यूं तो हमारे सामाजिक जीवन में बहुत सारे भ्रम बने रहते हैं। इन्हीं भ्रमों में से एक भ्रम पंचकों को लेकर है। कोई भी बात आती है तो हमेशा यही बात निकल कर आती है कि
अभी पंचक लगे हुए हैं।
यह काम पंचकों में नहीं करते ?
फलाना काम पंचक में नहीं करते।
इस प्रकार के बहुत सारे वाक्य बहुत बार सुनने को आते हैं। जैसे कि अभी कुछ समय पहले ही नवरात्रि आरंभ हुए। और जिस दिन नवरात्र आरंभ हुआ उस दिन पंचक लगे हुए थे, तो एक व्यक्ति पंडित जी से पूछने के लिए गए की नवरात्रि कब से शुरू करने हैं, तो उन्होंने बताया कि 28 29 तारीख को पंचक लगे हुए हैं। आप ऐसा कीजिए 30 तारीख से नवरात्र शुरु कीजिए। हैरानी की बात है, कि पंचकों का और नवरात्रे शुरू होने का आपस में क्या लिंक है ?
पंडित जी ने जो मुहूर्त नवरात्रि शुरू करने के लिए बताया, वह नवरात्रों का तीसरा दिन था। अब वह व्यक्ति पहले ही कंफ्यूज था और वह और अधिक कंफ्यूज हो गया कि अब मैं क्या करूं ? अगर व्रत कम रखता हूं, तो भी मन में शंका है कि ऐसे तो मैं तो तृतीया से व्रत शुरू कर पाऊंगा। जब की व्रत शुरू प्रतिपदा से हो जाते हैं।
अब आप खुद सोचिए कि वह बेचारा क्या करे ? गया तो था बेचारा अपनी शंका का समाधान करने इसके बजाय मन में चार शंकाएं और ज्यादा घुसाकर आ गया।
तो चलिए देखते हैं कि हमारे शास्त्र क्या कहते हैं पंचको के बारे में, क्या है पंचक ?
जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में विचरण करते हुए धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपदा, उत्तरा भाद्रपदा और रेवती इन नक्षत्रों में से विचरण करता है। उन्हें पंचक कहा जाता है। क्योंकि एक नक्षत्र लगभग 24 घंटे चलता है। इसी प्रकार से 5 नक्षत्र लगभग 5 दिन चलते हैं और इन्हीं 5 दिनों में से चंद्रमा का गुजरना पंचक कहलाता है। आइए देखते हैं शास्त्र क्या कहते हैं ? इन पंचकों के बारे में, इन पंचकों में क्या नहीं करना चाहिए ?
हमारे शास्त्रों में पांच काम पंचकों में करने के लिए स्पष्ट रूप से मना किया गया है।
1 जिस समय पंचक लगे हुए हैं। उस समय में घास लकड़ी और इंधन आदि इकट्ठे नहीं करने चाहिए क्योंकि पंचकों में घास, लकड़ी आदि का संग्रह करने से आग लगने का भय बना रहता है।
2 पंचक के समय में घर पर छत अथवा लेंटर आदि नहीं डालना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार पंचकों में लेंटर अथवा छत डालने से उस घर में धन हानि और क्लेश बना रहता है व मकान आदि गिरने के योग बनते हैं। मकान मालिक उस मकान में सुखपूर्वक नहीं रह पाता।
3 पंचक के समय में पलंग, चारपाई, डबल बैड आदि कोई भी शयन से संबंधित वस्तुएं लाना, खरीदना खतरे को न्योता देने जैसा है। ऐसे बिस्तर पर सोने वाला इंसान हमेशा बीमार रहता है। उसके शरीर में दर्द, मानसिक पीड़ा, कलह क्लेश, मनमुटाव, चिड़चिड़ापन आदि बन जाता है।
4 पंचक के समय में दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। पंचक के समय में दक्षिण दिशा में यात्रा करने से भयंकर दुर्घटना होने के आसार बनते हैं।
5 पंचक के समय में पांचवा और आख़िरी निषेध काम है। शव का अंतिम संस्कार करना। जी हां, पंचक के समय में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है, तो शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। अब चूंकि पंचक तो 5 दिन लगातार चलते हैं, तो 5 दिन तक तो हम शव को नहीं रख सकते, अतः उसके लिए हमारे शास्त्रों में पंचक शांति का विधान बताया गया है।
पंचक शांति में डॉभ यानी कुशा के पांच पुतले बनाकर शव के ऊपर एक छाती, दो हाथ और दो पैर के ऊपर रखकर विधि विधान से उनका पूजन करने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति हमारे शास्त्रों की आज्ञा का उल्लंघन करके शव का अंतिम संस्कार बिना पंचक शांति कराए ही कर देता है, तो उसके परिवार, गांव, पड़ोस, मित्र, बंधु या जो भी उसके निकटतम व्यक्ति हैं। उनमें से किसी की भी पांच दिनों के अंदर पांच मृत्यु हो जाती हैं। इस प्रकार के घटित घटना मैंने स्वयं अपनी आंखों से कई बार देखी है, अतः हमारे शास्त्रों में बताई हुई सभी बातें पूर्णतः सत्य हैं।
आप भी हमारे धर्म शास्त्रों में लिखी हुई बातों का अपने जीवन में अनुसरण करके, लाभ उठाएं।
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