नवरात्रि कब से ?

विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है। जहां लगभग हर दूसरे दिन कोई-न-कोई व्रत, कोई न कोई पर्व, कोई न कोई त्यौहार व उत्सव आदि होता है। क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों ने एक ऐसी पद्धति बनाई है कि जिससे व्यक्ति खुश रह सके।

व्रत करने से व्यक्ति को खुशी मिलती है। त्यौहार मनाने से व्यक्ति को खुशी मिलती है। कोई न कोई उत्सव होता है। कोई न कोई जागरण होता है। भक्ति की धाराएं बहती हैं। व्यक्ति आनंदित प्रसन्न और खुश रहता है। ‘त्यौहार’ शब्द सुनकर ही लगता है कि कुछ खुशी का मौका है।

जैसा की आप सभी जानते हैं हमारा भारत अनेक धर्मों का संगम है। अनेक प्रकार का रहन-सहन, बोलचाल, धर्म-संप्रदाय, रीती-रिवाज व रुढ़िवादिता के कारण अनेक प्रकार के भ्रम पैदा हो जाते हैं।

इसी भ्रम के कारण हम कई बार दो-दो त्यौहार मनाते हैं। कुछ लोग कल दिवाली मना रहे थे और कुछ आज मना रहे हैं। कुछ लोग कल जन्माष्टमी का व्रत रखे हुए थे। कुछ ने आज रख रखा है। कुछ ने कल एकादशी का व्रत रखा था। कुछ ने आज रखा हुआ है।

आखिर यह मत अंतर क्यों ?

आखिर इन सब में भेद क्यों ?

इसका क्या कारण है ?

आज मैं इसका कारण आपको बताना चाहता हूं। इसका कारण है। अधूरा – अधकचरा ज्ञान।

कुछ तथाकथित धर्म के ठेकेदारों ने शास्त्रों में बताए गए विधि – विधान को हटाकर अपना ज्ञान लोगों के दिमाग में डाल दिया है। जिस कारण से एक ही स्थान में, एक ही गांव में, एक ही घर में रहने के बावजूद भी लोग अलग-अलग तिथियों में तीज त्यौहार मना रहे होते हैं।

ऐसा ही एक भ्रम हमारे सामने आया है सन 2017 में चैत्र नवरात्रों का :-

कुछ लोग इसे 28 मार्च अमावस्या वाले दिन बता रहे हैं और कुछ लोग 29 मार्च को प्रतिपदा वाले दिन बता रहे हैं। किस दिन हमें व्रत रखना है ?

किस दिन हमें कलश स्थापना करनी है ? किस दिन से नवरात्रि शुरु हो रहे हैं ? यह मैं आपको धर्म शास्त्रों के प्रूफ दे कर बता रहा हूं।

वैदिक शास्त्रों के अनुसार तिथि और वार सुबह सूर्योदय से शुरू होती हैं । जबकि हम आज के समय में सब चीजें अंग्रेजी तारीखों के अनुसार देखते हैं। अंग्रेजी तारीखों के अनुसार 24 घंटे रात 12:00 बजे से लेकर अगले दिन के रात 12:00 बजे तक चलता है। परंतु हमारी तिथियां सुबह सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक चलती हैं।

सन 2017 में 28 मार्च के दिन सुबह 8:00 बज कर 27 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी इसलिए जो व्यक्ति अपने पितरों का तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करते हैं, वह 27 तारीख दोपहर को अथवा 28 तारीख सुबह 8:27 से पहले कर सकते हैं।

इसके तुरंत बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी और नवरात्रि आरंभ माने जाएंगे। अगले दिन 29 मार्च को सुबह 5:45 पर प्रतिपदा खत्म हो जाएगी। यानी सूर्योदय होने से पहले ही तिथि चली गई इसलिए 29 तारीख को तो प्रतिपदा होगी ही नहीं। शास्त्रों में लिखा है जिस दिन प्रतिपदा कम से कम एक मुहूर्त तक रहेगी उसी दिन नवरात्रि आरंभ माने जाएंगे। यही कारण है कि नवरात्र 28 तारीख को सुबह 08:27 के बाद प्रारंभ माने जाएंगे और इसी दिन से कलश स्थापना और दुर्गा जी के व्रत आराधना उपासना शुरू करनी है।

इस बारे में हमारे धर्म शास्त्र देवी पुराण का वाक्य है।

‘अमायुक्ता न कर्तव्या प्रतिपच्चण्डिकार्चने। मुहूर्त मात्रा कर्तव्या द्वितीयायां गुणान्विता।।

अर्थ :- यदि प्रतिपदा का क्षय हो जाए तो भी पहले ही दिन अम्मा युक्ता प्रतिपदा में ही नवरात्र आरंभ करने का शास्त्र वाक्य है।

हमारे एक और धर्मशास्त्र निर्णय सिंधु में यही बात कही गई है।

‘परदिने प्रतिपदोत्यन्तासत्तवे तु दर्शयुता पूर्वैव ग्राह्या।

इसीलिए आप सब लोगों की भलाई के लिए आप 28 मार्च 2017 मंगलवार के दिन ही दुर्गा देवी के नवरात्रों का आरंभ कीजिए। माता की आराधना उपासना कीजिए और अपने जीवन में आ रहे व आने वाले संकटों के नाश की प्रार्थना कीजिए।

हां एक और जरूरी बात यहां मैं बताना चाहता हूं। जो भी शक्ति के उपासक हैं। उन्हें यह जरूर जानना चाहिए कि दुर्गा जी और गायत्री जी के जितने भी मंत्र हैं वह सभी श्रापित हैं । इसीलिए व्यक्ति को मंत्र जाप का फल नहीं मिल पाता। आप सभी सज्जन जो भी व्रत उपवास करेंगे। वह सब आराधना करने से पहले कृपया श्राप विमोचन जरुर कर लीजिएगा।

जिससे अतिशीघ्र आप सब की मनोकामना पूर्ण हो। मां जगदंबा आपके ऊपर रहमत करें। अपनी कृपा बरसाए।

ओम नमः शिवाय

“पंडित सुनील वत्स”

 

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