन लेना है। इसके बाद प्रतिदिन उसी समय पर पाठ करें।

Precautions | सावधानी (ध्यान रखने योग्य)

देवी दुर्गा की आराधना, साधना और सिद्धि के लिए तन, मन की पवित्रता होना अत्यंत आवश्यक है। साधना काल या नवरात्रि में इंद्रिय संयम रखना जरूरी है। बुरे कर्म, बुरी वाणी का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे विपरीत प्रभाव हो सकते हैं।

कुंजिका स्तोत्र का पाठ बुरी कामनाओं, किसी के मारण, उच्चाटन और किसी का बुरा करने के लिए नहीं करना चाहिए। इसका उल्टा प्रभाव पाठ करने वाले पर ही हो सकता है।

साधना काल में मांस, मदिरा का सेवन करें। मैथुन के बारे में विचार भी मन में लाएं।

 

।। श्री सिद्धकुंजिकास्तोत्रम् ।।

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥१॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥४॥

 

।। अथ मन्त्रः ।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥ ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सःज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥

॥ इति मन्त्रः॥

 

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥१॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥२॥

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥३॥

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ॥४॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥५॥

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥६॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥७॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥८॥

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥

यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥

॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्॥

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