आभूषण खरीदने का मुहूर्त्त | Shubh Muhurat to Invest or Buy Jewellery

Shubh Muhurat to Invest or Buy Jewellery

Shubh Muhurat to Invest or Buy Jewellery

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

आभूषण खरीदने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra to Invest or Buy Gold Jewellery:-

आभूषण खरीदने के लिए शुभ नक्षत्र  हस्त, अश्लेषा, पुष्य, अभिजीत, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराफाल्गुनी,  उत्तराषाढ़ा,  उत्तराभाद्रपद, रोहिणीशुभ हैं।

 एषु नक्षत्रेषु रिक्तामाक्षयरहित तिथौ, शुभवासरे द्विपुष्करत्रिपुष्करयोगे वा भूषणं कार्यम्॥

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Shubh Muhurat To Invest or Buy Jewelry
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यज्ञोपवीत संस्कार का शुभ मुहूर्त | Muhurat For Upanayana (Janeu) Ceremony

Yagopavit Sanskar

Yagopavit Sanskar

यज्ञ और उपवीत- इन दो शब्दों से यज्ञोपवीत बना है। देवताओं की पूजा, संगति (सम्मेलन या कान्फ्रेंस) और जिसमें दान हो, उसे यज्ञ कहते हैं। उपवीत्त का अर्थ है- पिरों देने वाला अर्थात् देवपूजा, सम्मेलन और दान के साथ पुरुष को मिला देने वाला संस्कृत (तन्तु-धागाविशेष)- यह यज्ञोपवीत का अर्थ हुआ। 

बालक को गुरु, चंद्र शुद्धि देखकर जन्म से या गर्भ से (गर्भाज्जनेर्वा इति पारस्करमन्वादीनां मते विकल्पः) ब्राह्मण 8 वें वर्ष, क्षत्रिय 11वें, वैश्य 12 वें, वर्ष में करें। यदि इन वर्षों में न किया जा सके तो ब्राह्मण 16, क्षत्रिय 22 और वैश्य 25 वें वर्ष तक संस्कार कर सकते हैं। उसके बाद सावित्रीपतित व्रात्य संज्ञा वाले होते हैं। 

यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार करने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Upanayana (Janeu) Ceremony:-

यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए नक्षत्र माघादि 5 मासों में देवशयनी से पूर्व हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, आश्लेषा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, मूल, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, आर्द्रा वेध रहित शुभ है। क्षत्रिय, वैश्यों के लिए पुनर्वसु भी ग्राह्य है।

यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार करने के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Upanayana (Janeu) Ceremony:-

यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए वार सूर्य, चंद्र बुध, (बुधास्त हो तो बुधवार त्याज्य) शनिवार, गुरुवार शुभ है।

यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार करने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Day (Tithi) For Upanayana (Janeu) Ceremony:-

यज्ञोपवीत संस्कार करने के लिए तिथियां  शुक्ल 2, 3, 10, 11, 12 तथा कृष्ण पक्ष की 2, 3, 5 तिथियों में शुभ है। किंतु सोपपदा तिथि (जैसे- आषाढ़ शुक्ल 10, ज्येष्ठ शुक्ल 2 पौष शुक्ल 11, माघ शुक्ल 12) सक्रांति दिन तथा रोगबाण को छोड़कर मध्याह्न से पहले शुभ है। 

शुक्र, गुरु, चंद्र और लग्नेश 6, 8 स्थानों में चंद्र, शुक्र 12 वें स्थान में और 1, 5, 8 वें भावों में पाप ग्रह अशुभ है। शुभ ग्रह 6, 8, 12 स्थानों के सिवाय अन्य स्थानों में, पाप ग्रह 3, 6, 11 स्थानों, वृष या  कर्क का पूर्ण चंद्रमा लग्न में हो तो शुभ होता है। गुरु, शुक्र के बाल्य-वृद्धत्त्व-अस्त के समय को छोड़कर उपनयन शुभ है। 

