Pradosh Vrat Calendar List 2024-2025 | प्रदोष व्रत लिस्ट

Prdos Vrt Calendar

Prdos Vrt Calendar

हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत को मुख्य रुप से भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। प्रदोष व्रत की महिमा ऎसी है जैसे अमूल्य मोतियों में “पारस” का होना।  प्रदोष व्रत जो भी धारण करता है। उस व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और दुखों का नाश होता है।

अलग-अलग वार का त्रयोदशी तिथि के साथ संगम होने से पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा भी उसी के अनुरूप होती है ।

आईये जानें किस वार को कौन सा प्रदोष व्रत आता है और क्या है उस प्रदोष व्रत की महिमा –

सोम प्रदोष व्रत-

सोमवार जो भगवान शिव और चंद्र देव का दिन माना गया है, तो इस दिन प्रदोष व्रत का आना अत्यंत ही शुभदायक और कई गुना शुभ फलों को देने वाला होता है। यह सोने पर सुहागा की उक्ति को चरितार्थ करने वाला होता है। सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर प्रदोष व्रत रखने से मानसिक सुख प्राप्त होता है, अगर चंद्रमा कुण्डली में खराब हो तो इस दिन व्रत का नियम अपनाने पर चंद्र दोष समाप्त होता है। सौभाग्य एवं परिवार के सुख की प्राप्ति होती है।

भौम प्रदोष व्रत-

मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत का आगमन संतान के सुख को देने वाला और मंगल दोष से उत्पन्न कष्टों की निवृत्ति प्रदान करने वाला होता है। इस दिन व्रत रखने पर स्वास्थ्य संबंधी कष्ट दूर होते हैं। क्रोध की शांति होती है और धैर्य साहस की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत विधि पूर्वक करने से आर्थिक घाटे से मुक्ति मिलती है। कर्ज से यदि परेशानी है तो वह भी समाप्त होती है। रक्त से संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति के लिए भौम प्रदोष व्रत अत्यंत लाभदायक होता है।

बुध प्रदोष व्रत-

बुधवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सौम्य प्रदोष, सौम्यवारा प्रदोष, बुध प्रदोष कहा जाता है।  इस दिन व्रत करने से बौद्धिकता में वृद्धि होती है। वाणी में शुभता आती है। जिन जातकों की कुण्डली में बुध ग्रह के कारण परेशानी है या वाणी दोष इत्यादि कोई विकार परेशान करता है तो उसके लिए बुधवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शुभ लाभ प्राप्त होते हैं, बुध की शुभता प्राप्त होती है. छोटे बच्चों का मन अगर पढा़ई में नहीं लग रहा होता है तो माता-पिता को चाहिए की बुध प्रदोष व्रत का पालन करें इससे लाभ प्राप्त होगा।

गुरु प्रदोष व्रत-

बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर गुरु के शुभ फलों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। बढ़े बुजुर्गों के आशीर्वाद स्वरुप यह व्रत जातक को संतान और सौभाग्य की प्राप्ति कराता है। व्यक्ति को ज्ञानवान बनाता है और आध्यात्मक चेतना देता है।

शुक्र प्रदोष व्रत-

शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर इसे भृगुवारा प्रदोष व्रत के नाम से भी पुकारा जाता है। इस दिन व्रत का पालन करने पर आर्थिक कठिनाईयों से मुक्ति प्राप्त होती है। व्यक्ति के जीवन में शुभता एवं सौम्यता का वास होता है। इस व्रत का पालन करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है और प्रेम की प्राप्ति होती है।

शनि प्रदोष व्रत-

शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने पर शनि प्रदोष व्रत होता है। शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुंडली में मौजूद शनि दोष या शनि की साढे़साती अथवा ढैय्या से मिलने वाले कष्ट भी दूर होते हैं। शनि प्रदोष व्रत द्वारा पापों का नाश होता है। हमारे कर्मों का फल देने वाले शनिमहाराज की कृपा प्राप्त होती है। कार्यक्षेत्र और व्यवसाय में लाभ पाने के लिए भी शनि प्रदोष व्रत अत्यंत असरकारी होता है।

रवि प्रदोष व्रत-

त्रयोदशी तिथि के दिन रविवार होने पर रवि प्रदोष व्रत होता है। इस दिन को भानुवारा प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना के साथ-साथ सूर्य देव की उपासना भी करनी अत्यंत शुभ फलदायी होती है। ये व्रत करने से आपको जीवन में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। राज्य एवं सरकार से लाभ भी मिलता है। यदि किसी कारण से सरकार की ओर से कष्ट हो रहा हो या पिता से अलगाव अथवा सुख की कमी हो तो, इस रवि प्रदोष व्रत को करने से सुखद फलों की प्राप्ति होती है। कुण्डली में अगर किसी भी प्रकार का सूर्य संबंधी दोष होने पर इस व्रत को करना अत्यंत लाभदायी होता है। 

