HOLI | होली का संदेश

होली का मतलब है, जो हो गया सो हो गया।

किसी कवि ने बड़ा ठीक कहा है।

बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि ले।

holi

जीवन में हमसे जो गलतियां हुई हैं। जो कमियां हमने की हैं। जो असफलता हमने पाई है। जो धोखा हमने खाया है। जो नुकसान हमने सहा है।

उन सभी से सीख लेते हुए आगे बढ़ें। बीते हुए जीवन में आई हुई परेशानियों को याद करते हुए सिर पर हाथ रखकर ना बैठे रहें। अपने भाग्य को अथवा विपरीत परेशानियों को ना कोसते रहे यही संदेश देती है होली।

होली की शुरुआत भक्त प्रल्हाद से शुरू हुई। आपके और हमारे जीवन में क्या परेशानियां आई ?

क्या भक्त प्रल्हाद से भी बड़ी ?

आप को किसने धोखा दिया ? रिश्तेदार ने ?  मित्र ने ? या दुश्मन ने ? पिता ने तो नहीं दिया ?

पर भक्त प्रह्लाद को तो पिता ने ही धोखा दे दिया।

आपको किसने नष्ट करने की कोशिश की ? आपके दुश्मन ने ?

पर भक्त प्रह्लाद को तो उनके पिताजी ने ही नष्ट करने की कोशिश की ।

क्या आपको पहाड़ से फेंका गया ? अथवा अग्नि में जलाया गया ? क्या हाथी तले रौंद ने की कोशिश की गई ? क्या आपको भगवान का नाम लेने से उनकी प्रार्थना करने से किसी ने रोका है ?

नहीं ना ?

तो हम से तो बहुत अधिक दुख भक्त प्रह्लाद को झेलने पड़े और उन्होंने भगवान के नाम का आश्रय लेते हुए। भगवान की भक्ति का आश्रय लेते हुए। भगवान के मंत्रों का जाप जपते हुए।

इतने गहन दुख अपने ऊपर झेल लिए बल्कि वह तो भगवान की भक्ति में, भगवान के मंत्र जाप में इतने रमे हुए थे कि उन्हें दुख की अनुभूति भी नहीं हुई। तो सोचिए कितना गहन विश्वास होगा उनका भगवान के प्रति।

क्या हमारा ऐसा विश्वास है हमारे धर्म में ? हमारे शास्त्रों में ? हमारे इष्टदेव में ? हमारे गुरु में अथवा हमारे मंत्र में ?

अगर हम इस बात को तोल कर देखें तो हम कहां पाएंगे अपने आपको। यह बात किसी को बताने की जरूरत नहीं है, क्योंकि व्यक्ति अपने आप इस बात की अनुभूति कर सकता है।

जिसके घर में राक्षस भरे हुए हो ? जो हर समय नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हो ? इसके बावजूद भी जो अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ता है। उसको कोई नहीं रोक सकता और परमात्मा स्वयं उसके लिए नरसिंह अवतार धारण करके उसके जीवन में आ रहे संकटों का खात्मा करते हैं, तो होली सिर्फ इसी बात का संदेश देने के लिए आती है, कि जो हो गया, सो हो गया।

जो हो लिया, सो हो लिया। अब जीवन में आई हुई परिस्थितियों से सबक सीखते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए।

इसीलिए कहा भी गया है ‘बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले।’

क्या हाय-हाय करने से अथवा मैं दुखी, मैं दुखी करने से हमारे दुख दूर हो जाएंगे ? क्या कोई आकर हमें आगे बढ़ा देगा ? कौन हमें सहारा देगा ? याद रखिए सुखी, खुश और चमकते हुए चेहरे के पास ही कोई जाना पसंद करता है। उसको देखना पसंद करता है। उससे बात करना पसंद करता है।

दुखिया के पास कोई नहीं जाता। उससे कोई नहीं बात करता। उसकी तरफ कोई देखता भी नहीं। हम और आप मंदिर में जाते हैं। उस परमात्मा के घर में जाते हैं। वहां परमात्मा की बहुत सुंदर मूर्तियां होती हैं, तो क्या परमात्मा का चेहरा दुखी अवस्था का दिखता है ? क्या वह परेशान दिखते हैं ? नहीं ना जबकि हर एक अवतार ने बहुत संघर्ष किया है अपने जीवन में। फिर भी उनके चेहरे पर चमक होती है। खुशी होती है। आनंद होता है। प्रसन्नता होती है। मधुरता होती है।

