Navratri Durga Vrat Puja Vidhi At Home | नवरा‍त्रि दुर्गा पूजा विधि

nav durga puja vidhi

nav durga puja vidhi

नवरात्रि (Navratri) का अर्थ होता है, नौ रातें।यह पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।
तृतीय चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेति चतुर्थकम्।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाऽष्टम्।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।

पूजा विधि | Puja Vidhi

नवरात्रि में कलश / घट स्थापना के लिए सर्वप्रथम प्रातः काल नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद स्नान करके, नव वस्त्र अथवा स्वच्छ वस्त्र पहन कर ही विधिपूर्वक पूजा आरम्भ करनी चाहिए। प्रथम पूजा के दिन मुहूर्त (सूर्योदय के साथ अथवा द्विस्वभाव लग्न में  कलश स्थापना करना चाहिए।

कलश स्थापना (Kalash Sthapna | Ghatstapna) के लिए अपने घर के उस स्थान को चुनना चाहिए जो पवित्र स्थान हो अर्थात घर में मंदिर के सामने या निकट या मंदिर के पास।  यदि इस स्थान में पूजा करने में दिक्कत हो तो घर में ही ईशान कोण अथवा उत्तर-पूर्व दिशा में, एक स्थान का चयन कर ले तथा उसे गंगा जल से शुद्ध कर ले।

आसन पर  गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं (बिना आसन ,चलते-फिरते, पैर फैलाकर पूजन करना निषेध है)|

सर्व प्रथम शुद्धि एवं आचमन

इसके बाद अपनेआपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें –

ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥ “

इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें

अब आचमन करें

ॐ केशवाय नम: ॥ ॐ नारायणाय नम:॥ ॐ माधवायनम:॥  

अब हाथ धोएं और पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें 

ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता।

त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

इसके पश्चात अनामिका उंगली से अपने ललाट पर चंदन लगाएं

चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्,

आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।

जौ का पात्र

जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लेना चाहिए । इस पात्र में मिट्टी की एक अथवा दो परत बिछा ले । इसके बाद जौ बिछा लेना चाहिए। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब पुनः एक परत जौ की बिछा ले । जौ को इस तरह चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे पूरी तरह से न दबे। इसके ऊपर पुनः मिट्टी की एक परत बिछाएं।

कलश स्थापना | Kalash Sthapna

कलश में रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर गले में तीन धागावाली मौली लपेटे और कलश को एक ओर रख ले। कलश स्थापित किये जाने वाली भूमि अथवा चौकी पर कुंकुंम या रोली से अष्टदलकमल बनाकर निम्न मंत्र से भूमि का स्पर्श करना चाहिए।

ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धरत्री।

पृथिवीं यच्छ पृथिवीं द्रीं ह पृथिवीं मा हि सीः।।

कलश स्थापन मंत्र

ॐ आ जिघ्न कलशं मह्यं त्वा विशंतिवन्दवः।

पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नह सहत्रम् धुक्ष्वोरूधारा पयस्वती पुनर्मा विशताद्रयिः।।

पुनः इस मंत्रोच्चारण के बाद  कलश में गंगाजल मिला हुआ जल छोड़े उसके बाद क्रमशः चन्दनसर्वौषधि (मुरा,चम्पक, मुस्ता, वच, कुष्ठ, शिलाजीत, हल्दी, सठी)  दूब, पवित्री, सप्तमृत्तिका, सुपारी, पञ्चरत्न, द्रव्य कलश में अर्पित करे। पुनःपंचपल्लव (बरगद, गूलर, पीपल, पाकड़, आम) कलश के मुख पर रखें।अनन्तर कलश को वस्त्र से अलंकृत करें। तत्पश्चात चावल से भरे पूर्णपात्र को कलश के मुख पर स्थापित करें।

कलश पर नारियल की स्थापना

इसके बाद नारियल पर लाल कपडा लपेट  ले उसके बाद मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रख दे । नारियल के सम्बन्ध में शास्त्रों में कहा गया है:

अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय,ऊर्ध्वस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै।

प्राचीमुखं वित विनाशनाय,तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीकेलं”।

अर्थात् नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है ।नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं। पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना  के समय हमेशा इस बात का ध्यान रखनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।

ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है

देवी-देवताओं का कलश में आवाहन

अपने दाहिने हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण आदि देवी-देवताओ का ध्यान और आवाहन करना चाहिए –

 ॐ भूर्भुवःस्वःभो वरुण! इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण। ॐ अपां पतये वरुणाय नमः।

बोलकर अक्षत और पुष्प कलश पर छोड़ देना चाहिए। पुनः दाहिने हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर चारो वेद, तीर्थो, नदियों, सागरों, देवी और देवताओ के आवाहन करना चाहिए उसके बाद फिर अक्षत और पुष्प लेकर कलश की प्रतिष्ठा करनी चाहिए।

कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः सुप्रतिष्ठता वरदा भवन्तु।

 तथा

ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः।

इस मंत्र के उच्चारण के साथ ही अक्षत और पुष्प कलश के पास छोड़ दे।

वरुण आदि देवताओ को आदि मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प समर्पित करें।

ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमःध्यानार्थे पुष्पं समर्पयामि।

पुनः निम्न क्रम से वरुण आदि देवताओ को अक्षत रखे, जल चढ़ाये, स्नानीय जल, आचमनीय जल चढ़ाये, पंच्चामृत स्नान कराये,जल में मलय चन्दन मिलाकर स्नान कराये, शुद्ध जल से स्नान कराये, आचमनीय जल चढ़ाये, वस्त्र चढ़ाये, यज्ञोपवीत चढ़ाये, उपवस्त्र चढ़ाये, चन्दन लगाये, अक्षत समर्पित करे, फूल और फूलमाला चढ़ाये, द्रव्य समर्पित करे ,इत्र आदि चढ़ाये, दीप दिखाए, नैवेद्य चढ़ाये, सुपारी, इलायची, लौंग सहित पान चढ़ाये,

द्रव्य-दक्षिणा चढ़ाये(समर्पयामि) इसके बाद आरती करे। पुनः पुस्पाञ्जलि समर्पित करे, प्रदक्षिणा करे तथा दाहिने हाथ में पुष्प लेकर प्रार्थना करे और अन्त में

ॐ वरुणाद्यावाहितदेवताभ्यो नमः, प्रार्थनापूर्वकं अहं  नमस्कारान समर्पयामि।

इस मंत्र से नमस्कारपूर्वक फूल समर्पित करे। पुनः हाथ में जल लेकर अधोलिखित वाक्य का उच्चारण कर जल कलश के पास छोड़ते हुए समस्त पूजन-कर्म वरुणदेव को निवेदित करना चाहिए।

कृतेन अनेन पूजनेन कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः प्रीयन्तां न मम।

अखंड ज्योति

नवरात्री के प्रथम दिन ही अखंड ज्योति जलाई जाती है जो नौ दिन तक निरंतर जलती रहती है। अखंड ज्योति का बीच में बुझना अच्छा नही माना जाता है।  अतः इस बात का अवश्य ही धयान रखना चाहिए की अखंड ज्योति न बुझे।

Other Keywords:  chaitra navratri, ashada navratri date, chaitra navratri date, sharad navratri,sharad navratri, ashada navratri , navratri 2021 in october navratri this year, navratri ki date navratri special, navdurga, durga puja navratri, 9 colours of navratri, colors of navratri, todays colour of navratri, second day color of navratri, navratri puja vidhi, kalash sthapana, navratri puja, kalash sthapana vidhi, navratri sthapana, navratri ki aarti, gupt navratri puja vidhi navratri pooja, navarathri pooja, kanya pujan , navratri sthapna, navratri days, navratri 9 devi, navratri pooja vidhi, navratri vrat, navratri puja vidhi at home, navratri fast, navratri in hindi, navratri vrat vidhi, nav durga ki aarti, ghatasthapana vidhi, navratri rang, about navratri, navratri festival , navratri ka saman, durga navratri, navaratri pooja vidhanam, devi navaratri,, navratri goddess, navratri kalash, navratriche colour, navratri kanya pujan, devi navaratrulu, navratri panchang, navratri visarjan, navratri ki vidhi, kalash sthapna ki vidhi, navratri information, navdurga date, kanya pujan vidhi,