यदि गोचराष्टक वर्ग से बालक के उपनयन संस्कार के लिए समयशुद्धि न मिले अथवा सिहं, मकर किंवा अशुभ स्थान में गुरु हो तो सौर चैत्र में उपनयन संस्कार किया जा सकता है- ऐसी शास्त्र की आज्ञा है।

यज्ञोपवीत (उपनयन) संस्कार का मुहूर्त्त (2024-25)

प्रारंभ काल – तारीखसमय (घं.मि.)
14 अप्रैलसुबह 07:32 से सुबह 11:40 तक, अभिजित्, तिथिदोष परिहार
15 अप्रैलसुबह 07:28 से सुबह 11:37 तक, अभिजित्, तिथिदोष परिहार
18 अप्रैलसूर्योदय से सुबह 07:56 तक
11 जुलाईसुबह 08:17 से सुबह 10:37 तक, अभिजित् 
 सन् 2025
प्रारंभ काल – तारीखसमय (घं.मि.)
15 जनवरीसूर्योदय से दोपहर 02:14 तक
16 जनवरी सूर्योदय से सुबह 11:16 तक
31 जनवरी सुबह 09:24 से दोपहर 12:29 तक,  अभिजित्
07 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 02:14 तक, अभिजित्
09 फरवरीसुबह 07:23 से सुबह 11:43 तक, अभिजित्
14 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 02:26 तक, अभिजित्

” त्रेधाविभक्तदिनमानस्य प्रथमोभागः पूर्वाह्णः। “

उपनयन संस्कार पूर्वाह्णकाल में ही करनें की शास्त्राज्ञा हैं। मध्याह्ण काल इसके लिए सामान्य माना जाता हैं। अपराह्णकाल में उपनयन संस्कार करने का निषेध हैं।

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Shubh Muhurat For Upanayana Ceremony
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नौकरी ज्वाइन का शुभ मुहूर्त्त | Muhurat For Interview OR Job Joining

Job Joining ka Shubh Muhurat

Job Joining ka Shubh Muhurat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

एषु भेषु रिक्तामारहिततिथौ, रविवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार वारेषु शुभः। 
लग्नस्थे, 10, 11 सूर्ये-भौमे वा स्वामिसेवकयोः राशीश-योनि-मैत्र्यां सत्यां शुभः।

नौकरी ज्वाइन करने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Job Joining :-

नौकरी ज्वाइन करने के लिए अश्विनी, मृगशिरा, चित्रा, हस्त, पुष्य, अनुराधा, रेवती नक्षत्र शुभ है।

 नौकरी ज्वाइन करने के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Job Joining:-

नौकरी ज्वाइन करने के लिए रविवार, बुधवार, बृहस्पतिवार एवं शुक्रवार शुभ है।

नौकरी ज्वाइन करने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Day (Tithi) For Job Joining:-

नौकरी ज्वाइन करने के लिए 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, 15 तिथियां शुभ है।

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Job Joining 
Shubh Muhurat
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नलकूप या बोरिंग खुदवाने का शुभ मुहूर्त्त |  Muhurat for digging pond, Tubewell, Borewell

Boring Khudwane ka Shubh Muhuarat

Boring Khudwane ka Shubh Muhuarat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

नलकूप या बोरिंग खुदवाने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For water boring or drilling or digging :-

नलकूप, कूप, तालाब और बावड़ी खुदवाने के लिए अनुराधा, हस्त्र, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, धनिष्ठा, शतभिषा, भरणी, पूर्वाषाढ़ा, रेवती, पुष्य, मृगशिरा, नक्षत्र शुभ है।

व चंद्रमा मकर के उत्तरार्ध, मीन या कर्क में हों, लग्न में बुध या गुरु हो, शुक्र 10 वें स्थान में हों और पाप ग्रह निर्बल हों तो शुभ है। 

नलकूप या बोरिंग खुदवाने के लिए शुभ लग्न | Auspicious Nakshatra For water boring or drilling or digging :-

नलकूप, कूप, तालाब और बावड़ी खुदवाने के लिए शुभ लग्न 2, 10, 4,  11, 12 है।

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Shubh Muhurat Water Boring or Drilling or Digging 
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कूप, तालाब और बावड़ी खुदवाने का मुहूर्त्त | नलकूप या बोरिंग करवाने का शुभ मुहूर्त्त कब है 2024 |

