राजा दशरथ कृत- श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) | पद्म पुराण

Shani Stotra In Hindi

राजा दशरथ कृत- श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) | पद्म पुराण

Raja Dashrath Krit – Shri Shani Stotra (In Hindi) -Padampuran

॥ श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) ॥

हे ! श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।।

स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।
सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे।।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।
हे ! दीर्घ नेत्र वालेे, शुष्कोदरा निराले।।

भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।
कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले।।

तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हे ! घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।
हे ! नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ।।

हे ! भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
हे ! पूज्य चरण तेरे। स्वीकारो नमन मेरे।।

हे ! सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।
हे ! अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी।।

विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हे पूज्य देव मेरे।।

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।
तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी।।

संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे।स्वीकारो नमन मेरे।।

नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो।
हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो।।

हे ! ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो भजन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे।।

जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि।
वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये।।

उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।
मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता।।

डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। शनि पूज्य चरण तेरे।।

हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर।
हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर।।

देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।।

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।
बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै।।

सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हैं पूज्य चरण तेरे।।

॥ इति श्री शनि स्तोत्र (हिन्दी) ॥

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Ravi Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | रवि पुष्य अमृत योग

Ravi Pushya

Ravi Pushya

जब रविवार (Sunday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) बनता है।

रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग रविपुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं।

इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog)और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।

इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

रविपुष्य योग सन् : 2024-25

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
09 जूनरात्रि 08:21 से10 जूनसूर्योदय तक
07 जुलाई  सूर्योदय से08 जुलाई  सूर्योदय तक
04 अगस्तसूर्योदय से04 अगस्त  दोपहर 01:26 तक

Guru Pushya Amrit Yog Muhutrat 2024-25 | गुरु पुष्य अमृत योग

Guru Pushya

Guru Pushya

गुरुवार (Thursday) के दिन शुभ कार्यो एवं आध्यात्म से संबंधित कार्य करना बहोत ही शुभ एवं मंगलमय होता है। जब गुरुवार (Thursday) के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, तब गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) बनता है।

गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog ) में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) में अपने नए कार्य का श्रीगणेश (God Ganesh) करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं।

इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी (Devi Lauxmi) जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार (Thursday) एवं रविवार (Sunday) के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग (Guru Pushya Amrit Yog) और रवि पुष्यामृत योग (Ravi Pushya Amrit Yog) कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।

इस योग में विवाह जैसा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रो में उल्लेखित है कि एक श्राप के अनुसार इस दिन किया हुआ विवाह कभी भी सुखकारक नहीं हो सकता।

गुरुपुष्य योग सन् 2024-2025

प्रारंभ काल – तारीखप्रारंभ काल – घं.मि.तारीख – समाप्ति कालसमाप्ति काल – घं.मि.
26 सितंबर  रात्रि 11:34 से27 सितंबरसूर्योदय तक
24 अक्टूबर  सूर्योदय से25 अक्टूबरसूर्योदय तक
21 नवंबरसूर्योदय से21 नवंबरदोपहर 03:35 तक

इस दीपावली की रात लगेगा सूर्य ग्रहण – 25 Oct 2022 Deepawali | Surya Grahan (Solar Eclipse)

खंडग्रास सूर्यग्रहण – 25 अक्टूबर 2022

Surya Garhan – 25 October 2022

यह ग्रहण कार्तिक (Kartik) कृष्ण अमावस्या मंगलवार, तदनुसार 25 अक्टूबर 2022 ईस्वी को यूरोप के अधिकतर देशों, उत्तरी-पूर्वी अफ्रीकाऔर एशिया महाद्वीप के मध्य-पूर्वी / पश्चिमी भागों में खण्डग्रास (आंशिक) आकृति के रूप में दिखाई पडे़गा। यह ग्रहण स्वीडन, फिन्लैंड, एस्टोनिया, बेलारूस, यूक्रेन, रशिया, जाॅर्जिया, अरमीनिया, कज़ाकिस्तान, अज़रबैज़मान, इराक, ईरान, तुर्कमीनिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, तज़ीकिस्तान, अफ़गानिस्तान, कज़ाखस्तान, पाक और भारत में खण्डग्रास रूप में दीखेगा।