वह हमें इसी बात का संदेश देने के लिए अवतार रूप में आते हैं, की परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, व्यक्ति को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हमेशा अपने आत्म बल को याद करके आगे बढ़ते रहना चाहिए। ना तो दुनिया की चकाचौंध में फसना चाहिए। वाहवाही में ठहरना नहीं और कोई निंदा चुगली करें हमारे लिए बुरा बोले तो उसमें फसना नहीं।

जो बात जुबान से निकल गई, उस बात का पीछा कौन करे।

जो तीर कमान से निकल गया, उस तीर का पीछा कौन करे।

क्या भगवान राम की किसी ने निंदा नहीं की ? क्या उनके लिए किसी ने अपशब्द नहीं बोले ? क्या सतयुग में नहीं बोले ? द्वापर में नहीं बोले या अब कलयुग में नहीं बोलते ? उनके सामने भी बोला और उनके बाद भी बोला, पर क्या इससे भगवान की महिमा कम हो गई। इसी तरह हमें भी उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन पथ में आ रही तमाम परिस्थितियों से लड़ते हुए आगे बढ़ना है।

यही बात हमें होली सिखाती है। भक्त प्रह्लाद के भी जीवन में अनेक विघ्न और संकट आए परंतु वह डटे रहे और आखिर में स्वयं भगवान नरसिंह ने उनको अपनी गोद में बैठाया अर्थात सभी दुखों से मुक्त कर दिया।

सावधान

आज के समय में बहुत से लोग होली नहीं खेलते, बल्कि होली के नाम पर दुश्मनी खेलते हैं। आप सभी सज्जनों को मेरी ओर से यह प्रार्थना है कि बड़े ही संयम के साथ होली खेलें। होली से 8 दिन पहले ही होलाष्टक आरंभ हो जाता है। इस समय ग्रह चाल के कारण से कुछ शक्तियां बड़ी प्रबल हो जाती हैं। इसीलिए अनेक प्रकार की सिद्धियां, यंत्र – मंत्र – तंत्र का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। इन सावधानियों में मुख्य रूप से किसी के यहां भोजन आदि नहीं करना चाहिए। यदि करते भी हैं तो नमकीन भोजन कर सकते हैं। मीठा अथवा तरल जैसे जूस अथवा दूध आदि का सेवन तो भूल कर भी ना करें।

जिस पर आपको शक है। उसके यहां ना जाए। मध्याहन, संध्या काल अथवा रात्रि काल में चौराहे आदि को न लाघें।  इस बात का पूर्ण रुप से ध्यान रखें कि किसी का दिया हुआ प्रसाद स्वीकार तो जरूर करें, पर उसका सेवन ना करें। उसे किसी एकांत और पवित्र स्थान पर किसी पेड़ आदि के नीचे रख दें। उसके बाद हाथ मुंह धो कर जल का छीटा अपने ऊपर मार लें।

हर्बल होली

अब बात आती है होली खेलने की। आजकल बहुत सारे कृत्रिम और रासायनिक रंगों से होली खेली जाती है। जो कि हमारे तन, मन, शरीर-स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। क्योंकि हानिकारक रसायन त्वचा के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करता है और उससे अनेक प्रकार के बीमारियां होती हैं।

हर्बल होली खेलने की परंपरा आदि काल से ही है। आज मैं आपको हर्बल रंग बनाने की विधि बताता हूं।

सामग्री

100 ग्राम टेसू के फूल, 50 ग्राम गुलाब की पत्तियां और एक शीशी सर्व औषधी ले लीजिए।  यह सभी सामान आपको पंसारी की दुकान पर मात्र 50-60 रुपए में रुपए में मिल जाएगा।  एक बर्तन में 4 – 5 लिटर पानी भरकर यह तीनों सामान उसमे डाल दीजिए और पानी को गर्म कर दीजिए। पानी में एक उबाला आने के बाद ठंडा करके पानी छान लीजिए। यह बन गया आपका हर्बल रंग। जो कि आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहेगा। अब आप कपड़ों सहित इस रंग को अपने, परिवार के सदस्यों, मित्रों व अपने प्रिय जनों के ऊपर डाल सकते हैं। ध्यान रहे – कपड़े को भीगा रहने दें। जितनी ज्यादा देर तक हर्बल रंग से भीगा कपड़ा हमारे शरीर से लगा रहेगा उतना ज्यादा यह यह फूलों और औषधियों का रस हमारे शरीर के अंदर जाएगा। यह हर्बल रंग रोमकूपों को खोलेगा।

