मुकद्दमा दायर करने का शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurt for Court Case Filing

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

ग्रार्हय तिथि :-3, 5, 8, 10, 13(शुक्ल) तथा पूर्णिमा  ।

ग्रार्हय वार :-रविवार, मंगलवार, बुधवार,वीरवार  ।

ग्रार्हय  नक्षत्र :-भरणी, आर्द्रा, आश्लेषा, मघा, पूर्वा -तीनों, जेष्ठा तथा मूल  ।

ग्रह लग्न:-3, 6, 7, 8, 11 राशि लग्न  ।   जब शुभ ग्रह लग्न में हो  ,  पाप ग्रह 3, 6, 11 वे हो तथा अष्टम भाव शुद्ध हो  ।

विशेष :-गोचरानुसार  याचिकाकर्ता का चंद्रमा एवं मंगल भी बलावन्वित होने चाहिए|

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भूमि खरीदने का मुहूर्त | Shubh Muhurat for Property Purchase & Registration

जमीन | मकान | प्रॉपर्टी खरीदने का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

मैं यहाँ  मकान, फ्लैट, प्लॉट और जमीन सहित किसी भी सम्पत्ति को खरीदने के लिए शुभः दिन दे रहा हूँ । आधुनिक सन्दर्भ में ये दिन सम्पत्ति के पंजीकरण के लिए अनुकूल हैं। 

 ग्राह्य मास:- वैशाख, जेष्ठा, आषाढ़ (मिथुनार्क तक – 15 जुलाई ), मार्गशीर्ष, माघ और फाल्गुन मास भूमि क्रय के लिए उत्तम कहे गए हैं  ।

 ग्राह्य  तिथियां:- 1(कृष्ण पक्ष), कृष्ण तथा शुक्ल पक्ष की2, 5, 6, 10,  11 एवं पूर्णिमा |

  ग्राह्य  नक्षत्र :- मृगशिरा, पुनर्वसु, अश्लेषा, मघा, विशाखा, अनुराधा, तीनों पूर्वा, मूल स्वाति, शतभिषा,और रेवती   ।

शुभ वार:- मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार  ।

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जमीन खरीदने का शुभ दिन | 
मकान खरीदने का शुभ दिन | प्रॉपर्टी खरीदने का शुभ दिन 

Shubh Muhurat for Property Purchase and Registration

चुनाव से खड़े होने का मुहूर्त | Shubh Muhurat To File Election Nomination Paper

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

[File Nomination for Election ] चुनाव नामांकन हेतु शुभ मुहूर्त (Shubh muhurat) , शुभ दिन, तिथि, नक्षत्र, का चुनाव करने से कार्यसिद्धि की सफलता दोगुनी हो जाती है। आप भी चुनाव नामांकन ( Election Nomination ) के लिए मुहूर्त का अवश्य ही चयन करे अवश्य ही शुभ परिणाम आएगा।  यदि आप भी राजनीति से सम्बन्ध रखते हैं तो अवश्य ही चुनाव में टिकट लेने के लिए अपने पार्टी के शीर्षस्थ नेता से सम्पर्क में होंगे या आपका टिकट मिलना तय हो गया होगा तो मेरा आपसे अनुरोध है की शुभ मुहूर्त में ही चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करें क्योंकि किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए शुभ दिन, तिथि, नक्षत्र, घड़ी इत्यादि का चुनाव करने से कार्यसिद्धि मुहूर्त की सफलता दोगुनी हो जाती है।

शुभ तिथियाँ :- 1(कृष्ण), 2, 3, 5, 9, 10, 12, 14 (शुक्ल)

शुभ वार:- सोमवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार ।

शुभ लग्न :-1, 4, 8,10 ।

 शुभ नक्षत्र:-अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य, उफा0, उषा0, उ भा0, हस्त,अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, रेवती ।