प्रदोष व्रत की सूची संवत 2081 सन 2024

मास और पक्ष

प्रदोष व्रत

तारीख

पौष मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत09 जनवरी 2024
पौष मास शुक्ल पक्षमंगल प्रदोष व्रत23 जनवरी 2024
माघ मास कृष्ण पक्षबुध प्रदोष व्रत07 फरवरी 2024
माघ मास शुक्ल पक्षबुध प्रदोष व्रत21 फरवरी 2024
फाल्गुन मास कृष्ण पक्षशुक्र प्रदोष व्रत08 मार्च 2024
फाल्गुन मास शुक्ल पक्षशुक्र प्रदोष व्रत22 मार्च 2024
चैत्र मास कृष्ण पक्षशनि प्रदोष व्रत06 अप्रैल 2024
चैत्र मास शुक्ल पक्षरवि प्रदोष व्रत21 अप्रैल 2024
वैशाख मास कृष्ण पक्षरवि प्रदोष व्रत05 मई 2024
वैशाख मास शुक्ल पक्षसोम प्रदोष व्रत20 मई 2024
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत04 जून 2024
ज्येष्ठ मास शुक्ल  पक्षबुध प्रदोष व्रत19 जून 2024
आषाढ़ मास  कृष्ण पक्षबुध प्रदोष व्रत03 जुलाई 2024
आषाढ़ मास शुक्ल  पक्षशुक्र प्रदोष व्रत19 जुलाई 2024
श्रावण मास कृष्ण पक्षगुरु प्रदोष व्रत01 अगस्त 2024
श्रावण मास शुक्ल पक्षशनि प्रदोष व्रत17 अगस्त 2024
भाद्रपद मास कृष्ण पक्षशनि प्रदोष व्रत31 अगस्त 2024
भाद्रपद मास शुक्ल पक्षरवि प्रदोष व्रत15 सितंबर 2024
आश्विन मास कृष्ण पक्षसोम प्रदोष व्रत30 सितंबर 2024
आश्विन मास शुक्ल पक्षमंगल प्रदोष व्रत15 अक्टूबर 2024
कार्तिक मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत29 अक्टूबर 2024
कार्तिक मास शुक्ल पक्षबुध प्रदोष व्रत13 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्षगुरु प्रदोष व्रत28 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष मास शुक्ल  पक्षशुक्र प्रदोष व्रत13 दिसंबर 2024
पौष मास कृष्ण पक्षशनि प्रदोष व्रत28 दिसंबर 2024

प्रदोष व्रत की सूची संवत 2081 सन 2025

पौष मास शुक्ल पक्षशनि प्रदोष व्रत11 जनवरी 2025
माघ मास कृष्ण पक्षसोम प्रदोष व्रत27 जनवरी 2025
माघ मास शुक्ल पक्षसोम प्रदोष व्रत10 फरवरी 2025
फाल्गुन मास कृष्ण पक्षमंगल प्रदोष व्रत25 फरवरी 2025
फाल्गुन मास शुक्ल पक्षमंगल प्रदोष व्रत11 मार्च 2025
चैत्र मास कृष्ण पक्षगुरु प्रदोष व्रत27 मार्च 2025

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Shri Ganesh Chaturthi Vrat Calendar List 2024-2025 | श्री गणेश चतुर्थी व्रत लिस्ट

Shri Ganesh Chaturthi Vrat Clendar

Shri Ganesh Chaturthi Vrat Clendar

पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

संकट से मुक्ति मिलने को संकष्टी (Sankashti)कहते हैं। भगवान गणेश जो ज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च हैं, सभी तरह के विघ्न हरने के लिए पूजे जाते हैं। इसीलिए यह माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi Vrat) का व्रत करने से सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है।

श्री गणेश चतुर्थी व्रत की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना) तारीख
माघ मास29 जनवरी 2024
फाल्गुन मास28 फरवरी 2024
चैत्र मास28 मार्च 2024
वैशाख मास27 अप्रैल 2024
ज्येष्ठ मास26 मई 2024
आषाढ़ मास25 जून 2024
श्रावण मास24 जुलाई 2024
भाद्रपद मास22 अगस्त 2024
आश्विन मास21 सितंबर 2024
कार्तिक मास20 अक्टूबर 2024
मार्गशीर्ष मास18 नवंबर 2024
पौष मास18 दिसंबर 2024

श्री गणेश चतुर्थी व्रत की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना) तारीख
माघ मास17 जनवरी 2025
फाल्गुन मास16 फरवरी 2025
चैत्र मास17 मार्च 2025

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Masik Shivratri Calendar List 2024-2025 | मासिक शिवरात्रि व्रत लिस्ट

Masik Shivratri Calendar

Masik Shivratri Calendar

शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है l मासिक शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो महाशिवरात्रि का व्रत बहुत पुण्य शाली होता है।फिर भी भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रत्येक माह की आने वाली मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से जातकों के जीवन में आने वाले कष्टों का निवारण होता है।

मासिक शिवरात्रि में व्रत, उपवास रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करने से सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं। इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन की महिमा के बारे में यह भी कहा जाता है, कि वो कन्याएं जो मनोवांछित वर पाना चाहती हैं इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है और उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। शिव पुराण के अनुसार जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं।

मासिक शिवरात्रि की सूची संवत 2081 सन 2024

     मास (महीना)

