बुध (सौम्य) प्रदोष व्रत | Budh Pradosh Vrat
जिस प्रकार एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । उसी प्रकार त्रयोदशी व्रत यानी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है । जब त्रयोदशी का व्रत बुधवार के दिन आ जाए तो उस दिन के प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) अथवा सौम्य प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत के पालन से बुध ग्रह और भगवान गणेश जी को प्रसन्न कर सकते हैं।
जिन जातकों की जन्म कुंडली में बुध ग्रह खराब अवस्था का बैठा हुआ हो। उन्हें बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) विशेष रुप से करना चाहिए। इस व्रत के करने से उन्हें बुध तथा भगवान शिव पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत का पारण अगले दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से होता है।
बुध सभी ग्रहों में से सबसे बुद्धिमान ग्रह है। बुध के लिए हरे रंग का विशेष महत्व है अतः बुध ग्रह की पूजा के लिए हरे रंग के फल, फूल, मिठाई, वस्त्र आदि का उपयोग किया जाता है।
बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) के दिन हरे रंग की दूर्वा भगवान गणेश जी को चढ़ाने से उनकी विशेष प्रसन्नता प्राप्त होती है।
इस दिन हरे रंग का उपयोग करने से विशेष लाभ होता है। बुध के आशीर्वाद से लंबी आयु वाली संतान की प्राप्ति हो सकती है जो समाज में बहुत सम्मान, नाम और प्रसिद्धि अर्जित करती है।
बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) का पालन करने से नौकरी और व्यवसाय में मनवांछित सफलता प्राप्त होती है और मन की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
बुध प्रदोष व्रत में पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय।” तथा बुध ग्रह का बीज मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।” का जाप करना चाहिए। यदि संभव हो सके तो इन मंत्रों से अपनी क्षमता के अनुसार हवन में आहुतियां भी डालनी चाहिए।
बुध प्रदोष व्रत कथा
बहुत समय पहले एक पति-पत्नी थे। जिनकी नई-नई शादी हुई थी। शादी के दो दिन बाद महिला अपने मायके चली गई। कुछ दिनों के बाद, वह व्यक्ति अपनी पत्नी को वापस लाने गया। उस दिन बुधवार था। जब उस व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी पत्नी को घर वापस ले जाने के लिए आया है और वह आज ही जाना चाहता है । तब लड़की के घरवालों ने उन्हें रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि बेटी को विदा करने के लिए बुधवार अच्छा दिन नहीं है। लेकिन वह आदमी नहीं माना और अपनी पत्नी को लेकर उसी दिन यात्रा पर निकल गया।
शहर के बाहरी क्षेत्र में पहुंचने के बाद, महिला को प्यास लगी और उसने अपने पति से कुछ पानी लाने का अनुरोध किया। वह आदमी एक गिलास लेकर पानी लेने चला गया। जब वह वापस लौटा, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी एक गिलास से पानी पी रही है और बिल्कुल उसकी तरह दिखने वाला एक व्यक्ति उससे बात कर रहा है और उसकी पत्नी भी हंसकर उससे बात कर रही है। यह देखकर वह आदमी उस दूसरे आदमी से लड़ने लगा। धीरे-धीरे बहुत भीड़ जमा हो गई और वे लोग भीड़ में घिर गए । उसी समय वहां एक सिपाही भी आ गया और उसने पूछा यह सब क्या हो रहा है । यहां इतनी भीड़ क्यों जमा हुई है । सब कुछ जान कर सिपाही ने उस औरत से पूछा कि वह बताए कि उसका पति कौन है। परंतु वह महिला चुप ही रह गई क्योंकि दोनों एक जैसे दिख रहे थे।
तभी, उसका पति भगवान शिव की पूजा करने लगा। उसने अपने हृदय में भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए उनसे अपनी मूर्खता को क्षमा करने के लिए कहा। उसने अपनी गलती प्रभु के सामने स्वीकार कर ली और उसकी प्रार्थना पूरी भी नहीं हुई थी कि, दूसरा आदमी हवा में गायब हो गया। इसके बाद पति और पत्नी दोनों ने हर वर्ष भगवान शिव व गणेशजी का आशीर्वाद पाने के लिए बुध प्रदोष व्रत रखना शुरू किया।
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