 विशेष :-केंद्र, त्रिकोण में शुभ ग्रह हो आप ग्रहण हो,3, 6, 11 वें पाप ग्रह हो ।

 लग्न एंव लग्नेश पर शुभ ग्रह की  दृष्टि हो  ।

बुध, शुक्र,गुरु  उदित हों चन्द बली हो  । तथा प्रत्याशी की राशि मुहूर्त वाले दिन-छोटे,आठवें एवं 12 वें न हो ।

 संसद्  में शपथ ग्रहण के समय स्थिर लग्न प्रशस्त होता हैं।

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Shubh Muhurat To File Election Nomination Paper
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नवीन वस्त्र धारण करने का मुहूर्त | Shubh Muhurat to wear New Lucky Dress

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

विवाह , यज्ञ , सम्वत् या वर्षारम्भ में, विशेष उत्सव, त्यौहार, प्रेम के उपहार -स्वरूप, जन्म-नक्षत्र के दिन, ईश्वर भक्ति में अथवा ब्राह्मण की आज्ञा मिलने पर बिना पंचांग-शुद्धि के भी नवीन वस्त्र धारण किए जा सकते है  । यद्यपि व्यक्ति अपना  चंद्र बल देखकर और शुभ लग्न में नूतन वस्त्रों को धारण करे।

शुभ तिथियाँ:- 1(कृष्ण), 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 (शुक्ल) व.पूर्णिमा  ।

शुभ वार :-रविवार ,  बुधवार, वीरवार, शुक्रवार।

शुभ नक्षत्र :-अश्विनी, रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य,उफा0, उषा0, उ भा0, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा  धनिष्ठा व रेवती।

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नया कपड़ा पहनने का मुहूर्त | वस्त्र धारण विधि | नया वस्त्र कब धारण करें? 
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मंत्र सिद्ध करने का मुहूर्त | Auspicious Timings for Mantra Sadhana

सिद्धि‘ का शाब्दिक अर्थ है – ‘पूर्णता’, ‘प्राप्ति’, ‘सफलता’ आदि। 

ज्योतिष वह विज्ञान है जो मनुष्य क़े अंधविश्वास रूपी अन्धकार का हरण करके ज्ञान का प्रकाश करता है| ज्योतिष भाग्य पर नहीं कर्म और केवल कर्म पर ही आधारित शास्त्र है|

ज्योतिष (Astrology) की दुनिया में कुछ योग और मुहूर्त बेहद शुभ होते हैं | इन योग या मुहूर्त में विशेष पूजा या मंत्रों का जाप करने से शुभ फल मिलता है| साधना-सिद्धि में वार, तिथि, नक्षत्र और लग्न का बहुत महत्व है। कौन से वार, नक्षत्र एवं लग्न में साधना करें जानिए-

ग्राह्य तिथियाँ:-2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 ( शुक्ल ), 15

ग्राह्य वार:-रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार  ।

ग्राह्य नक्षत्र:-अश्विनी, मृगशिरा, उ.फा(), हस्त, श्रव्य. तथा विशाखा ।  इसके अतिरिक्त रविपुष्य योगो, निरयण एंव सायन संक्रन्ति सक्रंमण -काल, दीपावली आदि योगों मे मन्त्र सिध्दि सम्बन्धी कार्य किए जाते है  ।

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मंत्र सिद्धि के अनुभव और समाधि, मंत्र  सिद्ध कैसे करें,  गुरु सिद्धि मंत्र, वाणी सिद्धि मंत्र, नारायण सिद्ध मंत्र
How do I get Siddhi powers?  
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ऑपरेशन कराने का मुहूर्त | Shubh Muhurat To Undergo Surgery (Operation)

ज्योतिष वह विज्ञान है जो मनुष्य क़े अंधविश्वास रूपी अन्धकार का हरण करके ज्ञान का प्रकाश करता है| ज्योतिष भाग्य पर नहीं कर्म और केवल कर्म पर ही आधारित शास्त्र है|

नक्षत्रों का कभी क्षरण नहीं होता तथा वे सदैव अपने स्थान पर ही रहते हैं। जिस नक्षत्र में बच्चे का जन्म होता है, उसी के अनुसार उसकी जन्म राशि का निर्धारण होता है। शुभ नक्षत्रों का ध्यान रखते हुए यदि कोई कार्य किया जाए तो उसमें सफलता मिलती है।

