बालक की मृत्यु पर कितने दिन का पातक | How Many Days Sutak After Child Death

sutak patak niyam

बालकों की मृत्यु पर अशौच-विचार [Sutak – Patak Rules]

सज्जनों

आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि किस – किस आयु में बालक की मृत्यु होने पर कितने – कितने दिन का पातक अथवा सूतक [Sutak – Patak] लगता है।

(1) नाल कटने के बाद नामकरण के पूर्व अर्थात् 12 दिन के भीतर यदि बालक मर गया तो बन्धवर्ग स्नान मात्र से मरणाशौच [Patak] से निवृत्त हो जाते हैं। माता-पिता को पुत्र के मरने पर तीन रात्रि का तथा कन्या के मरने पर 1 दिन का अशौच रहता है, परंतु जननाशौच [Sutak] पूरे 10 दिन तक रहता है।

(2) नामकरण के पश्चात दांत के उत्पत्ति के पूर्व बालक के मरने पर बन्धुवर्ग स्नान मात्र से शुद्ध हो जाते हैं। माता-पिता को पुत्र के मरने पर 3 रात्रि का तथा कन्या के मरने पर 1 दिन का अशौच रहता है।

(3) दांत की उत्पत्ति तथा चुंडाकर्म हो चुके बालक के मरने पर माता-पिता को 3 दिन का मरणशौच लगता है और सपिण्ड को 1 दिन का मरणशौच लगता है।

(4) नामकरण के बाद उपनयन-संस्कार के पहले मरने पर 3  दिन का मरणाशौच रहता है।

(5) उपनयन-संस्कार होने के बाद मृत्यु होने पर 7 पुश्त के भीतर के लोगों को 10 दिन का मरणाशौच रहता है। चूँकि ब्राह्मण बालक के उपनयन का मुख्य काल 8 वर्ष का है। अंत: 8 वर्ष की अवस्था हो जाने पर उपनयन न होने पर भी बालक की मृत्यु होने पर पूरे 10 दिन का मरणाशौच रहता है। इसी प्रकार अन्य वर्णों के लिए भी उपनयन के लिए निर्धारित मुख्य काल के अनन्तर उपनयन न होने पर भी बालक की मृत्यु होने पर 10 दिन का मरणाशौच रहता है।

(6) अनुपनीत बालक तथा अविवाहित कन्या को माता और पिता के मरने पर ही 10 दिन का अशौच होता है। अन्य सगोत्रियों के मरने पर कोई भी अशौच नहीं होता।

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