आप सभी को पता है कि होली के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है। जिसमें लू लगने के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। परंतु यह हर्बल रंग आने वाली भीषण गर्मी से आपकी रक्षा करता है।

टेसू के फूल ठंडे होते हैं और साथ ही गुलाब जल भी ठंडा होता है। आने वाली गर्मियों के लिए यह आपके लिए अमृत के समान होगा। गर्मी अधिक नहीं लगेगी। लू लगना, मितली आना, उल्टी आना जैसे रोगों की शांति होगी और भी बहुत सारे लाभ आपको मिलेंगे।

भोजन

इस दिन  चिकना – चुपड़ा अथवा तला हुआ भोजन खाने का रिवाज भी सदियों पुराना है। उसका भी अपना एक कारण है, क्योंकि होली से पहले सर्दी की ऋतु जाती है। त्वचा बहुत अधिक खुश्क, रूखी – सुखी व बेजान हो जाती है।  इसीलिए तला, चिकना – चुपड़ा भोजन खाने से शरीर की खुश्की दूर होकर तरलता व चिकनापन आता है। जिससे शरीर की शुद्धि होती है और शरीर खुल जाता है। घर के बनाए हुए तेल आदि में अगर हम पकवान पकाते हैं। तला हुआ खाते हैं, तो यह हमारे शरीर के लिए अच्छा रहता है। आप भी खाएं और औरों को भी खिलाएं। यह तन और मन दोनों को प्रफुल्लित करता है।

हुल्लड, नाच गान

आपने देखा होगा उस दिन बहुत सारे लोग खूब हो-हल्ला करके हुल्लड़ और नाच गान करते हैं। ऐसा करने की भी पुरानी परंपरा है इसके पीछे भी ऋषि मुनियों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। इस दिन हम भगवान के नाम का भी हुल्लड़ और नाच गान सकते हैं। उनके नाम की पुकार कर सकते हैं। भजन गाकर नाच गान कर सकते हैं। क्योंकि जोर जोर से बोलने व नाचने से हमारे शरीर में जमा हुआ कफ जल्दी पिघलता है। इससे हमारा शरीर खुल जाता है। एकदम स्वस्थ और तरो – ताजा हो जाता है। शरीर में तेज – ओज – बल की वृद्धि होती है।

सज्जनों आप अगर देखेंगे कि हमारे जितने भी तीज – त्यौहार हैं। उन सब का कोई न कोई महत्व है। वह कोई न कोई संदेश देते हैं। त्यौहार मनाना भारतीय परंपरा के अनुसार हर एक व्यक्ति के लिए शुभ होता है। भले ही वह हमें नहीं दिखता, परंतु इसके बहुत सारे वैज्ञानिक दृष्टिकोण हैं।

भले ही हमारे ऋषि – मुनि जंगलों में रहते थे। एकांत जीवन जीते थे। परंतु उन्होंने मनुष्य मात्र के भले के लिए ऐसे त्योहारों का आयोजन किया। जिससे व्यक्ति अपने जीवन में आनंद और प्रसन्नता प्राप्त कर सके।

आप देखेंगे कि लगभग सभी तीज – त्यौहार आनंद और प्रसन्नता ही देते हैं । खुशी का माहौल बनता है। लोग एक दूसरे से मिलते हैं। जान पहचान होती है। गिले शिकवे दूर होते हैं और परस्पर प्रेम बढ़ता है। इसलिए हमें अपने सभी त्योहार पूरी श्रद्धा और आदर के साथ मनाने चाहिए। साथ ही अगर उन त्योहारों के संदेश हमें पता हो तो इसका आनंद ही अलग हो जाता है।

नमः शिवाय

आप सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आपके जीवन में जो भी समस्याएं हैं। जो विपरीत परिस्थितियां हैं। भगवान करे उन सभी की होली हो जाए अर्थात वह जलकर भस्म हो जाए।

जिस प्रकार प्रह्लाद भक्त प्रल्हाद धधकती हुई अग्नि से सकुशल बाहर आ गए थे इसी तरह आप भी विपरीत परिस्थितियों से सकुशल बाहर आ जाएं। ऐसी मेरी भगवान से प्रार्थना है। आप सभी लोगों का मंगल हो। आप का कल्याण हो।

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