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

अन्य ग्रहों का संबंध मनुष्य पर या पृथ्वी पर स्पष्ट रूप में पड़े या नहीं, पर सूर्य एवं चंद्र का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। सूर्य के भिन्न-भिन्न नक्षत्रों में प्रवेश करने से मौसम बदलते रहते हं, उसी प्रकार पूर्णिमा एवं अमावस्या के फलस्वरूप समुद्र में ज्वार भाटा स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। पूर्णिमा एवं अमावस्या को मानसिक रूप से असंतुलित लोग ज्यादा परेशान रहते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ग्रह-नक्षत्र का प्रभाव पृथ्वी के साथ-साथ मनुष्य पर भी पड़ता है। मौसम में परिवर्तन सूर्य-चंद्र का सम्मिलित प्रभाव से होता है।

जानें ऐसे ही कुछ शुभ नक्षत्र – तिथि-वार जो बेहद शुभ और लाभकारी हैं।

ग्राह्य तिथियाँ:- 2, 3, 5, 6, 7, 10, 12,  (13- शुक्ल)

ग्राह्य वार:- रविवार, मंगलवार, गुरुवार,  शनिवार  ।

ग्राह्य नक्षत्र:-अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, हस्त,  चित्रा, स्वाति, अनुराध, अभिजीत, श्रवण  ।

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Shubh Muhurat To Undergo Surgery (Operation)
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रोगी के शल्य /ऑपरेशन कराने का शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurt for Surgery |ऑपरेशन का मुहूर्त  | Shubh Muhurat To Undergo Surgery  | Shubh Muhurat To Start Treatment | Ideal Days to Begin Medical Treatment | Mahurata for Medical Treatment 

औषधि निर्माण एंव सेवन | Shubh Muhurat To Start Medicines

ज्योतिष वह विज्ञान है जो मनुष्य क़े अंधविश्वास रूपी अन्धकार का हरण करके ज्ञान का प्रकाश करता है| ज्योतिष भाग्य पर नहीं कर्म और केवल कर्म पर ही आधारित शास्त्र है|

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

नक्षत्रों का कभी क्षरण नहीं होता तथा वे सदैव अपने स्थान पर ही रहते हैं। जिस नक्षत्र में बच्चे का जन्म होता है, उसी के अनुसार उसकी जन्म राशि का निर्धारण होता है। शुभ नक्षत्रों का ध्यान रखते हुए यदि कोई कार्य किया जाए तो उसमें सफलता मिलती है। यहां हम औषधि सेवन व निर्माण कार्यों की विवेचना कर रहे हैं जिन्हें शुभ नक्षत्र में करने से लाभ मिल सकता है। जानें ऐसे ही कुछ शुभ नक्षत्र जो बेहद शुभ और लाभकारी हैं।

ग्राह्य तिथियाँ:- 1(कृष्ण), 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 (शुक्ल)

ग्राह्य वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार  ।

ग्राह्य नक्षत्र:- यहाँ जन्म नक्षत्र त्याज्य रहेगा

लघु संज्ञक (अश्विनी, पुष्य,  हस्त,अभिजीत) ,

मृदु संज्ञक (मृगशिरा, चित्रा, रेवती),

चर संज्ञक (पुनर्वसु, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा) तथा मूल नक्षत्र(ज्येष्ठा,मूल)  ।

लग्न शुद्धि:- द्विस्वभाव (3, 6, 9, 12) तथा लग्न ,सप्तम,अष्टम तथा द्वादश भाव शुध्द हो अर्थात इन बातों पर क्रोध की स्थिति व दृष्टि वर्ज्य है  ।

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Shubh Muhurat For Storage of Food Grain | अनाज संग्रह(भरने) का मुहूर्त 2024-2025