तारीख

चैत्र मास

07 अप्रैल 2024

वैशाख मास

06 मई 2024

ज्येष्ठ मास

04 जून 2024

आषाढ़ मास

04 जुलाई 2024

श्रावण मास

02 अगस्त 2024

भाद्रपद मास

01 सितंबर 2024

आश्विन मास

30 सितंबर 2024

कार्तिक मास

30 अक्टूबर 2024

मार्गशीर्ष मास

29 नवंबर 2024

पौष मास

29 दिसंबर 2024

मासिक शिवरात्रि की सूची संवत 2081 सन 2025

     मास (महीना)

तारीख

माघ मास

27 जनवरी 2025

फाल्गुन मास

26 फरवरी 2025

चैत्र मास

27 मार्च 2025

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Sankranti Calendar List 2024-2025 | संक्रांति लिस्ट

Sankranti calendar

Sankranti calendar

सूर्य के हर महीने राशि परिवर्तन करने की प्रक्रिया को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। संक्रांति का समय बहुत पुण्यकारी होता है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का काफ़ी महत्व है। अतः सूर्य का एक-एक करके 12 राशियों में प्रवेश करने से वर्ष भर में 12 संक्रांतियाँ होती हैं l 

संक्रांति का सम्बन्ध कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से होता है। सूर्यदेव प्रकृति के कारक हैं इसलिए संक्रांति के दिन इनकी पूजा की जाती है। शास्त्रों में सूर्य को आत्मा की संज्ञा दी गई है l सूर्य ग्रह की स्थिति के अनुसार ही ऋतु और जलवायु में परिवर्तन होता है l अतः धरती पर सभी जीवों का भरण पोषण सूर्य के कारण ही संपन्न होता है l 

संक्रांति, ग्रहण, पूर्णिमा और अमावस्या जैसी तिथियों के दिन गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्व है l शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति इन पावन तिथियों में गंगा स्नान करता है उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है l 

संक्रांति की सूची संवत 2081 सन 2024

मास (महीना)

संक्रांति का नाम  तारीख
वैशाख मासमेष संक्रांति13 अप्रैल 2024
ज्येष्ठ मासवृष संक्रांति14 मई 2024
आषाढ़ मासमिथुन संक्रांति14 जून 2024
श्रावण मासकर्क संक्रांति16 जुलाई 2024
भाद्रपद माससिंह संक्रांति16 अगस्त 2024
आश्विन मासकन्या संक्रांति16 सितंबर 2024
कार्तिक मासतुला संक्रांति17 अक्टूबर 2024
मार्गशीर्ष मासवृश्चिक संक्रांति16 नवंबर 2024
पौष मासधनु संक्रांति15 दिसंबर 2024

संक्रांति की सूची संवत 2081 सन 2025

मास (महीना)

संक्रांति का नाम  तारीख
माघ मासमकर संक्रांति14 जनवरी 2025
फाल्गुन मासकुम्भ संक्रांति12 फरवरी 2025
चैत्र मासमीन संक्रांति14 मार्च 2025

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10 जून, 2021 कंकण सूर्यग्रहण | Surya Grahan | Sun (Solar Eclipse)

Solar Eclipse 10 June 2021

Solar Eclipse 10 June 2021

कंकण सूर्यग्रहण

10 जून, 2021

ज्येष्ठ अमावस, बृहस्पतिवार

भारत में दृश्य ग्रहण का विस्तृत विवरण

यह ग्रहण ज्येष्ठ  अमावस , बृहस्पतिवार (10 जून 2021 ई.) को पूर्वोत्तर भारत के केवल अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में तथा अखण्ड जम्मू- कश्मीर (पाक अधिकृत एवं अक्साई चीन में) के कुछ क्षेत्रों में सूर्यास्त के समय स्वल्प ग्रास के रूप में दिखाई देगा। अत्यल्प ग्रास के कारण यह ग्रहण  सामान्यतः भारत में दृष्टि ग्राह्य नहीं होगा ।  

अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में ही इस ग्रहण की खण्डा कृति सूर्यास्त से कुछ मिनट पहले ही अधिक से अधिक 17 – 18 मिनट के लिए अत्यल्प ग्रास वाली  दिखाई देगी।  

इन क्षेत्रों में इसका ग्रासमान अधिक से अधिक 3% होगा। सिद्धांत शास्त्रों में कहा गया है कि एक अंगुल अर्थात 10% से कम ग्रास वाले ग्रहण की चर्चा पंचांग आदि में नहीं करनी चाहिए –

‘ग्रासो नादेश्योऽगुंलाल्यो रवीन्द्दो: ।’

क्योंकि ऐसे ग्रहण का स्पर्श- मोक्षकाल अर्थात ग्रहण कब प्रारंभ हुआ और कब समाप्त हुआ यह- साधारण जनता के लिए जान सकना कठिन हो सकता है । अपितु इतने अल्पग्रास को नंगी आंखों/साधारण शीशे से भी देख पाना संभव नहीं है, परंतु आजकल नवीन वैज्ञानिक दूरबीन आदि यंत्रों से इसे देख पाना अत्यंत सरल है। टी.वी. आदि न्यूज़-चैनलों में कम-से-कम ग्रास को जनता को स्पष्टता से दिखा दिया जा सकता है। (टी.वी. चैनलों पर तो आजकल भारत में न दिखाई देने वाले ग्रहणो का प्रभाव/राशिफल तथा वृथा भय एवं चर्चा दिखाकर लोगों को भ्रमित किया जा सकता जा रहा है – जो कि शास्त्र मर्यादा के विरुद्ध है)

