आप सभी ने तुलसीदास जी महाराज का नाम तो अवश्य सुना होगा। उनके द्वारा बनाए हुए सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ हर हनुमान भक्त अवश्य करता है। वही तुलसीदास जी भी गंडमूल नक्षत्र में ही पैदा हुए थे।
इस नक्षत्र के प्रभाव से ही तुलसीदास जी के जन्म के दूसरे ही दिन उनकी माता का देहांत हो गया। किसी अनिष्ट से डर से उनके पिता ने उनका त्याग कर दिया। चुनिया नाम की दासी ने उनको पाला परंतु गंडमूल नक्षत्र के दोष के कारण उसका भी देहांत हो गया।
इस प्रकार मुट्ठीभर अन्न के लिए तुलसीदास जी को दर-दर भटकना पड़ा। कोई उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आता था। कोई उन्हें आश्रय नहीं देता था। सब उनसे मुंह मोड़ लेते थे। जो कोई भी उनको आश्रय देता उसका विनाश हो जाता था।
इस गंडमूल नक्षत्र में जन्म के कारण से ही उन्हें अपने जीवन में बहुत दुख उठाना पड़ा। अनेक दिनों तक भूखा रहकर अनेक यातनाएं सहनी पड़ी।
तो सज्जनों तुलसीदास जी के गंडमूल नक्षत्र का अशुभ प्रभाव उनके परिवार के सुख पर भारी था। इसलिए उन्हें ना तो मां का और ना पिता का ना और ही किसी रिश्तेदार अथवा पत्नी और बच्चों का पूर्ण सुख मिल पाया।
गंडमूल दोष क्या है ?
आकाश मंडल में अभिजीत् सहित कुल 28 नक्षत्र होते हैं। इन्हीं में से 6 नक्षत्र गंड अर्थात दूषित होते हैं।
इन छह नक्षत्रों के नाम हैं – अश्विनी, जयेष्ठा, आश्लेषा, मघा, मूल तथा रेवती।
प्रत्येक गंडमूल नक्षत्र का व्यक्ति के ऊपर भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। किसी नक्षत्र में जन्म लेने पर शिक्षा पर, तो किसी में नौकरी पर और किसी में व्यापार पर बुरा प्रभाव आता है। कई बार व्यक्ति स्वयं पर भारी होता है।
कई बार माता-पिता, दादा-दादी आदि पर भारी होता है। किसी नक्षत्र में जन्म लेने पर उसके जन्म के बाद से ही घर में उपद्रव और नुकसान होने शुरू हो जाते हैं। पिता आदि की लगी लगाई नौकरी छूट जाती है और घर में अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है। कई बार शरीर पर भी रोगों का बुरा असर आता है और अनेक उपाय या दवाई करने के बावजूद भी रोग ठीक नहीं होता।
कई बार दौरे पड़ना, हाथ-मुंह टेढ़ा हो जाना जैसे प्रभाव भी आते हैं। बुद्धि में भ्रम बने रहते हैं। दिल-दिमाग काम नहीं करता। गंडमूल दोष से ग्रसित बच्चा या तो विद्या पढ़ नहीं पाता या पढ़ी हुई विद्या उसके काम नहीं आती। ऐसे व्यक्ति को जीवन भर सफलता के लिए छटपटाना पड़ता है।
अनेक अवसरों पर भलाई के बदले बुराई मिलती है और झूठे आरोप भी लग जाते हैं। कुल मिलाकर गंडमूल दोष व्यक्ति को पूर्ण रूप से उन्नति नहीं करने देता।
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