यज्ञोपवीत संस्कार का शुभ मुहूर्त | Muhurat For Upanayana (Janeu) Ceremony

Yagopavit Sanskar

यज्ञ और उपवीत- इन दो शब्दों से यज्ञोपवीत बना है। देवताओं की पूजा, संगति (सम्मेलन या कान्फ्रेंस) और जिसमें दान हो, उसे यज्ञ कहते हैं। उपवीत्त का अर्थ है- पिरों देने वाला अर्थात् देवपूजा, सम्मेलन और दान के साथ पुरुष को मिला देने वाला संस्कृत (तन्तु-धागाविशेष)- यह यज्ञोपवीत का अर्थ हुआ। 

बालक को गुरु, चंद्र शुद्धि देखकर जन्म से या गर्भ से (गर्भाज्जनेर्वा इति पारस्करमन्वादीनां मते विकल्पः) ब्राह्मण 8 वें वर्ष, क्षत्रिय 11वें, वैश्य 12 वें, वर्ष में करें। यदि इन वर्षों में न किया जा सके तो ब्राह्मण 16, क्षत्रिय 22 और वैश्य 25 वें वर्ष तक संस्कार कर सकते हैं। उसके बाद सावित्रीपतित व्रात्य संज्ञा वाले होते हैं। 

यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार करने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Upanayana (Janeu) Ceremony:-

यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए माघादि 5 मासों में देवशयनी से पूर्व हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, आश्लेषा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, मूल, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, आर्द्रा वेध रहित नक्षत्र शुभ है। क्षत्रिय, वैश्यों के लिए पुनर्वसु भी ग्राह्य है।

यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार करने के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Upanayana (Janeu) Ceremony:-

यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए सूर्यवार, चंद्रवार, बुधवार, (बुधास्त हो तो बुधवार त्याज्य) शनिवार, गुरुवार शुभ है।

यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार करने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Day (Tithi) For Upanayana (Janeu) Ceremony:-

यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए शुक्ल 2, 3, 10, 11, 12 तथा कृष्ण पक्ष की 2, 3, 5 तिथियों में शुभ है। किंतु सोपपदा तिथि (जैसे- आषाढ़ शुक्ल 10, ज्येष्ठ शुक्ल 2 पौष शुक्ल 11, माघ शुक्ल 12) सक्रांति दिन तथा रोगबाण को छोड़कर मध्याह्न से पहले शुभ है। 

शुक्र, गुरु, चंद्र और लग्नेश 6, 8 स्थानों में चंद्र, शुक्र 12 वें स्थान में और 1, 5, 8 वें भावों में पाप ग्रह अशुभ है। शुभ ग्रह 6, 8, 12 स्थानों के सिवाय अन्य स्थानों में, पाप ग्रह 3, 6, 11 स्थानों, वृष या  कर्क का पूर्ण चंद्रमा लग्न में हो तो शुभ होता है। गुरु, शुक्र के बाल्य-वृद्धत्त्व-अस्त के समय को छोड़कर उपनयन शुभ है। 

यदि गोचराष्टक वर्ग से बालक के उपनयन संस्कार के लिए समयशुद्धि न मिले अथवा सिहं, मकर किंवा अशुभ स्थान में गुरु हो तो सौर चैत्र में उपनयन संस्कार किया जा सकता है- ऐसी शास्त्र की आज्ञा है।

यज्ञोपवीत (उपनयन) संस्कार का मुहूर्त्त (2024-25)

प्रारंभ काल – तारीखसमय (घं.मि.)
14 अप्रैलसुबह 07:32 से सुबह 11:40 तक, अभिजित्, तिथिदोष परिहार
15 अप्रैलसुबह 07:28 से सुबह 11:37 तक, अभिजित्, तिथिदोष परिहार
18 अप्रैलसूर्योदय से सुबह 07:56 तक
11 जुलाईसुबह 08:17 से सुबह 10:37 तक, अभिजित् 
 सन् 2025
प्रारंभ काल – तारीखसमय (घं.मि.)
15 जनवरीसूर्योदय से दोपहर 02:14 तक
16 जनवरी सूर्योदय से सुबह 11:16 तक
31 जनवरी सुबह 09:24 से दोपहर 12:29 तक,  अभिजित्
07 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 02:14 तक, अभिजित्
09 फरवरीसुबह 07:23 से सुबह 11:43 तक, अभिजित्
14 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 02:26 तक, अभिजित्

” त्रेधाविभक्तदिनमानस्य प्रथमोभागः पूर्वाह्णः। “

उपनयन संस्कार पूर्वाह्णकाल में ही करनें की शास्त्राज्ञा हैं। मध्याह्ण काल इसके लिए सामान्य माना जाता हैं। अपराह्णकाल में उपनयन संस्कार करने का निषेध हैं।

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Shubh Muhurat For Upanayana Ceremony
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