भारत में यह ग्रह पूर्वी भारत के कुछ प्रदेशों को छोड़कर लगभग सम्पूर्ण भारत में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। क्योंकि यह ग्रहण (Surya Grahan | Solar Eclipse) भारत में सर्वत्र ग्रस्तास्त होगा अर्थात् ग्रहणारंभ सूर्यास्त से पूर्व ही हो जाएगा या यूं कह सकते हैं कि-सूर्य की ग्रस्तस्थिति में ही सर्वत्र सूर्यास्त होगा, अतः ग्रहणारंभ (Surya Grahan | Solar Eclipse) तो सर्वत्र दीखेगा, लेकिन कुछ स्थलों / नगरों में ग्रहणमध्य नहीं दिखेगा और ग्रहण समाप्ति तो भारत में कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होगी।

खंडग्रास सूर्यग्रहण – 25 अक्टूबर 2022
कार्तिक कृष्ण, अमावस्या, मंगलवार,

ग्रहण प्रारंभ – दोपहर 2 बजकर 28 मिनट से
ग्रहण का मध्यकाल – शाम 4:30ः00
ग्रहण का समाप्ति काल – शाम 6:32ः00
ग्रहण का पर्व काल – 4 घंटे 3 मिनट 56 सेकंड
सूतक का प्रारंभ – सूर्योदय से पूर्व ( पूर्वरात्रि में 2:30 बजे पर )

यह ग्रहण कार्तिक अमावस, मंगलवार को स्वाति नक्षत्र (Swati Nakshtra) एवं तुला राशि (Libra Rashi) में घटित हो रहा है, अतः विशेषतः स्वाति नक्षत्र व तुला राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण विशेष अशुभ एवं कष्टप्रद रहेगा।

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गर्भाधान संस्कार शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurat for Garbhadhan First Conception

Garbhadhan Sanskar Muhurat

Garbhadhan Sanskar Muhurat

संतान प्राति के लिए कब सम्भोग करे ?

  • रजोदर्शन के बाद 16 रात्रियों तक, प्रथम 4 रात्रियों को छोड़कर शेष 12 रात्रियों में स्त्री संगम यानि समागम करे।
  • पुरुष अपने चंद्र बल में खुश होकर नवांगना से प्रथम समागम करे।
  • रिक्ता अमावस रहित तिथि में, शुभवार, रात्रि के प्रथम पहर को छोड़कर शुभ समय में चित्त को प्रसन्न कर, प्रथम दिन स्त्री संगम करें।
  • विषम रात्रि में संभोग करने से गर्भ ठहरने पर कन्या, सम रात्रियों में पुत्र का जन्म होता है।

गर्भाधान संस्कार का मुहूर्त्त | Garbhadhan Sanskar Muhurat

गर्भाधान के लिए शुभ तिथि | Best Day (Tithi) For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए 1, 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 तिथियां शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ वार | Auspicious Day (Vaar) For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए सोम,बुध,गुरु एवं शुक्रवार शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ नक्षत्र | Auspicious Nakshatra For Conceiving:-

गर्भाधान के लिए रोहिणी,मृगशिरा, अनुराधा, उत्तरा तीनों, हस्त, स्वाति, श्रावण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र शुभ है।

गर्भाधान के लिए शुभ समय | Auspicious Timing For Conceiving:-

  • जब लग्न और 4, 5, 7, 9, 10 स्थानों में शुभ ग्रह हो
  • 3, 6, 11 स्थानों में पाप ग्रह हो
  • सूर्य, मंगल या गुरु लग्न को देखते हो
  • विषम राशि के नवांश में चंद्रमा हो

पुरुष का स्त्री के प्रति कर्तव्य- स्त्री का अपमान या तिरस्कार न करें, आदर सत्कार करें।

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Garbhadhan Shubh Muhurat
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द्विरागमन (गौना) शुभ मुहूर्त | Auspicious Timings Dwiragaman (Gauna) Muhurat

Gaun Shubh Muhurat
Gaun Shubh Muhurat द्विरागमन (गौना | Dwiragaman) मुहूर्त विचार:- पिता के घर से दूसरी बार पति के घर जाने को द्विरागमन (Dwiragaman) कहते हैं। यदि यह शुभ मुहूर्त में किया जाए तो पिता पक्ष और पति पक्ष दोनों के लिए शुभ रहता है। द्विरागमन (गौना | Dwiragaman) करने का शुभ मुहूर्त :- विवाह से एक वर्ष के भीतर अथवा तीसरे या पांचवें वर्ष में द्विरागमन (Dwiragaman) होना चाहिए। द्विरागमन (Dwiragaman) के समय सूर्य वृश्चिक, कुंभ अथवा मेष राशि में और बृहस्पति शुद्ध होना चाहिए। द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ वार:- द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए सोम, बुध, गुरु, शुक्रवार शुभ होते हैं। द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ लग्न :- द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए 2, 3, 6, 7 या 12वीं राशि के लग्न शुभ होते हैं। द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए शुभ नक्षत्र:- द्विरागमन (Dwiragaman) के लिए हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद , रोहिणी, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मूल, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र शुभ हैं।