भारत के अतिरिक्त दिखाई देने वाले क्षेत्र-

यह कंकण सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 बृहस्पतिवार को दोपहर भा.स्टै.टा. अनुसार 1:42 दोपहर से सायं 6:41  तक भूगोल पर दिखेगा। यह कंकण ग्रहण यूरोप के अधिकतर देशों (दक्षिणी- इटली, दक्षिण रोमानिया, सर्बिया, ग्रीस को छोड़कर) उत्तरी- एशिया (अधिकतर चीन, दक्षिण चीन, नेपाल को छोड़कर) उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान आदि देशों, मंगोलिया, रूस, उत्तरी-अमेरिका (अधिकतर कैनेडा, पूर्वी अमेरिका (वांशिगटन,  Ontario आदि क्षेत्रों सहित) तथा अण्टलांटिक महासागर में दिखाई देगा ।

इस ग्रहण की कंकण – आकृति केवल कैनेडा के Nipigon, Ontaria, Quebec, Nunavut  तथा रूस के Yakutia  एवं ग्रीनलैण्ड आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा ।

न्यूयार्क, वाशिंगटन (U.S.A), लंदन (U.K.), टोरण्टो, मांट्रियाल (कैनेडा) तथा शेष देशों में तो इसकी खंड-आकृति ही दिखाई दी जा सकेगी भारतीय-स्टैंडर्ड-टाइम अनुसार इसका समय इस प्रकार होगा –

ग्रहण प्रारंभ               1:42 दोपहर

कंकण प्रारंभ              3:20 दोपहर

ग्रहण मध्य                  4:12 दोपहर       

कंकण समाप्त            5:03  शाम

ग्रहण समाप्त              8:41 रात्रि

भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तरी राज्य जम्मू- कश्मीर के भागों में यह ग्रह सूर्यास्त के समय थोड़ी देर (अधिक से अधिक 18 मिनट) के लिए अत्यल्प ग्रास के साथ दिखाई देगा।

नोट –  इसके अलावा यह भारत के किसी भी अन्य स्थान पर अर्थात शेष भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा ।

 

ग्रहण का सूतक –

जिस क्षेत्र में यह ग्रस्तास्त सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, केवल वहां इस ग्रहण के सूतक का विचार होगा तथा यह 10 जून की प्रातः 5:54 से प्रारंभ होगा।

Surya Grahan 2021 | Solar Eclipse 2021 | Sun Eclipse 2021

 

 

Ekadashi Vrat List | Ekadashi calendar 2024-2025 | एकादशी व्रत लिस्ट

Ekadshi Vrt Calendar
Ekadshi Vrt Calendar

एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है और इस व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी ने नारद से कहा कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी ने नारद से कहा कि एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

प्रत्येक वर्ष में बारह माह होते है. और एक माह में दो एकादशी होती है। अमावस्या से ग्यारहवीं तिथि, एकाद्शी तिथि, शुक्ल पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इसी प्रकार पूर्णिमा से ग्यारहवीं तिथि कृष्ण पक्ष की एकाद्शी कहलाती है। इस प्रकार हर माह में दो एकाद्शी होती है। जिस वर्ष में अधिक मास होता है। उस साल दो एकाद्शी बढने के कारण 26 एकाद्शी एक साल में आती है। यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है। इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है।

विशेष – वैष्णव अर्थात सन्यासियों का व्रत स्मार्तों अर्थात गृहस्थियों के व्रत से दूसरे दिन होता है। जिसके आगे स्मार्थ या वैष्णव नहीं लिखा है। वह तिथि दोनों के लिए मान्य होगी।

एकादशी व्रत की सूची संवत 2081 सन 2024

मास और पक्ष एकादशी व्रत तारीख
पौष मास कृष्ण पक्ष सफला एकादशी  07 जनवरी 2024
पौष मास शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी 2024
माघ मास कृष्ण पक्ष षटतिला एकादशी  06 फरवरी 2024
माघ मास शुक्ल पक्ष जया एकादशी  20 फरवरी 2024
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष विजया एकादशी

06 मार्च 2024 (स्मार्त)

07 मार्च 2024 (वैष्णव)

