जब रविवार (Sunday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) बनता है।
रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं।
इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog)और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।
इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।
रविपुष्य योग सन् : 2024-25
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
09 जून | रात्रि 08:21 से | 10 जून | सूर्योदय तक |
07 जुलाई | सूर्योदय से | 08 जुलाई | सूर्योदय तक |
04 अगस्त | सूर्योदय से | 04 अगस्त | दोपहर 01:26 तक |