द्विरागमन-मुहूर्त्त सन् 2023

प्रारंभ काल – तारीख मुहूर्त का समय – घं.मि.
03 मई प्रातः 05:44 से सुबह 11:36 तक, दोपहर 12:38 से रात्रि 08:56 तक,
03 मई रात्रि 08:56 से रात्रि 11:50 तक
11 मई सुबह 05:46 से सुबह  09:54 तक (भद्रा-परिहार)
12 मई सुबह 05:42 से दोपहर 01:03 तक)
17 नवंबर रात्रि 01:17 से प्रातः 05:00 तक
20 नवंबर रात्रि 00:10 से रात्रि 03:16 तक
22 नवंबर रात्रि 00:16 से सूर्यास्त तक
23 नवंबर सूर्योदय से सुबह 10:03 तक
27 नवंबर दोपहर 01:36 से सूर्यास्त तक
29 नवंबर सुबह 08:22 से दोपहर 12:07 तक
07 दिसंबर सुबह 07:50 से सुबह  11:36 तक
08 दिसंबर सुबह 07:46 से सुबह 11:32 तक, सुबह 11:52 से दोपहर 12:33 तक
13 दिसंबर रात्रि 03:09 से सूर्यास्त तक
14 दिसंबर सूर्योदय से सुबह 09:47 तक
सन् 2024
प्रारंभ काल – तारीख मुहूर्त का समय – घं.मि.
14 फरवरी सुबह 10:43 से रात्रि 08:23 तक
15 फरवरी सूर्योदय से सुबह 09:26 तक
19 फरवरी सूर्योदय से सुबह 10:33 तक
21 फरवरी सूर्योदय से दोपहर 02:17 तक
21 फरवरी दोपहर 02:17 से सूर्यास्त तक
22 फरवरी सूर्योदय से दोपहर 01:22 तक
08 मार्च सूर्योदय से सुबह 10:41 तक
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Dwiragaman (Gauna) Shubh Muhurat
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नववधू प्रवेश शुभ मुहूर्त | Nav Vadhu Griha Pravesh Shubh Muhurat

Navvdhu Parvesh

Navvdhu Parvesh

नववधू प्रवेश शुभ मुहूर्त | Vadhu Pravesh ka Shubh muhurt

गृह प्रवेश – नई वधूका पहली बार अपने पति के घर में प्रवेश:-

विवाह के पश्चात जब नववधू पति के घर पहली बार आती है उसे नववधू प्रवेश (Vadhu Pravesh) कहा जाता है। वधू घर की लक्ष्मी होती है। अतः प्रथम बार घर में वधू का प्रवेश यदि शुभ मुहूर्त में हो तो यह घर के लिए बहुत शुभ होता है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान नववधू के प्रवेश मुहूर्त के लिए कुछ विशेष जानकारी देता है ।

वधूप्रवेशो न दिवा-प्रशस्तः राजप्रवेशो न निशि-प्रशस्तः।
दिवा च रात्रौ च गृहप्रवेशः सत्कीर्तिदः स्यात्त्रिविधः प्रवेशः॥

दिन में वधू प्रवेश शुभ नहीं होता, यात्रा के अंत में जो राजा द्वारा गृह प्रवेश होता है वह रात्रि में शुभ नहीं है। सामान्य रूप से जो ग्रह प्रवेश होता है वह दिन और रात दोनों में शुभ होता है।

ज्‍योतिष : कब हो नववधू का गृह प्रवेश:

