।। श्री दुर्गा शाप विमोचन ।।
विशेष सूचना:- ब्रह्मा, वसिष्ठ, विश्वामित्र और शुक्राचार्य आदि चार ऋषियों के द्वारा गायत्री-मन्त्र शापित है। अतः गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शाप विमोचन जरूर करना चाहिए। तभी गायत्री मंत्र जाप करने का पूरा पूण्य फल प्राप्त होता है। एक बार शाप विमोचन करने के बाद जब तक आपका जाप अनवरत रूप से चलता रहता है,तब तक प्रत्येक दिन श्राप विमोचन की कोई जरूरत नहीं है।
केवल जब किसी कारणवश जैसे घर-परिवार में सूतक अथवा पातक लगने अथवा किसी दिन आपने जाप नहीं किया और कुछ दिनों के बाद दोबारा जाप आरम्भ करेंगे केवल तब दोबारा शाप-निवृत्ति के लिये शाप-विमोचन करना चाहिए।
इसी प्रकार दुर्गा जी के भी सभी मंत्र शापित है। उन्हें भी तीन ऋषियों के द्वारा श्राप दिया गया है। अतः बिना श्राप विमोचन किए व्यक्ति को दुर्गा और गायत्री पाठ का पूरा पूण्य फल नहीं मिल पाता। अतः इन दोनों देवियों के मंत्रो का जाप, पाठ अथवा अनुष्ठान करने से पहले सभी साधकों को श्राप विमोचन अवश्य कर लेना चाहिए।
ॐ अस्य श्रीचण्डिकाया ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शाप विमोचन मन्त्रस्य वसिष्ठ
नारद संवाद साम वेदा अधिपति ब्रह्माण ऋषयः सर्वैश्वर्य कारिणी श्रीदुर्गा देवता
चरित्र त्रयं बीजं ह्रीं शक्तिः त्रिगुणात्म् स्वरूप चण्डिका शाप विमुक्तौ मम
संकल्पित कार्य सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।
(यह विनियोग बोलकर आचमनी में पानी भरकर धरती पर गिराएं)
ॐ ( ह्रीं ) रीं रेतः स्वरूपिण्यै मधुकैटभ मर्दिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १ ।।
ॐ श्रीं बुद्धि स्वरूपिण्यै महिषासुर सैन्य नाशिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। २ ।।
ॐ रं रक्त स्वरूपिण्यै महिषासुर मर्दिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ३ ।।
ॐ क्षुं क्षुधा स्वरूपिण्यै देववन्दितायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ४ ।।
ॐ छां छाया स्वरूपिण्यै दूत संवादिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ५ ।।
ॐ शं शक्ति स्वरूपिण्यै ध्रूमलोचन घातिन्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ६ ।।
ॐ तृं तृषा स्वरूपिण्यै चण्ड-मुण्ड वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ७ ।।
ॐ क्षां क्षान्ति स्वरूपिण्यै रक्तबीज वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ८ ।।
ॐ जां जाति स्वरूपिण्यै निशुम्भ वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ९ ।।
ॐ लं लज्जा स्वरूपिण्यै शुम्भ वध कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १0 ।।
ॐ शां शांति स्वरूपिण्यै देवस्तुत्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। ११ ।।
ॐ श्रं श्रद्धा स्वरूपिण्यै सकल फलदात्र्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १२ ।।
ॐ कां कान्ति स्वरूपिण्यै राजवर प्रदायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १३ ।।
ॐ मां मातृ स्वरूपिण्यै अनर्गल महिम सहितायै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १४।।
ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सं सवैश्वर्य कारिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १५ ।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्य कवच स्वरूपिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १६ ।।
ॐ क्रीं काल्यै कालि ह्रीं फट् स्वाहायै ऋग्वेद स्वरूपिण्यै ब्रह्मा वसिष्ठ विश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव ।। १७ ।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गादिव्यै नमः ।। १८ ।।
इत्येवं हि महामन्त्रान् पठित्वा परमेश्वर ।
चण्डीपाठं दिवा रात्रौ कुर्यादेव न संशयः ।। १९ ।।
एवं मन्त्रं न जानाति चण्डीपाठं करोति यः ।
आत्मानं चैव दातारं क्षीणं कुर्यान्न संशयः ।। २0 ।।
नोट :- जो दुर्गा साधक एक दिन में पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वह नवरात्रों में अथवा प्रतिदिन पहले दिन 1, दूसरे दिन 2, तीसरे दिन 1, चौथे दिन 4, पांचवें दिन 2, छठे दिन 1 और सातवें दिन 2 अध्यायों को क्रम से सात दिनों में पाठ पूरा करने का आदेश दिया गया है।
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