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

ज्योतिषशास्त्र में कृषि संबंधी कार्यों के लिए उपयोगी मुहूर्तों का उल्लेख किया गया है। यदि इन मुहूर्तो को घ्यान में रखते हुए कृषि संबंधी कार्य सम्पन्न किए जाएं, तो लाभ की संभावना रहती है।

कर्म महान होता है । परंतु वह सही समय पर किए गए कर्म से ही महान बनता है । इसलिए यदि कोई व्यक्ति अशुभ समय में शुभ कार्य करता है तो उसको उसका उल्टा ही रिजल्ट मिलता है ।अर्थात उसका शुभ कर्म फलीभूत नहीं होता । परंतु अगर कोई व्यक्ति और अशुभ कर्म भी शुभ समय में कर लेता है तो उसको बुराई के बदले भलाई मिलती है ।

वैसे ही अशुभ समय में शुभ कार्य किया गया भी  भलाई के बदले बुरा ही जाता है । इसलिए जो भी काम किया जाना है, अगर वह सही समय पर किया जाए तो उसका परिणाम बिल्कुल पॉजिटिव होता है । हमारे द्वारा ध्यान में रखते हुए नीचे कुछ मुहूर्त दिए जा रहे हैं जो उस कार्य से संबंधित विशेष मुहूर्त हैं । इन मुहूर्तों में किए गए कार्य अवश्य ही सुख प्रदायक होंगे और इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिलेगा ।

शुभ मुहूर्त निर्धारण में वर्जित योग

  1. जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि, जन्म मास, माता-पिता की मृत्यु के दिन आदि।
  2. क्षय तिथियां, वृद्धि तिथियां, क्षय मास, अधिमास, क्षय वर्ष, दग्ध तिथियां आदि।

ग्राह्य तिथियाँ:- 2, 3, 5, 7, 8, 11, 12, 13 (शुक्ल), 15

ग्राह्य वार:- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार  ।

ग्राह्य नक्षत्र:- अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य,  पुनर्वसु,  उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद,  हस्त,  चित्रा , स्वाती ,अनुराधा, मूल , श्रवण ,धनिष्ठा, शतभिषा तथा रेवती  ।

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Shubh Muhurat For Storage of Food Grain
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शुभ मुहूर्त कितने बजे हैं? | कृषि पंचांग | पंचांग विज्ञान | कृषि शास्त्र | Shubh Muhurat for Safe storage of food grain and seeds |
अनाज संग्रहण | धान्य संग्रह | सफलता के लिए शुभ मुहूर्त | फसल काटने का मुहूर्त | गेहूं काटने का शुभ मुहूर्त 

खेती में बीज बोने (हल चलाने) का मुहूर्त 2024-2025 | Beej Bone ka Shubh Muhurat

sowing seeds

sowing seeds

शुभ मुहूर्त-तिथि-वार देखकर कृषि संबंधी कार्यो की शुरूआत की जाए, तो अपेक्षित परिणाम मिलते हैं।

ज्योतिषशास्त्र में कृषि संबंधी कार्यों के लिए उपयोगी मुहूर्तों का उल्लेख किया गया है। यदि इन मुहूर्तो को घ्यान में रखते हुए कृषि संबंधी कार्य सम्पन्न किए जाएं, तो लाभ की संभावना रहती है।

अन्य ग्रहों का संबंध मनुष्य पर या पृथ्वी पर स्पष्ट रूप में पड़े या नहीं, पर सूर्य एवं चंद्र का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। सूर्य के भिन्न-भिन्न नक्षत्रों में प्रवेश करने से मौसम बदलते रहते हं, उसी प्रकार पूर्णिमा एवं अमावस्या के फलस्वरूप समुद्र में ज्वार भाटा स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। पूर्णिमा एवं अमावस्या को मानसिक रूप से असंतुलित लोग ज्यादा परेशान रहते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ग्रह-नक्षत्र का प्रभाव पृथ्वी के साथ-साथ मनुष्य पर भी पड़ता है। मौसम में परिवर्तन सूर्य-चंद्र का सम्मिलित प्रभाव से होता है।