  • नववधू प्रवेश विवाह के 16 दिन के भीतर सम (2, 4, 6, 8, 10, 12 अथवा 14) दिनों में अथवा 5वें, 7वें, 9वें दिन में शुभ रहता है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के एक मास तक विषम (1, 3, 5, 7, 9, 11 आदि) दिनों में शुभ रहता है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के एक वर्ष के भीतर विषम मास में शुभ रहता है।
  • एक वर्ष के उपरांत 3 रे, 5 वें वर्ष में भी स्थिर लग्न में वधू प्रवेश शुभ है।
  • नववधू प्रवेश विवाह के 5 वर्ष के उपरांत जब चाहे तब शुभ मुहूर्त्त में हो सकता है।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र | Shubh Nakshatra For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए रेवति, अश्वनी, रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण, धनिष्ठा, हस्त, चित्रा, स्वाति, मघा, मूल, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, पुष्य, अनुराधा नक्षत्र शुभ होते हैं।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ वार | | Shubh Vaar For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए चंद्र, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि वार शुभ होते हैं।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ तिथि | | Shubh Tithi For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए 1, 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, 15 तिथियां शुभ है।

नववधू प्रवेश के लिए शुभ लग्न | | Shubh Lagna For Nav Vadhu Griha Pravesh :-

नववधू प्रवेश के लिए 5, 8, 11 लग्न में चतुर्थाष्टम शुद्ध हों तो वधू प्रवेश शुभ है।

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Nav Vadhu Griha Pravesh Shubh Muhurat
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श्री गणेश मूर्ति प्रतिष्ठा मुहूर्त | Ganpati Bappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

Lord Ganpati

Lord Ganpati

श्री गणेश मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त 

Ganpati Bappa Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

“हे हाथी के जैसे विशालकाय गणेश, जिनका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है, सदा मेरे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें”।

गणेश जी की तिथि कृष्ण चतुर्थी है। भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त है।

श्री गणेश प्रतिष्ठा मुहूर्त 2023-2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
01 मईसूर्योदय से सूर्यास्त तक
03 मईसूर्योदय से सुबह 11:26 तक 
11 मईसुबह 05:46 से सुबह 09:54 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक 
12 मईसुबह 05:42 से सुबह 09:05 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:51 तक
13 मईसूर्योदय से प्रातः 06:51 तक 
17 मईसूर्योदय से सुबह 07:38 तक 
20 मईसुबह 08:02 से सूर्यास्त तक
21 मईसूर्योदय से सुबह 09:04 तक 
21 मईसुबह 09:04 से सुबह 09:23 तक, सुबह 11:50 से दोपहर 12:45 तक
22 मईसूर्योदय से सुबह 10:37 तक 
24 मईसुबह 06:49 से सुबह 09:03 तक, सुबह 11:25 से दोपहर 01:45 तक
25 मईसुबह 06:45 से सुबह 08:59 तक, सुबह 11:22 से दोपहर 01:41 तक, (भौमयुति परिहार)
29 मईसुबह 11:50 से सूर्यास्त तक
01 जूनसूर्योदय से प्रातः 06:48 तक 
03 जूनसुबह 11:17 से सूर्यास्त तक (भद्रा-परिहार)
07 जूनसुबह 05:54 से सुबह 08:08 तक, सुबह 10:30 से दोपहर  12:50 तक
08 जूनसुबह 08:37 से दोपहर 03:04 तक
12 जूनसुबह 10:35 से सूर्यास्त तक
21 जूनसुबह 09:35 से दोपहर 01:13 तक  
26 जूनप्रातः 06:06 से सूर्यास्त तक, (भद्रा-परिहार)
06 जुलाईसुबह 08:18 से सुबह 08:36 तक, सुबह 10:56 से दोपहर  01:14 तक
03 सितंबर सुबह 07:06 से सुबह 10:39 तक
01 नवंबरसुबह 07:52 से शाम 04:56 तक
01 दिसंबरसुबह 08:14 से सुबह 11:59 तक

सन् 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
18 जनवरीसुबह 09:26 से सूर्यास्त तक
21 जनवरीसुबह 10:03 से सुबह 11:25 तक, दोपहर 12:11 से दोपहर 12:54 (भद्रा-परिहार)
25 जनवरीसुबह 10:38 से सूर्यास्त तक
26 जनवरीसुबह 10:28 से सूर्यास्त तक
29 जनवरीसूर्योदय से सुबह 09:43 तक
31 जनवरीसुबह 10:46 से दोपहर 12:19 तक
01 फरवरीसुबह 10:42 से दोपहर 12:15 तक, दोपहर 02:32 तक (केतुयुति का परिहार है)
14 फरवरीसुबह 10:43 से सूर्यास्त तक
15 फरवरीसूर्योदय से सुबह 09:26 तक 
19 फरवरीसूर्योदय से सुबह 10:33 तक (शुक्र-पादवेधाभाव)
21 फरवरीसुबह 08:23 से दोपहर 12:51 तक 
22 फरवरीसुबह 09:20 से दोपहर 12:54 तक, 
28 फरवरीसूर्योदय से सुबह 07:33 तक
28 फरवरीसुबह 07:33 से सुबह 10:15 तक
03 मार्चसुबह 09:36 से दोपहर 12:11 तक
07 मार्चसूर्योदय से सुबह 08:23 तक 
08 मार्चसूर्योदय से सुबह 10:49 तक 
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Ganpati Bappa Sthapana Shubh Muhurat
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श्री दुर्गा मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Maa Durga ji Murti Sthapana Shubh Muhurat

