हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत को मुख्य रुप से भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। प्रदोष व्रत की महिमा ऎसी है जैसे अमूल्य मोतियों में “पारस” का होना। प्रदोष व्रत जो भी धारण करता है। उस व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और दुखों का नाश होता है।
अलग-अलग वार का त्रयोदशी तिथि के साथ संगम होने से पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा भी उसी के अनुरूप होती है ।
आईये जानें किस वार को कौन सा प्रदोष व्रत आता है और क्या है उस प्रदोष व्रत की महिमा –
सोम प्रदोष व्रत-
सोमवार जो भगवान शिव और चंद्र देव का दिन माना गया है, तो इस दिन प्रदोष व्रत का आना अत्यंत ही शुभदायक और कई गुना शुभ फलों को देने वाला होता है। यह सोने पर सुहागा की उक्ति को चरितार्थ करने वाला होता है। सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर प्रदोष व्रत रखने से मानसिक सुख प्राप्त होता है, अगर चंद्रमा कुण्डली में खराब हो तो इस दिन व्रत का नियम अपनाने पर चंद्र दोष समाप्त होता है। सौभाग्य एवं परिवार के सुख की प्राप्ति होती है।
भौम प्रदोष व्रत-
मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत का आगमन संतान के सुख को देने वाला और मंगल दोष से उत्पन्न कष्टों की निवृत्ति प्रदान करने वाला होता है। इस दिन व्रत रखने पर स्वास्थ्य संबंधी कष्ट दूर होते हैं। क्रोध की शांति होती है और धैर्य साहस की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत विधि पूर्वक करने से आर्थिक घाटे से मुक्ति मिलती है। कर्ज से यदि परेशानी है तो वह भी समाप्त होती है। रक्त से संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति के लिए भौम प्रदोष व्रत अत्यंत लाभदायक होता है।
बुध प्रदोष व्रत-
बुधवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सौम्य प्रदोष, सौम्यवारा प्रदोष, बुध प्रदोष कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से बौद्धिकता में वृद्धि होती है। वाणी में शुभता आती है। जिन जातकों की कुण्डली में बुध ग्रह के कारण परेशानी है या वाणी दोष इत्यादि कोई विकार परेशान करता है तो उसके लिए बुधवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शुभ लाभ प्राप्त होते हैं, बुध की शुभता प्राप्त होती है. छोटे बच्चों का मन अगर पढा़ई में नहीं लग रहा होता है तो माता-पिता को चाहिए की बुध प्रदोष व्रत का पालन करें इससे लाभ प्राप्त होगा।
गुरु प्रदोष व्रत-
बृहस्पतिवार/गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर गुरु के शुभ फलों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। बढ़े बुजुर्गों के आशीर्वाद स्वरुप यह व्रत जातक को संतान और सौभाग्य की प्राप्ति कराता है। व्यक्ति को ज्ञानवान बनाता है और आध्यात्मक चेतना देता है।
शुक्र प्रदोष व्रत-
शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर इसे भृगुवारा प्रदोष व्रत के नाम से भी पुकारा जाता है। इस दिन व्रत का पालन करने पर आर्थिक कठिनाईयों से मुक्ति प्राप्त होती है। व्यक्ति के जीवन में शुभता एवं सौम्यता का वास होता है। इस व्रत का पालन करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है और प्रेम की प्राप्ति होती है।
शनि प्रदोष व्रत-
शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने पर शनि प्रदोष व्रत होता है। शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुंडली में मौजूद शनि दोष या शनि की साढे़साती अथवा ढैय्या से मिलने वाले कष्ट भी दूर होते हैं। शनि प्रदोष व्रत द्वारा पापों का नाश होता है। हमारे कर्मों का फल देने वाले शनिमहाराज की कृपा प्राप्त होती है। कार्यक्षेत्र और व्यवसाय में लाभ पाने के लिए भी शनि प्रदोष व्रत अत्यंत असरकारी होता है।
रवि प्रदोष व्रत-
त्रयोदशी तिथि के दिन रविवार होने पर रवि प्रदोष व्रत होता है। इस दिन को भानुवारा प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना के साथ-साथ सूर्य देव की उपासना भी करनी अत्यंत शुभ फलदायी होती है। ये व्रत करने से आपको जीवन में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। राज्य एवं सरकार से लाभ भी मिलता है। यदि किसी कारण से सरकार की ओर से कष्ट हो रहा हो या पिता से अलगाव अथवा सुख की कमी हो तो, इस रवि प्रदोष व्रत को करने से सुखद फलों की प्राप्ति होती है। कुण्डली में अगर किसी भी प्रकार का सूर्य संबंधी दोष होने पर इस व्रत को करना अत्यंत लाभदायी होता है।
प्रदोष व्रत की सूची संवत 2081 सन 2024
प्रदोष व्रत की सूची संवत 2081 सन 2025
पौष मास शुक्ल पक्ष | शनि प्रदोष व्रत | 11 जनवरी 2025 |
माघ मास कृष्ण पक्ष | सोम प्रदोष व्रत | 27 जनवरी 2025 |
माघ मास शुक्ल पक्ष | सोम प्रदोष व्रत | 10 फरवरी 2025 |
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष | मंगल प्रदोष व्रत | 25 फरवरी 2025 |
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष | मंगल प्रदोष व्रत | 11 मार्च 2025 |
चैत्र मास कृष्ण पक्ष | गुरु प्रदोष व्रत | 27 मार्च 2025 |
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