जब सूर्य रोहिणी में प्रवेश करता है तो बहुत गर्मी पड़ती है, मृगशिरा में इतनी गर्मी नहीं होती है एवं आद्र्रा में वर्षा शुरू हो जाती है।

सूर्य के नक्षत्र के अनुसार किसानों को अपने खेत में बीज बोने के लिए निर्देश दिया गया है। अगर गलत नक्षत्र में बीज बोए जाएं, तो फसल नहीं होगी। इस तरह यहां भी मुहूर्त देखने की जरूरत है। सूर्य मास की तरह ही चंद्र मास भी होता है। चित्रा नक्षत्र जिस मास की पूर्णिमा को होता है वह महीना चैत्र कहा जाता है, विशाखा अगर पूर्णिमा को हो तो वैशाख मास आदि।

शुभ मुहूर्त निर्धारण में वर्जित योग

  1. जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि, जन्म मास, माता-पिता की मृत्यु के दिन आदि।
  2. क्षय तिथियां, वृद्धि तिथियां, क्षय मास, अधिमास, क्षय वर्ष, दग्ध तिथियां आदि।

ग्राह्य तिथियाँ:- 1 (कृष्ण), 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 (कृष्ण)  तथा पूर्णिमा । 

ग्राह्य वार:- रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार

ग्राह्य नक्षत्र:- अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य , मघा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, धनिष्ठा, तथा रेवती ।

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जानिए अक्षय तृतीया का पौराणिक महात्म्य एवं शीघ्र विवाह और धन प्राप्ति कैसे करें

Akshaya Tritiya

Akshaya Tritiya

वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षयतृतीया | आखातीज | अक्षय तीज (Akshaya Tritiya | Akhaa Teej | Akshaya Teej) कहते हैं, यह सनातन धर्मियों का प्रधान त्यौहार है, इस दिन दिये हुए दान और किये हुए स्त्रान, होम, जप आदि सभी कर्मोंका फल अनन्त होता है – सभी अक्षय (जिसका क्षय या नाश ना हो) हो जाते हैं ; इसी से इसका नाम अक्षय हुआ है, स्वयंसिद्ध साढेतीन मुहूर्त के रुप में अक्षय तृतीया का बहुत अधिक महत्व है। 

इस दिन बिना पंचांग या शुभ मुहूर्त देखे आप हर प्रकार के मांगलिक सम्पन्न कर सकते है। हिन्दू समुदाय के अतिरिक्त जैन धर्म के लोग भी इस तिथि को बहुत महत्व देते है। इस दिन बिना पंचांग या शुभ मुहूर्त देखे आप हर प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, वस्त्र आभूषण आदि की खरीदारी, जमीन या वाहन खरीदना आदि को कर सकते है।

पुराणों में इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान या अन्य किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है।

इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है। इतना ही नहीं इस दिन किये जाने वाला जप, तप, हवन, दान और पुण्य कार्य भी अक्षय हो जाते है।

आज के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों उच्च राशि मे होते है।अतः मन और आत्मा दोनों से बलवान रहते है,तो आज आप जो भी कार्य करते है वो मन और आत्मा से जुड़ा रहता है ऐसे में आज का किया पूजा पाठ और दान पुण्य बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावी होते है।

यदि इस दिन गौरीव्रत भी हो तो ‘ गौरी विनायकोपेता ‘ के अनुसार गौरीपुत्र गणेशकी तिथि चतुर्थीका सहयोग अधिक शुभ होता है।