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष आमलकी एकादशी 20 मार्च 2024
चैत्र मास कृष्ण पक्ष पापमोचनी एकादशी 05 अप्रैल 2024
चैत्र मास शुक्ल पक्ष कामदा एकादशी  19 अप्रैल 2024
वैशाख मास कृष्ण पक्ष वरुथिनी एकादशी  04 मई 2024
वैशाख मास शुक्ल पक्ष मोहिनी एकादशी  19 मई 2024
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष अपरा एकादशी 02 जून 2024 
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष निर्जला एकादशी  18 जून 2024
आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष योगिनी एकादशी 02 जुलाई 2024
आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष हरी शयनी एकादशी  17 जुलाई 2024
श्रावण मास कृष्ण पक्ष कामिका एकादशी  31 जुलाई 2024
श्रावण मास शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी व्रत 16 अगस्त 2024
भाद्रपद मास कृष्ण  पक्ष अजा एकादशी  29 अगस्त 2024
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष वामन एकादशी व्रत 14 सितंबर 2024
आश्विन मास कृष्ण पक्ष इंदिरा एकादशी 28 सितंबर 2024
आश्विन मास शुक्ल पक्ष पापांकुशा एकादशी  13 अक्टूबर 2024 (स्मार्त) 14 अक्टूबर 2024 (वैष्णव)
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष रमा एकादशी  28 अक्टूबर 2024
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष हरि प्रबोधिनी एकादशी 12 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष मास शुक्ल  पक्ष मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024
पौष मास कृष्ण पक्ष सफला एकादशी  26 दिसंबर 2024

एकादशी व्रत की सूची संवत 2081 सन 2025

मास और पक्ष एकादशी व्रत तारीख
पौष मास शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी 2025
माघ मास कृष्ण पक्ष षटतिला एकादशी  25 जनवरी 2025
माघ मास शुक्ल पक्ष जया एकादशी  08 फरवरी 2025
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष विजया एकादशी 24 फरवरी 2025
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष आमलकी एकादशी 10 मार्च 2025
चैत्र मास कृष्ण पक्ष पापमोचनी एकादशी 25 मार्च 2025 (स्मार्त) 26 मार्च 2025 (वैष्णव)

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26 मई, 2021 खग्रास चंद्रग्रहण | Chandra Grahan | Moon ( Lunar Eclipse)

26 may 2021 lunar eclipse

26 may 2021 lunar eclipse

 

खग्रास चंद्रग्रहण

26 मई, 2021

वैशाख पूर्णिमा बुधवार

भारत में दृश्य ग्रहण का विस्तृत विवरण

26 मई 2021 को लगने वाला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse | Moon Eclipse ) सायंकाल चंद्रोदय के समय पश्चिम – बंगाल, अरुणाचल, नागालैंड, पूर्वी उड़ीसा,  मिजोरम, मणिपुर, आसाम, त्रिपुरा तथा मेघालय में  तथा ग्रस्तोदय रूप में बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा। इन स्थानों पर चंद्रमा  ग्रस्त ही उदित होगा और उदय के कुछ मिनटों  बाद ही ग्रहण समाप्त हो जाएगा। इन नगरों /स्थलों पर यह चंद्र ग्रहण खण्डग्रास ग्रस्तोदय  के रूप में दिखाई देगा । भारत के शेष भागों ( उत्तरी, उत्तर – पश्चिम व दक्षिण भारत) में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा । भारत के केवल उत्तर- पूर्वी क्षेत्रों में यह ग्रहण समाप्ति काल (मोक्ष) के समय दिखाई देगा । 

ग्रहण के प्रारम्भ आदि के काल भारतीय स्टैंडर्ड टाइम  में  इस प्रकार है –

ग्रहण प्रारंभ      :    3:15 दोपहर

खग्रास प्रारंभ    :    4:40 दोपहर

ग्रहण मध्य        :    4:49 दोपहर

खग्रास समाप्त  :    4:58 दोपहर

ग्रहण समाप्त    :    8:23 रात्रि

पर्व काल = 3 घंटे 8 मिनट

चंद्र मालिन्य शुरू = 14 घंटे 16 मिनट 

चंद्र मालिन्य समाप्त = 19 घंटे 21 मिनट  

पूर्वी भारत में स्थित बांग्ला, आसाम आदि प्रदेशों में ही यह ग्रहण सायंकाल के समय ग्रस्तोदय के रूप में बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा और पश्चिम में स्थित किसी भी भारतीय नगर / राज्य में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा ,  क्योंकि वहां सर्वत्र चंद्र ग्रहण -समाप्ति (8:30 रात्रि ) के बाद ही उदय होगा । 

जिन नगरों में चंद्रोदय ग्रहण समाप्ति (8: 23 रात्रि) से पहले होगा केवल उन्हीं नगरों में यह अल्प खंडग्रास चंद्र ग्रहण दिखाई देगा । 

  

कुल मिलाकर देखा जाए तो डिगबोई आसाम में यह चंद्रग्रहण अधिकतम 29 मिनट तक रहेगा । बाकी सब स्थानों पर जहां पर भी यह चंद्र ग्रहण दिखेगा इससे कम समय ही रहेगा ।

 

भारत के अतिरिक्त दिखाई देने वाले क्षेत्र- 

 

भारत के पूर्वी प्रदेशों के अतिरिक्त यह ग्रहण दक्षिण- पूर्वी एशिया (जापान, इंडोनेशिया,  बांग्लादेश,  सिंगापुर, फिलीपींस , दक्षिण कोरिया,  बर्मा आदि) ऑस्ट्रेलिया में इसका खग्रास रूप दिखाई देगा। इसके अतिरिक्त खंड रूप में अत्यधिक उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत तथा हिन्द महासागर में दृश्य होगा । 

