पितृसूक्त | Pitru Suktam | Pitra Dosha Nivaran Suktam

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पितृसूक्त – Pitru Suktam

अमावस्या हो या पूर्णिमा अथवा श्राद्ध पक्ष के दिनों में संध्या के समय तेल का दीपक जलाकर पितृ-सूक्तम् का पाठ करने से पितृदोष की शांति होती है और सर्वबाधा दूर होकर उन्नति की प्राप्ति होती है।

॥ पितृ कवचः ॥ Pitru Kavacham

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन ।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः ॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः ।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः ॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः ।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत् ॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते ।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम् ॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने ।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून् ।
अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥

॥ पितृसूक्त ॥ Pitru Suktam

उदीरतामवर उत्परास उन्मध्यमा: पितर: सोम्यास:।
असुं य ईयुरवृका ऋतज्ञास्ते नोsवन्तु पितरो हवेषु ।।
अंगिरसो न: पितरो नवग्वा अथर्वाणो भृगव: सोम्यास:।
तेषां वयँ सुमतौ यज्ञियानामपि भद्रे सौमनसे स्याम ।।
ये न: पूर्वे पितर: सोम्यासोsनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठा:।
तोभिर्यम: सँ रराणो हवीँ ष्युशन्नुशद्भि: प्रतिकाममत्तु ।।
त्वँ सोम प्र चिकितो मनीषा त्वँ रजिष्ठमनु नेषि पन्थाम् ।
तव प्रणीती पितरो न इन्दो देवेषु रत्नमभजन्त धीरा: ।।
त्वया हि न: पितर: सोम पूर्वे कर्माणि चकु: पवमान धीरा:।
वन्वन्नवात: परिधी१ँरपोर्णु वीरेभिरश्वैर्मघवा भवा न: ।।
त्वँ सोम पितृभि: संविदानोsनु द्यावापृथिवी आ ततन्थ।
तस्मै त इन्दो हविषा विधेम वयँ स्याम पतयो रयीणाम।।
बर्हिषद: पितर ऊत्यर्वागिमा वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।
त आ गतावसा शन्तमेनाथा न: शं योररपो दधात।।
आsहं पितृन्सुविदत्रा२ँ अवित्सि नपातं च विक्रमणं च विष्णो:।
बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त पितृवस्त इहागमिष्ठा:।।
उपहूता: पितर: सोम्यासो बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।
त आ गमन्तु त इह श्रुवन्त्वधि ब्रुवन्तु तेsवन्त्वस्मान् ।।
आ यन्तु न: पितर: सोम्यासोsग्निष्वात्ता: पथिभिर्देवयानै:।
अस्मिनन् यज्ञे स्वधया मदन्तोsधि ब्रुवन्तु तेsवन्त्वस्मान्।।
अग्निष्वात्ता: पितर एह गच्छत सद: सद: सदत सुप्रणीतय:।
अत्ता हवीँ षि प्रयतानि बर्हिष्यथा रयिँ सर्ववीरं दधातन ।।
ये अग्निष्वात्ता ये अनग्निष्वात्ता मध्ये दिव: स्वधया मादयन्ते ।
तेभ्य: स्वराडसुनीतिमेतां यथावशं तन्वं कल्पयाति ।।
अग्निष्वात्तानृतुमतो हवामहे नाराशँ से सोमपीथं य आशु:।
ते नो विप्रास: सुहवा भवन्तु वयँ स्याम पतयो रयीणाम् ।।

आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।
मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो यद्व आगः पुरूषता कराम॥14॥
आसीनासोऽ अरूणीनाम् उपस्थे रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।
पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत तऽ इह ऊर्जम् दधात॥15॥

पितृसूक्त  के अलावा श्राद्ध के समय “ पितृ स्तोत्र” तथा “रक्षोघ्न सूक्त” का पाठ भी किया जा सकता है। इन पाठों की स्तुति से भी पितरों का आशीर्वाद सदैव व्यक्ति पर बना रहता है।

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Mangalwari|Bhomvati Amavasya| पितरों की तंत्र बाधा से मुक्ति

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तंत्र बाधा के क्या है लक्षण ? भौमवती अमावस्या पर करें, पितरों की तंत्र बाधा से मुक्ति व सद्गति

ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि जिन पितरों के ऊपर तंत्र बाधा का प्रयोग किया गया होता है या जो पितर दुष्ट आत्माओं के साए में फंसे हुए होते हैं। वह अपने घर परिवार के लोगों पर किस प्रकार का प्रभाव डालते हैं ? उसके क्या लक्षण होते हैं ? इस प्रकार की तंत्र बाधा तथा अज्ञात शक्ति बाधा से अपने पितरों को किस मुहूर्त में मुक्त कराया जाता है ? ऐसा दिव्य योग जल्दी ही आने वाला है। आइए जानते हैं इसके बारे में संपूर्ण जानकारी।

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कैसे करें पितरों को तांत्रिक प्रभाव से मुक्त ? Pitra Dosha Nivaran

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ओम नमः शिवाय, सज्जनों, आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि किस प्रकार दुष्ट तांत्रिक किन शक्तियों के द्वारा पितरों को बांध देते हैं ? इस बंधन के कारण से ना तो हमारे द्वारा किए गए जप- तप, पूजा-पाठ, वस्त्रदान, हवन, तर्पण, मार्जन आदि का पुण्य फल पितरों तक पहुंच पाता है और ना ही पितरों के द्वारा दिया जाने वाला आशीर्वाद हम तक पहुंच पाता है। ऐसा क्या कारण है कि हमारे और पितरों के बीच एक काली छाया पड़ जाती है ? जिस कारण से पितर भी अतृप्त और अप्रसन्न रहते हैं और हम भी परेशान तथा हारे हुए जैसा जीवन जीते हैं। यदि किसी के पितर बंधन में पड़े हुए होते हैं तो उस घर, परिवार तथा व्यक्ति के ऊपर क्या अशुभ प्रभाव पड़ता है ? दुष्ट तथा शैतानी तांत्रिक शक्तियों को किन उपायों के माध्यम से हम दूर कर सकते हैं तथा अपने पितरों को तंत्र विद्या के प्रभाव से कैसे मुक्त कर सकते हैं ? आइए जानते हैं।


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कैसे जानें की हमारे ऊपर पितर दोष है ? Pitra Dosha in Kundali

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