अक्षयतृत्तीया (Akshaya Tritiya) बड़ी पवित्र और महान् फल देनेवाली तिथि है, इसलिये इस दिन सफलता की आशा से व्रतोत्सवादिके अतिरिक्त वस्त्र, शस्त्र और आभूषणादि बनवाये अथवा धारण किये जाते है तथा नवीन स्थान, संस्था एवं समाज वर्षकी तेजी – मंदी जाननेके लिये इस दिन सब प्रकारके अन्न, वस्त्र आदि व्यावहारिक वस्तुओं और व्यक्तिविशेषोंके नामोंको तौलकर एक सुपूजित स्थानमें रखते हैं और दूसरे दिन फिर तौलवर उनकी न्यूनाधिकता से भविष्य का शुभाशुभ मालूम करते हैं, अक्षयतृत्तीया (Akshaya Tritiya) में तृत्तीया तिथि, सोमवार और रोहिणी नक्षत्र ये तीनों हों तो बहुत श्रेष्ठ माना जाता है, किसान लोग उस दिन चन्द्रमाके अस्त होते समय रोहिणी का आगे जाना अच्छा और पीछे रहे जाना बुरा मानते हैं !!

स्त्रात्वा हुत्वा च दत्त्वा च जप्त्वानन्तफलं लभेत् !!

( भारते ) यत्किञ्चिद् दीयते दानं स्वल्पं वा यदि वा बहु !

तत् सर्वमक्षयं यस्मात् तेनेयमक्षया स्मृता !!

अक्षयतृतीया पूजा मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारंभ – 22 अप्रैल 2023 को तृतीया प्रातः 7:49 से प्रारंभ होगी और 23 अप्रैल 2023 को प्रातः 7:48 तक रहेगी। क्योंकि तृतीया अधिकतर 22 अप्रैल को ही है इसलिए 22 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया मानी जाएगी।

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त, सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त :- (त्रिपुष्कर:- प्रातः 05:49 से प्रातः 07:49 तक
विजय मुहूर्त:- दोपहर 2:30 से दोपहर 03:22 तक
गौधूली :- शाम 06:49 से शाम 07:11 तक
सर्वार्थ, अमृत सिद्धि, रवि योग :- प्रातः 11:24 से प्रातः 05:48 तक 23 अप्रैल 2023)

वैसे अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध अखंड मुहूर्त होने से सूर्य उदय से अस्त के बीच कभी भी पूजा पाठ एवं खरीदारी की जा सकती है।

राशि के अनुसार खरीद सकते हैं :-

मेष :- सोना, पीतल।
वृष :- चांदी, स्टील।
मिथुन :- सोना, चांदी , पीतल।
कर्क :- चांदी, वस्त्र।
सिंह :-सोना, तांबा।
कन्या :- सोना, चांदी, पीतल।
तुला :- चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर।
वृश्चिक :- सोना, पीतल।
धनु :- सोना, पीतल, फ्रिज, वाटर कूलर।
मकर :- सोना, पीतल, चांदी, स्टील।
कुंभ :- सोना, चांदी, पीतल, स्टील, वाहन।
मीन :-सोना, पीतल, पूजन सामग्री व बर्तन।

ग्रहों से सम्बंधित दान:-

सूर्य:- लाल चंदन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, स्वर्ण, माणिक्य, घी व केसर का दान सूर्योदय के समय करना लाभप्रद होता है।
चंद्रमा:- चांदी, चावल, सफेद चंदन, मोती, शंख, कर्पूर, दही, मिश्री आदि का दान संध्या के समय में फलदायी है।
मंगल:- स्वर्ण, गुड़, घी, लाल वस्त्र, कस्तूरी, केसर, मसूर की दाल, मूंगा, ताम्बे के बर्तन आदि का दान सूर्यास्त से पौन घंटे पूर्व करना चाहिए।
बुध:- कांसे का पात्र, मूंग, फल, पन्ना, स्वर्ण आदि का दान अपराह्न में करें।
गुरु:- चने की दाल, धार्मिक पुस्तकें, पुखराज, पीला वस्त्र, हल्दी, केसर, पीले फल आदि का दान संन्ध्या के समय करना चाहिए। शुक्र:- चांदी, चावल, मिश्री, दूध, दही, इत्र, सफेद चंदन आदि का दान सूर्योदय के समय करना चाहिए।
शनि:- लोहा, उड़द की दाल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, जूते व नीलम का दान दोपहर के समय करें।
राहु:- तिल, सरसों, सप्तधान्य, लोहे का चाकू व छलनी व छाजला, सीसा, कम्बल, नीला वस्त्र, गोमेद आदि का दान रात्रि समय करना चाहिए।
केतु:- लोहा, तिल, सप्तधान, तेल, दो रंगे या चितकबरे कम्बल या अन्य वस्त्र, शस्त्र, लहसुनिया व बहुमूल्य धातुओं में स्वर्ण का दान निशा काल में करना चाहिए।