ग्रहण का पर्व काल-

जहां- ग्रहण ग्रस्तोदय हो, वहां ग्रहण का पर्व काल चंद्र के उदयकाल से ही प्रारंभ माना जाता है । 

अतएव यहां चंद्रोदय से ग्रहण समाप्ति तक का  कॉल ‘पर्व काल’ माना जाएगा  । 

विशेष ध्यान देने योग्य –  यह ग्रहण भारत के केवल पूर्वी क्षेत्रों में चंद्रोदय के समय पूर्वी क्षितिज में दिखाई देगा। अतएव  ग्रहण के स्नान, दान, जप आदि अनुष्ठान का माहात्म्य  भी उन्हीं  स्थानों पर होगा । 

क्योंकि यह ग्रहण भारत के उत्तर,  पश्चिम एवं एशिया भागो ,जैसे- महाराष्ट्र, पंजाब, जम्मू- कश्मीर, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,  बिहार आदि प्रदेशों में दिखाई नहीं देगा,  अतएव   इन प्रदेशों का ग्रहण कालिक स्नान-दान, जप –  तप आदि अनुष्ठान,  पुण्य आदि एवं विवाह आदि शुभ कार्यों में निषेध विचारणीय नहीं है। 

चंद्र ग्रहण का सूतक-

इस ग्रहण का सूतक 26 मई, 2021 के प्रातः 6:15 (भारतीय स्टैंडर्ड टाइम) से प्रारंभ हो जाएगा ।  पुन: ध्यान रखें,  भारत के पूर्वीय प्रदेशों में जहां-जहां चंद्रग्रहण दृश्य होगा, वहां पर ही ग्रहण के सूतक आदि का विचार होगा, अन्यत्र नहीं। 

सूतक एवं ग्रहण काल में ईश्वर एवं  अपने इष्ट देव का पूजन, जप- पाठ,  तर्पण, हवन आदि कार्यों का सम्पादन तथा ग्रहणोपरान्त स्नान दान आदि करना शुभ एवं कल्याणकारी होता है । 

ग्रहण का राशि फल-   

यह ग्रहण अनुराधा / ज्येष्ठा नक्षत्र  तथा वृश्चिक राशि में घटित हो रहा है। 

अतएव वृश्चिक राशि वालों को इस चंद्र ग्रहण का फल अशुभ रहेगा । सभी राशियों के लिए इस चंद्रग्रहण का फल इस प्रकार है । 

 

राशि

फल

मेष

सुख प्राप्ति

वृष

स्त्री कष्ट

मिथुन

रोग भय

कर्क

मानहानि

सिंह

कार्य सिद्धि

कन्या

धन लाभ

तुला

धन हानि

वृश्चिक

शारीरिक कष्ट, चिंता

धनु

धन हानि

मकर

धन लाभ

कुंभ

चोट भय

मीन

चिंता, संतान कष्ट 

 

ग्रहण का अन्य फल-

इस ग्रस्तोदय चंद्र ग्रहण का विशेष प्रभाव भारत के पूर्वी प्रदेशों ( बंगाल, असम,  अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, पूर्वी उड़ीसा) , बांग्लादेश,  बर्मा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, आदि देशों पर विशेष रूप से अधिक होगा  । 

यह ग्रहण वृश्चिक राशि वाले देशों (ब्राजील,बर्मा, अल्जीरिया) के राष्ट्र नेताओं के लिए कठिन हालात पैदा करेगा । 

वैशाख पूर्णिमा के दिन यह ग्रहण होने से बिहार, उड़ीसा बंगाल या पूर्वी प्रदेशों के किसी विशिष्ट राजनेता के लिए घातक होगा  । 

वैशाखमसे ग्रहणे विनाशमायांति कार्पासतिला : समुद्गा:।

इक्ष्वाकुयौधेयशका : कलिंगा:  सोपद्रवा: किंतु  सुभिक्षमस्मिन्।।

वैशाख में ग्रस्तोदय होने से विभिन्न देशों के मध्य युद्ध, प्रजा में रोग-भय  तथा ब्राह्मणों में भी भय व्याप्त हो । शराब पीने वालों को कष्ट, वर्षा में कमी, कृषि- नाश के कारण तिल तेल, रूई ,मूंग आदि के मूल्यों में विशेष तेजी हो, परंतु विश्व में सुभिक्ष अर्थात अन्न का यथेष्ठ उत्पादन हो ।  पूर्वी एशियाई देशों में विशेष उपद्रव होगा । 

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ॠण- ग्रहण ( कर्ज लेने ) मुहूर्त | Shubh Muhurat To Take Loan

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

 

Shubh Muhurat To Take Loan

ग्रार्हय तिथि :-1(कृष्ण), 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12 (कृष्णशुक्ल), 13 (शुक्ल), 14

 ग्रार्हय  वार :-सोमवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार  ।

ग्रार्हय नक्षत्र:-अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य, उ0 फा0, उ0 षा0, उ0 भा0, हस्त, चित्रा, अनुराधा,  श्रवण,  धनिष्ठा, शतभिषा,  तथा रेवती तथापि  मृगशिरा, चित्रा,अनुराधा, रेवती विशेष रूप से शुभ है । 