Devi Durga

Devi Durga

श्री दुर्गा देवी मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त

Maa Durga ji Murti Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए। देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

गौरीजीकी तिथि शुक्ल तृतीया है। दुर्गाजी की तिथि शुक्ल नवमी और नक्षत्र मूल ।

श्री दुर्गा देवी प्रतिष्ठा मुहूर्त 2023-2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
03 मईसुबह 06:17 से सुबह 08:12 तक, सुबह 10:26 से सुबह 11:27 तक
08 मईसुबह 05:57 से सुबह 10:06 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक
11 मईसुबह 05:46 से सुबह 09:54 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक
12 मईसुबह 05:42 से सुबह 09:05 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:51 तक
13 मईसूर्योदय से सुबह 06:51 तक
20 मईसुबह 08:03 से सूर्यास्त तक
21 मईसुबह 07:01 से सुबह 09:15 तक, सुबह 11:50 से दोपहर 12:45 तक 
22 मईसूर्योदय से सुबह 10:37 तक
24 मईसुबह 06:49 से सुबह 09:03 तक, सुबह 11:25 से दोपहर 01:45 तक
25 मईसुबह 06:45 से सुबह 08:49 तक, सुबह 11:22 से दोपहर 01:41 तक (भौमयुति परिहार)
29 मईसूर्योदय से सूर्यास्त तक
01 जूनसूर्योदय से सुबह 06:48 तक
03 जूनसुबह 11:17 से सूर्यास्त तक (भद्रा-परिहार)
05 जूनसुबह 06:02 से सुबह 08:16 तक, सुबह 10:38 से दोपहर 12:58 तक, 
08 जूनसुबह 08:37 से दोपहर 03:04 तक
12 जूनसुबह 10:35 से सूर्यास्त तक
21 जूनसुबह 09:35 से दोपहर 01:13 तक  
26 जूनप्रातः 06:06 से सूर्यास्त तक, (भद्रा-परिहार)
01 जुलाईसुबह 06:34 से दोपहर 01:34  तक, 
03 जुलाईसूर्योदय से सुबह 11:02 तक
13 जुलाईसुबह 08:09 से सुबह 10:29 तक, सुबह 11:59 से दोपहर  12:54 तक
14 जुलाई सुबह 05:43 से सुबह 08:05, सुबह 10:25 से दोपहर 12:54 तक, दोपहर 03:04 से शाम 05:24 तक, 
24 अगस्तसुबह 09:04 से दोपहर 01:43 तक 
26 अगस्तदोपहर 11:57 से शाम 04:40 तक
27 अगस्तसूर्योदय से सुबह 07:16 तक
06 सितंबरसुबह 11:32 से दोपहर 03:57 तक (मृत्युबाण- परिहार)
07 सितंबरसुबह 11:28 से दोपहर 03:53 तक, 
08 सितंबरसूर्योदय से दोपहर 12:10 तक
11 सितंबरसुबह 11:12 से दोपहर 03:37 तक, 
21 सितंबरसुबह 10:33 से दोपहर 02:58 तक, 
22 सितंबरसुबह 10:29 से दोपहर 02:54 तक, 
23 सितंबरसुबह 10:25 से दोपहर 02:50 तक,  
25 सितंबरसुबह 11:55 से सूर्यास्त तक
19 अक्टूबरसुबह 08:43 से दोपहर 01:08 तक, 
20 अक्टूबरसुबह 08:39 से दोपहर 01:04 तक, 
23 अक्टूबरसुबह 08:28 से दोपहर 12:52 तक, 
04 नवंबर दोपहर 12:04 से सूर्यास्त तक
05 नवंबर सूर्योदय से सुबह 10:29 तक
19  नवंबर सुबह 09:01 से दोपहर 03:12 तक, 
27  नवंबर सुबह 08:30 से दोपहर 12:30 तक, 
29  नवंबर सुबह 08:22 से दोपहर 12:07 तक
02  दिसंबरसुबह 08:10 से सुबह 11:55 तक
08 दिसंबरसुबह 08:54 से सुबह 11:32 तक
14 दिसंबरसूर्योदय से सूर्यास्त तक

