राहु केतु ग्रह शान्ति व्रत | Rahu-Ketu Grah Vrat Vidhi aur udyapan Vidhi
राहु-केतु (Rahu-Ketu) छाया ग्रह है, जिसका अपना कोई वास्तविक रूप नहीं है। कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को आसानी से सफलता नहीं मिलती है। यदि कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर होती है तो यह जिंदगी को बदतर बना देता है। जीवन में कलह बना रहता है।
राहु-केतु के व्रत की विधि | Rahu-Ketu Vrat Vidhi
शुक्ल पक्ष के प्रथम (जेठे) शनिवार से ही यह व्रत शुरू करना चाहिए। यह व्रत 18 की संख्या में करने चाहिए। राहु केतु के व्रत के लिए काला वस्त्र धारण करके 18 या 3 माला बीज मंत्र की जपनी चाहिए। तदनन्तर एक बर्तन में जल, दूर्वा और कुशा लेकर, पीपल की जड़ में डालें। भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी, भूग्गा, तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही दान में भी दें। रात को घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें। इस व्रत से शत्रुभय दूर होता है तथा राज पक्ष से विजय मिलती है।
राहु-केतु (Rahu-Ketu) के व्रत के दिन अपने मस्तक पर काला तिलक करें। राहु-केतु (Rahu-Ketu) की प्रतिमा अथवा राहु-केतु (Rahu-Ketu) ग्रह के यंत्र को स्वर्ण पत्र, रजतपत्र, ताम्रपत्र अथवा भोजपत्र पर अंकित करके इसकी विधिवत षोडशोपचार से पूजा आराधना करके यथाशक्ति राहु-केतु (Rahu-Ketu) के मंत्र का जाप करना चाहिए।
राहु ग्रह का मंत्र ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ।’
केतु ग्रह का मंत्र ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः ।’
राहु के व्रत उद्यापन की विधि | Rahu Vrat Udyaapan Vidhi
राहु (Rahu) के व्रत के उद्यापन के लिए यथासंभव राहु ग्रह (Rahu Grah) का दान जैसे गोमेद, सुवर्ण, सीसा, तिल, सरसों, तिल, नीलवस्त्र, खड्ग, कृष्णपुष्प, कंबल, घोड़ा, शूर्प आदि करना चाहिए। राहु ग्रह (Rahu Grah) से संबंधित दान के लिए रात्रि का समय सर्वश्रेष्ठ होता है। यह दान ब्राह्मण के स्थान पर भड्डरी को दिया जाता है। क्या-क्या और कितना दिया जाये, यह आपकी श्रद्धा और सामर्थ्य पर निर्भर रहेगा। राहु ग्रह के मंत्र ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’ का कम से कम 18000 की संख्या में जाप तथा राहु ग्रह (Rahu Grah) की हवनसमिधा दूर्वा से राहु ग्रह के बीज मंत्र की एक माला का यज्ञ करना चाहिए
केतु के व्रत उद्यापन की विधि | Ketu Vrat Udyaapan Vidhi
केतु (Ketu) के व्रत के उद्यापन के लिए यथासंभव केतु ग्रह का दान जैसे लहसुनिया, सुवर्ण, लोहा, तिल, सप्तधान्य, तेल, धूम्रवस्त्र, नारियल, धूम्रपुष्प, कंबल, बकरा, शस्त्र आदि करना चाहिए। केतु ग्रह (Ketu Grah) से संबंधित दान के लिए रात्रि का समय सर्वश्रेष्ठ होता है। यह दान ब्राह्मण के स्थान पर भड्डरी को दिया जाता है। क्या-क्या और कितना दिया जाये, यह आपकी श्रद्धा और सामर्थ्य पर निर्भर रहेगा। केतु ग्रह के मंत्र ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः’ का कम से कम 17000 की संख्या में जाप तथा केतु ग्रह (Ketu Grah) की हवनसमिधा कुशा से केतु ग्रह (Ketu Grah) के बीज मंत्र की एक माला का यज्ञ करना चाहिए
राहु-केतु ग्रह शांति का सरल उपचारः- नीला रुमाल, नीला घड़ी का पट्टा, नीला पैन, लोहे की अंगूठी पहनें।
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