शुभ लगन :-1, 4, 7, 10 लग्न   श्रेष्ठ है शुभ  ग्रह त्रिकोण ( 5, 9वे ) तथा अष्टम भाव शुद्ध  हो ।

विशेष :-मंगलवार को कर्ज के रूप में किसी से धन नहीं लेना चाहिए । संक्रांति वाले दिन, वृद्धि योग, हस्त नक्षत्र और रविवार में ऋण नहीं लेना चाहिए  ।

अपि च,  “ऋणच्च्छेदं  कुजे कुर्यात् संचयं सोमनन्दें”:-  मंगलवार को ऋणों को चुका देना तथा बुधवार को धन संचय करना चाहिए ।

ऋण लेने के लिए वर्जित काल (निषेध काल) | Inauspicious Time to take loan

  1. मंगलवार, संक्रांति दिन, वृद्धियोग, हस्तनक्षत्र युक्त रविवार को ऋण ले तो कभी मुक्त न हो।
  2. मंगलवार को ऋण चुकाना अच्छा है।
  3. बुधवार को धन न देना चाहिए।
  4. कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठ, मूल नक्षत्रों में भद्रा, व्यतिपात और अमावस में गया धन फिर मिलता नहीं या झगड़े आदि पर उतारू होना पड़ता है।
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ऋणदान (कर्ज देने) का मुहूर्त | Shubh Muhurat To Give Loan

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है ।

इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

Shubh Muhurat to Give loan

ग्रार्हय तिथि :-1 (कृष्ण), 2, 3, 6, 7, 8, 10, 11, 12 (कृष्ण, शुक्ल), 13 (शुक्ल ), 14

ग्रार्हय वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार ।

ग्रार्हय  नक्षत्र :- अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, चित्रा, विशाखा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती।

लग्न शुद्धि:- 1, 4, 7, 10 राशि लग्न।

पंचम नवम भाव में शुभ ग्रह तथा अष्टम भाव शुद्ध होना चाहिए।

 विशेष :- बुधवार को अपना धन किसी को भी नहीं देना चाहिए। अर्थात बुधवार को दिया हुआ धन वापस नहीं मिलता । भद्रा, व्यतीपात, पात, महापात तथा अमावस में दिया गया धन वापस प्राप्त नहीं होता ।

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पशु अथवा वाहन (चौपाया) खरीदने का मुहूर्त | Pashu | Vahan Kharidne ka Muhurt

ज्योतिष वह विज्ञान है जो मनुष्य क़े अंधविश्वास रूपी अन्धकार का हरण करके ज्ञान का प्रकाश करता है| ज्योतिष भाग्य पर नहीं कर्म और केवल कर्म पर ही आधारित शास्त्र है|

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए पशुपालन के लिए पशु गाय, भैंस , ऊँट, बकरी पशु खरीदने के शुभ मुहूर्त नीचे दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

विशेष – जिस व्यक्ति का शनि कुंडली में शुभ अवस्था का बैठा हुआ हो, केवल उसी को शनिवार के दिन वाहन अथवा पशु खरीदना चाहिए। ध्यान रखें कि यहां पर चार टायर वाली गाड़ी के बारे में मुहूर्त दिया गया है। दो पहिया वाहन का मुहूर्त नहीं है।

Pashu OR Vahan (Car, Jeep ) Kharidne ka Shubh Muhurat

ग्रार्हय तिथि :- 1 (कृष्ण), 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12 (कृष्ण, शुक्ल), 13 (शुक्ल), 14

ग्राह्य वार:- रविवार, चंदवार, बुधवार, गुरुवार, शनिवार ।

ग्राह्य  नक्षत्र :- अश्विनी, पुनर्वसु, हस्त, विशाखा, ज्येष्ठा, धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती   ।

  • गाय लेनी अथवा बेचनी हो तो अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, विशाखा, ज्येष्ठ, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती नक्षत्र में शुभ है। 
  • अन्य पशु पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठ, मूल, धनिष्ठा, रेवती में लेना-बेचना शुभ है। 
  • गाय लेनी हो तो उत्तराफाल्गुनी से दिन नक्षत्र तक गिने। 3 तक लाभदायक, 5 तक हानि, 11 तक अर्थ लाभ, 16 तक सुख, 22 तक महा लाभ, 23 तक वृद्धि, 27 तक भय होता है। 
  • वृषभ (बैल) लेना हो तो 6 नक्षत्र लाभदायक, फिर दो-दो के क्रम से गाय के समान फल जानें। 
  • महिषी (भैंस) लेनी हो तो भी गौ नक्षत्रगणना क्रम से शुभाशुभफल हेतु सूर्य नक्षत्र तक गिनें