सन् 2024

18 जनवरीसुबह 09:26 से सूर्यास्त तक
19 जनवरीसूर्योदय से सूर्यास्त तक
20 जनवरीसुबह 07:42 से सुबह 10:07 तक, सुबह 11:29 से दोपहर 01:02 तक, 
21 जनवरीसुबह 07:38 से सुबह 10:03 तक, सुबह 11:25 से दोपहर 12:58 तक, 
25 जनवरीसुबह 10:38 से सूर्यास्त तक, 
26 जनवरीसूर्योदय से सुबह 10:28 तक
01 फरवरीसूर्योदय से दोपहर 12:28 तक
04 फरवरीसुबह 07:43 से सुबह 09:08 तक, सुबह 10:30 से दोपहर 12:57 तक, 
14 फरवरीसुबह 10:43 से सूर्यास्त तक
15 फरवरीसूर्योदय से सुबह 09:26 तक 
16 फरवरीसुबह 08:47 से सूर्यास्त तक
17 फरवरीसुबह 09:39 से सुबह 10:06 तक, दोपहर 12:13 से दोपहर 12:58 तक
19 फरवरीसुबह 09:31 से सुबह 10:33 तक
21 फरवरीसुबह 08:23 से दोपहर 12:51 तक 
22 फरवरीसुबह 09:20 से दोपहर 12:58 तक, 
03 मार्च (सुबह 09:36 तक गुरुपादवेध), सुबह 09:36 से दोपहर 12:19 तक
04 मार्च सुबह 07:40 से दोपहर 12:09 तक
07 मार्चसूर्योदय से सुबह 08:23 तक 
08 मार्चसूर्योदय से सुबह 10:49 तक 
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Maa Durga ji Sthapana Shubh Muhurat
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भगवान शिव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त | Shiva Murti or Shivling Sthapana Muhurat

Lord Shiv

Lord Shiv

भगवान शिव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त

Lord Shiva Murti or Shivling Sthapana Shubh Muhurat

देवों की प्रतिष्ठा इनकी अपनी-अपनी तिथियों, नक्षत्रों, वारों के अनुसार भी की जाती है। कुछ नक्षत्र ऐसे भी हैं, जिनमें किसी भी देवता की प्रतिष्ठा की जा सकती है। देवों की प्रतिष्ठा मुहूर्त कालो की तरह ही युति, वेध, क्रान्तिसाम्य, गुरु-शुक्रास्त, भद्रा आदि सभी दोषों से सर्वथा मुक्त होने चाहिए।देवताओं की प्रतिष्ठा पूर्वाहण (दिन के पूर्वार्ध) में ही की जाती हैं।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

“ हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग (“मुक्त”) हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों । ”