अक्षयतृतीया व्रत -विधि :-

इस दिन उपर्युक्त तीनों जन्मोत्सव एकत्र होनेसे व्रतीको चाहिये कि वह प्रातःस्त्रानादि से निवृत्त होकर

‘ममाखिलपापक्षयपूर्वक सकलशुभफलप्राप्तये भागवत्प्रीत्यर्थं सकल कामना संसिध्यर्थं देवत्रयपूजनमहं करिष्ये ”

ऐसा संकल्प करके भगवानका यथाविधि षोडशोपचारसे पूजन करे, उन्हें पञ्चामृत से स्त्रान करावे, सुगन्धित द्रव्य चढ़ाकर पुष्पमाला पहनावे और नैवेद्यमें नर – नारायण के निमित्त सेके हुए जौ या गेहूँका ‘ सत्तू ‘, परशुराम जी के निमित्त कोमल ककड़ी और हयग्रीवके निमित्त भीगी हुई चनेकी दाल अर्पण करे, बन सके तो उपवास तथा समुद्रस्त्रान या गङ्गा स्त्रान करे और जौ, गेहूँ, चने, सत्तू, दही – चावल ईख के रस और दुध के बने हुए खाद्य पदार्थ ( खाँड़, मावा, मिठाई आदि ) तथा सुवर्ण एवं जलपूर्ण कलश, धर्मघट, अन्न, सब प्रकारके रस और ग्रीष्म ऋतुके उपयोगी वस्तुओंका दान करे तथा पितृश्राद्ध करे और ब्राह्मण भोजन भी करावे, यह सब यथाशक्ति करने से अनन्त फल होता है!
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यः पश्यति तृतीयायां कृष्णं चन्दनभूषितम् !

वैशाखस्य सिते पक्षे स यात्यच्युतमन्दिरम् !!

युगादौ तु नरः स्त्रात्वा विधिवल्लवणोदधौ !

गोसहस्त्रप्रदानस्य फलं प्राप्रोति मानवः !!

यवगोधूमचणकान् सक्तु दध्योदनं तथा !

इक्षुक्षीरविकाराश्च हिरण्यं च स्वशक्तितः !!

उदकुम्भान् सरकरकान् सन्नान् सर्वरसैः सह !

ग्रैष्मिकं सर्वमेवात्र सस्यं दाने प्रशस्यते !!

‘गन्धोदकतिलैर्मिश्रं सान्नं कुम्भं फलान्वितम् ।

पितृभ्यः सम्प्रदास्यामि अक्षय्यमुपतिष्ठतु !!

अक्षय तृतीया की पौराणिक प्रचलित कथा :-

अक्षय तृतीया की अनेक व्रत कथाएँ प्रचलित हैं। ऐसी ही एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। उसकी सदाचार, देव और ब्राह्मणों के प्रति काफी श्रद्धा थी। इस व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की, व्रत के दिन स्वर्ण, वस्त्र तथा दिव्य वस्तुएँ ब्राह्मणों को दान में दी। अनेक रोगों से ग्रस्त तथा वृद्ध होने के बावजूद भी उसने उपवास करके धर्म-कर्म और दान पुण्य किया। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान व पूजन के कारण वह बहुत धनी प्रतापी बना। वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे। अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ और महान वैभवशाली होने के बावजूद भी वह धर्म मार्ग से विचलित नहीं हुआ। माना जाता है कि यही राजा आगे चलकर राजा चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुआ।

स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाखशुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयंती को विशेष महत्व दिया जाता है। परशुराम जयंती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।

