सज्जनों आज हम ऐसे योग के बारे में बात करेंगे। जिसमें कोई भी कार्य आरंभ करने का मतलब है की कार्य का विनाश करना। यह बहुत ही अशुभ (Inauspicious) योग माना गया है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
What is Jwalamukhi Yoga ? ज्वालामुखी योग क्या है ?
ज्वालामुखी योग (Jwalamukhi yoga) का फल अशुभ (Inauspicious) माना गया है। इस योग में आरंभ किया हुआ कार्य पूर्णतया सिद्ध नहीं हो पाता अथवा बार-बार विघ्न-बाधाएं होती हैं। इस योग में भूलकर भी शुभ कार्य आरंभ नहीं करने चाहिए। इस मुहूर्त में सिर्फ शत्रु को प्रताड़ित व परेशान करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं बाकी अन्य किसी भी शुभ कार्य में इस मुहूर्त का प्रयोग नहीं किया जाता है। जब प्रतिपदा को मूल नक्षत्र, पंचमी को भरणी, अष्टमी को कृतिका, नवमी को रोहिणी अथवा दशमी को अश्लेषा नक्षत्र आता है, तो ज्वालामुखी योग (Jwalamukhi yoga) बनता है। इस प्रकार 5 नक्षत्रों एवं 5 तिथियों के सहयोग से ज्वालामुखी योग बनता है। इस योग में हम पर कितना अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसके बारे में शास्त्र वचन नीचे दिया गया है।
जन्मे तो जीवे नही, बसे तो उजड़े गांव,
नारी पहने चूड़ियां, पुरुष विहिनी होय ।
बोवो तो काटे नहीं, कुएं उपजे ना नीर।।
अर्थात- इस योग में अगर बच्चे का जन्म हो जाए तो वह अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है। इस योग में अगर कोई व्यक्ति अपना घर बसाता है तो वह उजड़ जाता है। इस योग में अगर कोई स्त्री चूड़ियां पहनती हैं तो वह विधवा होती है। इस योग में अगर कोई व्यक्ति खेत में अन्न बोता है तो फसल का नाश होता है तथा अगर इस योग में कोई व्यक्ति कुएं आदि की खुदाई करता है तो उसमें से पानी नहीं निकलता है। इस प्रकार से यह बहुत ही अशुभ योग कहा जाता है। ज्वालामुखी योग के बारे में कहा गया है कि यदि कोई इस योग में रिश्ता पक्का हो जाता है अथवा इस योग में किसी व्यक्ति का विवाह हो जाता है तो उसे वैधव्य का दुख झेलना पड़ता है। इस योग में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो वह जल्दी से ठीक नहीं हो पाता। इस प्रकार से अनगिनत बहुत सारे अशुभ फल प्राप्त होते हैं अतः प्रत्येक व्यक्ति को इस ज्वालामुखी योग में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
साल 2024-2025 में ज्वालामुखी योग बनने की तिथियाँ
सन्: 2024- 2025
प्रारंभ काल – तारीख | प्रारंभ काल – घं.मि. | तारीख – समाप्ति काल | समाप्ति काल – घं.मि. |
17 अप्रैल | दोपहर 03:15 से | 18 अप्रैल | सुबह 07:57 तक |
22 जून | सुबह 06:38 से | 22 जून | शाम 05:54 तक |
26 अगस्त | रात्रि 03:40 से | 26 अगस्त | दोपहर 03:55 तक |
26 अगस्त | रात्रि 02:20 से | 27 अगस्त | दोपहर 03:38 तक |
21 सितंबर | शाम 06:14 से | 21 सितंबर | रात्रि 12:36 तक |
26 अक्टूबर | रात्रि 03:23 से | 26 अक्टूबर | सुबह 09:46 तक |
सन्: 2025
05 फरवरी | रात्रि 08:33 से | 05 फरवरी | रात्रि 12:36 तक |
06 फरवरी | रात्रि 07:30 से | 06 फरवरी | रात्रि 10:54 तक |
04 मार्च | सुबह 04:30 से | 04 मार्च | दोपहर 03:17 तक |
ओम नमः शिवाय
“पंडित सुनील वत्स”
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