भगवान शिव जी की तिथि कृष्ण चतुर्दशी और नक्षत्र आर्दा है।

भगवान शिव जी प्रतिष्ठा मुहूर्त 2023-2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
10 फरवरीप्रातः 07:11 से सुबह 10:07 तक, अभिजीत 
19 फरवरी पूरा दिन
9 मार्च प्रातः 06:58 से सुबह 08:21 तक,  सुबह 09:53 से सुबह 11:48 तक, अभिजीत 
03 मईसुबह 06:17 से सुबह 08:12 तक, सुबह 10:26 से सुबह 11:27 तक 
08 मईसुबह 05:57 से सुबह 10:06 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक 
11 मईसुबह 05:46 से सुबह 09:54 तक, सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक 
12 मईसुबह 05:42 से सुबह 09:50, सुबह 11:51 से दोपहर  12:45 तक 
13 मईसूर्योदय से प्रातः 06:51 तक 
16 मईसुबह 07:20 से सुबह 09:35 तक
17 मईसूर्योदय से सुबह 07:39 तक
20 मईसुबह 08:03 से सूर्यास्त तक
21 मईसुबह 07:01 से सुबह 09:15 तक, सुबह 11:37 से दोपहर 01:57 तक
22 मईसुबह 06:57 से सुबह 09:11 तक,  सुबह 11:33 से दोपहर 01:53 तक
23 मईसुबह 06:53 से सुबह 09:07 तक, सुबह 11:39 से दोपहर 01:49 तक
24 मईसुबह 06:49 से सुबह 09:03 तक, सुबह 11:25 से दोपहर 01:45 तक 
25 मईसुबह 06:45 से सुबह 08:49 तक, सुबह 11:22 से दोपहर 01:41 तक, (भौमयुति परिहार)
28 मईसुबह 10:06 से सूर्यास्त तक
29 मईसुबह 11:50 से सूर्यास्त तक
30 मईसुबह 06:25 से सुबह 08:40 तक, सुबह 11:02 से दोपहर 01:22 तक
01 जूनसूर्योदय से प्रातः 06:48 तक 
03 जूनसुबह 06:10 से सुबह 08:24 तक, सुबह 10:46 से दोपहर 01:06 तक
05 जूनसुबह 06:02 से सुबह 08:16 तक, सुबह 10:38 से दोपहर 12:48 तक, 
08 जूनसुबह 05:50 से सुबह 08:04 तक, सुबह 10:26 से दोपहर 12:48 तक, 
12 जूनसुबह 10:35 से सूर्यास्त तक
13 जूनसुबह 05:30 से सुबह 07:45 तक, सुबह 10:07 से दोपहर 12:27 तक
17 जूनसूर्योदय से सुबह 09:12 तक
19 जूनसुबह 09:43 से दोपहर 02:21 तक
20 जूनसुबह 09:39 से दोपहर 02:17 तक
21 जूनसुबह 09:35 से दोपहर 02:13 तक
26 जूनप्रातः 06:06 से सूर्यास्त तक, (भद्रा-परिहार)
01 जुलाईसुबह 08:56 से दोपहर 01:34 तक
02 जुलाईसुबह 08:52 से दोपहर 01:30 तक
03 जुलाईसुबह08:48 से दोपहर 01:26 तक
06 जुलाईसुबह 08:18 से सूर्यास्त तक
10 जुलाईसुबह 08:21 से दोपहर 12:58 तक
14 जुलाईसुबह 10:25 से दोपहर 12:54 तक, दोपहर 03:04 से 05:24 तक
19  नवंबर सुबह 09:09 से दोपहर 12:47 तक
27 नवंबर दोपहर 01:36 से सूर्यास्त तक
28 नवंबर सुबह 08:26 से दोपहर 12:11 तक
29 नवंबर सुबह 08:22 से दोपहर 12:07 तक
30 नवंबर सुबह 08:18 से दोपहर 12:31 तक (भद्रा-परिहार)
01 दिसंबरसुबह 08:14 से सुबह 12:31 तक 
11 दिसंबरदोपहर 12:14 से सूर्यास्त तक

सन् 2024

प्रारंभ काल – तारीखमुहूर्त का समय – घं.मि.
18 जनवरीसुबह 09:26 से सूर्यास्त तक
21 जनवरीसुबह 10:03 से सुबह 11:25 तक, दोपहर 12:11 से दोपहर 12:54 (भद्रा-परिहार)
24 जनवरीसुबह 08:51 से सूर्यास्त तक
25 जनवरीसुबह 10:38 से सूर्यास्त तक
26 जनवरीसुबह 10:28 से सूर्यास्त तक
29 जनवरीसुबह 08:06 से सुबह 09:31 तक, सुबह 10:54 से दोपहर 12:56 तक,  पादेन गुरुवेधऽभावः
31 जनवरीसुबह 07:59 से सुबह 09:24 तक, सुबह 10:46 से दोपहर 12:56 तक, 
01 फरवरीसुबह 10:42 से दोपहर 12:15 तक, दोपहर 02:32 तक केतुयुति का परिहार है
14 फरवरीसुबह 10:43 से सूर्यास्त तक
15 फरवरीसूर्योदय से सुबह 09:26 तक
19 फरवरीसुबह 09:31 से दोपहर 12:59 तक
21 फरवरीसुबह 09:23 से दोपहर 12:51 तक
22 फरवरीसुबह 09:20 से दोपहर 12:58 तक
03 मार्चसुबह 08:44 से दोपहर 12:56 तक
04 मार्चसूर्योदय से सुबह 08:50 तक
08 मार्चसुबह 08:24 से सुबह  11:52 तक
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Shiva Murti or Shivling Sthapana Shubh Muhurat
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