हिंदू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है। श्राद्ध विधि इसी भावना पर आधारित है।
मृत्यु के बाद जीवनात्मा को उत्तम, मध्यम और कनिष्ठ कर्मानुसार स्वर्ग-नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीण होने पर वह पुन मृत्युलोक में आता है। स्वर्ग में जाना यह पितृयान मार्ग है एवं जन्म-मरण के चक्र में मुक्त होना यह देवयान मार्ग है।
पितृयान मार्ग में जाने वाले जीव पितृलोक से होकर चंद्रलोक में जाते हैं। चंद्रलोक में अमृतान्न का सेवन करके निर्वाह करते हैं। यह अमृतान्न कृष्ण पक्ष में चंद्र की कलाओं के साथ क्षीण होता रहता है। अंत कृष्ण पक्ष में उनके वंशजों को उनके लिए आहार पुहँचाना चाहिए, इसलिए श्राद्ध एवं पिंडदान की व्यवस्था की गई है। शास्त्रों में आता है कि अमावस के दिन तो पितृतर्पण अवश्य करना चाहिए।
प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर देवऋण, पितृऋण एवं ऋषिऋण रहता है। श्राद्ध क्रिया द्वारा पितृऋण से मुक्त हुआ जाता है। देवताओं को यज्ञ-भाग देने पर देवऋण से मुक्त हुआ जाता है। ऋषि-मुनि-संतो के विचारों को, आदर्शों को अपने जीवन में उतारने से, उनका प्रचार-प्रसार करने से एवं उनके लक्ष्य मानकर आदरसहित आचरण करने से ऋषिऋण से मुक्त हुआ जाता है।
पुराणों में आता है कि अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस के दिन सूर्य एवं चंद्र की युति होती है। सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है इस दिन हमारे पितर यमलोक से अपना निवास छोड़कर सूक्ष्म रूप से मृत्युलोक में अपने वंशजों के निवास-स्थान में रहते हैं । अंत उस दिन उनके लिए विभिन्न श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं।
जो नि संतान ही चल बसे हो उन्हें मृतात्माओं के लिए भी यदि कोई व्यक्ति इन दिनों में श्राद्ध-तर्पण करेगा अथवा जलांजलि देगा तो वह भी उन तक पहुंचेगी। जिन की मरण-तिथि ज्ञात न हो उनके लिए भी अवधि के दौरान दी गई अंजलि पहुंचती है।
आश्विन कृष्ण पक्ष के श्राद्ध की सूची संवत 2082 सन 2025
तिथि का श्राद्ध | तारीख |
पूर्णिमा/प्रोष्पदी का श्राद्ध | 07 सितंबर 2025 |
प्रतिपदा का श्राद्ध | 08 सितंबर 2025 |
द्वितीया का श्राद्ध | 09 सितंबर 2025 |
तृतीया का श्राद्ध | 10 सितंबर 2025 |
भरणी का श्राद्ध | 11 सितंबर 2025 |
पष्ठी का श्राद्ध | 12 सितंबर 2025 |
सप्तमी का श्राद्ध | 13 सितंबर 2025 |
अष्टमी का श्राद्ध | 14 सितंबर 2025 |
नवमी/ सौभाग्यवतीनां श्राद्ध | 15 सितंबर 2025 |
दशमी का श्राद्ध | 16 सितंबर 2025 |
एकादशी का श्राद्ध | 17 सितंबर 2025 |
द्वादशी , सन्यासियों का श्राद्ध | 18 सितंबर 2025 |
त्रयोदशी का श्राद्ध | 19 सितंबर 2025 |
चतुर्दशी श्राद्ध – अपमृत्यु वालों का श्राद्ध | 20 सितंबर 2025 |
सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात मृतकों का श्राद्ध, महालय श्राद्ध | 21 सितंबर 2025 |
विशेष: नाना नानी का श्राद्ध अमावस्या तिथि अथवा प्रतिपदा तिथि पर किया जाता है। सभी अपने स्थानों के अनुसार इसे कर सकते हैं।
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