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वास्तुशान्ति करने का  शुभ मुहूर्त्त | Muhurat For Vastu Shanti

Vastu Shanti Muhurat

Vastu Shanti Muhurat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

यह स्वाभाविक-सी बात है कि इस अशुभ समय में किया गया कार्य या तो पूर्ण नहीं होगा या विलंब से होगा या व्यवधान के साथ होगा या नहीं भी हो सकता है। परंतु नकारात्मक विचार रखने वाले यह भी कह सकते हैं कि क्या गारंटी है कि शुभ समय में किया गया कार्य पूरा हो ही जाए या उसमें कोई व्यवधान न हो। लेकिन यह सच है कि अशुभ समय के चयन से तो शुभ समय का चयन अच्छा ही होगा, क्योंकि यदि अच्छा मुहूर्त हमारा भाग्य नहीं बदल सकता तो कार्य की सफलता के पथ को सुगम तो बना सकता है।

वास्तुशान्ति के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Vastu Shanti:-

वास्तुशान्ति के लिए श्रवण, धनिष्ठा, मृगशिरा, मूल, अनुराधा, रेवती, हस्त, चित्रा, स्वाति, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुनर्वसु, पुष्य, रोहिणी, अश्विनी।

एषु भेषु शुभेऽह्नि सत्तिथौ बलिदानपुरस्सरं वास्त्वर्चनं कार्यम्।

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Vastu Shanti Shubh Muhurat 
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गृह प्रवेश मुहूर्त 2025 की तिथियां एवं शुभ मुहूर्त, जानें | वास्तुशांती मुहूर्त 2024-25 | सर्वोत्तम नक्षत्र, गृह प्रवेश मुहूर्त 2024-25 | नूतन गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त 2024

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प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने का शुभ मुहूर्त्त |  Muhurat to Submit Application letter

Application Dene ka Muhurat

Application Dene ka Muhurat

किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए सही दिन, सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त का चुनाव ही उस कार्य में त्वरित सफलता दिलाता है। वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है तथा यह अनुभवजन्य भी है।

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प्रार्थनापत्र (अर्जी ) देने के लिए शुभ तिथियां | Auspicious Day (Tithi) For Submitting an Application Form :- 

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए 4, 9, 14 तिथियां शुभ है।

 प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Submitting an Application Form :-

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए मंगलवार, शनिवार  शुभ है।

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Submitting an Application Form  :-

प्रार्थनापत्र (अर्जी) देने के लिए कृतिका, आर्द्रा, भरणी, अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठ, मूल, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद  नक्षत्र हों, भद्रा होेवे तो अत्युत्तम है।

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Submit Application Letter Shubh Muhurat
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प्रार्थना पत्र देने का मुहूर्त्त | अर्जी देने का मुहूर्त्त  |

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राजा दशरथ कृत- श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) | पद्म पुराण

Shani Stotra In Hindi

राजा दशरथ कृत- श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) | पद्म पुराण

Raja Dashrath Krit – Shri Shani Stotra (In Hindi) -Padampuran

॥ श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) ॥

हे ! श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।।

स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।
सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे।।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।
हे ! दीर्घ नेत्र वालेे, शुष्कोदरा निराले।।

भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।
कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले।।

तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।
हे ! नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ।।

हे ! भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
हे ! पूज्य चरण तेरे। स्वीकारो नमन मेरे।।

हे ! सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।
हे ! अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी।।

विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हे पूज्य देव मेरे।।

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।
तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी।।

संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे।स्वीकारो नमन मेरे।।

नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो।
हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो।।

हे ! ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो भजन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे।।

जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि।
वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये।।

उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।
मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता।।

डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। शनि पूज्य चरण तेरे।।

हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर।
हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर।।

देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।
बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै।।

सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हैं पूज्य चरण तेरे।।

॥ इति श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) ॥

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Ravi Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | रवि पुष्य अमृत योग

