19 नवंबर, 2021 खण्डग्रास चंद्रग्रहण | Chandra Grahan | Moon ( Lunar Eclipse )

Chandra Grahan

Chandra Grahan

खण्डग्रास चंद्रग्रहण

19 नवंबर, 2021

कार्तिक पूर्णिमा, शुक्रवार

भारत में दृश्य ग्रहण का विस्तृत विवरण

यह ग्रहण 19 नवंबर, 2021 , शुक्रवार (कार्तिक पूर्णिमा) को सायंकाल चंद्रोदय के समय भारत के सुदूर पूर्वी राज्यों-अरुणांचल प्रदेश तथा आसाम राज्य के  केवल पूर्वी क्षेत्रों में ही स्वल्पग्रास ग्रस्तोदय के रूप में बहुत ही कम समय के लिए दिखाई देगा। शेष भारत में यह ग्रहण बिल्कुल दिखाई नहीं देगा। जिन सुदूर पूर्वी नगरों में यह ग्रहण दिखाई देगा, वहाँ चंद्रमा ग्रस्त ही उदय होगा तथा उदय के कुछ ही मिनटों के बाद ग्रहण समाप्त हो जाएगा।

भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण अधिकतर यूरोप, एशिया(पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान तथा उत्तर- पश्चिमी भारत को छोड़कर), ऑस्ट्रेलिया, उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका (कैनेडा सहित) में खण्डग्रास रूप में दृश्य होगा।

भा.स्टै.टा. (IST) अनुसार इस ग्रस्तोदय खण्डग्रास चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का स्पर्श तथा मोक्ष इस किस प्रकार होगा-

ग्रहण प्रारंभ 12:48 दोपहर     —- भा.स्टै.टा. (IST)
ग्रहण मध्य 2:33 दोपहर         —-भा.स्टै.टा. (IST)
ग्रहण समाप्त 4:17 सायंकाल   —-भा.स्टै.टा. (IST)

चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan)  भारत में अरुणाचल प्रदेश और आसाम के कुछ भागों में ही लगेगा। यह अधिकतर 10 मिनट तक होगा। जिन राज्यों में यह ग्रहण लगेगा वहां सूतक की पालना जरूरी है। सूतक प्रातः 3:49 भा.स्टै.टा. (IST)  से आरंभ हो जाएगा। भारत के कुछ क्षेत्रों में चंद्रोदय का समय शाम 4:07 भा.स्टै.टा. (IST)  से आरंभ होता है। चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का समाप्ति काल शाम 4:17 भा.स्टै.टा. (IST)  तक है। जिन क्षेत्रों में चंद्रोदय 4:17 भा.स्टै.टा. (IST)  से पहले होगा। वहाँ ग्रहण का दान, स्नान, जप-ध्यान एवं सूतक मान्य होगा।

ग्रहण का सूतक:-

भारत के दो पूर्वी राज्यों (अरुणांचल, आसाम ) के पूर्वी भागों में जहां यह अल्पकालिक ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण (Chandra Grahan)  दिखाई देगा, केवल वही इस ग्रहण के सूतक का विचार होगा तथा यह 19 नवंबर, 2021, की प्रातः 3:49 से प्रारंभ होगा ।

ध्यान रखें, शेष भारत के सभी राज्यों/नगरों में जहाँ यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, वहाँ ग्रहण संबंधी दान, सूतक आदि का माहात्म्य/ विचार नहीं होगा ।

क्या ग्रहण वाले दिन व्रत- पर्वों का अनुष्ठान करना चाहिए ?

श्रावणी उपाकर्म को छोड़कर शेष व्रत- पर्वों (श्री सत्यनारायण व्रत, अमावस्या-पूर्णिमा का स्नान-दान, वटसावित्री व्रत, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन ,नवरात्रा प्रारंभ(घटस्थापन), होलिका दहन आदि) से संबंधित अनुष्ठान,पारणा आदि पर सूर्य या चंद्र ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इन पूर्णिमा-अमावस्या को घटित होने वाले व्रत- पर्वों से संबंध पूजा आदि का अनुष्ठान इनके ठीक अपने-अपने विहित निर्धारित काल में ग्रहण का सूतक और ग्रहण के समय में भी करने चाहिए- इस प्रकार के शास्त्र वाक्य मिलते हैं। यहां पर शास्त्र निर्देश है कि व्रत- पर्व से संबंधित पूजादि के अनुष्ठान/पारणा/ संकल्पकाल में ग्रहण लगा हुआ हो तो तीर्थ जल सहित स्नान करके ही पूजादि करनी चाहिए-

सर्वेषामेव वर्णनां सूतकं राहु दर्शने ।

स्नात्वा कर्माणि कुर्वीत शृतमन्नं विवर्जयेत् ।।

ग्रहण वाले दिन पड़ने वाले व्रत की पारणा (व्रत के अंत के किए जाने वाले भोजन) के संबंध में शास्त्र के अनुसार-ग्रहण के सूतक में और ग्रहण काल में पारणा नहीं करनी चाहिए l ग्रहण समाप्त होने पर ही पारणा करनी चाहिए ।

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चंद्र ग्रहण | Moon Eclipse | Chandra Grahan aur Beej Mantra

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