नौमी चौदस चौथ चौपाया।  मंगल हान करें घर आया॥

वाहनादि क्रय मुहूर्त्त 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
15 अप्रैलसुबह 07:28 से सुबह 11:37 तक, अभिजित्
18 अप्रैलसुबह 07:57 के बाद
11 जुलाईसुबह 08:27 से सुबह 10:37 तक, अभिजित्
12 जुलाईसुबह 07:09 के बाद,
विशेष:- सुबह 08:13 से सुबह 10:33 तक, अभिजित्
17 जुलाईसुबह 07:53 से सुबह 10:13 तक, 
दोपहर 12:31 से दोपहर 02:52 तक, अभिजित्, भद्रा-परिहार
21 जुलाईसुबह 07:37 से सुबह 09:57 तक, 
दोपहर 12:25 से दोपहर 02:37 तक, अभिजित् 
22 जुलाईसुबह 07:33 से सुबह 09:53 तक, 
दोपहर 12:11 से दोपहर 02:33 तक, अभिजित् 
28 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:48 तक
31 जुलाईसुबह 10:13 के बाद
01 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:24 तक
07 अगस्तसुबह 11:08 से दोपहर 01:30 तक
11 अगस्तसूर्योदय से सुबह 10:12 तक, 
सुबह 10:12 से क्रान्तिसाम्य दोष
12 अगस्तसूर्योदय से सुबह 08:33 तक
14 अगस्तसुबह 10:24 के बाद
19 अगस्तसुबह 08:10 के बाद, भद्रा-परिहार
28 अगस्तसुबह 09:46 से दोपहर 02:27 तक, भौमयुति परिहार
04 सितंबरसुबह 09:18 से दोपहर 02:00 तक
08 सितंबरसुबह 09:02 से दोपहर 01:44 तक, अभिजित्
07 अक्टूबरसुबह 09:48 के बाद
10 अक्टूबरसूर्योदय से दोपहर 12:32 तक
11 अक्टूबरसुबह 06:56 से दोपहर 01:39 तक, अभिजित्
18 अक्टूबरसूर्योदय से दोपहर 01:26 तक
21 अक्टूबरसूर्योदय से सुबह 11:11 तक, 
सुबह 11:11 से दोपहर 02:11 तक, परिघ दोष
23 अक्टूबरसुबह 08:27 से दोपहर 12:52 तक, भद्रा-परिहार, भौमयुति परिहार
24 अक्टूबरसुबह 08:23 से दोपहर 12:48 तक, अभिजित्  
27 अक्टूबरसुबह 08:11 से दोपहर 12:36 तक, अभिजित्, मृत्युबाण-परिहार
28 अक्टूबरसुबह 08:07 से दोपहर 12:32 तक, अभिजित्
03 नवंबरसुबह 07:44 से दोपहर 12:09 तक, अभिजित्
06 नवंबरसूर्योदय से सुबह 11:00 तक
07 नवंबरसूर्योदय से सुबह 09:51 तक
08 नवंबरदोपहर 12:03 के बाद
11 नवंबरसुबह 09:40 के बाद
14 नवंबरसूर्योदय से सुबह 09:44 तक
18 नवंबरसुबह 09:05 से दोपहर 12:50 तक, अभिजित्, भद्रा-परिहार
20 नवंबरसुबह 08:57 से दोपहर 12:43 तक
25 नवंबरसुबह 08:37 से दोपहर 12:23 तक, अभिजित्, केतुयुति परिहार
27 नवंबरसुबह 08:30 से दोपहर 12:15 तक
04 दिसंबरसुबह 08:02 से सुबह 11:48 तक
06 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 10:43 तक, 
सुबह 10:43 से दोपहर 02:19 तक, व्याघात
11 दिसंबरसुबह 11:48 से दोपहर 02:27 तक
12 दिसंबरसूर्योदय से सुबह 09:53 तक
 सन् 2025
प्रारंभ काल-तारीख मुहूर्त का समय-घं.मि.
15 जनवरीविशेष:- सुबह 09:01 से सुबह 10:27 तक, 
सूर्योदय से सुबह 10:28 तक
16 जनवरीसुबह 11:17 के बाद
19 जनवरीसुबह 08:46 से सुबह 10:11 तक, 
सुबह 11:33 से दोपहर 01:06 तक, अभिजित्
22 जनवरीसुबह 08:34 से सुबह 09:59 तक, 
सुबह 11:21 से दोपहर 12:54 तक
24 जनवरीसुबह 08:26 से सुबह 09:51 तक, 
सुबह 11:14 से दोपहर 12:46 तक, अभिजित्, मृत्युबाण एवं भद्रा-परिहार
31 जनवरीसुबह 07:59 से सुबह 09:24 तक, 
सुबह 10:46 से दोपहर 12:19 तक, अभिजित्
07 फरवरीसुबह 07:31 से सुबह 08:56 तक, 
सुबह 10:29 से सुबह 11:51 तक, अभिजित्
10 फरवरीसुबह 11:57 तक, भौमयुति परिहार
13 फरवरीसुबह 09:57 के बाद
14 फरवरीसुबह 09:51 से दोपहर 01:18 तक, अभिजित्
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:40 तक
21 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 03:54 तक
26 फरवरीसुबह 08:51 के बाद, चंद्र दान, 
सूर्योदय से सुबह 11:09 तक
06 मार्चसुबह 08:32 से दोपहर 12:00 तक, अभिजित्

नोट- मुहूर्त्त वाले दिन व्याप्त राशि जातक / जातिका की नाम राशि से 4, 8, 12 वें न हों।

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