सौभाग्यवती स्त्रियाँ और क्वारी कन्याएँ इस दिन गौरी-पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बाँटती हैं, गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं।  इसी दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम का जन्म हुआ था। एक कथा के अनुसार परशुराम की माता और विश्वामित्र की माता के पूजन के बाद प्रसाद देते समय ऋषि ने प्रसाद बदल कर दे दिया था। जिसके प्रभाव से परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे और क्षत्रिय पुत्र होने के बाद भी विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाए।  सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी अपना धनुष बाण श्री राम को समर्पित कर संन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए। अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परशुराम पड़ा।

शादी में हो रही बाधा दूर करने के उपाय:-

इस उपाय को अक्षय तृतीया के दिन किया जाता है। इस दिन अक्षय मुहूर्त माना गया है। यह शुभ मुहूर्त है। यह उपाय रात के समय में किया जाता है।

1) आप को एक चौकी या पटिए पर पीला कपड़ा बिछाना चाहिए और पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाए।

2) पूजा स्थल पर मां पार्वती का चित्र रख लें।

3) चौकी पर एक मुट्ठी गेहूं रख दें।

4) गेहूं की ढेरी पर विवाह बाधा निवारण श्री लिंगम यंत्र (युवतियों के लिए ) अथवा श्री योनि यंत्र (युवकों के लिए ) स्थापित करने के बाद चंदन अथवा केसर से तिलक लगा दें। यह पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बाद हल्दी की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

युवतियों के लिए यह मंत्र

ॐ  गं घ्रौ गं शीघ्र विवाह सिद्धये गौर्यै फट्।

युवक करें इस मंत्र का जाप पत्नीं

मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम।

तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोदभवाम।।

इस मंत्र की तीन-तीन माला 7 दिनों तक नियमित जपना चाहिए। अंतिम दिवस को इस सामग्री को मंदिर में ले जाकर देवी पार्वती के चरणों में समर्पित कर दें। इसे श्रद्धा और विश्वास से करने पर शीघ्र ही विवाह हो जाएगा।

विशेष :- यह सिद्ध प्रयोग है, इसलिए मन में कोई संदेह न रखें। नहीं तो यह प्रभावशाली नहीं रहेगा।

अन्य सौभाग्य वर्धक उपाय:-

1) आकस्मिक धन प्राप्ति के लिए अक्षय तृतीया से प्रारंभ करते हुए माता लक्ष्मी के मंदिर में प्रत्येक शुक्रवार गुलाब की धूप दान करने से जीवन में अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं  

2) धन धान्य की वृद्धि के लिए अक्षय तृतीया को एक मुट्ठी बासमती चावल सर से 11 बार ऊसर कर बहते हुए जल में श्री महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए व श्री मंत्र का जप करते हुए जल प्रवाह कर दें। आश्चर्यजनक लाभ होगा।

3)  जितना संभव हो सके,

ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नयै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् 

 मंत्र का कमलगट्टे की माला से नियमित जप करें। नियमित रूप से एक गुलाब अर्पित करते रहें। इस प्रकार पूजा करके ऐसे श्रीयंत्र को आप इस दिन व्यावसायिक स्थल पर भी स्थापित कर सकते हैं। माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

4) अक्षय तृतीया का व्रत रखकर और गर्मी में निम्न वस्तुओं जैसे- छाता, दही, जूता-चप्पल, जल का घड़ा, सत्तू, खरबूजा, तरबूज, बेल का शरबत, मीठा जल, हाथ वाले पंखे, टोपी, सुराही आदि वस्तुओं का दान करने से भाग्योन्नति में बाधा पहुंचाने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

अक्षय तृतीया के विषय मे अन्य रोचक जानकारी :-

  1. आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
  2. महर्षि परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
  3. माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
  4. द्रौपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
  5. कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
  6. कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
  7. सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
  8. ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
  9. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
  10. बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है  अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।
  11. इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था।
  12. इसी तिथि को नर – नारायण और हयग्रीव – अवतार हुए थे ।

अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है।