‘द्विपुष्कर योग’ जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि दोगुना। ‘जी हां’ द्विपुष्कर योग में यदि किसी व्यक्ति को लाभ होता है तो है दोगुना होता है और यदि किसी कारणवश हानि हो जाती है तो वह भी 2 गुना ही होती है। अतः जितने भी हमारे शास्त्रों में अच्छे मुहूर्त और योग बताए गए हैं उनको दोगुना करने वाला योग द्विपुष्कर योग कहलाता है। इस युग में शुभ काम करने पर यह दोगुना लाभ प्रदान करता है।
द्विपुष्कर योग सन् 204-2025
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
16 मार्च | शाम 04:06 से | 16 मार्च | रात्रि 09:38 तक |
26 मार्च | दोपहर 02:57 से | 27 मार्च | सूर्योदय तक |
20 मई | रात्रि 03:17 से | 20 मई | सूर्योदय तक |
23 जुलाई | सूर्योदय से | 23 जुलाई | सुबह 10:23 तक |
11 अगस्त | प्रातः 05:46 से | 11 अगस्त | प्रातः 05:49 तक |
24 सितंबर | सूर्योदय से | 24 सितंबर | दोपहर 12:39 तक |
17 नवंबर | शाम 05:23 से | 17 नवंबर | रात्रि 09:06 तक |
27 नवंबर | प्रातः 04:35 से | 29 नवंबर | सूर्योदय तक |
07 दिसंबर | सुबह 11:07 से | 07 दिसंबर | शाम 04:50 तक |
सन – 2025
21 जनवरी | सूर्योदय से | 21 जनवरी | दोपहर 12:40 तक |
16 मार्च | सुबह 11:46 से | 16 मार्च | शाम 04:58 तक |
26 मार्च | प्रातः 03:50 से | 26 मार्च | सूर्योदय तक |
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