उपद्रवी स्थान को शुद्ध करने के लिए करें दुर्गा सप्तशती का यह सिद्ध उपाय

navratri puja

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ओम नमः शिवाय,

सज्जनों

बहुत से व्यक्तियों के कुछ इस प्रकार से प्रश्न होते हैं। कि हमारा चलता चलता काम अचानक से रुक गया है और पड़ोस की दुकान वालों का काम अच्छा चलना शुरू हो गया है, डरावने सपने आते हैं, बिना कारण से भय लगता है, कई बार घर में किसी छाया अथवा आकृति का आभास होता है, प्रतिदिन घर में कलह क्लेश होता है, रोजी-रोटी बंद हो गई है, कमाई में बरकत नहीं हो रही है, घर परिवार में कोई खुशियां नहीं है और ना ही कोई खुशी के मौके जीवन में आते हैं, अच्छी डिग्री व योग्यता होने के बावजूद जीवन में सफलता नहीं मिल रही हैं। कई सारे उपाय करने के बावजूद भी कुछ लाभ नहीं मिल रहा है आदि – आदि …….

सज्जनों कई बार कुछ ईर्ष्या व द्वेष से ग्रसित व्यक्ति किसी तांत्रिक अथवा अशुभ शक्तियों का संचालन करने वाले व्यक्तियों के पास जाकर जिससे वह ईर्ष्या – द्वेष और नफरत करते हैं। उसके काम धंधे को बंधवा देते हैं या उनके घर परिवार में तंत्र प्रयोग के द्वारा अशुभ शक्तियां भेजकर पारिवारिक सुख – समृद्धि, स्वास्थ्य आदि को खराब कर देते हैं। यदि किसी व्यक्ति के संग इसी प्रकार की गतिविधि हो रखी है और उस व्यक्ति को लगता है कि अवश्य ही मेरे यहां इस प्रकार की परेशानियां चल रही हैं तो आज हमारे द्वारा श्री दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के 12 वें अध्याय के 19 में मंत्र की सिद्धि के बारे में बताया जाएगा। इस मंत्र के प्रयोग से मां भगवती जगदंबा की कृपा से किसी भी प्रकार की तंत्र क्रिया, बंधन क्रिया व अशुभ शक्तियों का समूल विनाश होता है। इस मंत्र का विधिवत अनुष्ठान करने से रोजी-रोटी व किसी भी प्रकार का बंधन खुलता है। ऊपरी अथवा अंदरूनी हवाओं, भूत – प्रेत, ब्लैक मैजिक व अशुभ तंत्र बाधा का समूल नाश होता है।

मंत्र – ॐ ह्रीं दुर्वत्तानामशेषाणां बलहानिकरं परम

रक्षो भूतपिशाचानां पठनादेव नाशनम् ह्रीं ॐ।।

इस मंत्र का एक दिन में 11000 जाप करके सिद्ध कर लें अथवा नवरात्रि या गुप्त नवरात्रि में प्रतिदिन जाप करके मंत्र को सिद्ध कर लें। तत्पश्चात इस मंत्र का दशांश हवन, हवन का दशांश मार्जन व मार्जन का दशांश तर्पण करें। इसके बाद 8 खेजड़ी (शमी) की लकड़ी, 8 खैर की लकड़ी, 8 लोहे की कील, 8 पीली कौड़ी, 8 हल्दी की गांठ, 8 डोडे वाली लौंग लेकर ऊपर बताए मंत्र से अभिमंत्रित करके उपद्रवी स्थान की 8 दिशाओं में गाड़ दें।

ध्यान रहे की यह पूरी प्रक्रिया मंत्र बोलते हुए अग्नि कोण से दक्षिण दिशा की तरफ से शुरू करनी है तथा एक हाथ का गड्ढा खोदकर दबानी चाहिए। कौड़ी चित्त (कट वाला हिस्सा ऊपर) करके रखनी चाहिए। इस विधिपूर्वक भगवती के मंत्र का प्रयोग करने से वह स्थान सभी प्रकार की बाधाओं से रहित होकर श्रेष्ठ फलदाई हो जाता है। भगवती की कृपा बनाए रखने के लिए प्रत्येक नवरात्रि में सप्तशती का पाठ अथवा सप्तशती के मंत्रों से अपने घर पर यज्ञ करें।

नोट  यह प्रयोग अनेक बार करके अनुभूत किया गया है।