Ravi Pushya
Ravi Pushya जब रविवार (Sunday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) बनता है। रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं। इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog)और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं। इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

रविपुष्य योग सन् : 2024-25

प्रारंभ काल – तारीख प्रारंभ काल – घं.मि. तारीख – समाप्ति काल समाप्ति काल – घं.मि.
09 जून रात्रि 08:21 से 10 जून सूर्योदय तक
07 जुलाई   सूर्योदय से 08 जुलाई   सूर्योदय तक
04 अगस्त सूर्योदय से 04 अगस्त   दोपहर 01:26 तक

Guru Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | गुरु पुष्य अमृत योग

Guru Pushya

Guru Pushya

गुरुवार (Thursday) के दिन शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से संबंधित कार्य करना बहोत ही शुभ एवं मंगलमय होता है। जब गुरुवार (Thursday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) बनता है।

गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog ) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं।

इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी (Devi Lauxmi) जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।

इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

गुरुपुष्य योग सन् 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
26 सितंबर  रात्रि 11:34 से27 सितंबरसूर्योदय तक
24 अक्टूबर  सूर्योदय से25 अक्टूबरसूर्योदय तक
21 नवंबरसूर्योदय से21 नवंबरदोपहर 03:35 तक

इस दीपावली की रात लगेगा सूर्य ग्रहण – 25 Oct 2022 Deepawali | Surya Grahan (Solar Eclipse)

खंडग्रास सूर्यग्रहण – 25 अक्टूबर 2022

Surya Garhan – 25 October 2022

यह ग्रहण कार्तिक (Kartik) कृष्ण अमावस्या मंगलवार, तदनुसार 25 अक्टूबर 2022 ईस्वी को यूरोप के अधिकतर देशों, उत्तरी-पूर्वी अफ्रीकाऔर एशिया महाद्वीप के मध्य-पूर्वी / पश्चिमी भागों में खण्डग्रास (आंशिक) आकृति के रूप में दिखाई पडे़गा। यह ग्रहण स्वीडन, फिन्लैंड, एस्टोनिया, बेलारूस, यूक्रेन, रशिया, जाॅर्जिया, अरमीनिया, कज़ाकिस्तान, अज़रबैज़मान, इराक, ईरान, तुर्कमीनिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, तज़ीकिस्तान, अफ़गानिस्तान, कज़ाखस्तान, पाक और भारत में खण्डग्रास रूप में दीखेगा।

भारत में यह ग्रह पूर्वी भारत के कुछ प्रदेशों को छोड़कर लगभग सम्पूर्ण भारत में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। क्योंकि यह ग्रहण (Surya Grahan | Solar Eclipse) भारत में सर्वत्र ग्रस्तास्त होगा अर्थात् ग्रहणारंभ सूर्यास्त से पूर्व ही हो जाएगा या यूं कह सकते हैं कि-सूर्य की ग्रस्तस्थिति में ही सर्वत्र सूर्यास्त होगा, अतः ग्रहणारंभ (Surya Grahan | Solar Eclipse) तो सर्वत्र दीखेगा, लेकिन कुछ स्थलों / नगरों में ग्रहणमध्य नहीं दिखेगा और ग्रहण समाप्ति तो भारत में कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होगी।

खंडग्रास सूर्यग्रहण – 25 अक्टूबर 2022
कार्तिक कृष्ण, अमावस्या, मंगलवार,

ग्रहण प्रारंभ – दोपहर 2 बजकर 28 मिनट से
ग्रहण का मध्यकाल – शाम 4:30ः00
ग्रहण का समाप्ति काल – शाम 6:32ः00
ग्रहण का पर्व काल – 4 घंटे 3 मिनट 56 सेकंड
सूतक का प्रारंभ – सूर्योदय से पूर्व ( पूर्वरात्रि में 2:30 बजे पर )

यह ग्रहण कार्तिक अमावस, मंगलवार को स्वाति नक्षत्र (Swati Nakshtra) एवं तुला राशि (Libra Rashi) में घटित हो रहा है, अतः विशेषतः स्वाति नक्षत्र व तुला राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण विशेष अशुभ एवं कष्टप्रद रहेगा।

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